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डेड स्किन हटाने के आसान घरेलू उपाय – Home Remedies For Dead Skin in Hindi

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कई बार महंगी क्रीम, फेसवॉश या अन्य उत्पाद का इस्तेमाल करने के बाद भी त्वचा पर चमक ठहर नहीं पाती है।  क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है? वैसे, ऐसा होने के पीछे कई वजह हो सकती हैं, जिसमें मृत कोशिकाओं यानी डेड स्किन को न हटाना मुख्य कारण हो सकता है। डेड स्किन को हटाने के लिए बाजार में कई तरह से कॉस्मेटिक उपलब्ध हैं, लेकिन इनका नकारात्मक प्रभाव आपकी त्वचा के लिए घातक हो सकता है। ऐसे में हर्बल तरीका आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम आपको डेड स्किन हटाने के घरेलू उपाय के बारे में जानकारी दे रहे हैं। डेड स्किन हटाने के उपाय न सिर्फ आसान हैं, बल्कि सही तरीके से उपयोग करने से असरदार भी साबित हो सकते हैं। तो बिना देर करते हुए लेख के आगे के भाग में जानिये डेड स्किन हटाने के घरेलू उपाय।

इससे पहले कि आप डेड स्किन हटाने के घरेलू उपाय जानें, आपके लिए यह जानना जरूरी है कि डेड स्किन क्या है? लेख के इस भाग में हम उसी बारे में जानकारी दे रहे हैं।

डेड स्किन क्या है? – What is Dead Skin in Hindi

कई बार त्वचा की देखभाल में अभाव में, धूल-मिट्टी, प्रदूषण व बढ़ती उम्र के कारण स्किन डेड होने लगती है। त्वचा की परत निकलने लगे, त्वचा अत्यधिक रूखी होने लगे, त्वचा की रंगत में बदलाव आए या त्वचा में खुजली होने लगे, तो समझ जाएं ये डेड स्किन के लक्षण हैं। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिस कारण त्वचा की चमक पर इसका असर पड़ने लगता है। अगर सही वक्त पर इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो इससे न सिर्फ त्वचा के टेक्सचर में फर्क पड़ेगा, बल्कि अन्य त्वचा संबंधी समस्याएं भी शुरू हो सकती हैं।

अब बारी आती है डेड स्किन हटाने के घरेलू उपाय जानने की। नीचे जानिए डेड स्किन हटाने के सबसे सटीक घरेलू नुस्खे।

डेड स्किन हटाने के घरेलू उपाय – Home Remedies For Dead Skin in Hindi

नीचे हम आपको कुछ घरेलू सामग्रियों द्वारा डेड स्किन हटाने के उपाय बता रहे हैं, जो काफी आसान हैं।

1. डेड स्किन के लिए ब्राउन शुगर या भूरी चीनी

Brown sugar or brown sugar for dead skin

Shutterstock

सामग्री :

  • एक चम्मच ब्राउन शुगर
  • एक चम्मच बादाम या नारियल तेल

उपयोग करने का तरीका :

  • चीनी और तेल को मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें।
  • अब इस मिश्रण को अपनी त्वचा पर हल्के-हल्के से सर्कुलर मोशन में कुछ सेकंड के लिए मालिश करें।
  • फिर इसे थोड़ी देर रहने दें और उसके बाद गुनगुने पानी से धो लें।
  • अगर यह स्क्रब आपको पूरे शरीर में लगाना है, तो सामग्री की मात्रा को बढ़ाकर मिश्रण को तैयार करें।
  • आप हफ्ते में एक से दो बार इस मिश्रण को लगा सकते हैं।

कैसे फायदेमंद है?

चीनी एक्सफोलिएटर और स्क्रब का काम करती है और त्वचा के साथ रगड़ खाकर मृत त्वचा को निकालने में मदद करती है (1) (2)। वहीं, बादाम तेल त्वचा को मॉइस्चराइज करने और रंगत में निखार लाने में मदद कर सकता है। अगर आप नारियल तेल का उपयोग करते हैं, तो यह आपकी त्वचा को न सिर्फ हानिकारक अल्ट्रावॉइलेट किरणों से बचाव करेगा, बल्कि त्वचा पर किसी भी प्रकार के चोट को ठीक करने में भी मदद कर सकता है, क्योंकि इसमें जख्म को भरने वाले गुण होते हैं। इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल व एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण त्वचा की सूजन और संक्रमण से भी बचाव कर सकते हैं (3)।

2. डेड स्किन के लिए ग्रीन टी

सामग्री :

  • दो ग्रीन टी बैग
  • एक चम्मच शहद
  • एक कप पानी

उपयोग करने का तरीका :

  • ग्रीन टी के बैग को एक कप गर्म पानी में डाल दें।
  • अब इस पानी में एक चम्मच शहद मिलाएं।
  • फिर इस मिश्रण को धीरे-धीरे से चेहरे पर मालिश करें।
  • ध्यान रहे पानी उतना ही गर्म हो जितना आप सह सकें।
  • इस मिश्रण को लगाने से पहले एक बार पैच टेस्ट जरूर कर लें, ताकि पानी के तापमान का पता चल सके।
  • थोड़ी देर बाद इसे किसी साफ-मुलायम तौलिए से पोंछ लें।
  • फिर ठंडे पानी से चेहरा धो लें।

कैसे फायदेमंद है?

ग्रीन टी स्वास्थ्य के लिए कितना फायदेमंद है, यह तो लगभग हर कोई जानता है, लेकिन यह त्वचा के लिए भी लाभकारी हो सकता है। कई शोध में पता चला है कि ग्रीन टी न सिर्फ एक अद्भुत एंटीऑक्सीडेंट है, बल्कि इसमें कोशिकाओं को किसी भी प्रकार के क्षति से बचाने के भी गुण मौजूद होते हैं। यह त्वचा में आसानी से अवशोषित होकर त्वचा में सूजन से लड़ता है, जिससे वक्त से पहले त्वचा पर पड़ने वाले उम्र के असर से बचा जा सकता है। यह एस्ट्रिंजेंट (Astringent) का भी काम करता है, जिससे त्वचा में कसाव आता है (2)। वहीं, शहद त्वचा को मॉइस्चराइज, हाइड्रेट और झुर्रियों से बचाव कर त्वचा को जवां बनाए रखने में मदद कर सकता है (4)।

3. डेड स्किन के लिए चीनी और शहद

Sugar and honey for dead skin

Shutterstock

सामग्री :

  • एक बड़ा चम्मच चीनी
  • एक बड़ा चम्मच शहद

उपयोग करने का तरीका :

  • कटोरी में शहद और चीनी मिलाएं।
  • कुछ मिनटों के लिए इससे अपनी त्वचा को स्क्रब करें और फिर धो लें।
  • इस स्क्रब को एक से दो बार कर सकते हैं।

कैसे फायदेमंद है?

चीनी को कई सालों से स्क्रबिंग के लिए उपयोग किया जा रहा है। यह त्वचा को एक्सफोलिएट कर डेड स्किन हटाने में मदद कर सकता है (2)। वहीं, शहद त्वचा को मॉइस्चराइज कर कोमल बनाता है और हाइड्रेट करने के साथ-साथ रंगत में भी निखार लाने में मदद कर सकता है (4)।

4. डेड स्किन के लिए एप्सम सॉल्ट

सामग्री :

  • एक कप एप्सम सॉल्ट
  • एक कप नारियल तेल
  • 10-12 बूंदें लैवेंडर तेल (वैकल्पिक)

उपयोग करने का तरीका :

  • नमक को नारियल तेल और लैवेंडर ऑयल में मिलाएं।
  • फिर इसे एयर-टाइट गिलास कंटेनर में ट्रांसफर करें।
  • अब इसमें से जरूरत के अनुसार स्क्रब का इस्तेमाल करें और 2-3 मिनट तक धीरे-धीरे स्क्रब करें।
  • फिर गुनगुने पानी से धो लें।
  • शरीर पर मृत त्वचा को एक्सफोलिएट करने के लिए सप्ताह में एक बार इस स्क्रब का उपयोग करें।
  • इसके अलावा, आप चेहरे को स्क्रब करने के लिए आधे चम्मच एप्सम साल्ट को अपने क्लींजिंग क्रीम में डालकर इस्तेमाल कर सकती हैं।

कैसे फायदेमंद है?

त्वचा पर धीरे-धीरे स्क्रब करने से नमक के महीन दाने त्वचा को आसानी से एक्सफोलिएट कर सकते हैं और डेड स्किन को हटाने में मददगार साबित हो सकते हैं (5)।

5. डेड स्किन के लिए पपीते का स्क्रब

Papaya scrub for dead skin

Shutterstock

सामग्री :

  • आधा या जितना जरूरत हो उतना पका हुआ पपीता
  • एक से दो बड़े चम्मच ओट्स (Oats)
  • एक से दो चम्मच बादाम तेल

उपयोग करने का तरीका :

  • सबसे पहले पपीते को मिक्सी में हल्का पीस लें।
  • फिर ओट्स को पीस लें।
  • उसके बाद एक कटोरी में ओट्स और पपीते को मिला लें।
  • फिर उसमें बादाम तेल मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें।
  • आपका स्क्रब तैयार है।
  • स्क्रब लगाने से पहले अपने चेहरे को पानी से भिगो लें।
  • अब इस स्क्रब से हल्की-हल्की मालिश करें।
  • अगर स्क्रब ज्यादा गाढ़ा लगे, तो कुछ बूंदें पानी की मिला लें।
  • थोड़ी देर स्क्रबिंग के बाद चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें।
  • ध्यान रहे कि स्क्रबिंग के बाद चेहरे पर फेसवॉश या साबुन न लगाएं।

कैसे फायदेमंद है?

पपीते में पपाइन (Papain) नामक एंजाइम होता है, जिसमें एंटीमाइक्रोबियल और एक्सफोलिएंट गुण मौजूद होते हैं। पपीता सिर्फ एक्सफोलिएट कर डेड स्किन को ही नहीं निकालता, बल्कि इसमें घाव को भरने के गुण भी मौजूद होते हैं (2)।

6. डेड स्किन के लिए टूथब्रश

सामग्री :

  • लिप बॉम
  • टूथब्रश

उपयोग करने का तरीका :

  • अपने होंठों पर हाइड्रेटिंग या रोजाना उपयोग करने वाला लिप बाम लगाएं और इसे 15-20 मिनट तक लगा रहने दें।
  • अब एक टूथब्रश लें और हल्के-हल्के हाथों से अपने होठों पर सर्कुलर मोशन में रगड़ें।
  • कुछ सेकंड तक रगड़ने के बाद जब परतदार डेड स्किन निकलने लगे, तो पानी से धो लें।
  • इसे आप हफ्ते में दो बार उपयोग कर सकते हैं।

कैसे फायदेमंद है?

चेहरे और शरीर की त्वचा के साथ आपके होंठों की त्वचा को भी देखभाल की जरूरत होती है। यह होंठों को एक्सफोलिएट करने के सबसे आसान उपायों में से एक है। जैसा कि यह सभी जानते हैं कि लिप बाम त्वचा को मुलायम बनाने में मदद करता है। ऐसे में लिप बाम लगाने से डेड स्किन नर्म-मुलायम हो जाती है। वहीं, टूथब्रश डेड स्किन को एक्सफोलिएट करने में मदद कर सकता है (2)। टूथब्रश के ब्रिसल्स नर्म डेड स्किन को आसानी से निकालने में मदद कर सकते हैं।

7. डेड स्किन के लिए संतरे के छिल्के का पाउडर (Orange Peel)

Orange Peel

Shutterstock

सामग्री :

  • आधा या एक चम्मच संतरे के छिल्के का पाउडर
  • एक चम्मच दूध
  • गुलाब की कुछ पंखुड़ियों का पेस्ट
  • आधा या एक चम्मच शहद

उपयोग करने का तरीका :

  • सबसे पहले एक कटोरी में दूध और संतरे के छिल्के के पाउडर को मिलाकर पेस्ट बना लें।
  • आप संतरे के छिल्के का पाउडर घर में बना सकते हैं या बाजार से भी खरीद सकते हैं।
  • अब इसमें एक चम्मच गुलाब की कुछ पंखुड़ियों का पेस्ट मिलाएं।
  • फिर इसमें थोड़ा शहद मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें।
  • अब इस स्क्रब को चेहरे पर लगाएं और धीरे-धीरे मालिश करें।
  • फिर पांच मिनट बाद पानी से मुंह धो लें।

कैसे फायदेमंद है?

संतरे के छिल्के में मौजूद प्राकृतिक तेल त्वचा को गहराई से साफ कर त्वचा की गंदगी को निकालने में मदद कर सकता है। जब त्वचा की अशुद्धियां निकल जाएगी, तो त्वचा में एक नई चमक आ जाएगी (6)।

8. डेड स्किन के लिए प्यूमिस स्टोन (Pumice Stone)

Pumice Stone

Shutterstock

सामग्री :

  • प्यूमिस स्टोन
  • एक टब या बाल्टी
  • पानी

उपयोग करने का तरीका :

  • एक टब या बाल्टी में इतना पानी भरे कि आपके पैर डूब सकें।
  • अब अपने पैरों को 10 मिनट के लिए पानी में डुबोएं।
  • फिर धीरे-धीरे से प्यूमिस स्टोन की मदद से पैरों को रगड़कर डेड स्किन को निकालें।
  • उसके बाद पैरों को पानी से अच्छे से धो लें और नर्म तौलिए से पोंछकर मॉइस्चराइजर लगाएं।

कैसे फायदेमंद है?

आपके चेहरे के साथ-साथ आपके पैरों को भी देखभाल की जरूरत होती है। ऐसे में प्यूमिस स्टोन पैरों से डेड स्किन को निकालने के सबसे आसान तरीकों में से एक है। यह स्क्रब की तरह काम करता है और इसे त्वचा को एक्सफोलिएट करने के लिए उपयोग किया जाता है (2) (7)।

9. डेड स्किन के लिए ओटमील

सामग्री :

  • दो चम्मच पीसा हुआ ओटमील
  • आवश्यकतानुसार पानी

उपयोग करने का तरीका :

  • ओटमील और पानी को एक कटोरी में डालकर पेस्ट तैयार कर लें।
  • अब इसे अपने चेहरे पर लगाकर धीरे-धीरे से सर्कुलर मोशन में मालिश करें।
  • आप इसे पूरे शरीर पर भी लगा सकते हैं।
  • कुछ देर मालिश के बाद आप त्वचा को पानी से धो लें।
  • आप हफ्ते में एक या दो बार इसका उपयोग कर सकते हैं।

कैसे फायदेमंद हैं?

ओटमील को होममेड एक्सफोलिएटर की तरह उपयोग किया जा सकता है। बाजार में मिलने वाले कई एक्सफोलिएटिंग क्लींजर में ओटमील का उपयोग किया जाता है (8)। ओटमील डेड स्किन को निकालने में मदद कर सकता है। हालांकि, इसके लिए कोई सटीक लिखित प्रमाण उपलब्ध नहीं है कि यह लोगों के अनुभव पर निर्भर करता है।

10. डेड स्किन के लिए लूफा

Luffa for dead skin

Shutterstock

सामग्री :

  • लूफा
  • शॉवर जेल या नहाने का साबुन

उपयोग करने का तरीका :

  • नहाते वक्त लूफा को पानी में भिगोएं।
  • अब उसमें शॉवर जेल या अपने शरीर पर साबुन लगाकर हल्के-हल्के हाथों से लूफा से स्क्रब करें।
  • फिर नहा लें।
  • आप इसका उपयोग हफ्ते में दो से तीन बार कर सकते हैं।

कैसे फायदेमंद है?

लूफा खीरे के परिवार की एक सब्जी से निकाला जाता है। बाजार में कई तरह के लूफा मौजूद हैं। कुछ में अखरोट के शेल के पाउडर भी मौजूद होते हैं। लूफा बहुत ही आराम और बेहतरीन तरीके से त्वचा को एक्सफोलिएट कर डेड स्किन को हटाने में मदद कर सकता है (2)।

नोट : लूफा को उपयोग करने के बाद उसे सुखाना न भूलें। लूफा को गीली या नम वाली जगह पर न रखें। गीले लूफा में कीटाणु पनपने का खतरा हो सकता है, जिससे त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

11. डेड स्किन के लिए मूंग दाल

सामग्री :

  • आधा या एक चम्मच मूंग दाल पाउडर
  • एक चौथाई चम्मच हल्दी
  • एक चम्मच जैतून का तेल

उपयोग करने का तरीका :

  • मूंग दाल को अच्छे से मिक्सी में पीसकर पाउडर तैयार कर लें।
  • फिर एक कटोरी में मूंग दाल पाउडर, हल्दी और जैतून का तेल मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें।
  • अब इस मिश्रण को अपने चेहरे पर लगाकर हल्के-हल्के हाथों से मालिश करें और 10 मिनट के लिए लगा रहने दें।
  • फिर बाद में गुनगुने पानी से धो लें।
  • उसके बाद आप चेहरे पर टोनर, सीरम और लोशन लगा लें।
  • आप इसे हफ्ते में एक से दो बार लगा सकते हैं।

कैसे फायदेमंद है?

मूंग दाल को सालों से घरेलू एक्सफोलिएटर की तरह उपयोग किया जाता रहा है। यह डेड स्किन और त्वचा की गंदगी को हटाकर त्वचा को नर्म, मुलायम और चमकदार बनाने में मदद कर सकता है। इससे त्वचा स्वस्थ होती है (2)।

ऊपर आपने डेड स्किन हटाने के घरेलू उपाय जानें, लेकिन अगर आप सही तरीके से एक्सफोलिएशन नहीं करेंगे, तो इसके विपरीत प्रभाव भी पड़ सकते हैं। इसलिए, लेख के इस भाग में हम सही तरीके से स्क्रब करने के और कुछ अन्य टिप्स आपको बता रहे हैं।

स्क्रबिंग और एक्सफोलिएशन टिप्स – Scrubbing And Exfoliation Tips in Hindi

अगर आप सही तरीके से एक्सफोलिएशन करेंगे, तो ऊपर बताए गए डेड स्किन हटाने के उपाय जल्दी और सही तरीके से असर करेंगे। इसलिए, यहां हम स्क्रबिंग और एक्सफोलिएशन के जरूरी टिप्स दे रहे हैं :

  • स्क्रब या एक्सफोलिएट करने का सही वक्त चुनें। कोशिश करें कि सुबह के वक्त या फिर शाम को एक्सफोलिएट करें, ताकि आपकी त्वचा की अशुद्धियां पूरी तरह से निकल जाएं।
  • स्क्रबिंग या एक्सफोलिएशन करने से पहले चेहरे को धो लें और ध्यान रहे कि चेहरे पर कोई मेकअप न लगा हो।
  • अब अपनी त्वचा के अनुसार स्क्रब का चुनाव करें।
  • फिर हल्के-हल्के हाथों से स्क्रब करें, त्वचा पर ज्यादा जोर से और ज्यादा देर तक स्क्रब न करें, वरना त्वचा छिल सकती है।
  • फिर पानी से चेहरा धो लें और नर्म तौलिये से पोंछकर मॉइस्चराइजर या लोशन लगा लें।

नोट : अगर आपको ऊपर बताई गई किसी भी सामग्री से एलर्जी है, तो उसका उपयोग न करें या उपयोग करने से पहले डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह लें। डेड स्किन हटाने के घरेलू उपाय का उपयोग करने से पहले एक बार पैच टेस्ट कर लें।

आशा करते हैं कि इस लेख द्वारा बताए डेड स्किन हटाने के घरेलू उपाय आपके लिए उपयोगी साबित होंगे। अगर आपके पास भी डेड स्किन हटाने के उपाय और उनसे जुड़े अनुभव हैं, तो उसे हमारे साथ साझा करें। ऊपर बताए गए डेड स्किन हटाने के घरेलू उपाय काफी आसान हैं और अगर इन्हें सही तरीके से उपयोग किया गया, तो ये असरदार भी साबित हो सकते हैं। ये उपाय न सिर्फ आपके डेड स्किन को हटाकर त्वचा को नर्म और मुलायम बनाएंगे, बल्कि आपकी त्वचा को स्वस्थ और चमकदार भी बनाएंगे। आप एक बार डेड स्किन हटाने के घरेलू उपाय को करें और अपनी त्वचा में फर्क महसूस करें।

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Diwali Divas: Here’s How Bollywood is Nailing Festive Fashion This Season!

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The festive season is here and we’re halfway through it already. With Diwali— the next big thing, almost round the corner, are you confused if you should dress up like a diya or a pataka? We’re sure you would have dressed up on point for Navrathri but if you need a little bit of help for the biggest Dhamaka of the season, here we are! Well, not us, it’s the usual trendsetters to the rescue – our favorite Bollywood divas. There is a myriad of new looks that these divas have brought under the spotlight and they are all #goals!

So, if you want to amp up your glam quotient this Diwali, we suggest you take a look at the below list of Bollywood actresses who have nailed the festive fashion. Let’s dive in and take a sip of the celeb inspo, shall we?

1. Priyanka Chopra Jonas

Priyanka Chopra Jonas

sabyasachiofficial / Instagram

Bollywood’s Desi girl has been away for a while now and she’s back in town with a bang! She wore two Sabyasachi sarees recently for the promotions of her upcoming movie “The Sky Is Pink.” And we feel that this red polka dot saree by the elite designer will perfectly fit in for your Diwali celebrations. The saree has an off-white base and PeeCee paired it with a full-sleeved red blouse. With her hair tied into a neat bun and pretty long earrings, the actress looks like a million dollars!

2. Alia Bhatt

Alia Bhatt

picchika / Instagram

Alia wore a breezy, printed red saree by Jaipur-based label Picchika by Urvashi Sethi to Durga pooja this year. She kept her style simple and elegant and paired the saree with a plain-vanilla sleeveless blouse. The only accessory she wore was a classic golden jhumka and she kept her hairstyle subtle with soft romantic waves. The 26-year-old star chose a clean-base makeup with nude lips and a dash of bronzer. If you are a fan of simple and elegant looks, you can follow Alia’s style for Diwali. With all the running around, your body will thank you for choosing something that will keep you comfy.

3. Kriti Sanon

Earlier this year, Kriti Sanon wore a beige-colored sequin saree by ace designer Manish Malhotra for Ganesh Chaturthi celebrations. The matching halter neck blouse and oversized earrings make her look drop-dead gorgeous! She chose a bit of brownish nude makeup with smokey eyes that accentuated her whole look. If you are someone who likes to cling on to the bling, this is one look you’ve got to try! Also, don’t forget the messy hair bun with the gajra to complete the stunning avatar.

4. Sonam Kapoor

Sonam Kapoor

masabagupta / Instagram

Bollywood’s favorite fashionista who is hailed as the queen of trendsetters wore a simple dark green saree to the show Movies Masti With Maniesh Paul a few months ago. She came to the show along with co-star Rajkumar Rao in order to promote her movie Ek Ladki Ko Dekha Toh Aisa Laga. Her saree, designed by Masaba Gupta was an all-in-one with ruffles, puffed-sleeves, and flares. The floral printed outfit had a square neckline and the black metallic silver jewelry totally complimented the overall look. Sonam’s makeup gave her a folksy look and her Cleopatra-style eyeliner was totally on point. If you want to look stylish without ditching the saree, this is what you should wear this festive season.

5. Karisma Kapoor

Even if she’s not acting in the movies, Karisma always has her own spot on Page 3 owing to her unmatchable dressing sense and evergreen elegance. This festive season, Karisma wore an off-white Anarkali with dark violet, statement-setting dupatta. The outfit by designer brand Ekaya was paired with long golden earrings that look ravishing on Karisma. This outfit is a must-try for everyone who loves to flaunt their dupattas.

6. Radhika Apte

Radhika Apte1

jade_bymk / Instagram

Moving away from the regular saree/ salwar look, Radhika Apte chose something different this year. Just like her taste in movies, her taste in clothes is also very unique. She wore a champagne gold outfit from JADE by Monica and Karishma that looks really beautiful! The exquisitely handcrafted outfit boasts a shimmery boho glam and it has both pearl and golden work throughout the dress. Radhika didn’t wear any accessories for this look since the outfit is so majestic on its own. Well, if you want to replicate this look, we’d recommend you to try a huge single-stone stud with this dress. Also, don’t forget Radhika’s smokey eyes and maroon lipstick!

No matter what look you choose, don’t be reluctant to give it a little tweak of your own. Which one of these actresses won your heart? Let us know in the comments below. Also, have a happy, prosperous and safe Diwali ladies!

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காலிஃபிளவரின் (பூக்கோசின்) நன்மைகள், பயன்கள் மற்றும் பக்க விளைவுகள் – Cauliflower Benefits, Uses and Side Effects in Tamil

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குறுக்கு வெட்டு தோற்றம் கொண்ட காய்கறி குடும்பத்தை சேர்ந்தது காலிஃபிளவர் எனும் பூக்கோசு ஆகும்; சமீபத்தில் வெளிவந்த தகவல்களின் படி, 2018 ஆம் ஆண்டில் ட்ரெண்டிங்கில் இருந்த உணவு என்றே காலிஃபிளவரை கூறலாம். மேலும் ஒரு பிரபல மீமில், ஒருவர் 30 வயதை அடைந்து விட்டால், தன்னிச்சையாக அவர் அறிந்தது எல்லாம் காலிஃபிளவர் மட்டுமே & காலிஃபிளவர் மீது காதல் கொள்ள ஆரம்பித்துவிடுவார் என்று கூறப்பட்டுள்ளது. இதையெல்லாம் படிக்கும் பொழுது மிகவும் வேடிக்கையாக உள்ளது அல்லவா! காலிஃபிளவர், நம் உடலுக்கு தரும் அற்புத நன்மைகளை பற்றி அறிந்தால், நிச்சயம் நீங்கள் இதை வேடிக்கையாக கருத மாட்டீர்கள்.

இது காட்டு முட்டைக்கோஸ் தாவரத்திலிருந்து தோன்றிய ஒரு காய்கறி ஆகும்; உலகம் முழுக்க உள்ள வெவ்வேறு விதமான உணவு வகை தயாரிப்பில் அதிகம் பயன்படுத்தக்கூடிய ஒரு காய்கறியாக பூக்கோசு விளங்குகிறது. சைனீஸ், இத்தாலியன், இந்தியன், துருக்கியர்கள், பிரெஞ்சுக்காரர்கள், ஸ்பானியர்கள் மற்றும் அமெரிக்கர்கள் ஆகிய அனைத்து நாட்டு உணவு வகை தயாரிப்பிலும் காலிஃபிளவர் அதிகம் பயன்படுத்தப்படுகிறது. இது காலிஃபிளவர் தரும் சுவையின் அடிப்படையில் மட்டும் அல்ல; காலிஃபிளவர் தரும் நன்மைக்காகவும் தான். காலிஃபிளவர் வழங்கும் நன்மைகள், பலன்கள், பயன்கள் என்னென்ன என்று இந்த பதிப்பில் படித்து தெளியலாம்.

உங்களது உடலுக்கு காலிஃபிளவர் நல்லது என கருதப்படுவது ஏன்?

காலிஃபிளவரில் உள்ள மிக முக்கியமான உறுப்புகளில் ஒன்று சல்ஃபோராபேன் என்பது ஆகும்; இது புற்றுநோயை எதிர்த்து போராட மற்றும் இதய ஆரோக்கியத்தை பாதுகாக்க பெரிதும் உதவுகிறது. இக்காய்கறியில் உள்ள அழற்சி எதிர்ப்பு பண்புகள், உடலில் அழற்சி அல்லது வீக்கம் போன்ற குறைபாடுகள் ஏற்படுவதை தடுத்து, உடலில் நோய்கள் ஏற்படுவதை தடுக்க உதவுகின்றன.

காலிஃபிளவரில் எண்ணற்ற வைட்டமின்கள் மற்றும் தாது சத்துக்கள்/ கனிமச்சத்துக்கள் நிறைந்து காணப்படுகின்றன; இச்சத்துக்கள் உடலில் மூளை ஆரோக்கியத்தை மேம்படுத்தவும், செரிமான இயக்கத்தை மேம்படுத்தவும் உதவுகின்றன. காலிஃபிளவர் அளிக்கும் பல, முக்கிய நன்மைகள் என்னென்ன என்று இங்கு காணலாம்.

காலிஃபிளவர் வழங்கும் நன்மைகள்

காலிஃபிளவர் ஒரு வித்தியாசமான சுவையை கொண்ட உணவு; அது போல், சற்று வித்தியாசமாக பலதரப்பட்ட நன்மைகளை அளிக்கக்கூடிய ஒரு காய்கறி ஆகும். இப்பொழுது காலிஃபிளவர் நல்கும் முக்கிய பயன்களை ஒவ்வொன்றாக பார்க்கலாம்.

நன்மை 1: இதய ஆரோக்கியம்

Heart health

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காலிஃபிளவர் அதிக அளவு நார்ச்சத்துக்களை கொண்ட ஒரு காய்கறி ஆகும்; இது இதய நோய்களை தடுத்து, இதய ஆரோக்கியத்தை காப்பாற்ற உதவுவதாக ஆய்வுகள் பல கருத்து தெரிவிக்கின்றன (1). பூக்கோசில் உள்ள சல்ஃபோராபேன் எனும் சத்து உடலின் இரத்த அழுத்த அளவுகளை முக்கியமாக குறிப்பிட்டு கூறும் அளவுக்கு மேம்படுத்த உதவுகிறது; மேலும் இந்த பூக்கோசில் ஒமேகா – 3 கொழுப்பு அமிலங்கள் நிறைந்துள்ளதால், அவை உடலில் காணப்படும் கொலஸ்ட்ரால் அளவுகளை குறைத்து, இருதய நோய்களை தடுக்க உதவுகின்றன.

நன்மை 2: புற்றுநோய்

காலிஃபிளவரில் இருக்கும் சல்ஃபோராபேன் செய்யக்கூடிய ஒரு பணியே – புற்றுநோயை தடுப்பது ஆகும்; பூக்கோசில் காணப்படும் இந்த உறுப்பு புற்றுநோய் தண்டு செல்களை அழித்து, புற்றுநோய் கட்டி வளர்வதை தடுத்து, அவற்றின் வளர்ச்சியை மெதுவாக்குகிறது. காலிஃபிளவரில் இருக்கும் சல்ஃபோராபேன், புரோஸ்டேட் புற்றுநோயை தடுக்க உதவுகிறது (2). காலிஃபிளவரில் இருக்கும் இண்டோல்கள் மற்றும் ஐசோதியோசையனேட்கள், சிறுநீர்ப்பை, மார்பகம், பெருங்குடல், கல்லீரல், நுரையீரல் ஆகிய உறுப்புகளில் புற்றுநோய் உருவாவதை தடுக்க உதவுகின்றன.

காலிஃபிளவர் போன்ற குறுக்கு வெட்டு தோற்றம் கொண்ட காய்கறிகள், கரோட்டினாய்டுகள் மற்றும் இதர முக்கியமான ஊட்டச்சத்துக்களான வைட்டமின்கள் சி, ஈ மற்றும் கே ஆகியவற்றை கொண்டுள்ளது; மேலும் இவை எல்லா விதமான புற்றுநோய்களை எதிர்த்து போராடும் தன்மையை கொண்டுள்ளது (3).

நன்மை 3: எலும்பு ஆரோக்கியம்

வைட்டமின் கே சத்துக்களை குறைவாக உட்கொண்டால், எலும்புகளில் விரிசல்கள் மற்றும் ஆஸ்டியோபோரோசிஸ் ஆகிய குறைபாடுகள் அதிகம் ஏற்படுவதற்கு வாய்ப்புகள் உண்டு. ஆனால், காலிஃபிளவரில் அதிக அளவு வைட்டமின் கே சத்துக்கள் நிறைந்து உள்ளன; இவை எலும்பின் மேட்ரிக்ஸ் புரதங்களை மாற்றி அமைத்து, எலும்புகளின் கால்சியம் உறிஞ்சும் திறனை அதிகரிக்க உதவுகிறது. இதனால் எலும்புகளின் ஒட்டுமொத்த ஆரோக்கியம் அதிகரிக்கிறது (4). சிறுநீர் வழியாக கால்சியம் வெளியாவதை தடுக்க வைட்டமின் கே உதவுகிறது.

நன்மை 4: உடல் எடை குறைத்தல்

Reduce body weight

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காலிஃபிளவரில் இருக்கும் சல்ஃபோராபேன், வைட்டமின் சி மற்றும் ஃபோலேட்/ போலிக் அமில சத்துக்களுடன் சேர்ந்து உடல் எடையை குறைக்க உதவுகிறது; உடலியல் செயல்பாடுகள் மூலம் உடல் கொழுப்பை எரிப்பதில் வைட்டமின் சி ஒரு முக்கிய காரணியாக திகழ்கிறது என்று பல ஆய்வுகள் கூறுகின்றன (5). காலிஃபிளவர் என்பது குறைந்த கார்போஹைட்ரேட்டுகளை கொண்ட மற்றும் உடல் எடை இழப்புக்கு உதவக்கூடிய ஒரு உணவு ஆகும்; இதனை உடல் எடை இழப்பு உணவு திட்டத்தில் சேர்த்துக் கொள்வதன் மூலம், அற்புதமான பலன்களை பெற முடியும்.

நார்ச்சத்து நிறைந்த காய்கறிகள், உடலில் ஏற்படும் வீக்கத்தை போக்கி, உடல் எடை இழப்பை மேம்படுத்த உதவுகின்றன. மேலும் ஒமேகா – 3 சத்துக்கள், லெப்டின் எனும் ஹார்மோனின் உருவாக்கத்தை தூண்டி விட உதவுகின்றன (6). லெப்டின் என்பது உடல் வளர்சிதை மாற்றத்தை அதிகரித்து, உடல் எடையை சமநிலைப்படுத்த உதவும் ஒரு ஹார்மோன் ஆகும்.

நன்மை 5: அழற்சி

காலிஃபிளவர் வழங்கும் மிக முக்கியமான நன்மைகளில் ஒன்று அழற்சி எதிர்ப்பு ஆகும்; காலிஃபிளவரில் இருக்கும் சில திறன் உள்ள ஆன்டி ஆக்சிடென்ட்டுகளான, பீட்டா கரோட்டின், கொயர்செட்டின், சின்னமிக் அமிலம் மற்றும் பீட்டா – கிரிப்டோசாந்தின் ஆகியவை உடலில் ஏற்படும் அழற்சி குறைபாட்டை போக்க உதவுகின்றன; மேலும் இவை உடலில் உருவாகும் ஆக்சிடேட்டிவ் அழுத்தத்தை போக்க மற்றும் அழற்சியை எதிர்த்து போராட உதவுகின்றன (7).

காலிஃபிளவரில் உள்ள ஒரு முக்கியமான அழற்சி எதிர்ப்பு பொருள், இண்டோல் – 3 – கார்பினால் ஆகும்; இது மரபு அளவிலான அழற்சியை எதிர்த்து போராட கூடியதாக விளங்குகிறது. இக்காய்கறியில் உள்ள ஒமேகா – 3 கொழுப்பு அமிலங்கள், உடலில் உண்டாகும் அழற்சி நிலைகளுக்கு எதிராக போராடும் தன்மை கொண்டவையாக விளங்குகின்றன.

கீல்வாதம் ஏற்பட்டுள்ள நபர்களில் ஏற்படும் அழற்சி நோய்க்குறைபாட்டை போக்க, காலிஃபிளவரில் இருக்கும் ஆன்டி ஆக்சிடென்ட்டுகள் அதிகம் உதவுகின்றன. ஆனால், இதன் மறுபக்கத்தை பார்த்தால், காலிஃபிளவரில் அதிக அளவு பியூரின் சத்துக்கள் உள்ளன; இந்த பியூரின் சத்துக்கள் உடலில் கீல்வாத குறைபாட்டை ஏற்படுத்தும் தன்மை கொண்டவை. ஆகையால் காலிஃபிளவரை உட்கொள்ள தொடங்கும் முன், உங்களது மருத்துவரை ஒருமுறை கலந்து ஆலோசித்து கொள்வது நல்லது.

நன்மை 6: மூளை இயக்கம்

காலிஃபிளவரில் உள்ள முக்கியமான ஊட்டச்சத்து கோலைன் என்பது ஆகும்; கோலைன் என்னும் சத்தினை வைட்டமின் பி என்றும் அழைக்கலாம். இது மூளை ஆரோக்கியத்தை மேம்படுத்த உதவுவதோடு, மூளை வளர்ச்சியையும் அதிகரிக்க உதவுகிறது. கர்ப்ப காலத்தில் கோலைன் சத்து நிறைந்த உணவுகளை உட்கொள்வது, கருவில் வளரும் குழந்தையின் மூளை வளர்ச்சியை மிக அற்புதமாக அதிகரிக்கும் மற்றும் இச்சத்து கருவின் அறிவாற்றல் இயக்க திறனையும் அதிகரிக்க உதவும். கோலைன் சத்து நிறைந்த காய்கறி அல்லது உணவு வயது அதிகரிப்பதால் ஏற்படக்கூடிய நினைவாற்றல் குறைபாட்டை தடுக்க உதவுகிறது (8).அல்சைமர் போன்ற நரம்பு சார்ந்த நோய்களை குணப்படுத்தவும் இது உதவுகிறது.

காலிஃபிளவரில் உள்ள பிறிதொரு முக்கியமான ஊட்டச்சத்து வைட்டமின் கே ஆகும்; இது சைக்கோ மோட்டார் நடத்தையை மேம்படுத்திட உதவுகிறது.

நன்மை 7: கொலஸ்ட்ரால்

Cholesterol

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காலிஃபிளவரில் இருக்கும் ஊட்டச்சத்துக்கள் உடலில் காணப்படும் கொலஸ்ட்ரால் அளவுகளை குறைக்க உதவுகின்றன. 100 கிராம் காலிஃபிளவரில் 0 சதவிகிதம் கொலஸ்ட்ரால் உள்ளது; அதாவது கொழுப்பு சத்துக்களே இல்லை.

பொதுவாகவே குறுக்கு வெட்டு தோற்றம் கொண்ட காய்கறிகள் உடலில் உள்ள கொலஸ்ட்ரால் அளவை குறைக்க உதவும்; அத்தகைய குறுக்கு வெட்டு தோற்ற குடும்பத்தை சார்ந்த காலிஃபிளவரும் உடலில் உள்ள கொலஸ்ட்ரால் அளவை குறைத்து, உடலின் ஆரோக்கியத்தை மேம்படுத்த உதவுகிறது. மேலும் காலிஃபிளவரில் இருக்கும் ஸ்டெரோல்கள் (பைட்டோ ஸ்டெரோல்கள்) குடல் பகுதிகளில் கொழுப்பு சத்து உறிஞ்சப்படுவதை தடுக்க உதவுகின்றன.

நன்மை 8: செரிமானம் மற்றும் இதர வயிறு சார்ந்த பிரச்சனைகள்

காலிஃபிளவரில் உள்ள நார்ச்சத்து, உடலின் செரிமான ஆரோக்கியத்தை நல்ல முறையில் கவனித்து கொள்ள உதவுகிறது; நார்ச்சத்து அளவு குறைவாக உட்கொள்ளப்பட்டால், அது மலச்சிக்கல், மலக்குடல் அழற்சி நோய்க்குறைபாடுகள், டைவர்ட்டிகுலிட்டிஸ் எனும் குழலுறுப்பு நோய் போன்ற செரிமானம் சார்ந்த நோய்க் குறைபாடுகள் உண்டாகும் அபாயத்தை தடுக்க உதவுகிறது. நார்ச்சத்து பெருங்குடல் புற்றுநோயை தடுக்க உதவும் மற்றும் காலிஃபிளவரில் இருக்கும் சல்ஃபோராபேன் வயிறு பகுதியின் உட்புற உறுப்புகளை பாதுகாக்க உதவுகிறது. மேலும் இது வயிற்றில் பாக்டீரியா நோய்த்தொற்றுகள் ஏற்படுவதை தடுக்க உதவுகிறது.

காலிஃபிளவரில் இருக்கும் சல்பர் கொண்ட உறுப்புகள், உணவு பொருட்களில் இருந்து தேவையான ஊட்டச்சத்தினை உறிஞ்சவும், எஞ்சிய கழிவு பொருட்களை நீக்கவும் உதவுகின்றன; இதன் மூலம் இவை செரிமான ஆரோக்கியத்தை அதிகரித்து நன்மை பயக்கின்றன (9). காலிஃபிளவரில் உள்ள நீர்ச்சத்து, மலச்சிக்கலை தடுத்து, செரிமான இயக்கத்தை மேம்படுத்த உதவுகிறது.

நன்மை 9: கல்லீரல் மற்றும் சிறுநீரக ஆரோக்கியம்

காலிஃபிளவரில் இருக்கும் பைட்டோ வேதிப்பொருட்கள், தீங்கு விளைவிக்கக்கூடிய – விஷத்தன்மை கொண்ட பொருட்களை உடைத்து, சிறுநீரக நோய்கள் ஏற்படுவதை தடுக்க உதவுகின்றன; இக்காய்கறியில் குறைவான பொட்டாசியமும், வைட்டமின் சி சத்தும் சிறுநீரகத்தை பாதுகாக்க உதவுகின்றன. மேலும் இவை சிறுநீரக அழுத்தத்தால் அல்லது சிறுநீரக நோய்க்குறைபாட்டால் ஏற்படும் உடல் எடை அதிகரிப்பை தடுத்து, உடல் எடையை குறைக்க உதவுகின்றன; இது சிறுநீர்ப்பையின் ஆரோக்கியத்தை மேம்படுத்தவும் உதவலாம்.

காலிஃபிளவர் கல்லீரலின் ஆரோக்கியத்தையும் பாதுகாக்க உதவுகிறது; காலிஃபிளவர், சிறுநீரக கற்கள் அல்லது இதர வகையான சிறுநீரக நோய்களை தடுக்க உதவுகிறது. எனினும் காலிஃபிளவரை உணவில் சேர்த்துக் கொள்ளும் முன், உங்களது மருத்துவருடன் ஒருமுறை கலந்து ஆலோசித்து கொள்வது நல்லது.

நன்மை 10: கண் பார்வை ஆரோக்கியம்

Eyesight Health

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காலிஃபிளவரில் இருக்கும் அதிகப்படியான ஆன்டி ஆக்சிடென்ட்டுகள், வைட்டமின் சி உட்பட, வயது அதிகரிப்பதால் ஏற்படும் மாகுலர் சீர்கேட்டை தடுக்க உதவுகின்றன; காலிஃபிளவரில் இருக்கும் சல்ஃபோராபேன், கண்களின் ரெட்டினாவில் ஏற்படும் சேதம் மற்றும் ஆக்சிடேட்டிவ் அழுத்தத்தை தடுத்து கண் பார்வை ஆரோக்கியத்தை பாதுகாக்க உதவுகின்றன (10). இது கேடராக்ட் எனும் கண்புரை போன்ற கண் குறைபாடுகளை தடுக்க உதவுகிறது.

நன்மை 11: இரத்த ஓட்டத்தை அதிகரிக்கும்

காலிஃபிளவரில் அதிக அளவு நார்ச்சத்து நிறைந்து காணப்படுகிறது; நார்ச்சத்து மிகுந்த உணவுகளை உட்கொள்வது உடலின் இரத்த ஓட்டத்தை அதிகரிக்க உதவுகிறது மற்றும் இரத்த ஓட்டத்தை மேம்படுத்த பயன்படுகிறது. நார்ச்சத்து குடலில் நல்ல நுண்ணுயிர்களின் உருவாக்கத்தை அதிகரித்து, ஆரோக்கியத்தை காக்க உதவுகிறது; மேலும் காலிஃபிளவர் மற்றும் அதில் காணப்படும் ஊட்டச்சத்துக்கள் உடலின் ஒட்டுமொத்த இரத்த ஓட்டத்தை மேம்படுத்தி, ஆரோக்கியத்தை அதிகரிக்க பயன்படுகின்றன.

நன்மை 12: ஹார்மோன் சமநிலை

ஆன்டி ஆக்சிடென்ட்டுகள் நிறைந்த காலிஃபிளவரை உட்கொள்வது, ஆரோக்கியமற்ற ஈஸ்ட்ரோஜன் அளவுகளை குறைத்து, ஹார்மோன்களை சமநிலைப்படுத்த உதவுகிறது (11).

நன்மை 13: டீ-டாக்ஸ் (நச்சு நீக்கம்)

ஆன்டி ஆக்சிடென்ட்டுகள் நிறைந்த காலிஃபிளவர் முதல் நிலை டீடாக்சிஃபிகேஷன் எனும் உடலில் உள்ள நச்சுக்களை நீக்கும் நிகழ்வை நிகழ்த்த பயன்படுகிறது மற்றும் சல்பர் கொண்ட உறுப்புகள் இரண்டாம் நிலை டீடாக்சிஃபிகேஷன் எனும் நச்சு நீக்க நிகழ்வுகளை நிகழ்த்த உதவுகின்றன (12).  காலிஃபிளவரில் உள்ள குளுகோசினோலெட்கள், நச்சு நீக்க செயல்பாட்டில் ஈடுபடும் இதர என்சைம்களின் செயல்பாட்டை தூண்டி விட உதவுகின்றன.

நன்மை 14: நீரிழிவு நோய்/ சர்க்கரை நோய்

Diabetes

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காலிஃபிளவரில் இருக்கும் குறைந்த கார்போஹைட்ரேட் சத்துக்கள் உடலில் சர்க்கரை அளவு அதிகரிப்பதை தடுக்க உதவுகின்றன; இதன் மூலம் நீரிழிவு நோய் கட்டுக்குள் வைக்கப்படுகிறது. சர்க்கரை நோய் கொண்டவர்களுக்கு, அந்நோயை போக்க உதவும் வரம் போன்றது – காலிஃபிளவர்.

நீரிழிவு நோய் உள்ளவர்கள் தினமும் ஒரு கை நிறைய சமைக்கப்படாத, நன்கு வெந்நீரில் கழுவப்பட்ட, பச்சையான காலிஃபிளவர் பூக்களை உண்டால், சர்க்கரை நோயை கட்டுப்பாட்டில் வைக்கலாம் என்று கூறப்படுகிறது; ஆனால், இதை உறுதி செய்யும் போதிய ஆதாரங்கள் கிடைக்கப்பெறவில்லை. இதில் உள்ள நார்ச்சத்து, ஃபோலேட்/ போலிக் அமில மற்றும் ஆன்டி ஆக்சிடன்ட் சத்துக்கள் நீரிழிவு நோயை கட்டுக்குள் வைக்க உதவுவதோடு, பிற நோய்க்குறைபாடுகள் உடலை அண்டாமல் பார்த்துக் கொள்ள உதவுகிறது.

நன்மை 15: தோல் மற்றும் முடி ஆரோக்கியம்

காலிஃபிளவரில் உள்ள வைட்டமின் சி சத்து, உடலில் கொலாஜன் உற்பத்தியை மேம்படுத்தி, உடலை வயதானது போல் தோன்ற செய்யும் சுருக்கங்கள், சருமத்தில் உருவாகும் கோடுகள், தழும்புகள் போன்றவற்றை போக்கி – வயது முதிர்ச்சியை தடுத்து, இளமையான தோற்றத்தை கொண்டிருக்க செய்ய உதவுகிறது; இக்காய்கறியில் உள்ள இதர ஆன்டி ஆக்சிடென்ட்டுகள் கரும்புள்ளிகளை நீக்கி, அற்புதமான சரும தன்மை கிடைக்குமாறு செய்ய பயன்படுகின்றன.

முடியின் ஆரோக்கியத்தை மேம்படுத்த வைட்டமின் சி உதவுகிறது மற்றும் கூந்தலை பலப்படுத்தி, முடியின் வேர்கால்களுக்கு உறுதியை தந்து, ஆரோக்கியமான தலைமுடியை பெற ஆன்டி ஆக்சிடென்ட்டுகள் உதவுகின்றன. மொத்தத்தில் காலிஃபிளவர் உடலுக்கு ஆரோக்கிய நன்மைகளை வழங்குவதோடு, தோல் மற்றும் தலை முடியின் ஆரோக்கியத்தை மேம்படுத்துவதிலும் அற்புதமான நன்மைகளை அள்ளி தருகின்றது.

இதுவரை காலிஃபிளவர் தரும் நன்மைகள், பயன்கள் என்னென்ன என்பது பற்றி படித்து அறிந்தோம்; இனி காலிஃபிளவரில் அடங்கியுள்ள ஊட்டச்சத்துக்கள் யாவை என்பது பற்றிய தகவல்களை பார்க்கலாம்.

காலிஃபிளவரின் ஊட்டச்சத்து மதிப்பு

காலிஃபிளவரை ஊட்டச்சத்துக்கள் நிறைந்த சக்தி கூடாரம் என்றே குறிப்பிடலாம்; இயற்கையான முறையில் ஆரோக்கியத்தை பெற விரும்பும் நபர்கள் கட்டாயமாக, காலிஃபிளவரை தங்களது டயட் உணவு முறையில் சேர்த்துக் கொள்ளலாம். காலிஃபிளவர் சற்று வித்தியாசமான அமைப்பு கொண்ட காய்கறி; அத்தகைய வித்தியாசமான காய்கறியில் இருந்து கிடைக்கும் பலன்களும் ஊட்டச்சத்துக்களும் ஆச்சரியத்தை ஏற்படுத்தும் வகையில் உடலுக்கு நன்மைகளை வாரி வழங்குகின்றன.

தற்பொழுது காலிஃபிளவரில் எத்தகைய ஊட்டச்சத்துக்கள் நிறைந்து உள்ளன என்பதை கீழ்க்கண்ட அட்டவணையில் இருந்து அறிந்து கொள்ளலாம்.

நியமம் அல்லது கொள்கை ஊட்டச்சத்து மதிப்பு RDA -இன் சதவிகிதம்
சக்தி 25 Kcal 1%
கார்போஹைட்ரேட் 4.97 g 4%
புரதம் 1.92 g 4%
மொத்த கொழுப்பு 0.28 g 1%
கொழுப்பு 0 mg 0%
நார்ச்சத்து உணவு 2.0 g 5%
வைட்டமின்கள்
ஃபோலேட்கள் அல்லது போலிக் அமிலம் 57 µg 14%
நியாசின் 0.507 mg 3%
பேண்டோதெனிக் அமிலம் 0.667 mg 13%
பைரிடாக்சின் 0.184 mg 14%
ரிபோஃப்ளாவின் 0.060 mg 4.50%
தையமின் 0.050 mg 4%
வைட்டமின் ஏ 0 IU 0%
வைட்டமின் சி 48.2 mg 80%
வைட்டமின் ஈ 0.08 mg 0.50%
வைட்டமின் கே 15.5 µg 13%
எலக்ட்ரோலைட்டுகள் அல்லது மின்பகுபொருள்கள்
சோடியம் 30 mg 2%
பொட்டாசியம் 299 mg 6%
கனிமங்கள் அல்லது  தாதுக்கள்
கால்சியம் 22 mg 2%
காப்பர்/ தாமிரம் 0.039 mg 4.50%
இரும்பு 0.42 mg 5%
மெக்னீசியம் 15 mg 3.50%
மாங்கனீசு 0.155 mg 7%
துத்தநாகம்/ ஜிங்க் 0.27 mg 2.50%
தாவர ஊட்டச்சத்துக்கள்
கேரட்டின்- B 0 µg
லூடெய்ன் – ஜியாசாந்தின் 1 µg

காலிஃபிளவரை எப்படி பயன்படுத்த வேண்டும்?

How to Use Cauliflower

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பொதுவாக காலிஃபிளவரை கூட்டு அல்லது குழம்பு செய்ய பயன்படுத்துவர்; இதனை சாதம் அல்லது சப்பாத்தியுடன் சேர்த்து உட்கொள்ளலாம். காலிஃபிளவர் வழங்கும் எல்லா வித நன்மைகளையும் பெற, காலிஃபிளவரை வேக வைத்து உட்கொள்வதே சிறந்தது; எந்த ஒரு காய்கறியையும் அதிகம் சமைக்காமல் உட்கொண்டால், அதில் இருக்கும் எல்லா ஊட்டச்சத்துக்களையும் முழுமையாக பெற முடியும்.

மூட்டு வலி, வீக்கம், வாத காய்ச்சல் போன்றவற்றை சரி செய்ய ஒரு தேக்கரண்டி காலிஃபிளவர் பசையுடன், சிறிதளவு பூண்டு, ஒரு தம்ளர் நீர் சேர்த்து கொதிக்க வைத்து பருகலாம். உடலில் மூட்டு வலி உள்ள இடத்தில் அல்லது அடிபட்ட இடத்தில் காலிஃபிளவரின் இலைகளை வைத்தால், நல்ல பலன்கள் கிடைக்கும்.

காலிஃபிளவர் இலையுடன் விளக்கெண்ணெய் சேர்த்து, உடலில் வீக்கம் அல்லது வலி உள்ள இடத்தில் பத்து போட்டால், வீக்கம் எளிதில் சரியாகும். உடல் பலம் பெற ஒரு தேக்கரண்டி காலிஃபிளவர் பசையுடன், சிறிதளவு மிளகுப்பொடி, அரை தேக்கரண்டி சீரகம், ஒரு தம்ளர் நீர் சேர்த்து கொதிக்க வைத்து பருகலாம்.

காலிஃபிளவரை கொண்டு சாலட், சூப், ஸ்டியூ போன்ற உணவு வகைகளை தயாரித்து உட்கொள்ளலாம். காலிஃபிளவரை கொண்டு கோபி மஞ்சூரியன் போன்ற வறுவல் வகை சைட் டிஸ்களை தயாரிக்கலாம்; குழந்தைகள் முதல் பெரியவர்கள் வரை அனைவருக்கும் பிடித்த உணவாக கோபி மஞ்சூரியன் திகழ்கிறது.

காலிஃபிளவரின் பக்க விளைவுகள்

காலிஃபிளவர் என்பது பல நன்மைகளை வழங்கும் காய்கறியாக திகழ்ந்தாலும், அதுவும் கூட சில நேரங்களில், சில நபர்களுக்கு ஆபத்தை விளைவிக்கலாம்; ஏனெனில் எந்த ஒரு உணவுக்கும், பொருளுக்கும் நன்மை மற்றும் தீமை என்ற இரண்டு பக்கங்கள் உண்டு.

காலிஃபிளவர் சாப்பிடுவதால் ஏற்படும் நன்மைகள் பற்றி முந்தைய பத்திகளில் தெளிவாக படித்து அறிந்தோம்; இப்பொழுது காலிஃபிளவரை உட்கொள்வதால் ஏற்படக்கூடிய  பக்க விளைவுகள் என்னென்ன என்பது பற்றி இந்த பத்தியில் பார்க்கலாம்.

  • அயோடின் சத்துக்களை உறிஞ்சுவதில் ஏற்படும் பிரச்சனைகள்

காலிஃபிளவர் போன்ற குறுக்கு வெட்டு தோற்றம் கொண்ட காய்கறிகளில், சையனோஜெனிக் குளுகோசைட்கள் இருக்கின்றன. இவை சர்க்கரை போன்ற மூலக்கூறுகள்; இவை உடலில் அயோடின் சத்து உறிஞ்சப்படுதலை தடுக்கின்றன. காலிஃபிளவர் போன்ற குறுக்கு வெட்டு தோற்றம் கொண்ட காய்கறிகளை அதிக அளவு உட்கொண்டால், அது ஹைப்போ தைராய்டிசத்தை ஏற்படுத்தலாம்; அதாவது உடலுக்கு போதிய தைராய்டு ஹார்மோன் சுரக்கப்படாமல், உடலின் வளர்சிதை மாற்ற நிகழ்வுகளில் பிரச்சனைகள் ஏற்படலாம்.

  • இரைப்பை குடல் பிரச்சனைகள்

காலிஃபிளவர் காய்கறியை அளவுக்கு அதிகமாக உட்கொண்டால், அது வாயு தொல்லையை ஏற்படுத்தி விடலாம்; ஏனெனில் காலிஃபிளவரில் உள்ள சிக்கலான கார்போஹைட்ரேட்டுகள் எளிதில் உடைந்து விடாது. இதனால் வாயு தொந்தரவு ஏற்படலாம்; குடல் பகுதியில் காணப்படும் பாக்டீரியாக்களால், இந்த சிக்கலான கார்போஹைட்ரேட்டுகள் குடல் பகுதியில் செரிமானம் செய்யப்படுகின்றன மற்றும் கார்பனை வெளிவிடுகின்றன. மேலும் ஹைட்ரோ கார்பன் டை ஆக்ஸைடு வாயுவை வெளியிடுகின்றன.

  • இரத்த உறைவுகள்

காலிஃ பிளவரில் இருக்கும் வைட்டமின் கே சத்து, இரத்தம் உறைதலுக்கு உதவுகிறது; இரத்தத்தை மெலிதாக்க உதவும் மருந்தான கௌமாதின் போன்ற மருந்துகளை உட்கொள்ளும் நபர்கள் காலிஃபிளவரை உட்கொள்வது ஆபத்தை ஏற்படுத்தலாம்.

  • கர்ப்ப காலம் மற்றும் தாய்ப்பால் அளிக்கும் சமயத்தில் ஏற்படும் பிரச்சனைகள்

கர்ப்ப காலம் மற்றும் தாய்ப்பால் அளிக்கும் காலத்தில் காலிஃபிளவர் உட்கொள்வது குறித்த போதுமான தகவல்கள் கிடைக்கவில்லை; கர்ப்ப காலத்தில், காலிஃபிளவரை உட்கொள்ள எண்ணும் கர்ப்பிணி பெண்கள், தங்களது மருத்துவரிடம் முறையான ஆலோசனை பெற்ற பின் எடுத்துக் கொள்வது நல்லது. தாய்ப்பால் அளிக்கும் பருவத்தில் இருக்கும் பெண்கள், காலிஃபிளவரை உட்கொண்டால், அது குழந்தையின் உடலில் வாயு கோளாறை ஏற்படுத்தலாம்.

குறிப்பு: காலிஃபிளவரை உணவு சமைக்க பயன்படுத்தும் முன்னர், வெந்நீர் கொண்டு நன்கு கழுவி விட வேண்டும்; இல்லையேல் இக்காய்கறியில் புழுக்கள் ஏதேனும் இருந்தால், அவை உடலில் நோய்க்குறைபாடுகளை ஏற்படுத்தி, மூளையை பாதித்து இறப்பை கூட ஏற்படுத்தி விடலாம்.

காலிஃபிளவர் என்பது எளிதில் கடைகளில் கிடைக்கூடிய ஒரு அற்புதமான காய்கறி ஆகும். இதனை சரியான முறையில் கழுவி பயன்படுத்தினால் மட்டுமே சரியான பலன்களை பெற முடியும். மேலும் காலிஃபிளவர் போன்ற குறுக்கு வெட்டு தோற்றம் கொண்ட காய்கறிகள் குறித்த ஒவ்வாமை உள்ள நபர்கள், முறையான மருத்துவ ஆலோசனையை மேற்கொண்ட பின் இதை உட்கொள்வது நல்லது.

காலிஃபிளவர் தரும் அற்புதமான ஊட்டச்சத்துக்களை பெற, அதனை சுகாதாரமான முறையில் சமைத்து உட்கொள்ள வேண்டியது அவசியம்; அப்படி செய்தால், ஆரோக்கியமான பலன்களை பெற முடியும். காலிஃபிளவர் காய்கறியை உங்களுக்கு பிடிக்குமா? அதனால் நீங்கள் பெற்ற பலன்கள் யாவை? காலிஃபிளவரை நீங்கள் எப்படி சமைத்து உட்கொள்வீர்கள்? உங்களுக்கு பிடித்த காலிஃபிளவர் ரெசிபி எது போன்ற தகவல்களை கீழே உள்ள கமெண்ட் பாக்ஸ் வழியாக எங்களுடன் பகிர்ந்து கொள்ளுங்கள்.

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What Your Engagement Ring Says About Your Relationship

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Getting engaged to a person with whom you want to spend the rest of life is, of course, a beautiful feeling. Proposals are memorable events for every couple and they are filled with heightened emotions and a strong sense of responsibility. The way your partner proposes to you can say a lot about you, him/her, and your relationship. Also, the engagement ring can hint a lot more than you think about your love life. To find out the truth, we dug into the matter a little deeper and found out that everything about your engagement ring has a bigger meaning! The stone, the cut, the shape, and the design of your engagement ring can say a lot about your relationship with your bae.

Your engagement ring is something that’s very special to you and you’re definitely going to treasure it for the rest of your life. Hence we feel that every person who chooses or wears an engagement ring should know more about the meaning of their ring. In this article, we will differentiate the different types of engagement rings based on their cut and tell you what they represent.

1. Classic Round Cut

Classic Round Cut

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This cut is a timeless and classic one. Couples who love to stick to their roots and follow their culture often go for the classic round cut engagement ring. These are the people who have deep faith in each other and are truly loyal.

Worn by: Mila Kunis, Emily Blunt, Lauren Conrad, and Amy Adams

2. Emerald Cut

Emerald Cut

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This is again a classic design that is loved by many couples all over the world. These couples are often tempted by shiny things (just like this ring) and they don’t mind spending their money on them. These couples like to have adventure and fun and are very kind to others.

Worn by: Angelina Jolie, Jennifer Lopez, Beyoncé, Elizabeth Taylor, Grace Kelly, Amal Clooney, and Liz Taylor

3. Princess Cut

Princess Cut

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The groom who purchases this ring for his beloved “princess” is deeply caring and very thoughtful when it comes to his relationship. He is willing to do anything and everything to make his partner happy and might even spoil her a little with all the pampering. Every girl who is wearing a princess cut ring is lucky beyond words to have a partner who loves them so intensely.

Worn by: Hilary Duff, Kate Bosworth, Sherri Shepherd, Snooki, and Star Jones

4. Pear Cut

Pear Cut

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The pear cut makes the stone look like a tear-drop. It is a beautiful cut and yet, it is one of the least popular ones. This is probably because the people who wear this ring are quite unique and they love to walk in the path that they’ve made rather than follow someone else’s trails. These women have high standards and are very ambitious in nature.

Worn by: Victoria Beckham, Jessica Simpson, Princess Charlene of Monaco, Elisha Cuthbert, and Katherine Heigl

5. Marquise Cut

Marquise Cut

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Also known as the “navette” cut (which means “little boat” in French), this is a very attractive cut. It gives the stone an almost oval shape with two pointy ends. The couple who choose this ring like an elegant and fancy life. They like unique things and have a very different taste when it comes to decorating their place and choosing activities to do together.

Worn by: Christina Milian, Catherine Zeta-Jones, Portia de Rossi, and Ashlee Simpson

6. Heart Cut

Heart Cut

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This is one of the most unique cuts there are and people who wear these rings are as unique as the cut itself. Couples who go for this unique ring are really sweet, caring, and romantic. They want to scream out to the world that their love is beyond limits. Also, these couples enjoy being different rather than worry if they’d be seen as the odd ones.

Worn by: Lady Gaga, Nicki Minaj, Rochelle Wiseman, Gwen Stefani, Katie Price

7. Cushion Cut

Cushion Cut

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This is an age-old design that has been popular for centuries. It looks soft, simple, yet stylish. Women who wear these rings have a classy and royal taste in things. Even so, they like to be noticed and with their natural charisma, they do get noticed.

Worn by: Kim Kardashian, Sofia Vergara, Rachel Zoe, Bar Refaeli, and Leighton Meester

8. Oval Cut

Oval Cut

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Oval cut is classy yet modern — just like the couple who choose these rings. They like to be unique and stand out among the crowd. However, they don’t want to take it too far because they also have a soft spot for the regular things in life.

Worn by: Jennifer Aniston, Blake Lively, Kate Middleton, Miranda Kerr, Christina Aguilera, and Amber Rose

9. Radiant Cut

Radiant Cut

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This cut is pretty similar to the princess cut and the emerald cut. However, they are all different. Couples who choose this cut are very outgoing, love to talk, and to be under the spotlight.

Worn by: Megan Fox, Drew Barrymore, Hilary Duff

10. Asscher Cut

Asscher Cut

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The Asscher cut is very artistic and retro. It suits the best for couples who take great interest in art and vintage fashion.

Worn by: Jessica Alba, Elizabeth Taylor, Ashlee Simpson, Kate Hudson, and Zooey Deschanel

No matter what ring you choose, there’s nothing that can judge or evaluate the depth and intensity of your relationship. So, it’s important that you take this article with a pinch of salt and go for the cut and design that you and your partner like the most. If you’re planning a surprise proposal, make sure you know what kind of cut your girl likes beforehand.

Which is the cut that you liked the most? Let us know in the comments below.

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এলোভেরা (ঘৃতকুমারী) এর উপকারিতা, ব্যবহার এবং ক্ষতিকর দিক – Aloe Vera Benefits, Uses and Side Effects in Bengali

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বর্তমানে সৌন্দর্য বৃদ্ধিকারী উপাদান গুলির মধ্যে একটি অন্যতম সুপরিচিত নাম হল অ্যালোভেরা। অ্যালোভেরা রূপচর্চায় ব্যবহারের পাশাপাশি এটি শরীরের নানা রোগ কমাতে সহায়তা করে। অ্যালোভেরার গুনাগুন সর্বত্র সুপরিচিত। অ্যালোভেরা শরীরকে ঠান্ডা রাখার পাশাপাশি সৌন্দর্য বৃদ্ধিতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। গ্রীষ্ম, বর্ষা, শরৎ, হেমন্ত, শীত, বসন্ত সব ঋতুতেই অ্যালোভেরার ব্যবহার করা যায় এবং এটি সহজেই পাওয়া যায়। অ্যালোভেরাতে ভিটামিন এ, বি, সি, ই এবং ফলিক অ্যাসিডের মতন উপাদানগুলি পাওয়া যায়। অ্যালোভেরা প্রচুর সৌন্দর্য প্রসাধনীতে ব্যবহৃত হয়। এছাড়া স্বাস্থ্যরক্ষাতেও অ্যালোভেরার ব্যবহার করা হয়। এমনকি বহু ঔষধ তৈরীতে অ্যালোভেরা ব্যবহার করা হয়ে থাকে।

অ্যালোভেরার জেল এর মধ্যে থাকা অ্যান্টি-ইনফ্লামেটরি বৈশিষ্ট্যগুলো ছোটখাটো ব্যথা, পুড়ে যাওয়া, কেটে যাওয়ার মতন সমস্যা গুলিতে খুব ভালোভাবে কাজ করে। অ্যালোভেরার পাতার পাশাপাশি আলোভেরা জেল কিংবা অ্যালোভেরার জুস আমাদের শরীরের নানা রোগ-ব্যাধি কমাতে সাহায্য করে। মূলতঃ অ্যালোভেরা জুসকে আমরা শরীরের একটা উপকারী হেলথ ড্রিঙ্ক হিসেবে ব্যবহার করতে পারি। অ্যালোভেরার গাছ বাড়ির বারান্দায় কিংবা ছাদে সহজেই তৈরি করা যেতে পারে। অ্যালোভেরার মধ্যে থাকা প্রাকৃতিক ঔষধী যে কোনো রকম রোগকে চটপট কমিয়ে শরীরকে ভালো করে তোলে। প্রাচীন যুগ থেকেই সৌন্দর্য বৃদ্ধিকারী উপাদান হিসেবে অ্যালোভেরা ওরফে ঘৃতকুমারীর ব্যবহার হয়ে আসছে। প্রাচীন যুগে সুন্দরী রাজরানীরা তাদের রূপচর্চায় অ্যালোভেরার ব্যবহার করত। ()

সৌন্দর্য এবং স্বাস্থ্য রক্ষায় অ্যালোভেরার ব্যবহার সুদীর্ঘকাল ধরে চলছে। এছাড়াও বিভিন্ন কবিরাজ এবং বৈদ্য মশাইরাও বিভিন্ন ঔষধি প্রস্তুতিতে অ্যালোভেরার ব্যবহার করে এসেছেন। অ্যালোভেরা গাছ যেকোনো পরিবেশেই তৈরি হতে পারে। এটি অনেকটা ক্যাকটাসের মতো দেখতে কিন্তু গায়ে বড় কাটা থাকে না। এটি সবুজ রঙের হয় এবং এর ভেতরে এক ধরনের থকথকে সাদা রংয়ের জেল পাওয়া যায়। যেটি একটি ম্যাজিক উপাদান। পৃথিবীতে প্রায় ২৫০ রকমের অ্যালোভেরা জন্মায়। তার মধ্যে দু’রকমের অ্যালোভেরা বাণিজ্যিকভাবে চাষ করা হয়। অ্যালোভেরার রস পেট ঠান্ডা রাখার পাশাপাশি বহু রোগের জীবানু নাশ করে থাকে। কারখানায়য় ও ল্যাবরেটরীতে তৈরি প্যাকেটজাত অ্যালোভেরা জেল ব্যবহারের তুলনায় যদি সরাসরি গাছ থেকে অ্যালোভেরার পাতা কেটে নিয়ে ব্যবহার করা হয়, সেটি বেশি কার্যকরী। গোটা বিশ্ব জুড়ে অ্যালোভেরা গাছের রস এবং জেল বিক্রি হয়। অ্যালোভেরা জেল থেকে বিপুল পরিমাণ অ্যামিনো অ্যাসিড পাওয়া যায়। যা শরীরের জন্য খুব উপকারী। এছাড়াও সৌন্দর্য বৃদ্ধিকারী উপাদান হিসেবে ও অ্যালোভেরা জেল ব্যবহার করা হয়। কখনও কখনও ময়েশ্চারাইজার হিসেবেও এটি কিংবা ফেসওয়াশ বা শাবানের মধ্য দিয়েও ব্যবহার করা হয়। মূলত দেহের যে অংশে দাগছোপ কিংবা সানবার্ন রয়েছে সেই সমস্ত অংশে দাগ কমাতে অ্যালোভেরার ব্যবহার গুরুত্বপূর্ণ। আমরা আজকে জানবো অ্যালোভেরার বিভিন্ন উপকারিতার দিক গুলি। যেগুলি দীর্ঘদিন ধরে আমাদের সমস্যার সমাধান করে চলেছে অ্যালোভেরা। ()

এলোভেরার উপকারিতা – Benefits of Aloe Vera in Bengali

হাজার হাজার বছর ধরে বিভিন্ন কাজে অ্যালোভেরা গাছের ব্যবহার হয়ে আসছে। অ্যালোভেরা গাছটি মূলতঃ দেশের পশ্চিমে অধিক জনপ্রিয়। বিভিন্ন প্রসাধনী, পণ্য, ওষুধ বিভিন্ন ক্ষেত্রে অ্যালোভেরা ব্যবহার হয়ে আসছে। এই উদ্ভিদ থেকে ত্বকের যেকোনো ধরনের সমস্যার সমাধান সম্ভব হয়। এছাড়াও গবেষণায় দেখা গিয়েছে কয়েকটি গুরুত্বপূর্ণ রোগ যেমন ডায়াবেটিস, ওজন বৃদ্ধির মত সমস্যাগুলির ক্ষেত্রেও অ্যালোভেরার ব্যবহার উল্লেখযোগ্য। অ্যালোভেরা বর্তমানে খাবার, প্রসাধনী দ্রব্য, খাদ্য পরিপূরক, বিভিন্ন রূপে ব্যবহার হয়ে থাকে। আলোভেরার সর্বাধিক বৈশিষ্ট্য হলো ত্বকের বিভিন্ন ক্ষত নিরাময়ে সহায়তা করে। এছাড়াও অ্যালোভেরা শরীরের অভ্যন্তরীণ স্বাস্থ্যের পরিস্থিতির উন্নতি ঘটাতে সহায়তা করে। এর মধ্যে রয়েছে পচাত্তরটির বেশি শক্তিশালী উপাদান। যার মধ্যে ভিটামিন, খনিজ, স্যালিসিলিক, এনজাইম, অ্যামিনো অ্যাসিড এবং শর্করা রয়েছে। পৃথিবীতে যত রকমের পুষ্টিগুণসম্পন্ন উদ্ভিদ রয়েছে অ্যালোভেরা সেগুলির মধ্যে অন্যতম। তবে এটি শরীরের বিভিন্ন বেদনা কিংবা প্রদাহ কমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। এটি বিভিন্ন প্রদাহের বিরুদ্ধে লড়াই করে শরীরের অনাক্রম্যতাকে জোরদার করে এবং ডায়াবেটিসের মতো দীর্ঘস্থায়ী রোগের চিকিৎসা করে সমাধান করে। এর পাশাপাশি অ্যালোভেরা ত্বকের যত্নে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে। জেনে নিন আমাদের ত্বক, চুল এবং স্বাস্থ্যের ক্ষেত্রে আলোভেরা কি কিভাবে উপকার করে? ()

ত্বকের জন্য এলোভেরার উপকারিতা – Skin Benefits of Aloe Vera in Bengali

প্রাচীনকাল থেকে ত্বকের যত্নে অ্যালোভেরার ব্যবহার হয়ে আসছে। এটি ত্বককে সুন্দর করে তুলতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। নিয়মিত অ্যালোভেরা জুস পান করার ফলে আমাদের পেট পরিষ্কার থাকে, যার ফলে সেই জেল্লা মুখে প্রকাশ পায়। অ্যালোভেরা জেল ব্যবহারকারীদের ত্বকে কোন রকম চর্মরোগ, মেচেদা, ব্রণের সমস্যা থাকে না। তবে বাজার থেকে প্যাকেটজাত অ্যালোভেরা জেল না কিনে সরাসরি অ্যালোভেরা গাছের পাতা থেকে জেল নিয়ে ব্যবহার করতে পারেন। জেনে নিন ত্বকের যত্নে অ্যালোভেরার উপকারী দিক গুলি :

১) উজ্জ্বল ত্বকপান অ্যালোভেরার সহায়তার : Glowing Skin

Glowing Skin

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অ্যালোভেরার মধ্যে জলের আধিক্য বেশি থাকায় এটি ত্বকের আর্দ্রতা বজায় রাখতে সহায়তা করে। মূলত ত্বকে ময়েশ্চারাইজার হিসেবে অ্যালোভেরা ব্যবহার করা যায় ()। সে ক্ষেত্রে এটির মধ্যে কোনো চটচটে ভাব থাকে না। এটি সরাসরি ত্বকে মিশে গিয়ে ত্বককে ভেতর থেকে দাগছোপহীন এবং উজ্জ্বল করে তুলতে সাহায্য করে (), ()। যাদের তৈলাক্ত ত্বকের সমস্যা কিংবা ব্রণের সমস্যা রয়েছে তাদের জন্য অ্যালোভেরা জেল একটি গুরুত্বপূর্ণ উপাদান। এছাড়াও শীতকালে যাদের শুষ্ক ত্বকের সমস্যা রয়েছে তাদের এই সমস্যা দূর করতে অ্যালোভেরা মুখ্য ভূমিকা গ্রহণ করে ()। দৈনিক অ্যালোভেরা জেল ব্যবহার করলে ত্বক তার আর্দ্রতা ফিরে পায় এবং ভেতর থেকে ত্বক উজ্জ্বল হয়ে ওঠে। ()

কিভাবে ব্যবহার করবেন ?

  • অ্যালোভেরা গাছের সবুজ অংশের ভেতর থেকে সাদা অংশের যে জেল পাওয়া যায় সেটি বের করে নিন।
  • এবার এটি ভালো করে মিক্সিতে ফেটিয়ে নিয়ে রস তৈরি করুন।
  • তবে এটি সরাসরি ত্বকে ব্যবহার করার আগে কানের পিছনে অল্প লাগিয়ে দেখে নিন কোন রকম এলার্জি হচ্ছে কিনা।
  • যদি কোনরকম সমস্যা না হয় সরাসরি যে কোন সাবান বা ফেসওয়াশ দিয়ে মুখটা ধুয়ে এটি ব্যবহার করতে পারেন।
  • কিন্তু যদি কোনো রকম অ্যালার্জি দেখতে পান সে ক্ষেত্রে নারকেল তেল বা অলিভ অয়েল এর সাথে মিশিয়ে মুখে লাগিয়ে রাখুন।
  • এবং এক ঘণ্টা লাগিয়ে রাখার পর মুখটা যদি তৈলাক্ত ত্বক হয় উষ্ণ গরম জলে ধুয়ে ফেলুন।
  • আর যদি শুষ্ক ত্বক হয় সে ক্ষেত্রে সাধারণ জল দিয়ে মুখটা ধুয়ে নিন।

২) ব্রণের সমাধান করুন অ্যালোভেরা দিয়ে : Acne/Pimples

যাদের তৈলাক্ত ত্বক তাদের একটি গুরুত্বপূর্ণ সমস্যা হল ব্রণ। তবে ব্রণর সমস্যার সমাধান করতেও গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে অ্যালোভেরা। মুখের সৌন্দর্য ধরে রাখতে অ্যালোভেরা জেল মুখ্য ভূমিকা গ্রহণ করে। অ্যালোভেরার জেলে থাকা অ্যান্টি-ফাঙ্গাল, অ্যান্টি-ইনফ্লেমেটরি এবং অ্যান্টিব্যাকটেরিয়াল গুণাগুণগুলি ত্বকে যে কোন ধরনের জীবাণুকে নাশ করে ব্রণ কমাতে সাহায্য করে এবং ত্বকের যে কোন ধরনের দাগ ছোপ কমাতে সাহায্য করে। এছাড়াও এর মধ্যে থাকা উপাদান গুলি ত্বকের ডেড সেল দূর করে নতুন কোষ তৈরিতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে। যার ফলে ব্রণের সমস্যা চিরতরে সমাধান হয়। মূলত ব্রণের চিকিৎসায় ব্যবহারকারী ওষুধ গুলির মধ্যেও অ্যালোভেরা জেলের ব্যবহার করা হয়। এটি ত্বককে ময়েশ্চারাইজ করার পাশাপাশি ত্বকে এক ধরনের শীতলতা প্রদান করে। যেটি ব্রণর সমস্যা দূরে রাখতে সহায়তা করে। এটি ব্রণর বৃদ্ধি কমিয়ে ব্রণের ক্ষত নিরাময়ে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। ()

কিভাবে ব্যবহার করবেন ?

  • ব্রণের সমস্যার সমাধান করতে প্রতিদিন রাতে ব্রণের ওপর সরাসরি অ্যালোভেরা জেল প্রয়োগ করুন এবং পরদিন সকালে উঠে মুখ ধুয়ে ফেলুন।
  • এছাড়াও অ্যালোভেরা জেলের সাথে লেবুর রস মিশিয়ে ব্রণের ওপর লাগিয়ে রাখতে পারেন।
  • পরদিন সকালে উঠে মুখটা ধুয়ে নেবেন।
  • এর ফলে ব্রণের কোনরকম দাগ ত্বকের ওপর পড়বে না।
  • তবে ত্বক যদি সংবেদনশীল হয়, তাহলে লেবুর রস ব্যবহার না করে কেবলমাত্র অ্যালোভেরার জেল ব্যবহার করুন।

৩) বলিরেখা দূর করতে অ্যালোভেরা জেল এর ব্যবহার : Anti Aging/Wrinkles

অ্যালোভেরা কেবলমাত্র শরীরের ওপর থেকেই নয় বরং ভিতর থেকে ত্বকের বিভিন্ন সমস্যার সমাধান করে থাকে। যারা দৈনিক অ্যালোভেরা জেল খান তাদের ত্বকে বার্ধক্যজনিত সমস্যা গুলি দেখা যায়না (১০)। মূলতঃ অ্যালোভেরা ত্বকের কোলাজেন উৎপাদন বৃদ্ধি করে। যার ফলে বয়স বাড়লেও ত্বকে বলিরেখার সমস্যা দেখা যায় না। এছাড়াও বয়সের যে লক্ষণগুলো তার মধ্যে দেখা যায় সেগুলি অ্যালোভেরা প্রকাশ পেতে দেয় না (১১)। বার্ধক্যজনিত লক্ষণগুলি থেকে অ্যালোভেরা ত্বককে দূরে রাখে। এছাড়াও অ্যালোভেরা ত্বকের ইলাস্টিসিটি বজায় রাখতে সাহায্য করে। যার ফলে ফাইন লাইন, বলিরেখার এবং ব্রণের দাগের মতো সমস্যাগুলি থেকে মুক্তি পাওয়া যায়। (১২)

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • দৈনিক সকাল বেলা খালি পেটে এক চামচ করে অ্যালোভেরার রস খেতে পারেন।
  • এছাড়াও অ্যালোভেরা জেলের সাথে সামান্য অলিভ অয়েল এবং ওটমিল মিশিয়ে একটি পেস্ট তৈরি করে নিন।
  • এবার ওই পেস্ট মুখে লাগিয়ে ৩০ মিনিট অপেক্ষা করুন।
  • এরপর পরিষ্কার জল দিয়ে মুখটা ধুয়ে নিন।
  • সপ্তাহে দুই দিন এই পেস্ট ব্যবহার করার ফলে ত্বকের বলিরেখা সমস্যা দূর হবে।

৪) রোদে পোড়া ভাব কমাতে অ্যালোভেরার ব্যবহার : Sunburn

দৈনন্দিন দৌড় ঝাপের জীবনে আমাদের একটি গুরুত্বপূর্ণ সমস্যা হল সানবার্ন অর্থাৎ রোদে পোড়া ভাব। ভারতের মতো গ্রীষ্মপ্রধান দেশে অবস্থান করার ফলে বছরের বেশিরভাগ সময়ই আমাদের এখানে গ্রীষ্মকাল। যার ফলে রোদের তীব্রতাও খুব। সেই কারণে ছোট-বড় প্রায় সকলের মধ্যেই রোদে পোড়া ভাব লক্ষ্য করা যায়। তবে শুরুতে এটি স্বল্প ভাবে হলেও বাড়তে বাড়তে অতিরিক্ত রোদে থাকার ফলে ত্বক ক্যানসারের মতো সমস্যাও হতে পারে সানবার্ন থেকে। তাই এর যথাযথ চিকিৎসা প্রয়োজন। আর এ ধরনের চিকিৎসায় অন্যতম একটি গুরুত্বপূর্ণ উপাদান হলো অ্যালোভেরা। অ্যালোভেরা ত্বককে উজ্জ্বল করতে এবং রোদে পোড়া ভাব কমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে।

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • প্রতিদিন রাতে ঘুমোতে যাওয়ার আগে শরীরের যে অংশগুলো তে সানবার্ন রয়েছে সেগুলি ভাল করে জল দিয়ে ধুয়ে নিয়ে সেই অংশে পুরু করে অ্যালোভেরা জেল লাগিয়ে রাখুন।
  • এবং পরদিন সকালে উঠে পরিষ্কার জল দিয়ে ধুয়ে ফেলুন।
  • দৈনিক অ্যালোভেরা জেল ব্যবহার করার ফলে এক সপ্তাহের মধ্যেই ত্বকে রোদে পোড়া ভাব কমতে থাকবে।
  • এটি নিত্যদিন ব্যবহারের ফলে সানবার্নের সমস্যা চিরতরে দূর হবে।

৫) কাটাছেঁড়ায় অ্যালোভেরার ব্যবহার : Cuts & Wounds (Antibacterial, Antiseptic)

Cuts & Wounds (Antibacterial, Antiseptic)

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কাটা-ছেড়া কিংবা যেকোনো ধরনের ক্ষত নিরাময়ে অ্যালোভেরার ভূমিকা গুরুত্বপূর্ণ। এটি নতুন কোষ গঠনে সহায়তা করে। যার ফলে যে কোনো ধরনের ক্ষত নিরাময়ে এটি গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। গবেষণায় লক্ষ্য করা গিয়েছে, ত্বক এবং চুলের বিভিন্ন ক্ষত নিরাময়ে অ্যালোভেরা গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। এছাড়া অ্যালোভেরা যে কোনো ধরনের চুলকানি কিংবা ত্বকের রোগ কমাতেও সহায়তা করে। এই উদ্ভিদটি যেকোনো কাটা দাগ কিংবা গায়ের ওপর ক্ষতর কার্যকরীভাবে চিকিৎসা করে। গবেষণার লক্ষ্য করা গেছে, যে সমস্ত লোকেরা রেডিয়েশন নিয়ে থাকেন তাদের ক্ষেত্রে অ্যালোভেরার ব্যবহার গুরুত্বপূর্ণ। এছাড়াও রক্ত পরা কমাতেও সহায়তা করে অ্যালোভেরা। (১৩)

কিভাবে ব্যবহার করবেন ?

  • কাটা জায়গাটিতে রক্ত তুলো দিয়ে পরিস্কার করে নিয়ে সেটির ওপর সরাসরি অ্যালোভেরা জেল প্রয়োগ করুন।
  • অ্যালোভেরার মধ্যে থাকা উপাদান গুলি নতুন কোষ তৈরি করতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে।
  • যার ফলে খুব শীঘ্রই ক্ষত নিরাময় করে অ্যালোভেরা জায়গাটির বেদনা কমাতে সহায়তা করবে।
  • নির্দিষ্ট সময় পরপর জায়গাটি পরিষ্কার করে অ্যালোভেরা জেল লাগান।
  • দেখবেন দু’দিনেই শুকোতে শুরু করেছে এবং কোন দাগ ছোপ ছাড়াই ত্বকের যেকোন কাটাছেঁড়া কমাতে সহায়তা করবে অ্যালোভেরা।

৬) স্ট্রেচ মারকস কমাতে অ্যালোভেরার ব্যবহার : Stretch Marks

হঠাৎ করে মোটা হয়ে গেলে কিংবা রোগা হয়ে গেলে অথবা গর্ভাবস্থায় ত্বকে স্ট্রেচ মার্কস লক্ষ্য করা যায়। এটি কমাতে অ্যালোভেরার ভূমিকা গুরুত্বপূর্ণ। মূলতঃ দৈনন্দিন অ্যালোভেরা জেল ব্যবহার করার ফলে ত্বকের স্ট্রেচ মার্কস হালকা হয়ে আসতে থাকে। এছাড়াও অ্যালোভেরা অ্যাস্ট্রিনজেন্ট এর মত কাজ করে ত্বকের লোমকূপ কে টাইট করতে সহায়তা করে।

কিভাবে ব্যবহার করবেন ?

  • অ্যালোভেরা জেল এর সমপরিমাণ নারকেল তেল নিয়ে একটি তরল মিশ্রন তৈরি করুন।
  • এবার এই মিশ্রণটি রাতে শুতে যাওয়ার আগে স্ট্রেচ মার্কস যুক্ত অংশে লাগিয়ে শুতে চলে যান।
  • দেখবেন এক সপ্তাহের মধ্যেই এই এই দাগ হালকা হতে শুরু করেছে।

চুলের জন্য এলোভেরার উপকারিতা – Hair Benefits of Aloe Vera in Bengali

ত্বকের পাশাপাশি চুলের যত্নেও গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে অ্যালোভেরা। এটি চুলের বৃদ্ধি ঘটাতে এবং চুলের কোষ গঠনে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। অ্যালোভেরা মাথার ত্বকের স্বাস্থ্যের উন্নতি ঘটিয়ে চুলকে স্বাস্থ্যোজ্জ্বল করে তোলে। এছাড়াও চুলে এবং মাথার ত্বকে কোনো রকমের চুলকানি কিংবা ঘায়ের সৃষ্টি হলে সেটি কমাতে সহায়তা করে। অ্যালোভেরার পুষ্টি চুল এবং মাথার ত্বকের স্বাস্থ্যের উন্নতি ঘটিয়ে চুলকে সুন্দর এবং স্বাস্থ্যজ্জ্বল করে তোলে। প্রাকৃতিক উপাদান অ্যালোভেরার গুনাগুন বাজারজাতও যেকোনো ধরনের চুলের প্রসাধনী কে ছাড়িয়ে যেতে পারে। অ্যালোভেরা মাথার ত্বকে রক্ত সঞ্চালনকে ত্বরান্বিত করে। যার ফলে চুলের শিকড় গুলির স্বাস্থ্যের উন্নতি ঘটে। যার ফলে চুলের গোড়ায় শক্তি প্রদান করা হয়ে থাকে এবং চুল গোড়া থেকে শক্তিশালী হয়। দৈনিক আমাদের চুল পরিচর্যার তালিকায় যদি অ্যালোভেরা রাখা যায় সেক্ষেত্রে চুল ভেতর এবং বাইরে থেকে পুষ্টিকর হয়ে উঠবে। এক নজরে দেখে নিন চুলের বিভিন্ন ক্ষেত্রে কিভাবে অ্যালোভেরা ব্যবহার করা হয়ে থাকে ? (১৪)

১) চুল বৃদ্ধিতে অ্যালোভেরার ব্যবহার : Hair Growth

বড় চুল কে না চায়। প্রাচীন যুগ থেকেই চুল পরিচর্যায় অ্যালোভেরার ব্যবহার হয়ে আসছে। আলোভেরার মধ্যে থাকা উপাদানগুলি চুলকে ভেতর থেকে শক্তিশালী করে তোলে যার ফলে চুল ছেঁড়া কম হতে থাকে এবং চুলের বৃদ্ধি দারুণভাবে ঘটতে থাকে। এটি চুলকে ঘন এবং সুন্দর করে তুলতে সাহায্য করে। এছাড়াও চুলের পিএইচ এর ভারসাম্য রক্ষা করতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে অ্যালোভেরা। অ্যালোভেরার উপাদানগুলি চুলকে ভেতর থেকে শক্তিশালী করে তুলে চুল পড়া কমানোর পাশাপাশি নতুন চুল গজাতেও গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে।

কিভাবে ব্যবহার করবেন ?

  • অ্যালোভেরার দুটো পাতা থেকে সম্পূর্ণ জেলের অংশ বের করে নিন।
  • এবার এই জেল মাথার স্ক্যাল্পে নিয়ে এবং চুলে লাগিয়ে দুই হাত দিয়ে ভালো করে সারা মাথায় মাসাজ করে নিন।
  • এটি সপ্তাহে অন্তত ৩ দিন করুন।
  • দেখবেন চুল পড়ার সমস্যা সম্পূর্ণ কমে গেছে এবং নতুন চুল গজাতে শুরু করেছে।

২) খুশকি দূরীকরণে অ্যালোভেরার ভূমিকা : Dandruff

Dandruff

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চুল বড় করার ইচ্ছা যেমন সকলেরই থাকে তার পাশাপাশি একটি পরিষ্কার চুলের স্বপ্নও সকলেই দেখেন। মাথার ত্বক শুষ্ক হয়ে উঠলে সেখান থেকে মরা কোষ গুলি উঠতে দেখা যায়। এগুলিকে খুশকি বলা হয়। মূলতঃ মাথার ত্বক অত্যধিক শুষ্কতার কারণে খুশকির সমস্যা দেখা যায়। এছাড়াও যেকোন ধরনের জীবাণুর সংক্রমণ থেকেও এটি হতে পারে। তাই খুশকি দূর করে স্ক্যাল্পকে সমস্যা মুক্ত রাখতে অ্যালোভেরার ভূমিকা গুরুত্বপূর্ণ। অ্যালোভেরার মধ্যে থাকা বিভিন্ন উপাদান গুলি মাথার ত্বকে আর্দ্রতা প্রদান করে এবং খুশকির সমস্যা সমাধান করে। এছাড়াও এটি চুলের পিএইচ ভারসাম্য রক্ষা করে। তাই খুশকি দূরীকরণে অ্যালোভেরার ভূমিকা গুরুত্বপূর্ণ।

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • অ্যালোভেরার দুটো পাতা থেকে সম্পূর্ণ জেল বার করে নিন।
  • এবার জেলটির মধ্যে অর্ধেক লেবুর রস দিয়ে ভালো করে মিক্সিতে ফেটিয়ে একটি রস তৈরি করে নিন।
  • এবার এটি অল্প ভেজা চুলে লাগিয়ে পনেরো থেকে কুড়ি মিনিট অপেক্ষা করুন।
  • চুলটা উষ্ণ তোয়ালে দিয়ে জড়িয়ে রাখুন।
  • এরপর ঈষদুষ্ণ জল দিয়ে শ্যাম্পু করে নিন।
  • সপ্তাহে একদিন এই প্যাকটি ব্যবহার করুন। এতে চুলের যেকোনো সমস্যা দূর হওয়ার পাশাপাশি খুশকির সমস্যাও দূর হবে।

৩) চুল কন্ডিশনিংয়ে অ্যালোভেরার ব্যবহার : Conditioning Hair

একটি উজ্জ্বল ঝকঝকে চুল কে না চায়। তবে আমাদের পরিবেশ দূষণের কারণে আমাদের চুল প্রায় নষ্ট হতে বসেছে। তাই চুলের যথাযথ দৈনন্দিন পরিচর্যা প্রয়োজন। আর এই পরিচর্যা যদি যেকোনো প্রাকৃতিক উপাদান দিয়ে সম্ভব হয় সেটি তাহলে চুলকে সর্বাঙ্গীনভাবে সুন্দর করে তুলতে পারে। এমনই চুল পরিচর্যার অন্যতম একটি গুরুত্বপূর্ণ উপাদান হলো অ্যালোভেরা। এটি যে কোনো ধরনের বাজারজাত ও নামিদামি পণ্য সামগ্রীকেও পিছনে ফেলে দেয়। চুলকে নরম এবং সুন্দর রাখতে অ্যালোভেরার ভূমিকা গুরুত্বপূর্ণ। অ্যালোভেরার মধ্যে থাকা উপাদানগুলি চুলকে ভেতর থেকে শক্তিশালী করে স্বাস্থ্যোজ্জ্বল করে তোলে।

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • চুলের দৈর্ঘ্য অনুযায়ী অ্যালোভেরার পাতা থেকে জেল বের করে নিন।
  • এবার এর সাথে নারকেল তেল মিশিয়ে পরিষ্কার স্ক্যাল্পে এই মিশ্রণটি লাগিয়ে সারারাত রেখে দিন।
  • পরদিন সকালে উঠে যে কোন ধরণের মাইল্ড শ্যাম্পু দিয়ে চুল ধুয়ে নিন।
  • সপ্তাহে তিন দিন এটি ব্যবহার করুন।
  • দেখবেন চুল তার হারানো উজ্জ্বলতা ফিরে পেয়েছে এবং সুন্দর হয়ে উঠেছে। (১৫)

স্বাস্থ্যের জন্য এলোভেরার উপকারিতা – Health Benefits of Aloe Vera in Bengali

অ্যালোভেরা হলো এক ধরনের পুষ্টি কারী উপাদান যেটি আমাদের স্বাস্থ্য রক্ষায় গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে। এর মধ্যে থাকা বিভিন্ন ধরনের ভিটামিন এবং অ্যান্টিঅক্সিডেন্ট উপাদানগুলি শরীরের বিভিন্ন রোগ-জীবাণুর সাথে লড়াই করে শরীরে অনাক্রমতা প্রদান করে। এছাড়াও ডায়াবেটিস, ক্যানসারের মতো দুরারোগ্য রোগের বিরুদ্ধে চিকিৎসা করে। অ্যালোভেরা আপনার স্বাস্থ্য রক্ষায় কিরূপ ভূমিকা পালন করে এক নজরে জেনে নিন।

১) ওজন কমাতে অ্যালোভেরার ভূমিকা : Weight Loss

গবেষণায় দেখা গিয়েছে শরীরের বাড়তি ফ্যাট কমিয়ে শরীরের ওজন কমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে অ্যালোভেরা। এছাড়াও ওজন বাড়ানো কমানোর পাশাপাশি শরীরে অনাক্রম্যতা দান করে শরীরকে শক্তি প্রদান করতে সমর্থ হয় অ্যালোভেরা। দৈনন্দিন ডায়েট চার্টে অ্যালোভেরা রাখলে সেটি শরীরের ওজন কমিয়ে স্বাস্থ্যের উন্নতি ঘটায় এবং শরীরের স্থূলতা কমাতে সহায়তা করে। গবেষণায় দেখা গিয়েছে অত্যধিক স্থূলতা যে সমস্ত ব্যক্তিদের শরীরে রয়েছে সেগুলো দৈনিক অ্যালোভেরার রস গ্রহণের ফলে কমতে সহায়তা করেছে। এছাড়াও অ্যালোভেরার মধ্যে থাকা উপাদান গুলি শরীরে যেকোনো ধরনের পুষ্টিকর চাহিদাগুলো মিটায় এবং শরীরকে ভেতর থেকে সুস্থ রাখতে সহায়তা করে। দীর্ঘদিন ধরে স্থূলকায় কয়েকটি ইঁদুরের ওপর অ্যালোভেরা প্রয়োগ করে লক্ষ্য করা গিয়েছে, তাদের শরীরের চর্বি কমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করেছিল অ্যালোভেরা জেল এবং অ্যালোভেরা শরীরে ফ্যাট কমানোর পাশাপাশি শরীরকে আরো শক্তিশালী করে তুলতে সহায়তা করে। কেবলমাত্র ওজন কমাতে নয়, কোলেস্টেরল এবং স্থূলতার মতন অন্যান্য ব্যাধিগুলি কমাতেও গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে অ্যালোভেরা। (১৬)

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • দৈনিক সকাল বেলা খালি পেটে দু’চামচ অ্যালোভেরা রস খাবেন।
  • এটি জলে মিশিয়ে কিংবা আমলকির রস দিয়ে মিশিয়ে খেতে পারেন।
  • তাহলে একমাসেই ওজন কম হতে শুরু হবে।
  • এছাড়াও এটি গ্রহণের পাশাপাশি দৈনিক সুষম খাদ্য গ্রহণ করতে হবে।
সতর্কতাঃ

গর্ভবতী মহিলাদের খাদ্যতালিকায় অ্যালোভেরা রস গ্রহণ করা একেবারেই অনুচিত এবং দীর্ঘদিন ধরে যারা হূদযন্ত্রের সমস্যায় ভুগছেন তারা অ্যালোভেরার রস খাওয়ার আগে অবশ্যই ডাক্তারের পরামর্শ গ্রহণ করে নেবেন। কেননা সকলের শরীরে এটি সমানভাবে প্রয়োজনীয় নাও হতে পারে। এছাড়া যারা উচ্চ রক্তচাপের সমস্যায় ভুগছেন তারাও অ্যালোভেরার রস খাওয়ার আগে ডাক্তারের পরামর্শ নিয়ে নেবেন।

২) কোষ্ঠকাঠিন্য দূরীকরণে অ্যালোভেরার ভূমিকা : Constipation

Constipation

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কোষ্ঠকাঠিন্যের মত সমস্যার সমাধানে অ্যালোভেরার ভূমিকা গুরুত্বপূর্ণ। মূলতঃ হজম জনিত যেকোনো ধরনের অসুস্থতার ক্ষেত্রে অ্যালোভেরা ব্যবহার করা হয়ে থাকে। এছাড়াও এটি ডায়েরিয়া ও কোষ্ঠকাঠিন্যের সমস্যা সমাধান করতেও ব্যবহার করা হয়ে থাকে। মূলতঃ জ্বালাময়ী আন্ত্রিক সিনড্রোমের কারণেই ডায়েরিয়া বা কোষ্ঠকাঠিন্য সমস্যা গুলি দেখা যায়। যার ফলে পেটে ব্যথা, পেট ফাঁপা এবং পেট ফুলে যাওয়ার মতন সমস্যাগুলো লক্ষ্য করা যায়। অ্যালোভেরার পাতায় এমন কিছু উপাদান থাকে যেগুলি এ ধরনের জ্বালা ভাব, পেট ফুলে যাওয়া কমাতে সহায়তা করে। অ্যালোভেরার জুসে থাকা ল্যাটেক্স যুক্ত উপাদানগুলি কোষ্ঠকাঠিন্য নিরাময়ে সহায়তা করে। গবেষণায় দেখা গিয়েছে, অ্যালোভেরার জুস কোষ্ঠকাঠিন্য নিরাময়ে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে।

কিভাবে ব্যবহার করবেন ?

  • অ্যালোভেরার জুস দিয়ে যেকোনো ধরনের স্মুদি তৈরি করে দৈনিক তালিকায় অন্তর্ভুক্ত করতে পারেন।
  • কিংবা অ্যালোভেরা গাছের জুস নিয়ে তার মধ্যে এক দুই চামচ জল কিংবা করলার রস মিশিয়ে গ্রহণ করতে পারেন।
  • এছাড়াও অ্যালোভেরা জুসের সাথে শশা, লেবু ও পুদিনাপাতা মিশিয়ে বিভিন্ন ধরনের পানীয় তৈরি করে খাদ্য তালিকার অন্তর্ভুক্ত করতে পারেন।
  • এটি দৈনিক গ্রহণের ফলে কোষ্ঠকাঠিন্যের সমস্যা থেকে চিরতরে মুক্তি পাবেন।

৩) ডায়াবেটিস কমাতে অ্যালোভেরার ভূমিকা : Diabetes/Blood Sugar

দৈনিক অ্যালোভেরার ব্যবহার করলে রক্তে গ্লুকোজের মাত্রা কমাতে সহায়তা করে। সমীক্ষায় দেখা গিয়েছে, দৈনিক অ্যালোভেরা গ্রহণের ফলে রক্তে গ্লুকোজের মাত্রা ৪৬৬ মিলিগ্রাম পর্যন্ত কমে। অ্যালোভেরার গ্লাইকেটেড উপাদান হিমোগ্লোবিনের ওপর প্রভাব ফেলে। গত দুই থেকে তিন মাস পরীক্ষা করে দেখা গেছে এটি রক্তে গ্লুকোজের পরিমাণ কমাতে এটি সহায়তা করে। এছাড়াও প্রি ডায়াবেটিস আক্রান্ত রোগীদের ক্ষেত্রেও একই রকম প্রভাব লক্ষ্য করা যায়। অ্যালোভেরার দৈনিক ব্যবহারের ফলে মাত্র চার সপ্তাহের মধ্যে রক্তে গ্লুকোজের পরিমাণ অনেকটা কমিয়ে দেয় এবং তাদের অস্বাভাবিক লিপিড প্রোফাইল করে। অ্যালোভেরা রক্তে ইনসুলিনের পরিমাণ বাড়াতে কার্যকরী ভূমিকা পালন করে। অ্যালোভেরার মধ্যে থাকা গ্লুকোমানান, হাইড্রোফিলিক ফাইবার এবং ফাইটোস্টেরল জাতীয় উপাদান গুলি ইনসুলিন বাড়াতে মুখ্য ভূমিকা পালন করে। অ্যালোভেরা জেল এর পাশাপাশি অ্যালোভেরার পাতাগুলো এক্ষেত্রে কার্যকরী। (১৭)

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • দৈনিক এক চামচ করে অ্যালোভেরার রস দিনে দুবার গ্রহণ করতে পারেন।
  • এটি ইনসুলিন প্রবাহকে ত্বরান্বিত করে এবং রক্তে শর্করার মাত্রা কমাতে সহায়তা করে।
  • ডায়াবেটিস চিকিৎসার ক্ষেত্রে অ্যালোভেরার ব্যবহার অত্যন্ত সহজ।

৪) অনাক্রমতা প্রদানে অ্যালোভেরার ব্যবহার : Immunity Booster

অ্যালোভেরা জেল ম্যাক্রোফেজগুলির কার্যকারিতাকে উন্নত করে, যা ইমিউন সিস্টেম এর গুরুত্বপূর্ণ উপাদান। গবেষণায় লক্ষ্য করা গিয়েছে, অ্যালোভেরার রস দৈনিক গ্রহণের ফলে ব্যক্তিদের শরীরে অনাক্রমতা বেড়ে ওঠে। যেকোনো ধরনের অ্যালোভেরা পাউডার দিয়ে প্রস্তুত খাদ্য রোগীদের মধ্যে প্রদান করে লক্ষ্য করা গিয়েছে, তাদের শরীরের রোগ প্রতিরোধ ক্ষমতা বৃদ্ধি পেয়েছে এবং তাদের শরীরের অনাক্রম্যতা জোরদার করতে আলোভেরা সহায়তা করে। এবং অ্যালোভেরার জুস ও অ্যালোভেরা দিয়ে তৈরি যে কোন ধরনের খাদ্য উপাদান এ ক্ষেত্রে প্রদান করা যেতে পারে। (১৮)

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • দৈনিক খাদ্যতালিকায় অ্যালোভেরা সমৃদ্ধ যে কোন ধরনের খাদ্য উপাদান রাখুন।
  • সকাল বেলা খালি পেটে অ্যালোভেরা রস খেতে পারেন।
  • কিংবা খাদ্যতালিকায় অ্যালোভেরা এবং অন্যান্য উপাদান দিয়ে তৈরি জুস রাখতে পারেন।
  • এ ক্ষেত্রে অ্যালোভেরা, শসা, লেবু, পুদিনা পাতা দিয়ে স্মুদি তৈরি করে খেতে পারেন। এটি স্বাস্থ্যকর এবং খেতেও সুস্বাদু হবে।

৫) হজমে সহায়তা করে অ্যালোভেরা : Digestion

হজমের সমস্যা লেগেই রয়েছে। গ্যাস, অম্বল, অ্যাসিডিটি, পেট ফাঁপা এগুলি আমাদের নিত্যদিনের অঙ্গ। তবে অ্যালোভেরার ব্যবহারের ফলে এই সমস্ত সমস্যার সমাধান হতে পারে। অ্যালোভেরার ব্যবহার পেটের মধ্যে চলা এসমস্ত অস্বস্তি, জ্বালাময়ী সিনড্রোম এবং পেটে ব্যথার মতন সমস্যাগুলির দ্রুত সমাধান করে। এছাড়াও এটি কোষ্ঠকাঠিন্যের কারণে হওয়া ব্যথার সমাধান করতে পারে। অ্যালোভেরা মূলত এক ধরনের পদার্থ হিসেবে ব্যবহৃত হয়, যা কোষ্ঠকাঠিন্যের সমস্যা সমাধান করে খাদ্যের সঠিকভাবে হজমে সহায়তা করে এবং অন্ত্রের গতিবিধি নিয়ন্ত্রণ করে। তবে ডাক্তারের সাথে পরামর্শ করে তাহলেই অ্যালোভেরা সমৃদ্ধ ওষুধ গ্রহণ করা উচিত। পেটে অতিরিক্ত অ্যাসিড এর প্রভাব লক্ষ্য করা গেলে সেক্ষেত্রে ডাক্তাররা যে সমস্ত ওষুধ প্রদান করে থাকে সেখানে অনেকাংশে আলোভেরার গুরুত্বপূর্ণ ব্যবহার লক্ষ্য করা যায়। এছাড়াও পেটে গ্যাসের সমস্যার জন্য গবেষণায় লক্ষ্য করা গিয়েছে অ্যালোভেরার ব্যবহার তাৎপর্যপূর্ণ। অ্যালোভেরার মধ্যে থাকা উপাদান গুলি গ্যাস্ট্রিকের সমস্যার সমাধান করে। সমীক্ষায় দেখা গিয়েছে, যারা দৈনিক অ্যালোভেরার রস গ্রহণ করেন তারা আগের তুলনায় অনেক ভালো রয়েছেন এবং হজমের সমস্যার সমাধান করতে পেরেছেন। (১৯)

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • দৈনিক সকাল বেলা খালি পেটে দু চামচ করে অ্যালোভেরা রস গ্রহণ করুন।
  • তারপর উষ্ণ গরম জল খেয়ে নিন।
  • এটি হজমকে ত্বরান্বিত করার পাশাপাশি কোষ্ঠকাঠিন্যের সমস্যা থেকেও শরীরকে দূরে রাখবে।

৬) কোলেস্টেরল নিয়ন্ত্রণে অ্যালোভেরার ভূমিকা : Cholesterol

গবেষণায় লক্ষ্য করা গিয়েছে, অ্যালোভেরার রস শরীরকে প্রভাবিত করতে পারে যার ফলে শরীরে কোলেস্টেরলের মাত্রা কমে আসে। এছাড়াও ট্রাইগ্লিসারাইডের পরিমান কমতে সাহায্য করে। গবেষণার লক্ষ্য করা গিয়েছে, এইচ ডি এল কোলেস্টেরল এর স্তর গুলি খানিকটা, এছাড়াও এটি লিপিডের মাত্রা কমিয়ে আনতে সহায়তা করে। অ্যালোভেরার মধ্যে থাকা ফাইটোস্টেরল, কোলেস্টেরলের মাত্রা কমাতে সহায়তা করে। এছাড়াও অ্যালোভেরার মধ্যে অন্যতম একটি গুরুত্বপূর্ণ উপাদান হলো গ্লুকোমানেন। যা এক প্রকার দ্রবণীয় ফাইবার। এটি শরীরের কোলেস্টেরল কমিয়ে আনতে সহায়তা করে। মূলত শরীরে কোলেস্টেরল ও ট্রাইগ্লিসারাইডের সমস্যার সমাধান করতে সহায়তা করে অ্যালোভেরা।

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • অ্যালোভেরার থেকে পাওয়া গুঁড়ো কিংবা ক্যাপসুল আকারে অথবা সরাসরি অ্যালোভেরার রস খাদ্য তালিকার অন্তর্ভুক্ত করতে পারেন।
  • এটি শরীরে কোলেস্টেরল নিয়ন্ত্রণে সহায়তা করবে।
  • এবং শরীরকে সুস্থ সবল রাখতে সাহায্য করবে।

৭) মস্তিষ্কের স্বাস্থ্য নিয়ন্ত্রণে অ্যালোভেরার ভূমিকা : Brain Health

Brain Health

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আপনার মানসিক স্বাস্থ্যের যদি উন্নতি করতে চান তাহলে অন্যতম একটি গুরুত্বপূর্ণ উপাদান হলো অ্যালোভেরা। দৈনন্দিন আলোভেরার ব্যবহার আমাদের মেজাজকে উন্নতি করতে এবং মানসিক শান্তি প্রদান করতে মস্তিষ্কের যেকোন ক্রিয়াকে সম্পন্ন করতে সহায়তা করে। এছাড়াও মস্তিষ্কের স্মৃতিশক্তি দৃঢ় করার পাশাপাশি যেকোনো ধরনের মস্তিষ্ক জনিত অসুস্থতা থেকে শরীরকে সুস্থ এবং সামর্থ্য রাখতে সহায়তা করে। এছাড়াও এটি ব্রেনবুস্টার সাপ্লিমেন্ট হিসেবে কাজ করে। মূলত স্মৃতিশক্তি যাতে ফ্যাকাশে না হয়ে যায় সে ক্ষেত্রে এটি ব্যবহার করা যেতে পারে। বয়স বৃদ্ধির সাথে সাথে স্মৃতিশক্তি হ্রাসের মতন বিভিন্ন সমস্যা গুলি লক্ষ্য করা যায়। তবে এগুলো নিরাময় এর পাশাপাশি যেকোনো ধরনের মানসিক চাপ থেকে শরীরকে সুস্থ রাখতে সাহায্য করে।

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • দৈনিক সকাল বেলা খালি পেটে এক চামচ করে অ্যালোভেরার রস খেতে পারেন।
  • এছাড়াও অ্যালোভেরার পাউডার কিংবা অ্যালোভেরার যেকোনো সাপ্লিমেন্ট গ্রহণ করতে পারেন।
  • দৈনিক এটি গ্রহণ করার ফলে মস্তিষ্কের স্বাস্থ্য সুরক্ষিত থাকবে।
  • তবে অবশ্যই ডাক্তারের পরামর্শ অনুযায়ী। কেন না কোন কিছুই হঠাৎ করে ব্যবহার করা ঠিক নয়। তাই ডাক্তারের সাথে পরামর্শ নিয়ে তারপর অ্যালোভেরার রস খাওয়া শুরু করবেন।

৮) হৃদরোগের সমস্যায় অ্যালোভেরার ব্যবহার : Heart Diseases

বর্তমানে টেনশন, স্ট্রেস, চিন্তার জীবনে হৃদরোগের সমস্যা প্রায় ঘরে ঘরে। আর তার জন্য ভুড়ি ভুড়ি ওষুধ খাওয়া তো চলতেই আছে। তবে এবার হৃদরোগের সমস্যা ব্যবহার করা যাবে অ্যালোভেরাকে। অ্যালোভেরার মধ্যে থাকা উপাদান গুলি শরীরে অনাক্রমতাকে বাড়িয়ে তোলে। এর পাশাপাশি উচ্চ রক্তচাপের সমস্যাকেও কমাতে সাহায্য করে। মূলত উচ্চ রক্তচাপের কারণেই হৃদরোগের সমস্যা দেখা যায়। দৈনিক খাদ্যতালিকায় তাদের এই অ্যালোভেরা জুসের ব্যবহার শরীর স্বাস্থ্য সম্পন্ন হয়ে ওঠে। গবেষণায় লক্ষ্য করা গিয়েছে, যারা অ্যালোভেরার জুস পান করেন তাদের হার্ট অ্যাটাকের কিংবা স্ট্রোকের সম্ভাবনা কম থাকে। কেননা এটি প্রচুর পুষ্টিকর উপাদান সমৃদ্ধ হওয়ায় এটি শরীরের রোগ প্রতিরোধ ক্ষমতা বৃদ্ধি করে এবং অ্যান্টিঅক্সিডেন্ট শরীরকে ডিটক্সিফাই করে। এছাড়াও রক্তে শর্করার মাত্রা কমিয়ে ডায়াবেটিস নিয়ন্ত্রণে সাহায্য করে। এছাড়াও উচ্চ রক্তচাপের রোগীদের জন্য খুব উপকারী একটি উপাদান অ্যালোভেরা। এছাড়াও হৃদরোগের সম্ভাবনা কমায় এটি। কেননা এতে প্রচুর পরিমাণে ভিটামিন সি আছে, যা রক্তসঞ্চালন কে বাড়িয়ে শিরা এবং ধমনীকে শক্তিশালী করে তোলে। অ্যালোভেরার অন্যান্য পুষ্টিকর উপাদান গুলি রক্তে অক্সিজেন সরবরাহ বাড়িয়ে তোলে, যার ফলে কার্ডিওভাস্কুলার সিস্টেমে থেরাপিউটিক সুবিধা হয়। বহু রোগীদের ওপর গবেষণা করে দেখা গিয়েছে, অ্যালোভেরার জুস গ্রহণের ফলে হাইপার টেনশন, হৃদরোগের সম্ভাবনা কমে এসেছে এবং উচ্চ রক্তচাপ ও কন্ঠনালী প্রদাহের মতন সমস্যাগুলির সমাধান হয়েছে।

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • দৈনিক দশ থেকে কুড়ি এমএল অ্যালোভেরার গ্রহণের ফলে মোট পনেরো শতাংশ কোলেস্টেরল এবং পঁচিশ থেকে ত্রিশ শতাংশ ট্রাইগ্লিসারাইড শরীর থেকে হ্রাস করতে পারে।
  • ডাক্তারের নির্দেশে অ্যালোভেরার জেল গ্রহণ করতে পারেন।
  • ডাক্তারের পরামর্শ অনুযায়ী অ্যালোভেরার রস গ্রহণ করুন এবং ওষুধ গ্রহণের পাশাপাশি এটি ব্যবহার করুন।
  • অ্যালোভেরার রস খাবার আগে অবশ্যই আপনার ডাক্তারের সাথে কথা বলে নিন।

৯) প্রদাহ বা পেট জ্বালা কমাতে অ্যালোভেরার ভূমিকা : Inflammation

যেকোনো ধরনের ব্যথা কিংবা প্রদাহের সাথে লড়াই করতে পারে অ্যালোভেরা। অ্যালোভেরায় উপস্থিত অ্যান্টি-ইনফ্লেমেটরি বৈশিষ্ট্যগুলো জ্বালা-যন্ত্রণা সাথে লড়াই করে শরীরের শান্তি প্রদান করে। গবেষণায় দেখা গিয়েছে, অ্যালোভেরা জেল যেকোনো হাইড্রোকর্টিসন ক্রিম এর তুলনায় জ্বালাভাব কিংবা যেকোন প্রদাহে বেশি আরাম প্রদান করে। মূলত অ্যান্টি-ইনফ্লেমিটরি বৈশিষ্ট্যগুলো শান্তি প্রদান করতে সহায়তা করে। এছাড়াও অ্যালোভেরা উদ্ভিদের মধ্যে থাকা অ্যান্টি-ইনফ্লামেটরি বৈশিষ্ট্যগুলো অস্টিওআর্থ্রাইটিস এর চিকিৎসাতেও সাহায্য করতে পারে। এছাড়াও অ্যালোভেরা গ্যাস্ট্রাইটিস এর যেকোনো ব্যথা কমাতে সহায়তা করে। এছাড়াও ক্রনিক ক্যান্সারের চিকিৎসা করতে পারে। মূলত ব্যথা কিংবা পা ফুলে যাওয়া, জয়েন্ট গুলিতে ব্যথায় অ্যালোভেরা জেল প্রয়োগ করলে প্রচুর স্বস্তি পাওয়া যায়। এই জেল ব্যবহার করার পাশাপাশি শরীরে আলাদা একটা ঠান্ডা ভাব প্রেরণ করে থাকে, যার জন্য যেকোনো ধরনের প্রদাহের ক্ষেত্রে অ্যালোভেরা জেল ব্যবহার করলে সেখানে স্বস্তি পাওয়া যায়। (২০)

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • ব্যথা কিংবা জ্বালা ভাব যুক্ত অংশের জায়গাটা ভালো করে পরিষ্কার করে নিন।
  • এখানে সারারাত পুরু করে অ্যালোভেরা জেল লাগিয়ে রাখুন।
  • পরদিন সকালে উঠে জায়গাটা ধুয়ে নিন।
  • এরকম দু-একদিন করতে থাকুন ত্বকের ওপর কোথাও জ্বালাভাব কিংবা লালচে ভাব থাকলে তা কমে যাবে।
  • এছাড়া যদি পেটের ভেতরে জ্বালা ভাব থাকে, সে ক্ষেত্রে অ্যালোভেরা গাছের রস করে খেতে পারেন।
  • যদি অসুবিধা না হয় অ্যালোভেরা জেল টা খেয়ে নিতে পারেন। এটি পেটের ভেতর খাওয়া জ্বালা ভাব কমিয়ে স্বস্তি প্রদান করবে।
  • এছাড়াও গ্যাস্ট্রিক আলসারের ব্যাথায় যারা ভুগছেন তাদের ক্ষেত্রে অ্যালোভেরা একটি অপরিহার্য উপাদান। এটি ব্যবহার করার ফলে এক ধরনের স্বস্তি লাভ করবে আপনার শরীর।

১০) বাতের ব্যথা কমান অ্যালোভেরা দিয়ে : Arthritis

বয়স চল্লিশের কোঠা পেরিয়েছে কি বাতের ব্যথায় নাকাল মানুষের সংখ্যা নেহাত কম নয়। নানা ওষুধ, আয়ুর্বেদ চর্চা সব কিছু করেও লাভ হয়নি। তাইতো এবার তাহলে আপনার হাতের কাছে থাকা অ্যালোভেরা গাছ কে রকম একটু ভরসা করে দেখবেন নাকি? আপনার পরিত্রাণের উপায় হতে পারে এটি। কেননা অ্যালোভেরার মধ্যে থাকা অ্যান্টি ইনফ্লেমেটরি উপাদান গুলি যেকোনো ধরনের ব্যথা বেদনা কমাতে সহায়তা করে। এছাড়া শরীরের জয়েন্টে ফোলা ভাব কমাতে সাহায্য করে। যেকোনো ধরনের পেইনকিলার কিংবা পেইন রিলিফ মলমের তুলনায় তাৎক্ষণিক কাজ করে অ্যালোভেরা জেল। তাই এবার অ্যালোভেরা জেল এর উপর ভরসা করে দেখতেই পারেন। বলা যায় না এটি আপনার বাতের ব্যথা থেকে চিরতরে কমিয়ে দিল।

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • বাতের ব্যথা যুক্ত অংশে ভালো করে অ্যালোভেরা জেল লাগিয়ে রাখুন।
  • একটি ঠান্ডা প্রদান হবে এবং এগুলো ছাড়াও দৈনিক খাদ্য তালিকা রাখলে এটি শরীরের রক্ত সঞ্চালন বৃদ্ধি করবে।
  • যার ফলে শরীরের কোনায় কোনায় অক্সিজেন পৌঁছে যাবে এবং শরীরের বিভিন্ন জায়গা গুলোতে সঠিকভাবে ব্যথা নিরাময় করে দেবে।
  • তাই আজ থেকে খাদ্যতালিকায় রাখুন।
  • সকালে উঠে খালি পেটে দশ থেকে কুড়ি এমএল অ্যালোভেরা জেল গ্রহণ করুন।

১১) মৌখিক স্বাস্থ্যের উন্নতিতে অ্যালোভেরা জেল : Oral Health

Oral Health

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মুখের ভিতর যেকোনো ধরনের সংক্রামক প্রদাহজনিত রোগ নিরাময়ে অ্যালোভেরা গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা গ্রহণ করে থাকে। পেরিয়োডন্টিস্ট সম্পর্কিত চিকিৎসা গুলোয় দেখা যায় অ্যালোভেরা গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করেছে। এসব রোগের উপসর্গ গুলির সমাধান করতে সাহায্য করেছে।অ্যালোভেরা। মুখের ভেতরে হওয়া যে কোন রোগের নিরাময় এটি গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে। অ্যালোভেরা মারি থেকে রক্তপাত কিংবা দাঁতের গোড়ায় ফোলা ভাব এই সমস্ত সমস্যা গুলোর ক্ষেত্রে শক্তিশালী অ্যান্টিসেপটিক হিসেবে কাজ করে। অ্যালোভেরা মুখের ভেতর কোণায় কোণায় পৌঁছে মুখ পরিষ্কার এর ব্যবস্থা করে। এছাড়াও দাঁতের গোড়ায় কিংবা জিভে হওয়া যে কোন ধরনের সমস্যার সমাধান করে। দৈনিক দাঁত ব্রাশের পরে অ্যালোভেরা জেল ব্যবহার করা যেতে পারে। এটি একটি গুরুত্বপূর্ণ অ্যান্টিসেপটিক উপাদান হিসেবে ব্যবহার করা যেতে পারে। (২১) সকালবেলা ব্রাশ করার আগেও অ্যালোভেরা জেল দিয়ে মুখ ধুতে পারেন। এটি দাঁতের গহ্বরে যে সমস্ত ব্যাকটেরিয়া সৃষ্টি হয় সেগুলো নিয়ন্ত্রণে কার্যকরী ভূমিকা পালন করে। মুখের ভেতরের যে কোন সমস্যার সমাধানে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে অ্যালোভেরা জেল। সংবেদনশীল দাঁত বা মাড়ির লোকেদের ক্ষেত্রে অ্যালোভেরা জেল টুথপেস্ট এর সেরা বিকল্প হতে পারে। এটি ব্যবহারের ফলে দাঁতে জোরে ঘষাঘষির প্রয়োজন হবে না, যেটা পেস্টের ক্ষেত্রে করতে হয়। এইজেল টিতে থাকা অ্যান্টি-ইনফ্লামেটরি এবং অ্যান্টি ব্যাকটেরিয়ার বৈশিষ্ট্য গুলো যেকোনো ধরনের ব্যাকটেরিয়া কে হ্রাস করতে পারে। এছাড়া মুখের ভেতর কোথাও কোনও ঘা হলে তার চিকিৎসাতেও অ্যালোভেরা গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। এছাড়াও মুখের গহ্বরের ভেতরে যে কোন ধরনের সংক্রমণ প্রতিরোধে এটি সাহায্য করে থাকে। তাই মৌখিক স্বাস্থ্যের উন্নতি ঘটাতে কে আজ থেকেই টুথপেষ্টের বদলে ব্যবহার করুন অ্যালোভেরা।

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • সকালবেলা ঘুম থেকে উঠে বাসিমুখে পরিমাণমতো অ্যালোভেরা জেল নিয়ে মুখে কুলকুচি করে ফেলে দেবেন।
  • তারপর প্রয়োজন হলে টুথপেস্ট ব্যবহার করতে পারেন।
  • এটি প্রত্যেকদিন করতে হবে। তাহলেই মুখের গহবরের যেকোন সংক্রমণ থেকে দূরে থাকতে পারবেন।

১২) সর্দি কাশি এবং ঠান্ডা লাগা কমাতে অ্যালোভেরার ব্যবহার : Cough and Cold

আবহাওয়ার হঠাৎ পরিবর্তনের ফলে শরীর যে ধরনের ব্যাকটেরিয়া দ্বারা আক্রান্ত সেগুলি কমাতে অ্যালোভেরা মুখ্য ভূমিকা গ্রহণ করে। আবহাওয়ার পরিবর্তনের কারণেই সর্দি কাশি, ঠান্ডা লাগার মত সমস্যাগুলো দেখা যায়। মূলত এগুলো একজনের থেকে আরেকজনের শরীরে ছড়িয়ে পড়ে। যাদের শরীরের অনাক্রম্যতা ক্ষমতা কম থাকে তাদের মধ্যেই এটি ছড়িয়ে পড়তে লক্ষ্য করা যায়। এ ক্ষেত্রে একটি গুরুত্বপূর্ণ অ্যান্টিবায়োটিক উপাদান হলো অ্যালোভেরা। এটি মুখের ভেতর এবং গলা থেকে ভাইরাস জাতীয় জীবানু নাশ করে। যার ফলে শরীরের ব্যাকটেরিয়া বাসা বাঁধতে পারে না, অনাক্রম্যতা বৃদ্ধি পায় এবং শরীর যেকোনো ধরনের ছোটখাটো জ্বর সর্দি থেকে দূরে থাকে। অ্যালোভেরার মধ্যে উপস্থিত অ্যান্টি ইনফ্লেমেটারি এবং অ্যান্টি-ব্যাকটেরিয়াল উপাদান সমূহ শরীরকে যেকোনো ধরনের ব্যাকটেরিয়া থেকে দূরে রাখতে সাহায্য করে।

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • একটা বড় অ্যালোভেরার পাতা তিন চার টুকরো করবেন।
  • প্রত্যেকটা ভাগের থেকে সবুজ অংশটা কেটে নিন।
  • এরপর ভেতরের থেকে সাদা অংশটা বের করে নিন।
  • এবারে সাদা অংশটা মিক্সিতে ভাল করে ফেটিয়ে নিয়ে একটা আপেলের জুসের সাথে এটা মিশিয়ে খেয়ে নিন।
  • এটি লেবু দিয়েও খেতে পারেন। লেবু খাওয়ার ফলে শরীরে অনাক্রম্যতা বৃদ্ধি পাবে এবং সর্দি কাশি এবং ঠান্ডা লাগার সমস্যা গুলোর সমাধান হবে।
  • ব্যাকটেরিয়া আক্রমণের কারণে এই সমস্ত সমস্যাগুলো দেখা দেয়। অ্যালোভেরার জুস খাওয়ার ফলে শরীর সুস্থ এবং ব্যাকটেরিয়া আক্রমণ থেকে দূরে থাকবে।

এলোভেরার জুস খাবার সঠিক উপায় – How to Drink Aloe Vera Juice in Bengali

অ্যালোভেরা আমাদের শরীরের ত্বক, চুল ও স্বাস্থ্য রক্ষায় গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। এবার তাই অ্যালোভেরাকে খাবারের তালিকায় অন্তর্ভুক্ত না করলেই নয়। তবে কেবলমাত্র খেলেই হবে তা নয়, অ্যালোভেরা কিভাবে আপনি ব্যবহার করতে পারেন জেনে নিন :

১) খাবারের সাথে অ্যালোভেরার পাতা কেটে নিয়ে আপনি খেতে পারেন।

২) অ্যালোভেরার সবুজ অংশের ভেতর থেকে জেল বার করে নিয়ে খেতে পারেন।

৩) কিংবা অ্যালোভেরার জেলটা দিয়ে যেকোনো ধরনের স্মুদি তৈরি করে খেতে পারেন।

৪) এছাড়া অ্যালোভেরা জেল দিয়ে শরবত তৈরি করে খেতে পারেন।

৫) টমেটো, লেবুর রস, রসুন, সামুদ্রিক লবণ এবং অ্যালোভেরা ভালো করে মিক্সিতে ফেটিয়ে নিয়ে জুস তৈরি করে চিপস এর সাথে খেতে পারেন।

৬) এছাড়া আপনার খাদ্যতালিকায় থাকা স্যালাডের সাথে অ্যালোভেরা পাতা খেতে পারেন কিংবা অ্যালোভেরা জেল আপনার স্যালাডে যোগ করতে পারেন।

৭) এছাড়াও অ্যালোভেরার রস শুধুমাত্র খেতে পারেন।

৮) প্রয়োজন হলে অ্যালোভেরা পাতার সাথে যেকোনো ধরনের ফলের রস এককাপ মিশিয়ে খেতে পারেন।

৯) কখনো আপেলের রস, কখনো লেবুর রস কিংবা পেপের রসের সাথে অ্যালোভেরা মিশিয়ে খেতে পারেন।

১০) মূলত আপনার পছন্দসই যেকোনো ফলের রস এর সাথে এটি খেতে পারেন।

১১) অ্যালোভেরার সবুজ অংশ থেকে জেল বের করে নিয়ে ফ্রিজে রেখে দিতে পারেন। এবার যখন কোন ফলের রস করবেন তার মধ্যে মিশিয়ে দিতে পারেন।

১২) প্রতিদিন অ্যালোভেরার রস আপনি খেতে পারেন। অ্যালোভেরা জেল, অ্যালোভেরার রস, অ্যালোভেরার সাপ্লিমেন্ট কিংবা অ্যালোভেরা পাউডার, অ্যালোভেরা তেল যেটা আপনার পছন্দ সেটা আপনি খাদ্য তালিকার অন্তর্ভুক্ত করতে পারেন।

আজ থেকেই আপনার ডায়েট চার্টে অ্যালোভেরা অন্তর্ভুক্ত করতে পারেন।

এলোভেরা কে অনেক দিন পর্যন্ত সুরক্ষিত রাখার উপায় – How to Store Aloe Vera in Bengali

আপনি যদি অনেকদিন পর্যন্ত অ্যালোভেরা জেল সুরক্ষিত রাখতে চান তবে জেনে নিন কি করতে হবে?

১) আপনি যদি অনেকদিন পর্যন্ত অ্যালোভেরা জেল সুরক্ষিত রাখতে চান তবে সে ক্ষেত্রে আপনি এটি অবশ্যই ফ্রিজে রেখে দিন।

২) সম্ভব হলে অ্যালোভেরার থেকে জেল বের করে নিয়ে বরফের ট্রেতে রেখে ডিপ ফ্রিজে রেখে দিন। সেখানে অ্যালোভেরা জেল বরফের কিউব হয়ে থাকবে এবং আপনার যখন প্রয়োজন হবে শুষ্ক ত্বকে কিংবা রোদে পোড়া ত্বকের ওপর এটি ব্যবহার করতে পারবেন।

৩) এছাড়াও তৎক্ষণাৎ কোন অসুবিধা হলে ফার্স্ট এইড হিসেবে ব্যবহার করতে পারবেন।

৪) যদি ত্বকের ক্ষেত্রে ব্যবহার করতে চান তাহলে অ্যালোভেরা জেল ও ভিটামিন ই তেলের সাথে মিশিয়ে রেখে দিতে পারেন।

৫) সাদা অংশটা এবং ভিটামিন ই তেল ভালো করে মিক্সিতে মিশিয়ে নিয়ে সেটা একটি কোটো করে ফ্রিজে রেখে দিতে পারেন। যখন এটি প্রয়োজন হবে আপনি ব্যবহার করতে পারেন।

৬) এছাড়াও অ্যালোভেরা জেল এর সাথে মধু মিশিয়ে অনেকদিন পর্যন্ত রাখা যেতে পারে।

৭) অ্যালোভেরার পাতা সমেত জেল এবং তার সাথে পরিমাণমতো মধু মিশিয়ে মিক্সার এর একটা পেস্ট তৈরি করে নিন এবং একটি কৌটোতে ফ্রিজে রেখে দিন। এটি আপনি ফেসিয়াল মাস্ক হিসেবে ব্যবহার করতে পারবেন।

৮) অ্যালোভেরার সাথে ভিটামিন সি মিক্স করে ফ্রিজে রেখে দিতে পারেন। পরিমাণমতো অ্যালোভেরা জেল এবং লেবুর রস দিয়ে ভালো করে মিশিয়ে একটা টাইট কৌটোর মধ্যে রেখে ফ্রিজে সংরক্ষণ করতে পারেন। এটি যেকোন ধরণের কালচে দাগ কিংবা ত্বকের সমস্যার ক্ষেত্রে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করবে।

৯) অ্যালোভেরা জেল পরিষ্কার প্লাস্টিকের পাউচে রেখে ফ্রিজে রেখে দিতে পারেন। সংরক্ষণ করা সম্ভব হবে অনেকদিন ধরে।

১০) দীর্ঘদিন ধরে প্রায় ছয় থেকে সাত মাস পর্যন্ত এই মিশ্রণ সংরক্ষিত করে ভবিষ্যতে ব্যবহার করতে পারবেন।

১১) অ্যালোভেরা জেল আপনি সংরক্ষণ করে রাখতে পারেন কিংবা শুধু অ্যালোভেরা জেলের তৈরী মাস্ক ছয় থেকে সাত মাস পর্যন্ত এই পদ্ধতিতে সংরক্ষণ করা যেতে পারে।

এলোভেরার অপকারিতা – Side Effects of Aloe Vera in Bengali

Side Effects of Aloe Vera in Bengali

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এতক্ষণ আমরা আমাদের স্বাস্থ্য রক্ষায়, চুলের যত্নে কিংবা ত্বকের যত্নে কিভাবে অ্যালোভেরা জেল ব্যবহার করব সেটি সম্পর্কে জেনেছি। অ্যালোভেরার মধ্যে থাকা অ্যান্টিব্যাকটেরিয়াল, অ্যান্টি ইনফ্লামেটরি বৈশিষ্ট্যগুলো আমাদের স্বাস্থ্য রক্ষায় গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। যে কারণে আমরা মৌখিকভাবে গ্রহণ করার পাশাপাশি বাহ্যিকভাবে অ্যালোভেরাকে গ্রহণ করতে পারি। সে ক্ষেত্রে ত্বকের ক্রিম, শেভিং ক্রিম, সাবান, টুথপেস্ট, শ্যাম্পু ইত্যাদি অ্যালোভেরার তৈরি পণ্য সামগ্রী ব্যবহার না করে সরাসরি অ্যালোভেরা ব্যবহার করার কথা ভেবেছি। তবে একটা কথা আমরা জানি কোন জিনিস অত্যধিক ব্যবহার ফলে খারাপ প্রভাব লক্ষ্য করা যেতে পারে। তেমনি অ্যালোভেরার অত্যধিক ব্যবহারের ফলে কিছু খারাপ প্রভাব লক্ষ্য করা যায়। আসুন জেনে নিন কি কি সমস্যার সম্মুখীন হতে হতে পারে আপনাকে যদি অত্যধিক অ্যালোভেরা ব্যবহার করেন?

১) ক্যান্সারের ঝুঁকি বাড়িয়ে দিতে পারে :

গবেষণায় লক্ষ্য করা গিয়েছে, ডি ক্লোরাইজড অ্যালোভেরা পাতার নির্যাস গ্রহণ ক্যান্সারের ঝুঁকি বাড়িয়ে দিতে পারে। এই গবেষণাগুলো ইঁদুরের ওপর পরীক্ষা করে দেখা গিয়েছে। তবে চিকিৎসকরা দাবি করেন অ্যালোভেরা সরাসরি ব্যবহার করার আগে অবশ্যই ডাক্তারের পরামর্শ গ্রহণ করা উচিত। কেননা প্রত্যেক মানুষের শরীর এবং তার চাহিদা আলাদা হয়। সেই মত ডাক্তার তার ডোজ নির্ধারণ করে দেবেন। যেকারনে প্রত্যেকের শরীরে নির্দিষ্ট পরিমান অ্যালোভেরা প্রয়োজন আছে। সে ক্ষেত্রে অত্যধিক অ্যালোভেরা ব্যবহার আগে অবশ্যই সর্তকতা অবলম্বন করুন এবং ডাক্তারের পরামর্শ নিয়ে চলুন।(১৬)

২) গর্ভবতী ও প্রসূতি নারীদের ক্ষেত্রে ক্ষতিকর হতে পারে :

গর্ভাবস্থায় কিংবা বুকের দুধ খাওয়ানোর সময় মায়েদের মনে হতে পারে তাদের ওজন হঠাৎ বেড়ে যাচ্ছে কিংবা এমন একটি সমস্যা যেটা অ্যালোভেরা খাওয়ার ফলে কমতে পারে। তবে সে ক্ষেত্রে এর ব্যবহার করা যাবে কিনা? উত্তর না। কেননা গর্ভাবস্থায় কোনও নারী যদি অ্যালোভেরা গ্রহণ করেন সে ক্ষেত্রে এটি তার ভ্রূণের ওপর বিষাক্ত প্রভাব ফেলতে পারে। যা তার গর্ভস্থ সন্তানের জন্য ক্ষতিকর হতে পারে। এছাড়াও স্তন্যদানের সময় অ্যালোভেরার ব্যবহার থেকে বিরত থাকুন। কেননা আপনার শরীর থেকেই তার প্রয়োজনীয় পুষ্টি গ্রহণ করছে আপনার ছোট্ট প্রাণটি। তাই তার কথা ভেবে এই সময় অ্যালোভেরা ব্যবহার থেকে দূরে থাকুন এবং নিরাপদে থাকুন। পৃথিবীতে আসা প্রানটিকে নিজের সর্বস্ব দিয়ে বেড়ে তুলুন। (১৭)

৩) অ্যালার্জি হতে পারে :

আমরা অনেকেই জানি, অ্যালোভেরা আমাদের সরাসরি ত্বকে ব্যবহারের ফলে অ্যালার্জি কিংবা রাশের সমস্যা দেখা দিতে পারে। তেমনি অ্যালোভেরা খাওয়ার পরেও কিছু কিছু ব্যক্তির পেটে অস্থিরতা, বমি বমি ভাব কিংবা ফুসকুড়ির সমস্যা দেখা দিতে পারে। এই সমস্ত লক্ষণগুলোর মধ্যে কোনো লক্ষণ যদি আপনি অ্যালোভেরা খাওয়ার পর দেখেন তাহলে অবশ্যই তৎক্ষণাৎ অ্যালোভেরা খাওয়া বন্ধ করুন। প্রয়োজনে ডাক্তারের পরামর্শ নিন। ডাক্তারের পরামর্শ ছাড়া হঠাৎ করে নতুন কিছু খাবার শুরু করবেন না।

৪) হাইপোক্যালেমিয়ার কারণ হতে পারে :

দৈনিক অ্যালোভেরা খাওয়ার ফলে শরীরে হঠাৎ করে পটাশিয়ামের মাত্রা কমে যেতে পারে। যার ফলে খিঁচুনি ভাব এবং ইলেকট্রোলাইটের অস্বাভাবিকতা দেখা দিতে পারে। কেমোথেরাপির ক্ষেত্রে এই সমস্ত প্রভাব গুলো প্রকটভাবে বোঝা যেতে পারে। এর পিছনে আরো কি কি কারণ থাকতে পারে তা এখনও স্পষ্ট নয়। তবে নির্দিষ্ট মাত্রার তুলনায় অধিক অ্যালোভেরা যদি গ্রহণ করেন এই সমস্ত সমস্যার সম্মুখীন হতেই হবে। ক্যান্সার রোগীদের ক্ষেত্রে মূলত সাবধান। অ্যালোভেরা গ্রহণের আগে অবশ্যই ডাক্তারের পরামর্শ নিয়ে চলুন।

৫) লিভারের প্রদাহ হতে পারে :

অ্যালোভেরা সরাসরি গ্রহণের ফলে লিভারের প্রদাহজনিত ঘটনা ঘটতে পারে। যদি আপনার কোনও লিভারের সমস্যা থাকে সে ক্ষেত্রে অ্যালোভেরার রস খাওয়া থেকে বিরত থাকুন। প্রয়োজনে ডাক্তারের পরামর্শ গ্রহণ করুন। ডাক্তার যদি মনে করেন সে ক্ষেত্রে অ্যালোভেরার সাপ্লিমেন্ট কিংবা ওষুধ আপনার শরীরের প্রয়োজন মতো দেবেন। কিন্তু কখনোই নিজে থেকে বাড়তি কিছু গ্রহণ করতে যাবেন না।

৬) সম্ভাব্য ড্রাগ ইন্টারঅ্যাকশন :

অ্যালোভেরা গ্রহণ করার আগে অবশ্যই আপনার শরীরে কি কি ওষুধ চলছে সেগুলো সম্পর্কে বিস্তারিত জানুন। কেননা এমন কিছু ওষুধ আছে যেগুলি গ্রহণ করার সময় আপনি অ্যালোভেরা গ্রহণ করতে পারবেন না। সে ক্ষেত্রে উল্টে উপকারের বদলে শরীরে অপকার হবে। তাই আলোভেরা যদি খেতে চান সে ক্ষেত্রে ডাক্তারি পরামর্শ গ্রহণ করুন। কেননা আপনার ডাক্তার ওষুধের তালিকা দেখেই তারপর আপনাকে অ্যালোভেরা খাওয়ার পরামর্শ দেবেন।

তবে অ্যালোভেরা খাওয়ার ক্ষেত্রে এই বাধ্যবাধকতা রয়েছে কিন্তু আপনি আপনার ত্বক এবং চুলের ক্ষেত্রে অ্যালোভেরা যেমন খুশি ব্যবহার করতে পারেন। তবে লক্ষ্য করা যায় কোষ্ঠকাঠিন্যের ক্ষেত্রে অনেকে অ্যালোভেরার রস গ্রহণের পরামর্শ দেয় কিংবা যারা ডায়াবেটিসে আক্রান্ত সেই সমস্ত রোগীরা দিনে পাঁচ থেকে পনেরো এমএল ব্যবহার করতে পারেন। তবে অবশ্যই আপনার ডাক্তারের পরামর্শ অনুযায়ী। নিজে থেকে কোন কিছু না করে ডাক্তারের পরামর্শ নিয়ে চলুন। কেননা, রোগ আপনার, কষ্ট আপনি পাচ্ছেন। সে ক্ষেত্রে কোন কিছু শুনে করার থেকে হিতে বিপরীত হওয়ার থেকে সুস্থ থাকার চেষ্টা করুন এবং ডাক্তারের পরামর্শেই এগিয়ে চলুন।(২২)

অ্যালোভেরা একটি সৌন্দর্য বৃদ্ধিকারী উপাদান হিসেবে প্রাচীন যুগ থেকেই ব্যবহার হয়ে আসছে। বর্তমান সময়ে আমরা বহু ক্ষেত্রে অ্যালোভেরার ব্যবহার করে থাকি। এ ছাড়াও বেশ কয়েকটি কোম্পানির অ্যালোভেরা জেল আমাদের মধ্যে খুবই প্রচলিত। তবে আমরা অধিকাংশই ত্বক পরিচর্যার ক্ষেত্রে অ্যালোভেরা জেল ব্যবহার করে থাকি। এর পাশাপাশি চুল এবং স্বাস্থ্য রক্ষায় অ্যালোভেরা জেলের ব্যবহার কতটা কার্যকরী তা হয়তো আমাদের ধারণা ছিল না। তবে বর্তমানে অ্যালোভেরার কার্যকারিতা সম্পর্কে আমরা সবাই অবগত। তাই এবার অ্যালোভেরা সম্পর্কে সম্পূর্ণটাই ধারণা তৈরি করে নিয়েছেন। অ্যালোভেরা কম ক্যালরি যুক্ত পুষ্টিগুণ সম্পন্ন একটি উপাদান। এটির গুনাগুন সম্পর্কে আমরা আজকের নিবন্ধে জেনেছি এবং দৈনন্দিন আমাদের খাদ্য এবং স্বাস্থ্যের তালিকায় অ্যালোভেরা কিভাবে ব্যবহার করব তা জেনেছি। এর পাশাপাশি অ্যালোভেরা আমাদের সৌন্দর্য বৃদ্ধিতে কি কি সাহায্য করে তাও জেনেছি। এবার তাহলে নির্দ্বিধায় কোনও রকম চিন্তা ছাড়াই অ্যালোভেরার ব্যবহার শুরু করুন। তবে অবশ্যই অ্যালোভেরা খাওয়ার আগে ডাক্তারি পরামর্শ গ্রহণ করে নেবেন। সুস্থ থাকুন, ভালো থাকুন সকলকে ভাল রাখুন পরবর্তী আপডেটের জন্য আমাদের পেজ এ চোখ রাখুন।

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মসুর ডালের উপকারিতা, ব্যবহার এবং ক্ষতিকর দিক – Lentils Benefits and Side Effects in Bengali

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বাঙালির রান্নাঘরের অন্যতম সুপরিচিত একটি খাদ্য উপাদান হলো মসুর ডাল। চাল-ডাল মিলিত খিচুড়ি সকলেরই প্রিয়। এছাড়াও মসুর ডাল দিয়ে তৈরি বড়া, মসুর ডাল দিয়ে ভাত, ডাল পুরি, আম দিয়ে মসুর ডাল, পেঁয়াজ ভাজা দিয়ে মসুর ডাল সকলেরই খুব প্রিয় খাদ্য। বলা যায় খাদ্য রসিক বাঙালির আহারের শুরু হয় মসুর ডালের সংস্পর্শে। তবে মসুর ডাল আমাদের খাদ্য তালিকায় একটি প্রয়োজনীয় উপাদান হলেও এর গুনাগুন সম্পর্কে আমরা অনেকেই হয়তো অবগত নই। আসুন আজ জেনে নিই মসুর ডালের বিষয়ে কিছু জিনিস। ()

মসুর ডাল মূলত কলাই জাতীয় শস্য মসুরের অন্তর্গত একটি শুকনো ফল। এটি প্রোটিন এর অন্যতম উৎস হিসেবে সুপরিচিত। যে কারণে যারা নিরামিষাশী তাদের শরীরে প্রোটিনের চাহিদা মেটাতে মাছ-মাংসের জায়গা করে নেয় মসুর ডাল। বাঙ্গালীদের পাশাপাশি পৃথিবী জুড়ে নানা জাতির মানুষদের খাদ্যতালিকায় মসুর ডাল অত্যন্ত জনপ্রিয় একটি খাবার। এটি রবিশস্যের অন্তর্গত হওয়ায় সারা বছরই এর যোগান থাকে। তবে আমাদের দেশে বহু ধরনের ডাল উৎপাদন হলেও মসুর ডালের চাহিদা সর্বোচ্চ। কারণ ডালের চচ্চড়ি, ডালের স্যুপ কিংবা পুঁই ডাল এর স্বাদ মসুর ডাল ছাড়া অন্য কিছুর মধ্যে পাওয়া যায় না। মসুর ডাল হলো প্রোটিনের আধার। এটির মধ্যে রয়েছে প্রচুর পরিমাণ প্রোটিন, খনিজ পদার্থ, খাদ্যশক্তি, ক্যালসিয়াম, লৌহ, ক্যারোটিন, ভিটামিন বি ও শর্করা জাতীয় উপাদান রয়েছে। এছাড়া এই ডাল সহজপাচ্য হওয়ায় এটি সকলেই গ্রহণ করতে পারে। মসুর ডাল গ্রহণের ফলে আমাদের শরীর থেকে বহু রোগ কমতে সহায়তা করে। আয়ুর্বেদ শাস্ত্রমতে, কাঁচা মসুর ডাল পুষ্টিকর। মলরোধক অন্ত্রের সমস্যা কিংবা পেটের বিভিন্ন সমস্যার সমাধানে সহায়তা করে। এছাড়াও যাদের সর্দি কাশি কিংবা ম্যালেরিয়া জাতীয় রোগ দেখা যায় তাদের মসুর ডালের জল খেলে শরীরে শক্তি সঞ্চয় হয়। মসুর ডাল পুষ্টিকর এবং বলকারক। মসুর ডাল সিদ্ধ করে খেলে কিংবা কাঁচা অবস্থায় খেলে দুটিতেই এর প্রচুর ওষুধি গুনাগুন রয়েছে। আমাদের শরীরে প্রতিদিনের প্রোটিন চাহিদার অনেকটাই মসুরডাল পূরণ করতে পারে। সস্তা হওয়ায় এটি সব শ্রেণীর মানুষেরা কিনতে পারে। তবে আমাদের দেশে মসুর ডালের চাহিদা প্রচুর হওয়ায় কখনো কখনো এটি বাইরের দেশগুলো থেকেও আমদানি করতে হয়।

মসুর ডালের উপকারিতা – Benefits of Lentils in Bengali

নিরামিষ খাবার গুলির মধ্যে প্রোটিন এর অন্যতম উৎস হল মসুর ডাল। এটি উদ্ভিজ্জ প্রোটিন। মসুর ডাল প্রোটিনের উৎস হওয়ার পাশাপাশি এর মধ্যে বিভিন্ন পুষ্টি উপাদান যেমন প্রোটিন, ফাইবার, আয়রন, থায়ামিন, ফসফরাস, ম্যাঙ্গানিজ, স্যাচুরেটেড ফ্যাট, সোডিয়াম এবং কোলেস্টেরল এর মতন উপাদানগুলি বর্তমান। এটি আমাদের শরীরে বহু রোগ কমাতে সহায়তা করে। দৈনন্দিন খাদ্য তালিকায় মসুর ডাল রাখলে এটি নানা উপায়ে আপনাকে শরীরকে স্বাস্থ্যবান রাখতে সহায়তা করবে। বিভিন্ন সমীক্ষায় দেখা গিয়েছে মসুর ডাল একটি উচ্চ ফাইবার সমৃদ্ধ খাবার হবায় এটি হৃদরোগের সমস্যা অনেকটাই কমাতে সহায়তা করে। এছাড়াও এটি হৃদযন্ত্রকে সচল করে শরীরের সর্বত্র রক্ত এবং অক্সিজেন সরবরাহ করতে সাহায্য করে। মসুর ডালের মধ্যে থাকা উচ্চমাত্রায় ফাইবার রক্তের কোলেস্টেরল নিয়ন্ত্রণে রাখে। এর পাশাপাশি শরীরকে আরো রোগ মুক্ত করে তোলে। আসুন জেনে নিন মসুর ডাল আমাদের স্বাস্থ্য রক্ষায় কি কি উপকার করে?? ()

১) ওজন নিয়ন্ত্রণে মসুর ডালের ভূমিকা : Weight loss

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মসুর ডালের উপকারিতা গুলি সম্পর্কে বলতে গেলে প্রথমেই বলা যায় এটি ওজন নিয়ন্ত্রণে সহায়তা করে। শরীর থেকে বাড়তি ওজন কমাতে চাইলে দৈনন্দিন খাদ্য তালিকায় ভাতের পরিমাণ তুলনামূলক কমিয়ে সেই জায়গায় মসুর ডাল কিংবা মসুর ডালের স্যুপ খেতে পারেন। এটি খিদে কমানোর পাশাপাশি দীর্ঘক্ষন পেটকে ভর্তি রাখে। এছাড়াও এটি শরীর থেকে খারাপ কোলেস্টেরল কমিয়ে ভালো কোলেস্টেরল এর জোগান দেয়। মসুর ডালের মধ্যে উচ্চমাত্রায় ফাইবার থাকায় এটি ওজন কমানোর পাশাপাশি পেশীকে শক্তিশালী করে তোলে এবং শরীরের থেকে কার্বোহাইড্রেটের পরিমাণ কমাতে সহায়তা করে। কেননা মসুর ডাল শরীরের বিপাক ক্রিয়াকে উন্নত করে। এছাড়াও মসুর ডাল আয়রনের অন্যতম একটি উৎস হওয়ায় এটি শরীরের বিপাক ক্রিয়াকে সক্রিয় করে খাবারকে হজমে সহায়তা করে, যার ফলে ওজন হ্রাস পায়। ()

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

দৈনন্দিন খাদ্য তালিকায় নির্দিষ্ট পরিমাণ মসুর ডাল গ্রহণ করুন। মসুর ডালের তৈরি কোন তরকারি বা ভাত দিয়ে মসুর ডাল সরাসরি খেতে পারেন। এটি শরীরের বিপাক ক্রিয়াকে উন্নত করে ওজন কমাতে সহায়তা করবে। তাছাড়া দৈনিক সকালবেলা খাবারের সাথে একবাটি করে যদি মসুর ডাল সিদ্ধ খাওয়া যায় এটি দীর্ঘক্ষন খিদে কম রাখতে সাহায্য করবে।

২) হৃদযন্ত্র সচল রাখতে এবং কোলেস্টেরল কমাতে মসুর ডালের ভূমিকা : Heart and Cholesterol

মসুর ডালের গুনাগুন গুলির মধ্যে অন্যতম হলো এটি হৃদযন্ত্র সচল রাখে এবং শরীর থেকে খারাপ কোলেস্টেরল কমাতে সহায়তা করে। মসুর ডালের মধ্যে থাকা প্রোটিন এবং ফাইবার জাতীয় উপাদান গুলি যথাযথ অক্সিজেন প্রেরণ করে শরীরকে সুস্থ এবং সবল রাখতে সহায়তা করে। গবেষণায় দেখা গিয়েছে মসুর ডালের মধ্যে থাকা ফাইবার জাতীয় উপাদান শরীরের খারাপ কোলেস্টেরল কমায় এবং ভালো কোলেস্টেরলের মাত্রাকে বাড়াতে সহায়তা করে। এই ফাইবার কেবলমাত্র হৃদরোগের ঝুঁকি কমাতে সাহায্য করে না, বরং যাদের মধ্যে হৃদরোগের সম্ভাবনা দেখা যায় তাদের ক্ষেত্রেও এটি কমাতে সহায়তা করে। এছাড়াও হার্ট অ্যাটাক কে প্রতিরোধ করতে মসুর ডালের ভূমিকা অপরিহার্য। এটি শরীরের রক্ত চাপকে নিয়ন্ত্রণ করে শরীরের রক্ত চলাচলকে ত্বরান্বিত করে। ()

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

হৃদরোগের সমস্যায় কিংবা খারাপ কোলেস্টেরলের সমস্যায় যারা ভুগছেন তারা প্রতিদিন কিছু পরিমাণ মসুর ডাল খাদ্যতালিকায় রাখুন। যদি সিদ্ধ খাওয়া সম্ভব না হয় সে ক্ষেত্রে তেল দিয়ে ডালটাকে ভেজে নিয়েও খেতে পারেন। সে ক্ষেত্রে যথাযথ পুষ্টি পাবেন। তবে যেহেতু কোলেস্টেরল এবং হৃদযন্ত্রের সমস্যা সে ক্ষেত্রে ডালের জল কিংবা ডাল সিদ্ধ করে খাওয়া বাঞ্ছনীয়।

৩) ডায়াবেটিস নিয়ন্ত্রণে মসুর ডালের উপকারিতা : Blood Sugar

ডায়াবেটিস নিয়ন্ত্রণে মসুর ডালের স্বাস্থ্য উপকারিতা অনস্বীকার্য। রক্তে শর্করার মাত্রা নিয়ন্ত্রণ করতে মসুর ডাল গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা গ্রহণ করে। যে কারনে ডায়াবেটিস রোগীদের ক্ষেত্রে মসুর ডাল অত্যন্ত একটি গুরুত্বপূর্ণ খাদ্য উপাদান। এটি হজমে সহায়তা করার পাশাপাশি রক্তপ্রবাহে শর্করার পরিমাণ কমিয়ে রাখতে এবং বাড়তি শর্করার উৎপাদনকে প্রতিরোধ করে। ডায়াবেটিস রোগীদের ক্ষেত্রে খাদ্যতালিকায় আলু এবং ভাতের পরিমাণ কমিয়ে সেখানে মসুর ডাল গ্রহণের পরিমাণ বৃদ্ধি করতে হবে। এ ছাড়া মসুর ডাল আরও সহায়তা করে ডায়াবেটিক রোগীদের ক্ষেত্রে। গবেষণায় দেখা গিয়েছে যে, মসুর ডালের মধ্যে থাকা ফাইবার রক্তে শর্করার মাত্রা কমিয়ে রক্তকে পরিশ্রুত করে। এছাড়া এটি শরীরকে তার প্রয়োজনীয় শক্তি প্রদান করে থাকে। ()

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

প্রতিদিন খাদ্য তালিকায় নির্দিষ্ট পরিমাণ মসুর ডাল রাখুন। মসুর ডালের স্যুপ কিংবা মসুর ডাল রুটি দিয়ে খাওয়া ডায়াবেটিস আক্রান্ত রোগীদের ক্ষেত্রে একটি গুরুত্বপূর্ণ আহার। ()

৪) হজমে সহায়তা করে মসুর ডাল : Digestion

মসুর ডাল উচ্চ ফাইবার সমৃদ্ধ উপাদান হওয়ায় এটি শরীরে খাদ্যকে সহজে হজম করতে পারে। এছাড়াও কোষ্ঠকাঠিন্য দূর করে অন্ত্রের যে কোনো রকমের সমস্যার সমাধান করতে পারে। মসুর ডাল পাচনতন্ত্র কে পরিষ্কার করে পেট পরিষ্কার রাখতে সহায়তা করে। দৈনিক মসুর ডাল গ্রহণের ফলে পেটের রোগের সমস্যার সমাধান হয় কিংবা যাদের চোরা অম্বল, পেট ফাঁপার সমস্যা থাকে তাদের এই সমস্ত সমস্যাগুলো দূর হয়। কারো কারো ক্ষেত্রে দেখা যায় অতিরিক্ত শক্ত মলের সম্ভাবনা কিংবা তরল মল এর সম্ভাবনা। তাদের ক্ষেত্রে এটি অন্যতম ঔষধ। কেননা এটি হজম কে যথাযথ করতে সহায়তা করে। মসুর ডালের মধ্যে লৌহ থাকায় যারা আমাশয়ে ভোগেন তাদের ক্ষেত্রে মসুর ডালের জল অত্যন্ত কার্যকরী। এছাড়া এটি প্রোটিনের উৎস হওয়ায় পেটের সমস্যার সমাধানে এটি সহায়তা করে। পেটের ভেতর হজমজনিত যে সমস্ত সমস্যা রয়েছে সেগুলি নিরাময়ে মসুর ডালের ভূমিকা অপরিহার্য। বলা যায়, কোষ্ঠকাঠিন্য প্রতিরোধের জন্য মসুর ডাল একটি আদর্শ খাবার। ()

কিভাবে গ্রহণ করবেন?

দৈনিক খাদ্যতালিকায় মসুর ডাল সিদ্ধ রাখলে সেটি শরীরে হজমের মানকে উন্নত করে কোষ্ঠকাঠিন্যের সমস্যা থেকে দূরে রাখবে।

৫) শরীরের অনাক্রম্যতা বৃদ্ধিতে মসুর ডালের ভূমিকা : Boost Immunity

Boost Immunity

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শরীরের রোগ প্রতিরোধ ক্ষমতাকে উন্নত করে অনাক্রম্যতা বৃদ্ধিতে মসুরডালের ভূমিকা অনস্বীকার্য। এর মধ্যে থাকা প্রোটিন এবং অন্যান্য পুষ্টি উপাদান গুলি শরীরের সর্বত্র তার পুষ্টিগুণ ছড়িয়ে শরীরকে স্বাস্থ্যকর ও ভেতর থেকে শক্তিশালী করে তোলে। মসুর ডাল সেলেনিয়ামের একটি উৎকৃষ্ট উৎস। এটি রোগ প্রতিরোধ ক্ষমতা বাড়ানোর অন্যতম উপাদান হিসেবে পরিচিত। এই উপাদানটি শরীরের বিভিন্ন কোষকে পুষ্টি জুগিয়ে শক্তিশালী করে তোলে। যা রোগ প্রতিরোধক ক্ষমতা লাভ করে। মসুরের মধ্যে থাকা ডায়েটারি ফাইবার রোগ প্রতিরোধ ক্ষমতা কমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে। এর মধ্যে থাকা আয়রন, দস্তা, ম্যাঙ্গানিজ এবং ফোলেট জাতীয় পুষ্টি উপাদান গুলি শরীরের রোগ প্রতিরোধ ক্ষমতা গড়ে তুলতে সহায়তা করে।

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

প্রতিদিন খাদ্যতালিকায় মসুর ডাল সমৃদ্ধ খাবার রাখুন। যেগুলি শরীরকে ভিতর থেকে পুষ্টি প্রদান করবে। খুব বেশী ভাজা অবস্থায় মসুর ডাল গ্রহণ করবেন না, এতে তার পুষ্টিগুণ কম হয়ে যেতে পারে। সরাসরি সিদ্ধ বানিয়ে এটি গ্রহণ করতে পারেন।

৬) ক্যান্সার প্রতিরোধে মসুর ডালের ভূমিকা : Cancer

ক্যান্সারের মতো জটিল দুরারোগ্য রোগ প্রতিরোধে মসুর ডালের ভূমিকা অনস্বীকার্য। মসুর ডালের পলিফেনোল গুলি ক্যান্সারের সুরক্ষা এবং ক্যান্সারের চিকিৎসায় সহায়তা করে। এটি ক্যান্সারের সম্ভাব্য উৎসগুলিতে আঘাত করে স্তন, কোলন প্রভৃতি জায়গায় শক্তি প্রেরণ করে। যাতে ক্যান্সারের বীজ বপন হতে না পারে। এছাড়াও বিভিন্ন ধরনের ক্যান্সার প্রতিরোধ করতে উৎকৃষ্ট ভূমিকা পালন করে। প্রোটিনের সর্বোচ্চ উৎস হওয়ায় এটি রোগীকে ভেতর থেকে শক্তি প্রদান করে। ()

কিভাবে গ্রহণ করবেন?

পুষ্টি বিশেষজ্ঞের পরামর্শ অনুযায়ী ক্যান্সার আক্রান্ত রোগীদের দৈনিক নির্দিষ্ট পরিমাণ মসুর ডাল গ্রহণ করা উচিত। রোগের মান অনুযায়ী এক্ষেত্রে মসুর ডালের পরিমাণ স্থির করা হবে।

৭) দাঁত এবং হাড়ের সুরক্ষায় মসুর ডালের ভূমিকা : Teeth and Bones

প্রোটিন এবং অন্যান্য পুষ্টি উপাদানের সর্বোচ্চ উৎস হওয়ায় মসুর ডাল শরীরকে ভেতর থেকে শক্তিশালী করতে সহায়তা করে। মসুর ডালের মধ্যে থাকা ক্যালসিয়াম জাতীয় উপাদানগুলি শরীরের হাড় এবং দাঁতকে শক্তি প্রদান করে। যাতে হাড়ের ক্ষয় রোধ হয় এবং দাঁত যথাযথ শক্তি সঞ্চয় করে থাকে। মসুর ডালের মধ্যে থাকা বিভিন্ন পুষ্টি উপাদান গুলো এক্ষেত্রে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে। এর মধ্যে থাকা খনিজ পদার্থগুলো শরীরের হাড়ের অংশকে শক্তিশালী করে তোলে।

কিভাবে গ্রহণ করবেন?

শিশুদের ক্ষেত্রে যাদের শরীর গঠন প্রক্রিয়া শুরু হয়েছে তাদের মসুর ডালের জল খাওয়ালে শরীরের হাড় শক্তিশালী হওয়ার পাশাপাশি দাঁতেও যথাযথ পুষ্টি গ্রহণ করে শক্তিশালী হয়। তাই শৈশবকাল থেকেই শিশুদের মসুর ডাল এর স্যুপ বা মসুর ডালের জল খাওয়ানোর অভ্যাস করানো উচিত।

৮) মানসিক বিকাশে মসুর ডালের গুরুত্ব : Brain health

মসুর ডালের মধ্যে উপস্থিত বিভিন্ন পুষ্টি উপাদান গুলি মস্তিষ্কের স্বাস্থ্যকে ত্বরান্বিত করতে সহায়তা করে। মসুর ডাল বিভিন্ন উৎকৃষ্ট পুষ্টি উপাদানের একটি অংশ। মসুর ডাল ফোলেটে পূর্ণ হওয়ায় এটি মস্তিষ্কের স্বাস্থ্যকে সুস্থ রাখতে সহায়তা করে। কেননা ফোলেট অন্যান্য কয়েকটি পুষ্টিকর উপাদান যেমন আয়রন এবং ওমেগা থ্রি এস এর মত উপাদানগুলি সমৃদ্ধ হওয়ায় এটি মস্তিষ্কের শক্তিকে বাড়ায়। তবে বয়সভেদে এটি নির্দিষ্ট পরিমাণে গ্রহণ করতে হবে। কেননা সবার জন্য সমান পরিমাণ কার্যকর নয়, কেননা ফোলেট নির্দিষ্ট পরিমান গ্রহনের ফলে অ্যামিনো অ্যাসিডের মাত্রাও হ্রাস করে। যার ফলে মস্তিষ্কের কার্যক্ষমতা বৃদ্ধি পায়। সে ক্ষেত্রে বয়সভেদে নির্দিষ্ট পরিমাণ মসুর ডাল গ্রহণ করা উচিত। যা মস্তিষ্কের স্বাস্থ্য কে সুস্থ রাখতে সহায়তা করবে। ()

কিভাবে গ্রহণ করবেন?

দৈনিক ভাতের সাথে এক কাপ ডাল গ্রহণ করুন। এটি শরীরের সব রকম প্রোটিনের চাহিদা মেটাতে সহায়তা করবে।

৯) পেশী গঠনে মসুর ডালের ভূমিকা : Building muscles

মসুর ডাল প্রোটিনের একটি গুরুত্বপূর্ণ উৎস হওয়ায় এটি শরীরের পেশী গঠনে সহায়তা করে। এতে প্রচুর পরিমাণে ফাইবার থাকায় এটি শরীরে কার্বোহাইড্রেটকে ধীরে ধীরে হজম করে এবং শরীরকে হালকা করতে সহায়তা করে। যদি আপনি পেশি তৈরি করতে চান সেক্ষেত্রে প্রতিদিন খাদ্যতালিকায় মসুর ডাল অবশ্যই রাখা উচিৎ। কেননা এটি শরীর গঠনে মুখ্য ভূমিকা গ্রহণ করে।যারা ব্যায়াম করে পেশি গঠন করতে চান তাদের খাদ্যতালিকায় এটি অত্যন্ত গুরুত্বপূর্ণ, কেননা শরীরে অধিক পরিমাণে প্রোটিন গ্রহণ করলে সেটি শরীরকে ভেতর থেকে সমৃদ্ধ রাখে। যার ফলে সহজে খিদে পায় না এবং ভেতর থেকে মেদ কমাতে সহায়তা করে। শরীরকে ভেতর থেকে শক্তিশালী করে তুলতে সহায়তা করে।

কিভাবে গ্রহণ করবেন?

যারা ব্যায়াম করেন কিংবা শরীর গঠনের জন্য আলাদা রকম ভাবে প্রস্তুতি নিচ্ছেন তাদের খাদ্যতালিকায় মসুর ডালের স্যুপ রাখা অত্যন্ত গুরুত্বপূর্ণ। কেননা প্রোটিন জাতীয় খাদ্য শরীরের ওজন কমাতে সহায়তা করে এবং পেশীগুলিকে মজবুত করতে সহায়তা করে।

১০) গর্ভাবস্থায় মসুর ডালের উপকারিতা : Good for Pregnancy

Good for Pregnancy

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অন্যান্য সাধারন মানুষদের তুলনায় গর্ভবতী মায়েদের শরীরে প্রোটিনের প্রয়োজনীয়তা খানিকটা বেশি হয়। তবে সেই প্রয়োজনীয়তা সহজেই মুসুর ডাল এর সাহায্যে পূরন করা যায়। দৈনিক খাদ্যতালিকায় নির্দিষ্ট পরিমাণ মসুর ডাল গর্ভবতী মায়েদের সুস্থ রাখতে সহায়তা করে। এছাড়াও গর্ভাবস্থার অন্যতম একটি প্রধান সমস্যা কোষ্ঠকাঠিন্যের বিরুদ্ধে লড়াই করে মসুর ডাল পরিপাকতন্ত্রকে সচল রাখে। গর্ভবতী মহিলাদের ক্ষেত্রে মসুর ডালের পাশাপাশি অন্যান্য পুষ্টি উপাদান গুলি নবজাতকের বৃদ্ধিকে এবং তার শরীর গঠনে সহায়তা করে। এছাড়াও পরবর্তীসময় শিশুকে বিভিন্ন রোগ থেকে দূরে রাখতে সহায়তা করে। মসুর ডালের মধ্যে থাকা ফোলেট গর্ভস্থ সন্তানের যথাযথ পুষ্টিচাহিদা পূরণ করে। এই পুষ্টির ঘাটতি হলে গর্ভস্থ শিশুর শরীরে বিভিন্ন রকম সমস্যা দেখা দিতে পারে। এছাড়াও প্রসূতি মায়েদের ক্ষেত্রে মসুর ডাল সমানভাবে গুরুত্বপূর্ণ। এরমধ্যে প্রোটিন এবং ফোলেট ছাড়াও রয়েছে প্রচুর পরিমাণে পুষ্টি উপাদান যেগুলি মা ও শিশুর শরীরকে সুস্থ এবং স্বাস্থ্যসম্মত রাখতে সহায়তা করে। (১০)

কিভাবে গ্রহণ করবেন?

গর্ভবতী ও প্রসূতি মায়েদের ক্ষেত্রে পুষ্টি বিশেষজ্ঞের পরামর্শ অনুযায়ী নির্দিষ্ট পরিমাণ মসুর ডাল দৈনিক খাদ্যতালিকায় রাখা উচিত। এতে মা এবং শিশু দুজনেই সুস্থ এবং সবল থাকবে।

১১) মসুর ডালের সহায়তায় শরীরের পিএইচ স্তরের ভারসাম্য বজায় রাখুন : Balance Body’s pH level

মসুর ডাল প্রোটিনের অন্যতম ক্ষারীয় উৎস। এটি আপনার শরীরের ভারসাম্য বজায় রাখতে সহায়তা করে এবং স্বাস্থ্যের গঠনে বিশেষ ভূমিকা পালন করে। মসুর ডাল উচ্চ ফাইবার যুক্ত হওয়ায় এটি গ্যাস অম্বল অ্যাসিডিটির সমস্যা কমায়। যার ফলে আপনি যদি অতিরিক্ত পরিমাণে প্রক্রিয়াজাত খাবার কিংবা শর্করা জাতীয় খাবার গ্রহণ করেন সেক্ষেত্রে দৈনিক নির্দিষ্ট পরিমাণ মসুর ডাল গ্রহণ করলে সেটি সহজেই হজম হয়ে যাবে। মসুর ডাল অম্লত্বের বিরুদ্ধে লড়াই করে তা প্রতিরোধ করে এবং অন্ত্রে স্বাস্থ্যকর ব্যাকটেরিয়ার প্রভাব বিস্তার করে। যে কারণে পেট পরিষ্কার রাখতে গেলে কিংবা অন্ত্রের সমস্যা থেকে দূরে থাকতে গেলে দৈনিক নির্দিষ্ট পরিমাণ মসুর ডাল খাদ্য তালিকায় রাখতে হবে।

কিভাবে গ্রহণ করবেন?

শরীরকে সুস্থ রাখতে শরীরের পিএইচ ব্যালেন্স সঠিক রাখতে দৈনিক খাদ্যতালিকায় ডাল সিদ্ধ রাখুন। ডাল সিদ্ধ করে অল্প তেল দিয়ে সেটা ভাত দিয়ে খেতে পারেন। এটি শরীরকে অনেক রোগের হাত থেকে মুক্তি দেবে।

১২) ত্বকের যত্নে মসুর ডালের ভূমিকা : Skin health

আমরা জানি ত্বক সুস্থ এবং উজ্জ্বল রাখতে গেলে প্রোটিন সমৃদ্ধ খাদ্য আমাদের খাদ্য তালিকায় রাখতে হবে। সে ক্ষেত্রে মসুর ডাল হলো প্রোটিন সমৃদ্ধ একটি খাদ্য উপাদান। এর মধ্যে প্রোটিন, অ্যামিনো অ্যাসিড এবং বিভিন্ন গুরুত্বপূর্ণ খনিজ পদার্থ রয়েছে, যেগুলি শরীরের ত্বক এবং চুলের নতুন কোষ তৈরীর জন্য গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে। অ্যামিনো অ্যাসিড এতে ভূমিকা নেয় এবং স্বাস্থ্যকর ও উজ্জ্বল ত্বক প্রদান করে থাকে। তাই একটি উজ্জ্বল ত্বক পেতে গেলে কেবল ওপর থেকে পরিচর্যায় যথেষ্ট নয়, সে ক্ষেত্রে আমাদের অভ্যন্তরীণ খাদ্য তালিকাকেও যথাযথ পুষ্টি উপাদানসমৃদ্ধ হতে হবে। তাই খাদ্যতালিকায় অবশ্যই প্রোটিন জাতীয় খাদ্যের উৎস হিসেবে মসুর ডাল রাখুন। এছাড়াও অন্যান্য প্রোটিন জাতীয় খাদ্য গ্রহণ করার চেষ্টা করুন। এটি শরীরকে সুস্থ সবল রাখার পাশাপাশি আপনার ত্বক উজ্জ্বল করতে সহায়তা করবে।

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

খাদ্যতালিকায় মসুর ডাল রাখার পাশাপাশি মসুর ডাল ভিজিয়ে নিয়ে প্যাক বানিয়ে আপনি সরাসরি ত্বকে লাগাতে পারেন। এ ক্ষেত্রে ত্বক উজ্জ্বল এবং স্বাস্থ্যকর হয়ে উঠবে।

১৩) চুলের যত্নে মসুর ডালের ভূমিকা : Hair health

Hair health

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মসুর ডালের উপকারিতা সম্পর্কে ইতিমধ্যেই আমরা অনেকগুলো বিষয় জেনে নিয়েছি। তবে মসুর ডালের গুনাগুন আমাদের শরীর থেকে বেরিয়ে বাহ্যিক অংশেও যে বহাল তা হয়তো আমাদের জানা ছিলো না। ইতিমধ্যেই আমরা জেনেছি ত্বকের যত্নে কিভাবে মসুর ডালের ব্যবহার করা যেতে পারে। এবার জানবো চুলের যত্নেও সমান ভাবে মসুর ডালের ব্যবহার করা হয়ে থাকে। মসুর ডাল প্রচুর পরিমাণে প্রোটিন এবং আয়রন সমৃদ্ধ হওয়ায় এটি চুলের জন্য অত্যন্ত গুরুত্বপূর্ণ একটি উপাদান। এছাড়াও এর মধ্যে থাকা ফোলেট লোহিত রক্ত কণিকার বৃদ্ধি করে মাথার ত্বক বা শরীরের ত্বকে অক্সিজেন পরিবহন করে। যার ফলে চুলের গোড়া মজবুত হয় এবং চুল শক্তিশালী হয়ে ওঠে। কেননা আমাদের চুল মজবুত করার জন্য কিংবা লম্বা করতে চাইলে অবশ্যই প্রোটিন জাতীয় খাদ্য উপাদান যেমন গ্রহণ করতে হবে, তেমনি প্রোটিন জাতীয় উপাদান চুলে ব্যবহার করতে হবে। সেক্ষেত্রে মসুর ডালের ব্যবহার অন্যতম।

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

মসুর ডালের জল দিয়ে মাথায় মাসাজ করতে পারেন কিংবা মসুর ডাল কে সরাসরি খাদ্যতালিকায় রেখে শরীরকে ভেতর থেকে পরিপুষ্ট করে তুলতে পারেন। যা আপনাকে আভ্যন্তরীণ দিক থেকে সুন্দর করে তুলবে।

মসুর ডালের পুষ্টিগত মান : Lentils Nutritional Value in Bengali

ইতিমধ্যেই আমরা মসুর ডালের গুনাগুন সম্পর্কে অবগত হয়েছি। এবার জেনে নিন এই মসুর ডাল আপনার শরীরে কি কি পুষ্টি উপাদান সম্পাদন করছে। এক কাপ রান্না করা মসুর ডালের (১৯৮ গ্রাম) পুষ্টি মূল্য নিম্নোক্ত তালিকায় দেওয়া হল।

ক্যালোরি তথ্য
এক বাটি পরিমান %
ক্যালোরি ২৩০ (৯৬৩ কেযে) ১১%
কার্বোহাইড্রেট ১৬১(৬৭৪  কেযে)
ফ্যাট ৬.৩(২৬.৪)
প্রোটিন ৬২.০ (২৬০  কেযে)
এলকোহল ০.০  কে যে
ফ্যাট এবং ফ্যাটি এসিড
এক বাটি %
সম্পূর্ণ ফ্যাট ১%
স্যাচুরেটেড ফ্যাট ০.১ গ্রাম ১%
মনো স্যাচুরেটেড ফ্যাট ০.১ গ্রাম
পলি স্যাচুরেটেড ফ্যাট ০.৩ গ্রাম
ট্রান্স ফ্যাটি এসিড ~
ট্রান্স মোনো এনলিক ফ্যাটি এসিড ~
ট্রান্স পলিনোলিক ফ্যাটি এসিড ~
ওমেগা ৩ ফ্যাটি এসিড ৭৩.৩ মিলিগ্রাম
সম্পূর্ণ ওমেগা ৩ ফ্যাটি এসিড ২৭ মিলিগ্রাম
প্রোটিন ও এমিনো এসিড
এক বাটি %
প্রোটিন ১৭.৯ গ্রাম ৩৬%
ভিটামিন
এক বাটি %
ভিটামিন এ ১৫.৮ IU ০%
ভিটামিন সি ৩.০ মিলিগ্রাম ৫%
ভিটামিন ডি ~ ~
ভিটামিন ই ০.২ মিলিগ্রাম ১%
ভিটামিন কে ৩.৪ এমসিজি ৪%
থায়ামিন ০.৩ মিলিগ্রাম ২২%
রিবোফ্ল্যাবিন ০.১ মিলিগ্রাম ৯%
নিয়াসিন ২.১ মিলিগ্রাম ১০%
ভিটামিন সি ০.৪ মিলিগ্রাম ১৮%
ফোলেট ৩৫৮ এমসিজি ৯০%
ভিটামিন বি ১২ ০.০ এমসিজি ০%
প্যান্টোথেনিক এসিড ১.৩ মিলিগ্রাম ১৩%
কলিন ৬৪.৭ গ্রাম
বেটালাইন ~
মিনারেল
এক বাটি %
ক্যালসিয়াম ৩৭.৬ মিলিগ্রাম ৪%
আয়রন ৫.৬ মিলিগ্রাম ৩৭%
ম্যাজেশিয়াম ৭১.৩ ১৮%
ফসফরাস ৩৫৬ মিলিগ্রাম ৩৬%
পটাসিয়াম ৭৩১ মিলিগ্রাম ৩১%
সোডিয়াম ৪.০ মিলিগ্রাম ০%
জিঙ্ক ২.৫ মিলিগ্রাম ১৭%
কোপার ০.৫ গ্রাম ২৫%
ম্যাঙ্গানিজ ১.০ মিলিগ্রাম ৪৯%
সেলেনিয়াম ৫.৫ এমসিজি ৮%
ফ্লুরাইড ~

মসুর ডাল রান্নার উপায় : How To Cook Lentils in Bengali

How To Cook Lentils in Bengali

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মসুর ডাল আমাদের স্বাস্থ্যের ওপর কিরূপ প্রভাব ফেলতে পারে ইতিমধ্যেই আমরা তা জেনে নিয়েছি। এবার জেনে নিন কিভাবে মসুর ডাল রান্না করলে তা সঠিকভাবে আপনার শরীরের প্রয়োজনে লাগবে। মসুর ডাল বিভিন্ন রকমের হয় লাল, কমলা, হলুদ বিভিন্ন বর্ণের। তবে কমলা এবং হলুদ রঙের ডাল গুলি রান্না করতে কুড়ি থেকে ত্রিশ মিনিট সময় নেয় এবং লাল মসুর ডাল রান্না করতে ১৫ মিনিটেরও কম সময় লাগে। আবার বাদামী রঙের মসুর ডাল রান্না করতে কুড়ি থেকে ত্রিশ মিনিট সময় লাগে। এবং সবুজ মসুর ডাল রান্নার জন্য ৪৫ মিনিট পর্যন্ত সময় লাগতে পারে।

জেনে নিন কিভাবে রান্না করবেন?

একটি বড় পাত্রে মসুর ডালের দ্বিগুণ পরিমাণে জল নিয়ে গ্যাসের ওপর বসিয়ে দিন। জল একটু গরম হয়ে এলে তাতে এক কাপ মসুর ডাল দিয়ে দিন। এরপর আঁচ কমিয়ে রাখুন। দেখবেন বুদবুদ দেখতে পারবেন। এরপর আঁচ একটু বাড়িয়ে দিয়ে মসুর ডাল সিদ্ধ হওয়া পর্যন্ত অপেক্ষা করুন। এক্ষেত্রে ডালের ওপর নির্ভর করে কুড়ি থেকে পয়তাল্লিশ মিনিট সময় লাগতে পারে। এরপর যদি ডাল সেদ্ধ খেতে চান তাহলে তার মধ্যে লবণ দিয়ে দু মিনিট রেখে নামিয়ে নিন আর যদি তেল দিতে চান সে ক্ষেত্রে কড়াইতে সরষের তেল এবং শুকনো লঙ্কা ফোঁড়ন দিয়ে সিদ্ধ ডাল দিয়ে দিন এবং তারপর দু মিনিট অল্প আঁচে ফুটিয়ে নামিয়ে ফেলুন।

কিভাবে খাবেন?

মসুর ডাল ভাত দিয়ে খেতে পারেন কিংবা চাল ডাল মিলিয়ে খিচুড়ি বানিয়ে খেতে পারেন। এছাড়াও মসুর ডাল দিয়ে তৈরি ডাল পুরি, ডালের বড়া, ডালের স্যুপ তৈরি করে খেতে পারেন।

কখন এবং কত পরিমাণে খাবেন :

দৈনিক খাদ্যতালিকায় নির্দিষ্ট পরিমাণ মসুর ডাল রাখা উচিত এবং লিঙ্গ ভেদে এই পরিমাণ ভিন্ন রকমের হতে পারে। প্রতিদিন সকালে মসুর ডালের জল কিংবা ডাল সিদ্ধ রুটি দিয়েও খেতে পারেন। এটি শরীর স্বাস্থ্যকে ভেতর থেকে সুরক্ষিত রাখে এবং শরীরের রোগ প্রতিরোধ ক্ষমতা বৃদ্ধি করে।

মসুর ডালের অপকারিতা : Side Effects of Lentils in Bengali

মসুর ডাল আমাদের প্রতিদিনের প্রোটিনের চাহিদা অনেকটাই পূরণ করে থাকে। এর দাম সস্তা হওয়ায় নিম্নবিত্ত থেকে শুরু করে সকল শ্রেণীর মানুষের প্রোটিনের চাহিদা পূরণের জন্য এই ডাল ব্যবহার করা হয়ে থাকে। প্রতিদিনের খাদ্যতালিকায় আমিষের প্রায় ২০ থেকে ২৫ ভাগ চাহিদা পূরণ করতে সক্ষম মসুর ডাল। যে কারণে আমাদের দেশে মুসুরডালের চাহিদা প্রচুর। তবে সে দিক থেকে দেখতে গেলে আমাদের দেশে মাত্র ৫ থেকে ৭ শতাংশ কৃষি জমিতে মসুর ডাল চাষ হয়ে থাকে। যার ফলে চাহিদা সঠিকভাবে মেটানো সম্ভব হয় না। সেক্ষেত্রে আমদানির সাহায্য নিতে হয়। প্রতিবছর দুই হাজার কোটি টাকার মসুর ডাল ভারত, কানাডা, অস্ট্রেলিয়া, তুরস্ক ও নেপাল থেকে আমদানি করা হয়। তবে ডালের এই ক্রমবর্ধমান চাহিদার সুযোগ নিয়ে কিছু কিছু অসাধু ব্যবসায়ী ডালে ক্ষতিকর রাসায়নিক দ্রব্য, রং এবং ওজন বৃদ্ধির জন্য জল মিশিয়ে ভেজাল ডাল বিক্রি করছে। যার ফলে কাপড়ের ক্ষতিকর রং এর মধ্যে মিশিয়ে আলাদা আলাদা নামকরণ করা হচ্ছে। যার ফলে প্রতি কেজিতে ৪৫ থেকে ৫০ টাকা বাড়তি বিক্রির আশায় ছোট এবং সামান্য বড় ডালগুলিকে আলাদা করে বিক্রি করা হচ্ছে। যার ফলস্বরূপ প্রতিদিন প্রায় ২০ থেকে ২৫ কেজি ডাল বাজারে বিক্রি হচ্ছে যেগুলো পশু খাদ্য হিসেবে পরিচিত। এমন ডাল গুলিও রং মিশিয়ে মানুষের খাবার হিসেবে বিক্রি হচ্ছে। যা মানবদেহের পক্ষে একেবারেই স্বাস্থ্যসম্মত নয়। তাই মসুর ডাল অধিক গ্রহণ করার আগে অবশ্যই ভেবে দেখবেন। তাছাড়াও মসুর ডালে প্রচুর পরিমান খনিজ পদার্থ উপস্থিত থাকায় এবং প্রোটিনের সর্বোচ্চ উৎস হওয়ায় তা সবার শরীরে সমানভাবে নাও প্রয়োজন হতে পারে। সে ক্ষেত্রে অতিরিক্ত গ্রহণের ফলে স্বাস্থ্যের অবনতি হতে পারে। তাই কোনও কিছুই অতিরিক্ত গ্রহণ করা সঠিক নয়। নির্দিষ্ট পরিমাণ খাবার আগে অবশ্যই সেটা ভালো মতন দেখে নেবেন এবং নিজেদের প্রয়োজন অনুযায়ী গ্রহণ করবেন। আসুন দেখে নেওয়া যাক কোন কোন ক্ষেত্রে মসুর ডাল ক্ষতিকারক হতে পারে:

১. মসুর ডাল রান্না করার আগে খুব ভালো করে ধুয়ে নেবেন কারণ এতে অনেক সময় ক্ষুদ্র ক্ষুদ্র পোকা জন্মাতে পারে যা পেটের জন্যে অত্যন্ত ক্ষতিকারক।এছাড়া কাঁচা বা অর্ধেক সেদ্ধ করা মসুর ডাল খেলে হজমের সমস্যা দেখা দেয়। ভালো করে সেদ্ধ করার ফলে এটি ভালো করে হজম করা যায় ও ছোটোখাটো পোকা মাকড় থাকলে বা কোনো কৃত্রিক রং থাকলে সেগুলির পার্শ্বপ্রতিক্রিয়াগুলি নষ্ট হয়ে যায়।

২. অতিরিক্ত পরিমানে মসুর ডাল খেলে কিডনির ওপর অত্যাধিক চাপ সৃষ্টি হয় যার ফলে কিডনি স্টোনের সম্ভাবনা থাকে। এর কারণ হল মসুর ডালে রয়েছে উচ্চ পরিমানে ফাইবার ও প্রোটিন যা শরীরে অত্যাধিক প্রবেশ করলে ক্ষতি হতে পারে।

৩. মসুর ডাল যদিও গ্লুটেন মুক্ত, তবুও কিছু কিছু ক্ষেত্রে ডাক্তাররা এটি ব্যারন করে থাকেন। যেমন যাদের শরীর একেবারেই গ্লুটেন নিতে পারেনা, বা যাদের উচ্চ পরিমানে ইউরিক এসিডের সমস্যা রয়েছে তাদের মসুর ডাল না খাওয়াই ভাল।

তবে যাই হোক না কেন, সাবধানতা বজায় রেখে মসুর ডাল খাওয়া অত্যন্ত প্রয়োজনীয়। মসুর ডাল ফাইবার ও প্রোটিনের সর্বোচ্চ উৎস। তাই এটি অবশ্যই আপনার দৈনন্দিন খাদ্য তালিকার অন্তর্ভুক্ত করুন এবং প্রয়োজন অনুযায়ী চুল, ত্বক স্বাস্থ্যের ক্ষেত্রে ব্যবহার করুন।

আমাদের এই পোস্ট নিয়ে কোনোরকম বক্তব্য থাকলে অবশ্যই কমেন্ট করুন।এছাড়াও অন্যান্য খাদ্য উপাদানের গুরুত্ব বিষয়ে আপডেট পেতে অবশ্যই এই পেজে চোখ রাখুন।

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10 Best Korean Sunscreens For All Skin Types – 2019

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If there is one skin care product that you must never skip, it has got to be sunscreen. It is the first line of defense when it comes to protecting your skin from UV damage and photoaging.

Korean sunscreens are formulated with a special system (other than SPF) called the Persistent Pigmentation Darkening Test (or PA system). SPF protects you from UVB rays, but Korean sunscreens with SPF and PA protect you from both UVB and UVA rays. They are also more lightweight. Here are the best Korean sunscreens that you need to check out.

10 Best Korean Sunscreens For All Skin Types

1. Neogen Dermalogy Day-Light Protection Sunscreen

Neogen Dermalogy Day-Light Protection Sunscreen

This quick-absorbing and ultra-lightweight sunscreen contains natural ingredients and other active agents that have anti-aging benefits. It has broad-spectrum SPF along with PA+++ protection. It contains raspberry extracts that provide additional hydration to the skin.

Pros

  • Paraben-free
  • Sulfate-free
  • Phthalate-free
  • No greasiness
  • No white cast
  • Cruelty-free
  • SPF 50

Cons

None

Rating

5/5

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2. Make P:rem UV Defense Me

Make Prem UV Defense Me

Make P:rem UV Defense Me contains natural ingredients and claims to lower your skin temperature. It has a 100% mineral filter the protects your skin from harmful UV rays. It is suitable for all skin types, including sensitive skin. It contains the stem cells of Rubus arcticus, a kind of berry that is rich in antioxidants.

Pros

  • SPF 50+
  • PA++++ (highest protection against UVA rays)
  • No white cast
  • 100% safe ingredients

Cons

None

Rating

5/5

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3. Etude House Sunprise Mild Airy Finish

Etude House Sunprise Mild Airy Finish

You will be surprised by the way Etude House Sunprise Mild Airy Finish Sunscreen feels on your skin. It is so lightweight that it glides like a breeze on your skin. It also makes your makeup set effortlessly. If you have oily skin, this is the sunscreen for you. It does not irritate the skin and does not leave behind a white cast. Also, it provides high sun protection.

Pros

  • SPF 50+
  • PA +++ (high UVA protection)
  • Non-sticky
  • Non-greasy
  • 100% mineral filter
  • Natural ingredients

Cons

None

Rating

5/5

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4. Missha All Around Safe Block Essence Sun Milk

Missha All Around Safe Block Essence Sun Milk

This sun milk essence is a safe sunblock that protects your skin from UV damage. It contains four types of flower extracts that nourish your skin and protect it from environmental damage. It is incredibly gentle and suitable for all types of skin, including sensitive skin. If you have dry skin and are looking for a sunscreen that can hydrate it and keep it moisturized, go for this one.

Pros

  • SPF 50+
  • PA+++
  • Tested for skin irritation
  • Mild formula
  • Contains plant components

Cons

None

Rating

5/5

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5. Like I’m 5 Mild Sunscreen

Like Im 5 Mild Sunscreen

This is an ultra-mild sunscreen that is fit for people of all ages, including kids and infants. If you have extremely sensitive skin, try this product. It is formulated with mineral ingredients and does not contain any irritants or allergens.

Pros

  • SPF 50
  • PA++++ (highest UVA protection)
  • Paraben-free
  • Phthalate-free
  • No artificial fragrances
  • No mineral oils
  • No artificial colors

Cons

None

Rating

5/5

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6. Dr.Jart+ UV Every Sun Day Sun Fluid

Dr Jart UV Every Sun Day Sun Fluid

Dr.Jart+ UV Every Sun Day Sun Fluid protects your skin not only from UV rays but also fine dust. It works on the same principle as magnets repelling each other. The product has the same electrical charge as fine dust, thus repelling it. The seaweed extracts and Cypress water extracts in this product soothe your skin and keep it moisturized.

Pros

  • SPF 50
  • PA+++
  • Paraben-free
  • Sulfate-free
  • Talc-free
  • Dermatologist tested
  • Hypoallergenic
  • No dyes and artificial fragrances
  • No mineral oils
  • No harmful chemicals

Cons

None

Rating

5/5

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7. A’Pieu Pure Block Natural Sun Cream

APieu Pure Block Natural Sun Cream

All A’Pieu products are tested on sensitive skin. A’Pieu Pure Block Natural Sun Cream has a creamy texture that prevents oil build-up on your skin. It contains natural extracts of apple blossom and aloe vera. It spreads easily and gets absorbed quickly. It contains a physical sunblock that protects your skin from harmful UV rays.

Pros

  • SPF 45
  • PA+++
  • Non-irritating
  • Safe for all skin types

Cons

None

Rating

5/5

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8. Missha All Around Safe Block Soft Finish Sun Milk

Missha All Around Safe Block Soft Finish Sun Milk

This soft finish sun milk from Missha has a double layer UV blocking system that ensures longer than usual sun protection. It can hold up to water and sweat, and it does not melt in humid weather. It has a silky and porous powder-like texture that glides smoothly onto your skin.

Pros

  • SPF 50+
  • PA+++
  • Contains natural barrier complex
  • Gets absorbed quickly
  • Non-greasy

Cons

None

Rating

5/5

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9. Earth’s Recipe Waterful Sun Gel

Earths Recipe Waterful Sun Gel

This product by Earth’s Recipe has a serum-like lightweight texture. After applying it on your face, you won’t feel like you have applied anything. It does not clog your pores, and it lets your skin breathe. Moreover, it does not leave behind any residue on your skin. It has a refreshing scent that fades away after a few minutes. It is suitable for all skin types.

Pros

  • SPF 50
  • PA++++
  • Paraben-free
  • Dermatologist tested
  • Hypoallergenic
  • PABA-free
  • No synthetic dyes and fragrances
  • No mineral oils

Cons

None

Rating

5/5

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10. COSRX Aloe Soothing Sun Cream

COSRX Aloe Soothing Sun Cream

If your skin needs a serious boost of hydration along with sun protection, this product has got you covered. The Sun Cream by Cosrx contains aloe vera extracts that keep your skin moisturized and protect it from UVA and UVB rays. This cream gets absorbed quickly and does not irritate your skin.

Pros

  • SPF 50+
  • PA+++
  • Contains botanical extracts
  • Lightweight

Cons

  • May feel a bit greasy on oily skin

Rating

4.8/5

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That was our list of the top-rated Korean sunscreens that you can buy. However, there are a few factors that you should always keep in mind before buying sunscreen. Check them out below!

Factors To Consider Before Buying A Sunscreen

  • Always choose a sunscreen that has broad-spectrum protection. This ensures that your skin is protected from both UVA and UVB rays.
  • Buy a sunscreen that has at least SPF 30. Avoid buying anything lower than that. Sunscreens with SPF 30 can filter 97% of the UVA and UVB rays.
  • When a sunscreen claims to be ‘water-resistant’, it does not mean that it won’t wash off your skin. Check for the duration for which it lasts. It should be either 40 or 80 minutes. That means a water-resistant sunscreen will stay on your skin for 40 or 80 minutes while you sweat or swim. You will then need to reapply it.

When it comes to ingredients, it depends on how your skin reacts to different ingredients. Some may be allergic to chemical UV blockers while others may get skin rashes after using physical UV blockers. Which ingredient works best for you depends on how your skin reacts to it.

You will also notice a difference between ingredients used in US sunscreens and Korean sunscreens. The US FDA considers sunscreens as OTC drugs, so they have strict parameters for the ingredients that can be used in them. These rules do not apply to Asian products. However, you don’t have to worry. Most manufacturers test all the ingredients used in skin care products for any adverse reactions.

Most Korean sunscreens are broad-spectrum products. Anyone who has used one will vouch for their spreadability and the fact that they never leave a white cast on the skin. Moreover, Korean sunscreens also contain antioxidants and other ingredients that are great for improving skin health. If you are yet to try out these K-beauty gems, grab one right now and give it a go!

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জীরার উপকারিতা, ব্যবহার এবং ক্ষতিকর দিক – Cumin Benefits, Uses and Side Effects in Bengali

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আমাদের রান্নাঘরে মসলা জাতীয় উপাদান গুলির মধ্যে হলুদ, লঙ্কার পরেই নাম আসে জীরার। বলা যায় এই তিনজন হাত ধরাধরি করে রান্নাঘরে মাসের প্রথমেই চলে আসে। তবে কোনও একটি নির্দিষ্ট মসলা সম্পর্কে আমাদের খুব বেশি জানা হয়ে ওঠে না। আসুন আজকে আমরা রান্নাঘরের অন্যতম সুপরিচিত মসলাটির গুনাগুন সম্পর্কে জেনে নি। জীরা যেকোনো রান্নাতেই ব্যবহার করা হয়। এর কারণ হল এর গুনাগুন। এটি হজমে মুখ্য ভূমিকা গ্রহণ করে থাকে। এর পাশাপাশি এটি অ্যান্টি-ইনফ্ল্যামেটরি বৈশিষ্ট্যযুক্ত হওয়ায় সর্দি, জ্বর ও ওজন কমাতে সহায়তা করে। জীরা নানাভাবে আমাদের শরীরের ওপর প্রভাব বিস্তার করে। আজকে জেনে নেব দৈনন্দিন জীবনে জীরা আমাদের কি পরিমানে ব্যবহার করা উচিত কিংবা কোন কোন ক্ষেত্রে এটি ব্যবহার করা উচিত নয়।(১),(২)

জীরার বিজ্ঞানসম্মত নাম সিউনিয়াম সাইমনাম। এটি এপিয়াসি পরিবারের অন্তর্গত উদ্ভিদ। এশিয়া, ইউরোপ এবং আফ্রিকা মহাদেশের অন্তর্গত জীরা চাষ করা হয়। জীরা লিভার, ফুসফুস কিংবা হজমের সমস্যার ক্ষেত্রে গ্রহনযোগ্য ঔষধ গুলির মধ্যে ব্যবহৃত হয়ে থাকে। পৃথিবীর বহু জায়গায় জীরা দিয়ে ঔষধ পর্যন্ত তৈরি করা হয়। জীরা হল এক ধরনের অ্যান্টিসেপটিক এবং আন্টি হাইপার্টেনসিভ এজেন্ট সমৃদ্ধ মসলা। জীরা বীজগুলি থেকে ওলিওরেসিন, ট্যানিনস সমৃদ্ধ তেল পাওয়া যায়।

এবার জেনে নিন জীরার মধ্যে থাকা সক্রিয় উপাদানগুলি আপনার স্বাস্থ্যের ক্ষেত্রে কি কি ভাবে সাহায্য করে?

জীরার উপকারিতা – Benefits of Cumin in Bengali

জীরা হজমে সহায়তাকারী অন্যতম গুরুত্বপূর্ণ একটি মসলা। এছাড়াও এটি পেটের ফোলা ভাব এবং জমে থাকা গ্যাস দূর করতে সহায়তা করে। এর পাশাপাশি জীরা ভেজানো জল খেলে ওজন হ্রাস করা সম্ভব হয়। জীরার বীজ গুলি রক্তে কোলেস্টেরলের মাত্রা নিয়ন্ত্রণে রাখতে সাহায্য করে। মূলত স্বাদ ও সুগন্ধযুক্ত মসলা হিসেবে রান্নায় জীরার ব্যবহার করা হয়ে থাকে। কখনো গুঁড়ো করে আবার কখনো জীরার বীজ সরাসরি রান্নায় ব্যবহার করা হয়ে থাকে। এটি খাবারে এক অনন্য স্বাদ আনতে সহায়তা করে। এছাড়াও বিভিন্ন ওষুধ তৈরির ক্ষেত্রেও জীরা ব্যবহার করা হয়ে থাকে। (৩)

স্বাস্থ্যের জন্য জীরার উপকারিতা – Health Benefits of Cumin in Bengali

স্বাস্থ্য রক্ষায় জীরার ভূমিকা অনস্বীকার্য। এক নজরে দেখে নিন এই ছোট্ট জীরার বীজ গুলি আপনার শরীরে কিরকম ভাবে প্রভাব বিস্তার করে এবং আপনার স্বাস্থ্য সহায়ক হয়ে ওঠে।

১) হজমে সহায়তা করে জীরা

Cumin helps digestion

Shutterstock

জীরা হলো হজমে সহায়ক কারি অন্যতম একটি উপাদান। আমরা হজমের জন্য যে ওষুধ গুলো খাই সে ক্ষেত্রে অধিকাংশতেই জীরার ব্যবহার করা হয়ে থাকে। এছাড়াও এটি পেট ফাঁপা ভাব, পেটের ভেতর বুদবুদ কিংবা গ্যাসের সমস্যা থেকে আমাদের নিস্তার দেয়(৪)। জীরার সাথে মৌরি, আদা বিভিন্ন উপাদান গুলি ব্যবহার করে পেটকে সুস্থ রাখা যায়। জীরার বীজ গুলি লিভারকে সুস্থ রাখতে সহায়তা করে। লিভার থেকে অ্যাসিড নিঃসরণ করে হজমে এবং শরীরের শোষণ ক্ষমতায় এটি সহায়তা করে, যার ফলে শরীরে ফ্যাট জমতে পারে না। এছাড়াও এর মধ্যে থাকা অ্যান্টি ইনফ্ল্যামেটরি উপাদান গুলি পেটে ব্যথা, পেটের মধ্যে জ্বালা ভাব কিংবা পেট খারাপ সংক্রান্ত বিষয়গুলি নিয়ন্ত্রণ করতে সহায়তা করে (৫),(৬)। গবেষণায় দেখা গিয়েছে, গর্ভবতী মহিলাদের ক্ষেত্রে সি-সেকশন ডেলিভারির পরে জীরার ব্যবহার সমৃদ্ধ খাবার খাওয়া খুব উপকারী। কেন না জীরার মধ্যে থাকা উপাদানগুলি অম্বল এবং পেটের গ্যাস তৈরি হওয়া থেকে শরীরকে রক্ষা করে এবং ব্যথার ওষুধ হিসেবে কাজ করে(৭)

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • এক কাপ জল নেবেন।
  • তার মধ্যে ১ চামচ জীরা যোগ করবেন।
  • এবার এটি ওভেনে বসিয়ে দেবেন এবং অল্প আঁচে মিশ্রনটিকে ৩০ মিনিট ধরে ফুটাবেন।
  • এই মিশ্রণটি দিনে তিনবার খাবার ১৫ মিনিট আগে খাবেন।
  • এটি পেট থেকে গ্যাস সরিয়ে হজমকে ত্বরান্বিত করতে সাহায্য করবে। (৮)

২) সর্দি-কাশি কমাতে জীরার ব্যবহার

জীরার মধ্যে থাকা অ্যান্টি-ব্যাকটেরিয়াল এবং অ্যান্টি- ইনফ্ল্যামেটরি বৈশিষ্ট্যগুলি সর্দি কাশির জন্য অসাধারণ ভূমিকা পালন করে। ঘরোয়া ঔষধ হিসেবে জীরাকে ব্যবহার করা যেতে পারে। এটি যেকোনো ধরনের সংক্রমণ কমিয়ে এবং জীবানু নাশ করতে সহায়তা করে। তাছাড়াও পেশীর কোন রকম টান কিংবা খিঁচুনি ভাবকে দূর করে সেটি সুস্থ করে তুলতে সহায়তা করে। দীর্ঘদিন ধরে চলা খুসখুসে কাশি কিংবা সর্দি নিরাময়ে সহায়তা করে।

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • ১ টেবিল চামচ জীরা এক গ্লাস জলে দিয়ে মিশ্রণটি অল্প আঁচে ১৫ মিনিট ধরে ফুঁটিয়ে নিন।
  • এই মিশ্রণে কিছু পরিমাণ আদা যোগ করুন।
  • এরপর সম্পূর্ণ মিশ্রণটি ভালোভাবে ফুটিয়ে নিয়ে জলটি সংরক্ষণ করুন।
  • দিনে দুই থেকে তিনবার এটি গ্রহণ করুন।
  • সম্ভব হলে উষ্ণ গরম থাকাকালীন এটি পান করুন। তাহলে সর্দি এবং কাশি কমাতে এটি সহায়তা করবে।

৩) জীরা হল লোহার অন্যতম উৎস

জীরা প্রাকৃতিক ভাবে আয়রনসমৃদ্ধ একটি উপাদান। ১ চা-চামচ জীরাতে প্রায় ১.৪ মিলিগ্রাম লোহা থাকে। অধিকাংশের ক্ষেত্রেই দেখা যায় সঠিক পরিমাণে খাদ্য দ্রব্য গ্রহণ করলেও শরীরে লৌহের ঘাটতি থেকেই যায়। ধনী দেশ গুলির ক্ষেত্রেও দেখা গিয়েছে প্রতি এক হাজার মানুষের মধ্যে ১০ জনের শরীরে লোহার ঘাটতি রয়েছে। বিশ্বের মোট জনসংখ্যায় যা কুড়ি শতাংশ। বিশেষত ছোট শিশু থেকে প্রাপ্ত বয়স্ক যুবক যুবতী অধিকাংশের শরীরেই লোহার ঘাটতির কারণে বহু রোগ দেখা যায়। শিশুদের শরীরে লৌহের ঘাটতি হলে যথাযথভাবে তার বুদ্ধির বিকাশ ঘটে না। এছাড়াও যুবতী মহিলাদের ক্ষেত্রে লোহার ঘাটতি দেখা দিলে তা ঋতুস্রাবের ওপর প্রভাব ফেলে, তাই জীরা প্রাকৃতিক লৌহসমৃদ্ধ উপাদান হওয়ায় এটিকে লোহার অন্যতম উৎস হিসেবে আমরা ব্যবহার করতে পারি। যে কারণে প্রত্যেক দিনের খাদ্যতালিকায় জীরা রাখা উচিত।

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • প্রতিদিন রান্নায় অল্প পরিমাণে জীরার গুঁড়ো ব্যবহার করতে পারেন।
  • সকালে খালি পেটে সারারাত জীরা ভেজানো জল খেতে পারেন। এগুলি শরীরে লোহার ঘাটতি পূরণ করতে সহায়তা করবে।

৪) অনাক্রম্যতা প্রদানে জীরার ভূমিকা

শরীরের যেকোনো ধরনের জীবাণু কিংবা ব্যাকটেরিয়ার সাথে লড়াই করে শরীরকে জীবাণুমুক্ত করতে সহায়তা করে জীরা। জীরার বীজ থেকে প্রাপ্ত বিভিন্ন উপাদানগুলি শরীরে অ্যান্টিসেপটিক এজেন্ট হিসেবে কাজ করে। এর থেকে প্রাপ্ত তেলগুলি যেকোনো ধরনের জীবাণুকে ধ্বংস করে, সেটাকে নিরাময় করে। গবেষণায় দেখা গিয়েছে, জীরা শরীরের যেকোনো ধরনের শক্তিশালী জীবাণুকে ধ্বংস করে শরীরের অনাক্রম্যতা গড়ে তুলতে সহায়তা করে যার ফলে শরীর রোগ জীবাণু থেকে দূরে থাকতে সহায়ক হয়। মূলত গবেষণায় দেখা গিয়েছে, জীরা, লবঙ্গ, দারচিনি জাতীয় মসলা গুলিতে অ্যান্টি-ব্যাকটেরিয়াল এবং অ্যান্টি-ভাইরাল বৈশিষ্ট্যগুলি রয়েছে। এজন্য এগুলি ক্ষতিকারক ছত্রাকের হাত থেকে শরীরকে বাঁচাতে সহায়তা করে। এছাড়াও জীরা শরীরের ভিটামিন-সি গ্রহণও বাড়িয়ে তুলতে সাহায্য করে। জীরার বীজে থাকা ভিটামিন সি শরীরের রোগ প্রতিরোধ ক্ষমতা বৃদ্ধিতে সহায়তা করে। যাদের শরীরে রোগ প্রতিরোধকারী ক্ষমতা কমে গিয়েছে তাদের শরীরের জন্য ভিটামিন সি প্রয়োজনীয়। ভিটামিন সি গ্রহণ করার জন্য আমরা জীরার ব্যবহার করতে পারি। (৯)

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • বিভিন্ন খাবারে সরাসরি জীরার বীজ দিতে পারেন।
  • এছাড়াও জীরার বীজের গুঁড়ো বিভিন্ন খাবারে কিংবা ফলের ওপর ছড়িয়ে খেতে পারেন।
  • এটি সরাসরি শরীরে গেলে অনাক্রমতার উন্নয়নে সহায়তা করবে।

৫) ওজন কমাতে জীরার ভূমিকা

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জীরার উপকারিতা বহু ক্ষেত্রেই আমাদের চোখে পড়েছে, তবে তা ওজন কমানোর ক্ষেত্রেও মুখ্য ভূমিকা গ্রহণ করে থাকে। মূলত স্থূলতা, ডায়াবেটিস, অস্টিওআর্থারাইটিস এর মত রোগগুলি সারাতে জীরা মুখ্য ভূমিকা গ্রহণ করে থাকে। ওজন কমানোর ক্ষেত্রে মূল কার্যক্রম হলো সঠিক অনুশীলন এবং একটি সঠিক খাদ্য পরিকল্পনা। তবে এর পাশাপাশি কিছু খাদ্য উপাদান আছে যেগুলি শরীরকে ভেতর থেকে ওজন কমাতে সহায়তা করে, যার মধ্যে অন্যতম জীরা  (১০)। গবেষণায় দেখা গিয়েছে, জীরা খাওয়ার ফলে শরীরের খিদে কমে যায়। যার ফলে সব সময় ক্ষুধাভাব লক্ষ্য করা যায় না এবং সবসময় খাবার প্রবণতা কমলে শরীর বাড়তি ক্যালরি গ্রহণ করবে না এবং ওজন কমাতে সহায়তা করবে। গবেষণায় দেখা গিয়েছে, জীরা খাওয়ার ফলে শরীরের বডি মাস ইন্ডেক্স কমতে থাকে যা শরীরের বাড়তি ফোলা ভাব কমিয়ে শরীরকে তন্বী করে তুলতে সহায়তা করে (১১)। বর্তমান যুগে রোগা ছিপছিপে কোমর সকলেই চায়, তাই একটু যদি আমরা আমাদের খাদ্যতালিকায় নজর রাখি এবং সেখানে বুদ্ধি নিয়ে খাবার পরিকল্পনা করি তাহলে সহজেই সেটা আমরা পেতে পারি। দিনে যদি মাত্র তিন গ্রাম করে জীরার গুঁড়ো খাওয়া যায় সেটি স্থূলতা কমানোর পাশাপাশি শরীরের মেদ কমাতে সহায়তা করে। মাত্র এক মাসেই পার্থক্যটা বুঝতে পারবেন। (১২)

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

দৈনিক টক দই এর সাথে স্বল্প পরিমান জীরা গুঁড়ো মিশিয়ে খেলে এক মাস বাদেই দেখতে থাকবেন নিজের জিন্সের কোমরটা হালকা হতে শুরু করেছে। তাতে অবশ্য আপনার খুশি বৈ দুঃখ হবে না। জিন্সটা বড় হয়ে গেলেও আপনার শরীর কিন্তু নির্দিষ্ট শেপে আসতে শুরু করবে।

৬) রক্তশূন্যতা দূরীকরণে জীরার ভূমিকা

আমরা আগেই জেনেছি, জীরা হল লোহার অন্যতম উৎস। যার ফলে এটি রক্তশূন্যতা দূরীকরনে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা গ্রহণ করে থাকে। কেননা শরীরে হিমোগ্লোবিন বাড়ানোর জন্য লোহা হল একটি অন্যতম উৎকৃষ্ট উপাদান, যা শরীরে অক্সিজেনের চলাচল বাড়িয়ে শরীরকে কার্যকরী করে তোলে। বর্তমানে আমরা অধিকাংশ মহিলাদের ক্ষেত্রে রক্তশূন্যতা দেখতে পাই বলা যায়। বর্তমান সমাজে রক্তশূন্যতা একটি সামাজিক ব্যাধি হয়ে দাঁড়িয়েছে। তবে এটি খুব সহজেই প্রতিকার করা সম্ভব। জীরা বীজ এর মধ্যে থাকা উপাদানগুলি শরীরকে পর্যাপ্ত লোহা প্রদান করে হিমোগ্লোবিনের পরিমাণ বাড়াতে সাহায্য করে। দৈনিক নির্দিষ্ট পরিমান জীরা গ্রহণ করলে শরীরে রক্তের পরিমাণ খুব শীঘ্রই বৃদ্ধি পায়।

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • দৈনিক খাদ্য তালিকায় থাকা বিভিন্ন রান্না, খাবার, তরকারি, পরোটা, সুপ এগুলির মধ্যে জীরা বীজ সরাসরি কিংবা জীরার গুঁড়ো ব্যবহার করে শরীরে জীরা গ্রহণ করা যায়।
  • তাই রান্নার সময় খেয়াল রাখবেন একটু জীরার গুঁড়ো আপনার শরীরে অনেকটা কার্যকরী উপাদান হিসেবে ব্যবহার হতে পারে।

৭) গাঁটে ব্যথা কমাতে জীরার ব্যবহার

এখন কম বয়সে কিংবা বেশি বয়সে অনেকের ক্ষেত্রেই আমরা দেখতে পাই শরীরের বিভিন্ন গিটে গিটে যেমন হাঁটু, কনুই বিভিন্ন জায়গায় ব্যথা হতে দেখা যায়। এছাড়াও বাতের ব্যথা তো এখন একটি অন্যতম রোগ হয়ে দাঁড়িয়েছে। এটি কোন নির্দিষ্ট বয়সের মধ্যে আর নেই। তবে বাতের ব্যথা কিংবা এ ধরনের গাঁটের ব্যথা কমানোর ক্ষেত্রে জীরার ভূমিকা অনস্বীকার্য। গবেষণায় দেখা গিয়েছে, জীরা যেকোনো ধরনের প্রদাহ কমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা নিয়ে থাকে। জীরার মতো মসলা গুলি এই সমস্ত ব্যথা গুলিকে কমাতে সহায়তা করে। দৈনিক খাদ্য তালিকায় এই মসলা গুলি রাখলে শরীরের অভ্যন্তরীণ জ্বালা যন্ত্রণা, বেদনা কমাতে সহায়তা করে।

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • বিভিন্ন খাবারের ওপর জীরার গুঁড়ো কিংবা রান্নায় সরাসরি জীরার বীজ ব্যবহার করতে পারেন।
  • এছাড়াও ফলের সাথেও ব্যবহার করতে পারেন। এই জীরা শরীরকে ভেতর থেকে সুস্থ এবং সমৃদ্ধ করে তুলতে সহায়তা করে।

৮) পেটে ব্যথা কমাতে জীরার ভূমিকা

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জীরা হল আমাদের রান্না ঘরের একটি অত্যন্ত সুপরিচিত মসলা। এর মধ্যে থাকা অ্যান্টি-ব্যাকটেরিয়াল এবং অ্যান্টি-ভাইরাল উপাদান গুলি শরীরের যে কোন রোগ জীবাণু ধ্বংস করতে সহায়তা করে। তাই পেটে যদি কোন ধরনের পরিপাক সম্পন্ন না হওয়ায় ব্যথা হয় সে ক্ষেত্রে এই অপাকের ব্যথা কমাতে জীরা সহায়তা করে। তাছাড়াও পেটে যদি গ্যাস হয় কিংবা যদি কোন ব্যথার সৃষ্টি হয় কিংবা কোন রকম বুদবুদের সৃষ্টি হয় সেক্ষেত্রে জীরা এই ব্যথা কমাতে সহায়তা করে। কেননা জীরা যেকোনো ধরনের প্রদাহ কমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা গ্রহণ করে।

কিভাবে ব্যবহার করবেন ? 

  • পেটে গ্যাসের সমস্যা হলে উষ্ণ গরম জলে জীরা ফুটিয়ে নিয়ে সেই জল সেবন করতে পারেন।
  • কিংবা জীরা গুঁড়ো জলে মিশিয়ে খেতে পারেন এটি তৎক্ষণাৎ পেটের গ্যাস কমিয়ে পেটে ব্যথা থেকে মুক্তি দেবে।
  • এছাড়াও মাসিক সংক্রান্ত পেটে ব্যথার থেকেও জীরার গুঁড়ো মুক্তি দেয়।
  • পেটের বুদবুদ কমিয়ে প্রস্রাব-এর মাধ্যমে তা বের করে দিতে সাহায্য করে।

৯) ডায়াবেটিস নিয়ন্ত্রণে জীরার ভূমিকা

জীরা ভেজানো জল শরীরে ইনসুলিন তৈরি করতে সহায়তা করে, যা শরীরে ডায়াবেটিস নিয়ন্ত্রণে রাখে। গবেষণায় দেখা গিয়েছে জীরা ভেজানো জল ডায়াবেটিক রোগীদের জন্য খুব কার্যকরী। দৈনিক খালিপেটে জীরা ভেজানো জল খেলে তা ব্লাড সুগার নিয়ন্ত্রণে সাহায্য করে (১৩)। ব্লাড সুগার নিয়ন্ত্রণে রাখার জন্য অন্যতম একটি ঘরোয়া উপাদান হলো জীরা। এবং এ ক্ষেত্রে ব্যবহার করা যায়। জীরার মধ্যে থাকা উপাদানগুলি রক্তে গ্লুকোজের মাত্রা কমিয়ে অ্যান্টিঅক্সিডেন্ট প্রদান করে, যা ডায়াবেটিসে আক্রান্ত রোগীদের শরীরের গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা গ্রহণ করে থাকে। এছাড়াও জীরা ডায়াবেটিসের জটিলতা থেকে শরীরকে মুক্ত করে। জীরার পাশাপাশি মৌরিও এ ক্ষেত্রে মুখ্য ভূমিকা গ্রহণ করে থাকে।(১৪)

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

এক গ্লাস জলে এক চামচ জীরা সারারাত ভিজিয়ে রাখবেন। দৈনিক ঘুম থেকে উঠে সকালে খালি পেটে জীরা ছেকে নিয়ে জীরা ভেজানো জলটা পান করবেন।

১০) মাসিক ঋতুচক্র প্রক্রিয়ায় জীরার ভূমিকা

কারো কারো ক্ষেত্রে মাসিক প্রক্রিয়া খুব বেদনাদায়ক হয়ে ওঠে কিংবা সঠিক সময়ে মাসিক না হওয়ার একটি গুরুতর সমস্যা মহিলাদের ক্ষেত্রে দেখা যায়। তবে মাসিক প্রক্রিয়াকে নিয়ন্ত্রণে রাখতে জীরার ভূমিকা গুরুত্বপূর্ণ। জীরার মধ্যে থাকা উপাদান গুলি অনেক স্বাস্থ্যকর। জীরা ভেজানো জল পান করলে এক্ষেত্রে মাসিক প্রক্রিয়াকে নিয়ন্ত্রণে রাখা সম্ভব হয়। জীরার মধ্যে থাকা  অ্যান্টি ইনফ্লামেটরি উপাদানগুলি মাসিকের যন্ত্রণাকে কমাতে সহায়তা করে। এছাড়াও এর মধ্যে থাকা লোহার আধিক্য মাসিক প্রক্রিয়ায় সঠিকভাবে রক্ত সরবরাহ করে মাসিক চক্র কে ত্বরান্বিত করতে সহায়তা করে। এছাড়াও জীরা গ্রহণ করার ফলে শরীরের ভেতরে এক ধরনের উদ্দীপক পরিস্থিতির সৃষ্টি হয় যা শরীরকে ভেতর থেকে গরম করে তোলে এবং মাসিক প্রক্রিয়াকে যথাযথভাবে নিয়ন্ত্রণ করতে পারে।

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • অনিয়ন্ত্রিত মাসিক প্রক্রিয়াকে নিয়ন্ত্রিত রাখার জন্য প্রতিদিন সকালে জীরা ভেজানো জল পান করতে হবে।
  • আগের দিন রাতে এক গ্লাস জলে দুই চামচ জীরা ভিজিয়ে রাখবেন। পরদিন সকালে উঠে ছেঁকে নিয়ে সেই জল পান করে নেবেন।
  • এটি মাসিক প্রক্রিয়াকে নিয়ন্ত্রণ করার পাশাপাশি মাসিক প্রক্রিয়ায় হওয়া পেটে ব্যথাকেও নিয়ন্ত্রণ করতে সহায়তা করবে।

ত্বকের যত্নে জীরার উপকারিতা – Skin Benefits of Cumin in Bengali

প্রাচীন যুগ থেকেই ত্বকের যত্নে জীরার গুঁড়ো ব্যবহার হয়ে আসছে। জীরার গুঁড়ো ত্বককে যেকোনো ধরনের জীবাণুর সংক্রমণ থেকে রক্ষা করে থাকে। এছাড়াও এটি ত্বকের বার্ধক্যজনিত সমস্যা, ব্রণ ও চুলকানি জ্বালাভাবের মতোন সমস্যাগুলির সমাধানে সহায়তা করে। এক নজরে জেনে নিন ত্বকের বিভিন্ন সমস্যায় জীরা কিভাবে কাজ করে এবং কিভাবে জীরার ব্যবহার করে ত্বককে আরও সুন্দর করে তোলা যায়।

১১) উজ্জ্বল ত্বক পেতে জীরার ব্যবহার

Use cumin to get brighter skin

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জীরার মধ্যে রয়েছে প্রচুর পরিমাণে ডিটক্সিফাইন উপাদান রয়েছে, যা কিউমিনালডিহাইড থাইমল এবং ফসফরাস জাতীয় উপাদান সমৃদ্ধ। প্রতিদিন খাদ্যতালিকায় জীরার গুঁড়ো এবং জীরা রাখলে তা শরীরকে ভেতর থেকে টক্সিন বের করে দিতে সাহায্য করে। যার ফলে একটি সুস্থ উজ্জ্বল ত্বক আমরা পেতে পারি। কেননা শরীর ভেতর থেকে পরিষ্কার থাকলে আমাদের মুখ পরিষ্কার থাকে। মূলত মুখকে শরীরের আয়না হিসেবে গণ্য করা হয়। একটি সুস্থ দাগহীন, উজ্জ্বল ত্বক সকলেই পেতে চায়। সেজন্য দৈনিক খাদ্যতালিকায় এমন কিছু উপাদান রাখুন যা ত্বককে ভেতর থেকে পরিশুদ্ধ করবে। সেই উপাদান গুলির মধ্যে অন্যতম হলো জীরা। জীরা ত্বককে ভেতর থেকে সুন্দর এবং স্বচ্ছ করে তোলে। জীরা মূলত লিভারের খেয়াল রাখে এবং যেকোন ধরনের খাবার সঠিকভাবে পরিপাকে সহায়তা করে। ত্বককে সুন্দর করে তোলে। এছাড়াও জীরার মধ্যে থাকা ভিটামিন এ আমাদের ত্বককে স্বাস্থ্যকর এবং সমস্যামুক্ত রাখতে সাহায্য করে। এটি ত্বক থেকে ব্রণ ও র্যাশের মতন সমস্যাগুলিকে দূর করে।

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • জীরা গুঁড়োর সাথে কিছু পরিমাণ গোলাপজল মিশিয়ে একটি পেস্ট তৈরি করে নিন।
  • এবার এই মিশ্রণটি ঘন করে ত্বকের সমস্যা জনিত জায়গায় লাগিয়ে রাখুন।
  • এই ফেসপ্যাকটি ব্রণ নিরাময়ে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা গ্রহণ করবে।
  • এছাড়াও গরম জলে জীরা দিয়ে সেটি ভাল করে ফুটিয়ে জীরা দেওয়া জলটি ত্বকে টোনার হিসেবে ব্যবহার করতে পারেন।
  • এই জীরার জলে কয়েক ফোটা টি ট্রি অয়েল যোগ করে ত্বকে ম্যাসাজ করতে পারেন। যা একটি উজ্জ্বল সুন্দর ত্বক পেতে আপনাকে সহায়তা করবে।

১২) ত্বকের সমস্যায় জীরার ব্যবহার

ত্বকের বিভিন্ন ধরনের সমস্যার ক্ষেত্রে জীরার ব্যবহার খুব গুরুত্বপূর্ণ। ইতিমধ্যেই জীরার উপকারিতা সম্পর্কে আমরা জেনে গিয়েছি। তবে স্বাস্থ্যের পাশাপাশি ত্বকের ক্ষেত্রেও তার ভূমিকা অপরিসীম। ত্বকের যেকোনো ধরনের ব্রণ কিংবা ফাংগাল ইনফেকশন এর উপর জীরা গুঁড়ো গুরুত্বপূর্ণ ভাবে কাজ করে। ত্বক পরিচর্যার ক্ষেত্রে জীরার গুঁড়ো ব্যবহার করলে কিছুদিনের মধ্যেই তা পার্থক্য বোঝা যায়। ত্বকে জ্বালা ভাব, লাল ভাব কিংবা রোদে পোড়া দাগ এই সমস্ত ক্ষেত্রে এটি খুব গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা নেয়। এছাড়াও জীরার গুলোর মধ্যে থাকা অ্যান্টিঅক্সিডেন্ট গুলো ত্বককে ভেতর থেকে পরিষ্কার করে উজ্জ্বল করতে সহায়তা করে। এছাড়াও জীরা আবার ত্বকের ইনফেকশন থেকে ত্বককে রক্ষা করে। একটি নির্দিষ্ট পদ্ধতিতে ত্বকে যদি জীরার ব্যবহার করা যায় তাহলে কিছু সময় পরেই ত্বকে সেই প্রভাব লক্ষ্য করা যায়।

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • এক চামচ জীরার গুঁড়োর মধ্যে গোলাপজল মিশিয়ে একটি মিশ্রণ তৈরি করে নিন।
  • এবার এই মিশ্রণটি ত্বকের সমস্যা জনিত অংশে লাগিয়ে রাখুন।
  • ১৫ মিনিট অপেক্ষা করুন। তারপর সাধারণ জল দিয়ে জায়গাটা ধুয়ে নিন।
  • এভাবে সপ্তাহে দুই থেকে তিন দিন এটি ব্যবহার করার চেষ্টা করুন।
  • দুই সপ্তাহেই ত্বক থেকে ব্রণর সমস্যা কিংবা ব্রণের দাগ লালভাব এগুলো দূর হয়ে যাবে।

১৩) বার্ধক্যজনিত সমস্যা দূরীকরণে জীরার ভূমিকা

আমরা অনেকেই দেখি বয়স ৩০ পেরোনোর সাথে সাথেই ত্বক বুড়িয়ে যেতে শুরু করে অর্থাৎ ত্বকের বয়স বাড়তে শুরু করে। যেমন বলিরেখা, ফাইন লাইনস এর মতন সমস্যা গুলি চলে আসে। তবে সেগুলি আমাদের নজর এড়িয়ে অনেক সময় বেড়ে যায়। সমস্যাগুলো যখন বাড়তে থাকে তারপর সেগুলো আমাদের নজরে আসে। তাই ত্বকের যেকোনো ধরনের বার্ধক্যজনিত সমস্যা দূরীকরণের ক্ষেত্রে জীরার ভূমিকা অপরিহার্য। জীরা গুঁড়োর নিয়মিত ব্যবহারে ত্বকের বার্ধক্যজনিত বিভিন্ন সমস্যাগুলির সমাধান হতে পারে। জীরার মধ্যে থাকা ভিটামিন ই এবং অ্যান্টিঅক্সিডেন্ট উপাদানগুলি বার্ধক্যজনিত সমস্যার সাথে লড়াই করে ত্বককে উজ্জ্বল করে তোলে। এবং  বিভিন্ন পুষ্টি উপাদানের উপস্থিতি থাকার জন্য এটি ত্বকের যেকোন সমস্যার সমাধান ঘটাতে সাহায্য করে।

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • জীরার গুঁড়ো দিয়ে প্যাক তৈরি করে সপ্তাহে একদিন লাগানোর চেষ্টা করুন।
  • জীরার গুঁড়ো টকদইতে মিশিয়ে প্যাক তৈরি করে সপ্তাহে একদিন মুখে লাগান।
  • পরিষ্কার ত্বকে মিশ্রণটি লাগিয়ে হালকা হাতে ম্যাসাজ করে মিশ্রণটি কুড়ি মিনিটের জন্য রেখে দিন।
  • তারপর সাধারণ জল দিয়ে মুখ ধুয়ে নিন।
  • সপ্তাহে একদিন এই প্যাকটি ব্যবহার করলে একমাসেই ত্বকের মধ্যে পার্থক্য বুঝতে পারবেন। বলিরেখা কম হতে শুরু করবে।

১৪) ব্রণ কমাতে জীরার ব্যবহার

পেটের ভেতরে যদি সমস্যা থাকে তা মুখে প্রকাশ পেতে আমরা দেখতে পাই। তেমনই পেটের যাবতীয় সমস্যা মুখ দিয়ে বের হয়, সেটা ব্রণের আকারে। তাই পেট পরিষ্কার থাকলে মুখ পরিষ্কার থাকে এই বিষয়টা আমাদের সকলেরই জানা। খাদ্য সঠিকভাবে হজম হলেই আমাদের পেট পরিষ্কার থাকবে। যার ফলস্বরূপ মুখে এক উজ্জ্বল ত্বক পাওয়া যাবে। ভেতর থেকে এবং বাইরে থেকে জীরার ব্যবহার এর ফলে আমাদের ব্রণের সমস্যার থেকে আমরা রেহাই পেতে পারি। দৈনিক খাদ্য তালিকায় নির্দিষ্ট পরিমাণ জীরা রাখতে হবে, যা শরীরের ভেতরে খাদ্যকে যথাযথ হজম করতে সাহায্য করবে। এর পাশাপাশি মুখের ব্রণের ওপর আমরা জীরার গুঁড়ো দিয়ে তৈরি প্যাক লাগাতে পারি। যা উপর থেকে ব্রণ কমাতে সাহায্য করবে। জীরার মধ্যে থাকে অ্যান্টিঅক্সিডেন্ট। এছাড়াও অ্যান্টি-ব্যাকটেরিয়াল বৈশিষ্ট্য সম্পন্ন হওয়ায় এটি যে কোনো ধরনের ইনফেকশন জাতীয় সমস্যাগুলির সমাধানে সহায়তা করে। তাই এবার ত্বক পরিচর্যায় জীরার গুঁড়োর কথা কিন্তু একদম ভুলবেন না।

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • জীরার গুঁড়ো নিয়ে তার মধ্যে অল্প পরিমাণ অ্যালোভেরা জেল মিশিয়ে একটি মিশ্রণ তৈরি করুন।
  • এবার এটি ব্রণর ওপর লাগিয়ে ১৫ মিনিট অপেক্ষা করুন।
  • তারপর সাধারণ জল দিয়ে মুখটা ধুয়ে নিন।
  • সম্ভব হলে সপ্তাহে সাত দিন এই প্রক্রিয়াটি ব্যবহার করুন দেখবেন এক সপ্তাহেই ব্রণের সমস্যা থেকে মুক্তি পাবেন। তার পরেও ব্রণের কালো দাগ নিয়ে চিন্তা?  সেটিও এতে কমে যাবে।

১৫) ত্বকের চুলকানি রোধে এবং শরীরের তাপ কমাতে জীরার ভূমিকা

জীরার মধ্যে অ্যান্টি-ব্যাকটেরিয়াল এবং অ্যান্টি-ভাইরাল উপাদান সমূহ থাকার কারণে এটি শরীরকে ঠান্ডা রাখতে সহায়তা করে। ত্বকের উদ্দীপক অংশগুলোতে প্রলেপ লাগাতে পারলে সেখানে ইনফেকশন কমিয়ে ত্বককে শীতলতা প্রদান করে জীরা। তাই ত্বকে যেকোনো ধরনের চুলকানি কিংবা জ্বালাভাব রোধে জীরার ভূমিকা অনস্বীকার্য। এছাড়াও রোদে পোড়া ভাব বা চুলকানি কাটাতে জীরার ব্যবহার করা হয়।

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • খাদ্য তালিকায় রোজ নির্দিষ্ট পরিমাণ জীরা রাখবেন।
  • সকালবেলা খালি পেটে জীরা ভেজানো জল খেতে পারেন।
  • এক গ্লাস জলে এক চামচ জীরা ভেজানো জল সকালে খাওয়ার পাশাপাশি ত্বকের যে সমস্ত জায়গায় চুলকানি হয়েছে সে সমস্ত জায়গায় লাগাতে পারলে খুব দ্রুতই এগুলির নিষ্পত্তি ঘটে এবং পুনরায় আগের মত  মসৃণ ও সুন্দর হয়ে ওঠে।

১৬) ত্বকের জ্বালা ভাব কমাতে জীরার ব্যবহার

ত্বকের বিভিন্ন ধরনের সমস্যার ক্ষেত্রে জীরার উপকারিতা সম্পর্কে ইতিমধ্যেই আমরা অবগত হয়েছি। ত্বকের সব রকম সমস্যায় জীরার ভূমিকা অনস্বীকার্য। দীর্ঘক্ষন রোদে থাকার ফলে ত্বকে এক ধরনের জ্বালা ভাবের সৃষ্টি হয়। যার ফলে ত্বকে ফাংগাল ইনফেকশন ঘটে। এই ধরনের সমস্যার সমাধানের জন্য জীরার ব্যবহার করতে পারেন। জীরা ভেজানো জল এই ত্বকের জ্বালাভাব যুক্ত অংশে লাগালে জ্বালাভাব কে যেমন প্রশমিত করে, তেমনি ওই জায়গায় যদি কোনরকম ফাংগাল ইনফেকশন হয় সেটা কমাতে সহায়তা করে।

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • দু’কাপ জল নিয়ে তার মধ্যে দু’চামচ জীরা নিন।
  • এবার এটি ভালো করে ফুটিয়ে নিন।
  • যাতে জলের পরিমান এককাপ হয়ে যায়।
  • এবার এই জল ঠান্ডা করে স্প্রে বোতলে ভরে জ্বালাভাব যুক্ত অংশে স্প্রে করুন।
  • দেখবেন জ্বালা ভাব কমার পাশাপাশি একটা ঠান্ডা ভাব জায়গাটায় হয়ে ত্বকে সুস্থতা প্রদান করবে।

চুলের জন্য জীরার উপকারিতা :

বর্তমানে চুলের সমস্যা সকলের মধ্যেই দেখা যায়। ছোট থেকে বড় সকলেই চুলের কোনো না কোনো সমস্যা নিয়ে ভুগতেই থাকে যেমন চুল পড়া, খুশকি, শুষ্ক চুলের সমস্যা ইত্যাদি। তবে এইসব কটা সমস্যা সমাধান হতে পারে আমাদের রান্নাঘরে হাতের কাছে থাকা একটি সহজলভ্য মসলার সাহায্যে। যদিও সেটি আমাদের আগে জানা ছিল না। খুব সহজেই জীরা দিয়ে চুল পড়া সমস্যার সমাধান করতে পারেন। এক নজরে দেখে নিন কিভাবে জীরার ব্যবহার করলে আপনার সমস্যাগুলির সমাধান চটজলদি করে নিতে পারবেন।

১৭) চুল পড়া কমাতে জীরার ভূমিকা

The role of cumin in reducing hair fall

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জীরার মধ্যে বিভিন্ন ধরনের পুষ্টি উপাদান বর্তমান রয়েছে যেগুলি চুলের বৃদ্ধিতে কিংবা চুলের বিভিন্ন সমস্যার সমাধান ঘটাতে অনবদ্য। জীরার মধ্যে থাকা বিভিন্ন ভিটামিন চুলে যথাযথ পুষ্টি প্রদান করে চুলকে বেড়ে উঠতে সহায়তা করে। এছাড়াও এটি চুলের ফলিকলে পুষ্টি জুগিয়ে চুলকে মজবুত এবং গোড়া থেকে শক্তিশালী করে তুলতে সহায়তা করে। আমাদের চুল বেড়ে ওঠার জন্য দৈনিক নির্দিষ্ট পরিমাণে কার্বোহাইড্রেট, প্রোটিন, ফ্যাট এবং জলের প্রয়োজন হয়। যেগুলি আমরা যথাযথভাবে হয়তো প্রদান করে থাকি না কিংবা খাদ্যতালিকায় গ্রহণ করে থাকি না। অনেক সময় সঠিক খাদ্য না খাওয়ার ফলেও আমাদের চুলের সমস্যা বা চুল পড়ার মতন সমস্যা হতে পারে। তাই যদি একটা লম্বা চুল পেতে চান তাহলে ভিতর থেকে নিজেকে স্বাস্থ্যকর করতে তো হবেই। তার পাশাপাশি ওপর থেকে কিছু পরিচর্যার প্রয়োজন। তাই চুল পড়া কমিয়ে চুলকে বেড়ে তোলার জন্য জীরাকে আপনি ব্যবহার করতে পারেন।

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • এক গ্লাস জলে দুই চামচ জীরা ভিজিয়ে  সারারাত রেখে দিন।
  • পরদিন সকালে উঠে আপনি যে শ্যাম্পু ব্যবহার করেন সেটি দিয়ে চুলটাকে ভালো করে পরিষ্কার করে নিন।
  • এবার চুলটা ভালো করে ধুয়ে নিন।
  • এবার চুল পরিষ্কার করে ধুয়ে নেওয়ার পর আগের দিন রাতে জীরা ভেজানো জল থেকে জীরা টাকে ছেঁকে নিয়ে জলটি সারা চুলে ঢেলে নিন।
  • এরপরে আবার জল দেওয়ার প্রয়োজন নেই। এটি চুলের কন্ডিশনারের কাজ করবে এবং চুলকে উজ্জ্বল করে তুলবে।

১৮) জীরা ব্যবহার করে খুশকি দূর করুন

হঠাৎ আবহাওয়ার পরিবর্তনে কিংবা অতিরিক্ত তৈলাক্ত স্ক্যাল্পের কারণে আমাদের মাথার ত্বকে খুশকি সৃষ্টি হয়। অতিরিক্ত খুশকির ফলে চুল নষ্ট হতে থাকে কিংবা চুল পড়ার সমস্যা বেড়ে যেতে থাকে। এছাড়াও মাথার ত্বক নোংরা হওয়ার ফলে মাথার উপর উকুন বাসা বাঁধতে পারে। তাই খুশকির সমস্যা সমাধান করার জন্য জীরার ব্যবহার করতে পারেন। কেননা জীরার মধ্যে থাকা অ্যান্টি-ব্যাকটেরিয়াল উপাদান গুলি মাথার ত্বক থেকে ফাংগাল ইনফেকশন দূর করে মাথার স্কাল্পকে সুরক্ষিত রাখে এবং একটি পরিষ্কার স্ক্যাল্প প্রদান করে। এবার তাই খুশকি সমস্যার সমাধান করুন জীরার সাহায্যে। এক নজরে জেনে নিন কিভাবে খুশকির সমস্যার সমাধান করতে কিভাবে জীরার ব্যবহার করবেন?

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • একটি পেঁয়াজের থেকে রস তৈরি করে সেই রসের মধ্যে জীরার গুঁড়ো মিশিয়ে একটি ঘন পেস্ট তৈরি করুন।
  • এবার এই মিশ্রণটি মাথার ত্বকে লাগিয়ে রেখে ৩০ মিনিট অপেক্ষা করুন।
  • এরপর পরিষ্কার জল দিয়ে মাথা ধুয়ে নিন।
  • এই মিশ্রণটি ব্যবহার করার পরে শ্যাম্পু ব্যবহার করার প্রয়োজন নেই।
  • তবে যদি পেঁয়াজের গন্ধ আসে মাথা থেকে সে ক্ষেত্রে শ্যাম্পু ব্যবহার করে নিতে পারেন।
  • এটি ব্যবহার করার ফলে এক সপ্তাহেই খুশকির সমস্যার সমাধান অনেকটা হবে।
  • সপ্তাহে তিন দিন এই মিশ্রণটি ব্যবহার করুন।

১৯) জীরার সাহায্যে চুল উজ্জ্বল করুন

দৈনন্দিন দৌড়ঝাঁপ কাজের চাপের মাঝে আমাদের চুলের দিকে নজর দিতে আমরা ভুলে যাই। সঠিকভাবে তেল লাগানো কিংবা শ্যাম্পু করা হয় তো হয়ে ওঠে না কিংবা তাড়াহুড়োর সময় হয়তো শ্যাম্পু করে বেরিয়ে যাই। সে ক্ষেত্রে যথাযথ পরিচর্যার সময় হয়ে ওঠে না, যার ফলে চুল রুক্ষ এবং শুষ্ক হয়ে উঠে এবং নিষ্প্রাণ হয়ে ওঠে। তাই চুলকে উজ্জ্বল করে তুলতে চুলের পরিচর্যায় জীরার ব্যবহার করুন। আপনি যে প্যাকটি ব্যবহার করছেন তার মধ্যে কিছু পরিমাণ জীরার গুঁড়ো প্রয়োগ করুন যা চুলকে উজ্জ্বল করে তুলবে। জীরার মধ্যে থাকা বিভিন্ন অ্যান্টিঅক্সিডেন্ট উপাদান গুলি হেয়ার ফলিকলকে ভেতর থেকে পুষ্টি জুগিয়ে উজ্জ্বল এবং সুন্দর করে তোলে।

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • আপনার চুলের দৈর্ঘ্য অনুযায়ী টক দই নিন।
  • এবার এর মধ্যে এক চামচ জীরার গুঁড়ো মিশিয়ে একটি মিশ্রণ তৈরি করুন।
  • এবার এই মিশ্রণটি চুলের গোড়া থেকে ডগা অব্দি ভালো করে লাগিয়ে নিন।
  • এরপর এক ঘণ্টা অপেক্ষা করুন।
  • তারপর আপনি যে শ্যাম্পু ব্যবহার করেন সেটি দিয়ে মাথা ধুয়ে নিন।
  • সপ্তাহে একদিন এই প্যাকটি মাথার ত্বকে ব্যবহার করুন, চুল উজ্জ্বল এবং সুন্দর হয়ে উঠবে।

জীরার পুষ্টিগত মান – Cumin Nutritional Value in Bengali

জীরার মধ্যে বিভিন্ন ধরনের বায়ু এক্টিভ উপাদানগুলি রয়েছে। এরমধ্যে সক্রিয় অবস্থায় বিভিন্ন তেল এবং কোমিনালহাইড রয়েছে। এক নজরে দেখে নিন এক টেবিল চামচ জীরার থেকে আমরা কি কি পুষ্টি উপাদান পেয়ে থাকি?  (১৫)

পুষ্টি মান ১ চামচ
পরিমান
জল গ্রাম .১৭
শক্তি কিলো ক্যালোরি
প্রোটিন গ্রাম .৪৭
কার্বোহাইড্রেট গ্রাম .৯৩
ফাইবার গ্রাম .
চিনি গ্রাম .০৫5
মিনারেল
ক্যালসিয়াম মিলিগ্রাম ২০
আয়রন মিলিগ্রাম .৩৯
ম্যাগনেসিয়াম মিলিগ্রাম
ফসফরাস মিলিগ্রাম ১০
পটাসিয়াম মিলিগ্রাম ৩৮
সোডিয়াম মিলিগ্রাম
জিঙ্ক মিলিগ্রাম .
ভিটামিন
ভিটামিন সি মিলিগ্রাম .
থায়ামিন মিলিগ্রাম .০১৩3
রাইবোফ্ল্যাভিন মিলিগ্রাম .০০৭
নিয়াসিন মিলিগ্রাম .০৯৬
ভিটামিন বি ৬ মিলিগ্রাম .০০৯
ভিটামিন এ ug
ভিটামিন ই IU ২৭
টোকোফেরোল মিলিগ্রাম .০৭
লিপিড
ফ্যাটি এসিড গ্রাম .০৩২
মোনো স্যাচুরেটেড ফ্যাটি এসিড গ্রাম .২৯৫
পলি স্যাচুরেটেড ফ্যাটি এসিড গ্রাম .০৬৯

জীরা ব্যবহারের বিভিন্ন উপায় : How to Use Cumin in Bengali

জীরার বীজ থেকে গুঁড়ো করে বিভিন্ন পদ্ধতিতে আপনি ব্যবহার করতে পারেন।

১) বিভিন্ন তরকারি, সুপ সস তৈরি করে জীরা ব্যবহার করতে পারেন।

২) যদি সরাসরি জীরার বীজ বা জীরার গুঁড়ো খেতে না চান সে ক্ষেত্রে জীরার গুঁড়োর তৈরি ক্যাপসুল বাজারে পাওয়া যায় সেটি কিনে খেতে পারেন।

৩) এছাড়াও জীরার বীজ থেকে বিভিন্ন তেল তৈরি হয় যেগুলি চিকিৎসকরাও খাওয়ার পরামর্শ দেন। সে গুলি খেয়েও জীরার ঘাটতি মেটাতে পারেন।

৪) এছাড়াও সাদা জীরা ও কালো জীরা বিভিন্ন রান্নায় বা বিভিন্ন খাবারে ব্যবহার করতে পারেন।

৫) জীরার বীজ থেকে বিভিন্ন ধরনের জেল তৈরি হয়ে মার্কেটে পাওয়া যায়। সেগুলি ও খেতে পারেন।

৬) এছাড়াও বিভিন্ন ব্যাধি থেকে প্রতিকার পাওয়ার জন্য জীরা দিয়ে তৈরি চা কিংবা জীরা ভেজানো জল খেতে পারেন। যেগুলি ওজন হ্রাস করার পাশাপাশি শরীরের রোগ-প্রতিরোধ ক্ষমতাকে বাড়িয়ে তুলে পেট পরিষ্কার রাখতে এবং শরীরকে ভেতর থেকে স্বচ্ছ রাখতে সহায়তা করবে।

 এক নজরে দেখে নিন কিভাবে জীরা দিয়ে চা কিংবা জীরা জল কীভাবে তৈরি করবেন?

১) একটি পাত্রে দেড় লিটার জল নিয়ে সেটিকে ভালো করে ফুটান।

২) এবার তার মধ্যে দু’চামচ জীরার বীজ দিয়ে দিন।

৩) এবার উচ্চ আঁচে কুড়ি মিনিটের জন্য জীরার বীজ গুলিকে জলের মধ্যে সিদ্ধ করুন।

৪) এরপর আঁচ বন্ধ করে দিয়ে জলটি ঠান্ডা করে রাখুন।

৫) এবার এটি আপনি বোতলে করে ফ্রিজে সংরক্ষণ করতে পারেন।

৬) প্রত্যেকবার খাবার আগে দিনে অন্তত তিনবার এটি খেতে পারেন। এটি পেট পরিষ্কার রাখতে সহায়তা করবে।

৭) এছাড়াও এক গ্লাস জলে এক চামচ জীরা ভিজিয়ে সারারাত রেখে দিন।

৮) পরদিন সকালে উঠে জীরা বীজগুলো ছেঁকে নিয়ে খালি পেটে সেই জল পান করুন।

৯) নিয়মিত খালি পেটে জীরা ভেজানো জল পান করলে পেট পরিষ্কার থাকবে এবং ওজন কমতে সহায়তা করবে।

১০) তবে যদি আপনার পছন্দ না হয় সেক্ষেত্রে সরাসরি জীরা বীজের ব্যবহার না করে জীরার গুঁড়ো ব্যবহার করতে পারেন কিংবা জীরার গুঁড়ো সাথে ধনে গুঁড়ো কিংবা কারিপাতা মিশিয়ে একটি মিশ্রণ তৈরি করে খাবারের মধ্যে ব্যবহার করতে পারেন।

জীরার অপকারিতা গুলো জেনে নিন : Side Effects of Cumin in Bengali

আমরা নিজেদের স্বাস্থ্য, চুল, ত্বক বিভিন্ন ক্ষেত্রে জীরার উপকারিতা সম্পর্কে জানলাম। কিন্তু অতিরিক্ত জীরা খাওয়াও কিংবা জীরার ব্যবহার কিন্তু ভালো নয়। সে ক্ষেত্রে এর কিছু কিছু অপকারিতাও রয়েছে। (১৫)

১) গবেষণায় দেখা গিয়েছে অতিরিক্ত জীরা খাওয়ার ফলে তা রক্তকে তরল করে দিতে পারে এবং অতিরিক্ত ব্যবহারের ফলে ডায়াবেটিক রোগীদের ক্ষেত্রে তা খারাপ প্রভাব ফেলতে পারে।

২) এছাড়া রক্তে শর্করার মাত্রা হঠাৎ কমে গিয়ে সে ক্ষেত্রে এক অন্যরকম ব্যাধির সৃষ্টি হতে পারে যার ফলে হঠাৎ ব্লাড প্রেসার কমে যেতে পারে।

৩) জীরা খুব স্বল্প পরিমাণে নির্দিষ্ট মাত্রায় দৈনিক ব্যবহার করা উচিত।

৪) জীরার তেল অতিরিক্ত ব্যবহার করলে তা মাঝারি জ্বালার সৃষ্টি হতে পারে।

৫) বিভিন্ন রকমের জীরা শরীরে বিভিন্নভাবে পরিপাক হয়। কালোজীরা, সাদা জীরা কিংবা সাধারণ জীরা সেটি একজনের শরীরে একেক রকম ভাবে প্রভাব ফেলতে পারে।

তাই আপনার শরীরে কতখানি জীরার প্রয়োজন, জীরা কিভাবে আপনার শরীরের কাজ করবে সেটা অবশ্যই বিশেষ কোনো কারণে ব্যবহার করার আগে কিংবা বিশেষ কোনো রোগের ক্ষেত্রে গ্রহণ করার আগে চিকিৎসক কিংবা পুষ্টিবিদের পরামর্শ নিয়ে নেওয়াই ভালো।কেননা প্রত্যেকের শরীর সমান নয়, কারও শরীরে প্রয়োজন বেশি থাকতে পারে, কারও শরীরে কম। তাই সেটা ব্যবহারের আগে অবশ্যই পুষ্টিবিদ এর সাথে আলোচনা করে গ্রহণ করুন।

জীরা এমন একটি মসলা যেগুলি ভারতীয়দের পাশাপাশি আফ্রিকান এবং মধ্যপ্রাচ্যের সকল মানুষের রান্নাঘরেই পাওয়া যায়। এটি উষ্ণ এবং রান্নার মধ্যে আলাদা একটি সাধ প্রেরণ করে। এছাড়াও এর চিকিৎসাগত মান উন্নততর। জীরার বীজ এবং ক্যাপসুল গুলি হজমে সহায়তা করে এবং শরীরের রোগ প্রতিরোধ ক্ষমতা গড়ে তোলে। নিয়মিত জীরা ভেজানো জল খাওয়ার ফলে শরীরের ওজন হ্রাস হয়। এবার তাই জীরার ব্যবহার করে শরীরকে সুস্থ করে তুলতে চাইলে নির্দিষ্ট পরিমাণ জীরা দৈনন্দিন খাদ্য তালিকায় রাখুন এবং আপনার প্রয়োজন অনুযায়ী সেটা গ্রহণ করুন। নিজেও সুস্থ থাকুন অপরকেও সুস্থ রাখতে সাহায্য করুন। এবং অবশ্যই পরবর্তী স্বাস্থ্যকর টিপস জানতে আমাদের সাথে থাকুন।

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হলুদের উপকারিতা, ব্যবহার এবং ক্ষতিকর দিক – Turmeric Benefits, Uses and Side Effects in Bengali

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রান্নাঘরে হোক কিংবা ত্বক পরিচর্যায়, আমাদের অন্যতম একটি পরিচিত উপাদান হলো হলুদ। ছোট থেকেই আমরা জেনে আসছি বিভিন্নরকম ভাবে হলুদের গুনাগুন সম্পর্কে। শরীরের সমস্যা, ত্বকের সমস্যা, পেটের সমস্যা সবেতেই সমান ভাবে কাজ করে চলেছে হলুদ। এছাড়াও বিভিন্ন অনুষ্ঠানে কিংবা শুভ ক্ষেত্রে হলুদের ব্যবহার আমরা সকলেই জানি। যেমন ধরো, সরস্বতী পুজো মানেই সকালবেলা কাঁচা হলুদ বেটে তা মেখে চান করে গিয়ে মা সরস্বতীর সামনে অঞ্জলি দেওয়া কিংবা ত্বকের জেল্লা বাড়াতে মা-ঠাকুমারা আমাদের এককথায় উপদেশ দিয়ে দেন হলুদ মাখতে। ত্বক পরিচর্যার ক্ষেত্রে হলুদের সাহায্যে আমরা নানা রকম প্যাক ব্যবহার করে থাকি। এছাড়া বর্তমানে অনেক বিউটি প্রোডাক্টেও হলুদের ব্যবহার হয়ে আসছে। সুতরাং হলুদের গুরুত্ব আমরা সকলেই জানি। প্রায়শই রবিবার ছুটির দিন একটা জমজমাট মাংস রান্না করতে হবে, সেখানেও কিন্তু সঙ্গী হলুদ। তবে এবার আমরা হলুদের সম্পর্কে এমন কিছু জানবো যেগুলো আমরা হয়তো জানিনা কিংবা জানলেও সেসব ক্ষেত্রে হলুদের ভূমিকা কি হতে পারে সেটা জানিনা। উন্নত আয়ুর্বেদ শাস্ত্রে শুরু থেকেই বিভিন্ন ত্বক পরিচর্যাকারী ঔষধি তৈরি করতে কিংবা কোন স্বাস্থ্যের প্রয়োজনীয় উপাদান তৈরি করতে হলুদের ব্যবহার হয়ে আসছে। গবেষণায় দেখা গিয়েছে হলুদে প্রচুর মাত্রায় অ্যান্টিঅক্সিডেন্ট ও অ্যান্টি ভাইরাল এবং অ্যান্টি-ব্যাকটেরিয়াল উপাদান সমূহ রয়েছে। তার সাথে হলুদের গুনাগুন মাত্রাকে আরো বাড়িয়ে দিয়েছে এর মধ্যে উপস্থিত অ্যান্টিফাঙ্গাল এবং অ্যান্টি-আর্সিনোজেনিক উপাদানসমূহ। এগুলি শরীরকে ভেতর থেকে রোগ মুক্ত করে স্বাস্থ্য রক্ষায় সহায়তা করে। আমাদের মধ্যে অনেকেই হয়তো আমরা সকাল বেলা খালি পেটে হলুদ দিয়ে আঁখি গুড় দিয়ে কিংবা হলুদ দিয়ে মধু দিয়ে খেয়ে থাকি। আসুন তাহলে এবার জেনে নিন হলুদ আমাদের দৈনন্দিন জীবনে আমাদের স্বাস্থ্য রক্ষায় এবং রূপচর্চায় কি কিভাবে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা গ্রহণ করে থাকে? ()

হলুদ কী? – What is Turmeric in Bengali

হলুদকে ভারতীয় জাফরান বা সোনার মশলাও বলা হয়। এটি গ্রহের অন্যতম স্বাস্থ্যকর উপাদান এবং এটি প্রমাণ করার জন্য এক টন গবেষণা রয়েছে।

এর সর্বাধিক শক্তিশালী উপাদান হল কারকুমিন যা আপনার স্বাস্থ্যের প্রায় প্রতিটি কার্যকলাপকে বাড়িয়ে তোলে, তা জয়েন্টের ব্যথা হ্রাস করেই হোক বা ডায়াবেটিস এবং আলঝাইমার চিকিৎসাই হোক না কেন। হলুদকে রোগ নিরাময় কারী হিসাবে বিবেচনা করা হয়েছে।

হলুদ আপনার শরীরের জন্য কেন উপকারী? How Does Turmeric Work in Bengali?

গাছের শিকড় থেকে প্রাপ্ত এক ধরনের মসলা জাতীয় উপাদান হলো হলুদ। পৃথিবীর বিভিন্ন দেশে মূলতঃ ভারত ও বাংলাদেশ রন্ধন প্রক্রিয়ার একটি উল্লেখযোগ্য উপাদান হলো হলুদ। এছাড়াও চিকিৎসা ক্ষেত্রেও এর ব্যবহার লক্ষ্য করা যায়। হলুদের বৈজ্ঞানিক নাম কারকুমা লঙ্গা। এটির মধ্যে রয়েছে প্রচুর পরিমাণে আয়রন, ম্যাগনেসিয়াম, ভিটামিন বি সিক্স, ফাইবার, কপার, পটাশিয়াম প্রভৃতি উপাদান। হলুদ মূলত রান্নার জন্য ব্যবহার করা হয়ে থাকে এবং ত্বক পরিচর্যায় ত্বকের সৌন্দর্য বৃদ্ধিতে হলুদ ব্যবহার করা হয়ে থাকে। এছাড়াও শরীরের রোগ প্রতিরোধক ক্ষমতাকে শক্তিশালী করতে সহায়তা করে হলুদ। হলুদকে ভারতীয় জাফরান বা সোনার মশলা হিসেবে বর্ণনা করা হয়। এটি এমন একটি উপাদান, যা আপনার স্বাস্থ্যকে সুরক্ষিত রাখতে সহায়তা করবে। বহু যুগ ধরেই আয়ুর্বেদ শাস্ত্রে এটি ব্যবহার হয়ে আসছে। দীর্ঘদিন ধরে হলুদ গ্রহণের মাধ্যমে এর উপকারী প্রভাব গুলো অর্জন করা সম্ভব হয়। জেনে নিন আপনার স্বাস্থ্য রক্ষায় হলুদ উপকারী কেন? হলুদের সবচেয়ে গুরুত্বপূর্ণ যৌগটি হল কারকুমিন। কারকুমিন যেকোনো প্রদাহের বিরুদ্ধে লড়াই করে আমাদের স্বাস্থ্যকে সুরক্ষিত রাখে এবং এর মধ্যে থাকা অ্যান্টিঅক্সিডেন্ট উপাদান গুলি ক্যান্সার, ডায়াবেটিস, লিভারের সমস্যার মতন গুরুত্বপূর্ণ সমস্যাগুলির সমাধান করে থাকে। যেমন, হৃদরোগের সমস্যা দূর হয়, ক্যান্সার প্রতিরোধে সহায়তা করে, আর্থারাইটিস এর ব্যথা কমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা গ্রহণ করে, এইডস, ডায়াবেটিস প্রভৃতি রোগের চিকিৎসা করে, আলঝেইমার রোগের চিকিৎসা করে, হতাশা বা উদ্বেগের প্রতিকার করতে পারে, হজম ব্যবস্থার উন্নতি করে, সর্দি কাশি নিরাময়ে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে, ওজন হ্রাস করতে পারে, লিভারের সমস্যার সমাধান করে, প্রাক মাসিক কিংবা মাসিকের ব্যথার সমস্যাগুলির দূর করে, মূত্রনালীর সংক্রমণ কমাতে সহায়তা করে। এ ধরনের বহু সমস্যার সমাধান ঘটাতে পারে হলুদ। ()

হলুদের উপকারিতা – Benefits of Turmeric in Bengali

দৈনন্দিন খাদ্য তালিকায় হলুদ রাখার ফলে এটি আমাদের শরীরে রোগ প্রতিরোধ ক্ষমতা গড়ে তুলতে সাহায্য করে। এর মধ্যে থাকা অ্যান্টিঅক্সিডেন্ট, অ্যান্টি ইনফ্লামেটরি, অ্যান্টিমাইক্রোবিয়াল, অ্যান্টি-ক্যান্সার বৈশিষ্ট্যগুলো বিভিন্ন রোগের চিকিৎসা এবং রোগ প্রতিরোধে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। হলুদ ফ্রী রাডিক্যালস এবং মহামারী জাতীয় রোগের অবস্থা উন্নতি ঘটাতে সহায়তা করে। এছাড়াও এটি ক্যানসারের কোষগুলিকে প্রভাব বিস্তার করতে বাধাদান করে, যার ফলে তা আটকানো সম্ভব হয়।হলুদ বাত, ত্বকের ক্যান্সার নিরাময়, যকৃতের অসুস্থতা, মূত্রনালীর সংক্রমণ সমস্যাগুলির সমাধান করে থাকে। দীর্ঘ সময় ধরে হলুদ খাদ্যতালিকায় ব্যবহার করলে উপকার শরীরের লক্ষ্য করা যায়। তবে হলুদ খাওয়া শুরু করার আগে বিস্তারে এর উপকার এবং অপকারী দিকগুলো সম্পর্কে জেনে নিন।

স্বাস্থ্যের জন্য হলুদের উপকারিতা – Health Benefits of Turmeric in Bengali

রান্নাঘরে একটি পুষ্টিকর খাদ্য তৈরি করতে হোক কিংবা কোনো প্যাক বানাতেই হোক, সর্বত্রই হলুদের গুনাগুন সম্পর্কে আমরা জেনেছি। তবে স্বাস্থ্য রক্ষায় হলুদ কি ভূমিকা পালন করে আসুন জেনে নিন।

১) লিভারের পরিশুদ্ধিকরণ করুন হলুদ দিয়ে : Detoxifies the Liver

Detoxifies the Liver

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লিভার শরীরের গুরুত্বপূর্ণ অঙ্গ গুলির মধ্যে অন্যতম। লিভার সুরক্ষায় অন্যতম একটি ভেষজ উপাদান হলো হলুদ। হলুদের মধ্যে থাকা অ্যান্টিঅক্সিডেন্ট উপাদানগুলো যেকোনো ধরনের লিভার রোগের চিকিৎসা করতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে ()। গবেষণায় দেখা গিয়েছে, হলুদের মধ্যে থাকা কারকুমিন উপাদানটি অক্সিডেটিভ বিরুদ্ধে লড়াই করে লিভারকে সুরক্ষিত রাখতে পারে। লিভারের ক্ষতির অন্যতম একটি প্রধান কারণ হলো এই অক্সিডেটিভ টেস্ট। এটি যকৃতের আঘাতকেও প্রতিরোধ করতে পারে এবং হেপাটিক স্বাস্থ্যের উন্নতি ঘটাতে পারে। কারকুমিন মূলত অ্যালকোহলযুক্ত ফ্যাটি লিভার চিকিৎসা ক্ষেত্রে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। গবেষণায় লক্ষ্য করা গিয়েছে, এর মধ্যে থাকা স্বাস্থ্যকর উপাদান গুলি লিভারকে সুরক্ষিত রাখতে সহায়তা করে। এছাড়াও এর মধ্যে থাকা অ্যান্টি-ব্যাকটেরিয়াল উপাদান গুলো যেকোনো ধরনের খাবার থেকে হওয়া সংক্রমণকে আটকাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। হলুদের মধ্যে থাকা কারকিউমিন লিভারকে শক্তিশালী করে তুলতে সাহায্য করে ()। যার ফলে লিভারের রোগ শরীরের ধারে-কাছে আসতে পারে না। এছাড়াও যারা ফ্যাটি লিভারের রোগের সমস্যায় ভুগছেন তাদের ক্ষেত্রে স্বস্তি মেলে। হলুদের মধ্যে থাকা উপাদানগুলো লিভারের জমে থাকা বর্জ্য পদার্থকে বের করে দিতে বিশেষ ভূমিকা পালন করে, যার ফলে লিভারের ক্ষতি হবার আশঙ্কা বহুলাংশে কমে যায়। ()

২) ডায়াবেটিস নিয়ন্ত্রণে হলুদের ভূমিকা : Diabetes

রক্তে শর্করার মাত্রা নিয়ন্ত্রণে রাখতে অন্যতম একটি গুরুত্বপূর্ণ উপাদান হলো হলুদ। () গবেষণায় লক্ষ্য করা গিয়েছে, দৈনিক যারা সকাল বেলা খালি পেটে কাঁচা হলুদ খায় তাদের দেহের অন্তরে এমন কিছু উপাদানের মাত্রা বৃদ্ধি পেয়েছে যার প্রভাবে ডায়াবেটিক রোগীদের ক্ষেত্রে ইনসুলিনের কর্মক্ষমতা বৃদ্ধি পায়। যার ফলে রক্তে শর্করার মাত্রা নিয়ন্ত্রণে চলে আসে। তাই বলাই যায়, ডায়াবেটিসের মতন মারণ রোগে আক্রান্ত হতে যদি না চান তবে দৈনিক খালি পেটে অবশ্যই কাঁচা হলুদ গ্রহণ করুন। হলুদে থাকা কারকিউমিন অ্যান্টি ডায়াবেটিক এজেন্ট হিসেবে কাজ করে। এছাড়াও কাঁচা হলুদ ইনসুলিন হরমোনের ক্রিয়াকে নিয়ন্ত্রণে রাখে ()। যার ফলে রক্তে শর্করার মাত্রা সঠিক থাকে এবং অগ্নাশয় সুস্থ থাকে। হলুদের মধ্যে থাকা কারকিউমিন ডায়াবেটিক নিউরোপ্যাথি রোধ করতেও সহায়তা করে। এছাড়া ডায়াবেটিস এর সাথে যুক্ত কিছু রোগ থেকেও মুক্তি দেয়। এছাড়া যেকোনো ধরনের প্রদাহ কিংবা অক্সিডেটিভ চাপ কেও নিয়ন্ত্রণে রাখে ()। কারকিউমিন কেবলমাত্র রক্তে গ্লুকোজের মাত্রাকে হ্রাসই করে না, তার পাশাপাশি রক্তের উচ্চ ফ্যাট নিয়ন্ত্রণে রাখে। কারকিউমিন বিটা সেলগুলোর কার্যকারিতাকে উন্নত করে ইনসুলিন তৈরি করে, যা রক্তে গ্লুকোজের মাত্রাকে নিয়ন্ত্রণে রাখে। ()

৩) অনাক্রম্যতা বৃদ্ধিতে হলুদের ভূমিকা : Boost Immunity

শরীরের রোগ প্রতিরোধ ক্ষমতার বৃদ্ধি ঘটাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে হলুদ। হলুদের মধ্যে থাকা অ্যান্টিঅক্সিডেন্ট এবং অ্যান্টি ইনফ্লেমেটরি, অ্যান্টিব্যাকটেরিয়াল উপাদান গুলো শরীরকে রোগ জীবাণু থেকে রক্ষা করে। এটি শরীরকে যে কোন ব্যাকটেরিয়ার আক্রমণ থেকে রক্ষা করে। যা খাদ্যনালী কে সুরক্ষিত রাখতে সাহায্য করে। আমরা দৈনিক যে সমস্ত খাবার খাই তা সবসময় পরিচ্ছন্ন নাও হতে পারে। তার মধ্যে থেকেও অনেক সময় নানা জীবাণু আমাদের শরীরের ভেতরে যেতে পারে, যা কাঁচা হলুদ বা হলুদ গুঁড়ো দৈনিক খাদ্যতালিকায় রাখলে খাদ্যনালীকে সে সমস্ত ক্ষতিকারক জীবাণু সংক্রমণ থেকে রক্ষা করে এবং যে কোনও ধরণের ব্যাথার হাত থেকে মুক্তি দেয়। এছাড়াও বর্তমানে আবহাওয়া পরিবর্তনের সময় আমাদের মধ্যে অনেকেই হঠাৎ অসুস্থ হয়ে পড়ে, যার ফলে শরীর দুর্বল হয়ে ওঠে এবং শরীরের রোগ প্রতিরোধ ক্ষমতা কমে যায়। তাই একে একে রোগ আমাদের ঘিরে ধরে। দৈনিক যদি এক গ্লাস দুধে এক চামচ হলুদ মিশিয়ে খাওয়া যায় সে ক্ষেত্রে এই সমস্ত সমস্যা থেকে সমাধান পাওয়া যায়। আসলে হলুদ দুধে থাকা বিভিন্ন উপকারী উপাদান গুলো শরীরের রোগ প্রতিরোধ ক্ষমতাকে বাড়িয়ে তোলে যার ফলে কোন রোগ শরীরের কাছাকাছি আসতে পারে না এবং শরীর সুস্থ রাখতে সাহায্য করে।

৪) ক্যান্সার প্রতিরোধ করুন হলুদের সহায়তায় : Cancer

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কোলন, পেট এবং ত্বকের ক্যান্সারের মতো রোগের নিরাময়ে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে হলুদ। এর মধ্যে থাকা প্রতিরক্ষামূলক উপাদানগুলো ক্যান্সারের জীবাণুকে শরীর থেকে দূরে রাখে। গবেষণায় দেখা গিয়েছে, হলুদে থাকা কারকুমিন জাতীয় যৌগটি ক্যান্সারের সম্ভাবনা শরীর থেকে হ্রাস করতে পারে এবং এর বিস্তারকে নিয়ন্ত্রণে রাখতে পারে। এছাড়া ওই যৌগটি কেমোথেরাপি কার্যকর করে তোলে এবং এই প্রক্রিয়াতে স্বাস্থ্যকর কোষগুলিকে সুরক্ষা প্রদান করে। (১০) শরীরকে সুস্থ করে তুলতে সহায়তা করে কারকিউমিন। প্রোস্টেট ক্যান্সার, কোষের মৃত্যুকে নিয়ন্ত্রণে রাখতে পারে। এছাড়াও এটি যেকোনো প্রদাহের সাথে লড়াই করে শরীরকে প্রদাহ মুক্ত করে। গবেষণার লক্ষ্য করা গিয়েছে, কারকিউমিন প্রায় সমস্ত রকমের ক্যানসারের কোষ গুলিতেই একই প্রভাব বিস্তার করে (১১)। প্রোস্টেট, ফুসফুস এবং অগ্ন্যাশয় ক্যান্সারের ক্ষেত্রে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে। এটি ক্যানসারের কোষগুলিকে মেরে ফেলে স্বাস্থ্য রক্ষায় সহায়তা করে (১২)। বিভিন্ন গবেষণা থেকে জানা গিয়েছে যে, যারা দৈনিক কাঁচা হলুদ খায় তাদের প্রায় ছাপ্পান্ন রকমের ক্যান্সার হওয়ার সম্ভাবনা কম থাকে এবং ক্যান্সারের কোষের বৃদ্ধি বন্ধ করে শরীরকে সুস্থ রাখতে সহায়তা করে। (১৩)

৫) ওজন কমাতে হলুদের ভূমিকা : Weight Loss/Metabolism

বর্তমানে ফাস্টফুডের জীবনে ওজন নিয়ে সকলেরই একটা চিন্তা রয়েছে। তবে একটি সামান্য উপাদান দৈনন্দিন গ্রহণের ফলে আপনি আপনার ওজন কে নিয়ন্ত্রণে রাখতে পারেন। কেননা এই উপাদানটি আপনার রান্না ঘরেই রয়েছে, হলুদ। কাঁচা হলুদের মধ্যে থাকা আন্টি ওবেসিটি বৈশিষ্ট্য সম্পন্ন উপাদানগুলি শরীরের বাড়তি মেদ জমতে দেয় না এবং মেটাবোলিজমের হার বাড়িয়ে দেয় (১৪)। যার ফলে শরীরে বাড়তি মেদ জমার সম্ভাবনা হ্রাস পায়। হলুদের মধ্যে থাকা কারকিউমিন স্থূলতার সাথে সম্পর্কিত যেকোনো অস্বস্তি কে কমাতে পারে। এছাড়া এটি শরীর থেকে বাড়তি ফ্যাট বের করে দিতে সহায়তা করে (১৫)। যারা দৈনিক হলুদ গ্রহণ করেন তাদের শরীরে ফ্যাট কোষগুলির বৃদ্ধি হ্রাস পায়। মূলত হলুদের এনজিওজেনিক ক্রিয়াকলাপ গুলো এই ফ্ল্যাট টিস্যুগুলো কমাতে সাহায্য করে। এগুলো শরীরের যে সমস্ত টিস্যুগুলো ওজন বৃদ্ধিতে মুখ্য ভূমিকা গ্রহণ করে সেগুলিকে দমন করতে সহায়তা করে। স্থূলতা দীর্ঘস্থায়ী প্রদাহের সাথে জড়িত যেহেতু হলুদ যে কোন প্রদাহের বিরুদ্ধে লড়াই করে তাই এটি ওজন বৃদ্ধির সমস্যার সমাধান করতে পারে (১৬)। হলুদের মধ্যে থাকা কারকিউমিন শরীরের ফ্যাট সংরক্ষণকারী কোষগুলির উৎপাদনে বাধা সৃষ্টি করে। কারকিউমিন ওজন বৃদ্ধিতে বাধা দেয় এবং বিপাকীয় প্রক্রিয়ার নিয়ন্ত্রণকে উন্নত করে। যথাযথ ডায়েট এবং ব্যায়ামের মাধ্যমে ওজন হ্রাসের সময়সীমা অনুসরণ করার পাশাপাশি খাদ্য তালিকায় দৈনিক হলুদ রাখা গুরুত্বপূর্ণ। (১৭)

৬) প্রদাহ নিয়ন্ত্রণে হলুদের ব্যবহার : Anti-inflammatory

হলুদে থাকা কারকুমিন প্রদাহ নিয়ন্ত্রন করে এবং শরীরের রোগ প্রতিরোধ ক্ষমতা টির উন্নতি ঘটায়। সমীক্ষায় দেখা গিয়েছে যে, হলুদ হাঁড়ের চিকিৎসার পাশাপাশি যেকোনো জয়েন্টের ব্যথা প্রতিরোধে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে (১৮)। আর্থারাইটিস আক্রান্ত ব্যক্তিদের ক্ষেত্রে কারকিউমিন গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। গবেষণায় দেখা গিয়েছে, হলুদের মধ্যে থাকা প্রদাহজনিত বৈশিষ্ট্যগুলো অস্টিওআর্থারাইটিস এর লক্ষণগুলি কে কমাতে সহায়তা করে (১৯)। এছাড়া এটি হাঁটু ব্যথার প্রতিকার করতেও সহায়তা করে। বেশিরভাগ ধরনের পেশীবহুল ব্যথা, হাঁটুর ব্যথা কমাতে হলুদ গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে (২০)। হলুদের মধ্যে থাকা অ্যান্টি ইনফ্লামেটরি উপাদানগুলো শরীরকে যেকোনো প্রদাহজনিত জীবাণুর হাত থেকেও রক্ষা করে এবং পেটে ব্যথা, হাঁটু ব্যথা, বাতের ব্যথার মতন সমস্যা গুলোর সমাধান করে থাকে। (২১)

৭) অ্যান্টিঅক্সিডেন্ট প্রদান করে থাকে হলুদ : Anti-oxidant

শরীরে অ্যান্টিঅক্সিডেন্ট উপাদান গুলো প্রদান করে থাকে হলুদ, যা শরীরকে অ্যানিমিয়ার হাত থেকে রক্ষা করে। মূলত মেয়েদের ক্ষেত্রে অ্যানিমিয়া হওয়ার প্রবণতা লক্ষ্য করা যায়। তাই মেয়েদের দৈনিক কাঁচা হলুদ খাওয়া প্রয়োজনীয়। এ ছাড়াও হলুদের মধ্যে থাকা কারকিউমিন লোহিত রক্ত কণিকা কে রক্ষা করে। এছাড়াও হলুদের মধ্যে থাকা আয়রন রক্তে আয়রনের ঘাটতি মেটায়। এছাড়াও শরীর থেকে যেকোন ধরনের বর্জ্য বের করে দিতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে হলুদ। এছাড়াও হলুদের মধ্যে থাকা অ্যান্টি-ইনফ্লামেটরি উপাদানগুলো যেকোনো ধরনের মাসিকের যন্ত্রণা থেকে মুক্তি দেয়, মাসিকের পূর্ববর্তী সময়ে কিংবা মাসিক চলাকালীন সময় যে সমস্যা গুলো লক্ষ্য করা যায় সেগুলো কমাতে সহায়তা করে হলুদ। এছাড়াও এটি ক্ষত নিরাময়ে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে এবং রক্তসঞ্চালন ঘটাতে সাহায্য করে।

৮) হৃদযন্ত্রের সুরক্ষায় হলুদের ব্যবহার : Heart Health/Cholesterol

সারা বিশ্বব্যাপী প্রতিবছর প্রায় ৩১ শতাংশ মানুষ হৃদরোগের কারণে মৃত্যুবরণ করেন, যা সংখ্যায় প্রায় ১৮ মিলিয়ন এর কাছাকাছি।(২২) হলুদে থাকা কারকিউমিন হৃদরোগের প্রতিরোধ করে। এর মধ্যে থাকা অ্যান্টিঅক্সিডেন্ট বৈশিষ্ট্যগুলি কার্ডিও টক্সিসিটি এবং ডায়াবেটিসজনিত হার্টের সমস্যাগুলির সমাধান করতে সহায়তা করে। এছাড়াও এটি হার্টফেল এবং কার্ডিয়াক হাইপারট্রফি এর মতন সমস্যাগুলো সমাধান করতে সমর্থ। হলুদের অ্যান্টি-ইনফ্লেমেটরি গুনাগুন গুলি অনিয়মিত হার্টবিটকে প্রতিরোধ করতে পারে। গবেষণায় দেখা গিয়েছে, উচ্চ রক্তচাপের কারণে হার্ট অ্যাটাকের মতন সমস্যাগুলি হতে পারে, হলুদ এগুলিকেও প্রতিরোধ করতে পারে। তীব্র করণারি সিনড্রোম যুক্ত ব্যাক্তিদের মধ্যে কারকিউমিন কোলেস্টেরল এবং খারাপ কোলেস্টেরলের মাত্রাকে কমাতে সাহায্য করে। নিয়মিত কাঁচা হলুদ খেলে স্ট্রোকের সম্ভাবনা অনেকটা কমে যায়। কেননা কাঁচা হলুদের মধ্যে থাকা অ্যান্টিঅক্সিডেন্ট এবং অ্যান্টি-ইনফ্লেমেটরি বৈশিষ্ট্যগুলো স্ট্রোকের পরবর্তী চিকিৎসায় অনেক উপকার করে। এছাড়াও কাঁচা হলুদ হার্টকে বিভিন্ন ক্ষতির হাত থেকে রক্ষা করে। এছাড়া অপারেশনের পরে যে সমস্ত হার্ট অ্যাটাকের সম্ভাবনা থাকে সেগুলো প্রতিরোধ করতেও সাহায্য করে থাকে কাঁচা হলুদ। তাই দৈনিক খাদ্যতালিকায় কাঁচা হলুদ রাখার চেষ্টা করুন। (২৩)

৯) হজম ক্ষমতা বৃদ্ধিতে হলুদের ভূমিকা : Digestion

হলুদের মধ্যে থাকা কারকিউমিন গ্যাস্ট্রিক আলসারের চিকিৎসা করতে পারে। কারকিউমিন এর এই অ্যান্টি ইউলার ক্রিয়া-কলাপ তার অ্যান্টিঅক্সিডেন্ট বৈশিষ্ট্যকে উদ্ভূত করে (২৪)। কারকিউমিন এর অ্যান্টি ইনফ্ল্যামেটরি প্রভাব গুলি খাদ্যনালীতে থাকা প্রদাহের চিকিৎসা করে। এছাড়াও কারকিউমিনে থাকা উপাদানগুলি গ্যাস্ট্রোসফেজিয়াল ডিজিজের চিকিৎসা করতে সহায়তা করে (২৫)। আলসারেটিভ কোলাইটিস এর চিকিৎসার ক্ষেত্রে হলুদের ভূমিকা রয়েছে। এটি হজমের উন্নতি ঘটিয়ে প্রদাহজনিত পেটের রোগ, কোলোরেক্টাল ক্যানসার, লিভারের রোগ এবং ডায়রিয়ার সমস্যার সমাধান করতে পারে। গবেষণায় দেখা গিয়েছে, যারা নিয়মিত হলুদ খায় তাদের ক্ষেত্রে হজমে সহায়ক পাচকরস এর ক্ষরণ বেড়ে যায়। যার ফলে বদহজমের সমস্যা কমে যায়। সেইসঙ্গে গ্যাস অম্বল এবং অ্যাসিডিটির মতো সমস্যা কমতে থাকে। যার ফলে গ্যাস্ট্রোইনটেস্টাইনাল ইনফেকশন কমাতে কাঁচা হলুদ গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। (২৬)

১০) মানসিক স্বাস্থ্য রক্ষায় হলুদের ভূমিকা : Brain Health/Alzheimer’s disease

Brain HealthAlzheimer's disease

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মানসিক স্বাস্থ্য রক্ষায় গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে হলুদ। আলঝেইমার রোগে আক্রান্ত রোগীদের হলুদের মধ্যে থাকা কারকিউমিন শারীরিক অবস্থার উন্নতি ঘটায়। হলুদের কারকিউমিন এ উপস্থিত অ্যান্টিঅক্সিডেন্ট এবং অ্যান্টি-ইনফ্লেমেটরি বৈশিষ্ট্য গুলিকে এ ক্ষেত্রে প্রভাব বিস্তার করতে লক্ষ্য করা যায় (২৭)। আলঝেইমার এমন এক ধরনের রোগ যা স্নায়ু কোষ কে নিষ্ক্রিয় করে দেয়। কারকিউমিন এগুলির সাথে লড়াই করে আলঝেইমার প্রতিরোধ করে। হলুদে উপস্থিত অপর একটি রাসায়নিক উপাদান হলো টিউমারন, যা মস্তিষ্কের কোষকে উদ্দীপ্ত করতে সহায়তা করে। এটি আলঝেইমার রোগ কিংবা নিউরো ডিজেনারেটিভ যে কোন অবস্থার উন্নয়নে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে এবং মানসিক স্বাস্থ্যকে সুস্থ রাখতে সহায়তা করে (২৮)। ডায়াবেটিসে আক্রান্ত ব্যক্তিদের ক্ষেত্রে কারকিউমিন মস্তিষ্কের কার্যক্ষমতা বৃদ্ধি করতে সহায়তা করে। এটি ইনসুলিনের গ্লুকোজ বাড়িয়ে ডায়াবেটিক নিউরোপ্যাথি কে প্রতিহত করে। এর পাশাপাশি গবেষণায় দেখা গিয়েছে যে কোন ধরনের ডিপ্রেশনের সমস্যার সমাধানে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে হলুদ। এটি স্ট্রেস, ডিপ্রেশন বা হতাশা আক্রান্ত রোগীদের ক্ষেত্রে ব্যবহার করা হয়ে থাকে (২৯)। সমীক্ষায় দেখা গিয়েছে, হলুদে উপস্থিত কারকিউমিন হতাশার জন্য একটি অন্যতম নিরাপদ এবং প্রাকৃতিক চিকিৎসা। গবেষণায় দেখা গিয়েছে, কারকিউমিন অ্যান্টিডিপ্রেসেন্ট এর কার্যকারিতা বাড়াতে সক্ষম। তাই মানসিক স্বাস্থ্য রক্ষায় দৈনিক এক টুকরো করে কাঁচা হলুদ কিংবা হলুদের গুঁড়ো খাওয়া প্রয়োজন। (৩০)

১১) প্রাকৃতিক বেদনা নাশক হিসেবে পরিচিত হলুদ : Natural Pain Killer

প্রাকৃতিক বেদনানাশক উপাদান হিসেবে পরিচিত হলুদ। এটির মধ্যে থাকা অ্যান্টি-ইনফ্লেমেটরি এবং অ্যান্টি ব্যাকটেরিয়াল বৈশিষ্ট্যগুলো যেকোনো ধরনের ব্যথা কমাতে সহায়তা করে। বাতের ব্যথা, হাঁটুর ব্যথা, বিভিন্ন ব্যথার মতো গুরুত্বপূর্ণ সমস্যাগুলির সমাধানে হলুদ কার্যকরী ভূমিকা পালন করে। এছাড়াও পেটের ব্যথা কিংবা পেটের সংক্রমণ থেকেও শরীরকে সুস্থ রাখে। আর্থারাইটিস এর মতন গুরুতর সমস্যার সমাধানও হলুদের সাহায্য করা যায়। হলুদের মধ্যে থাকা কারকিউমিন যৌগটি যেকোনো ধরনের ব্যথা কমাতে সহায়তা করে। হঠাৎ করে গুরুতর চোট আঘাত পেলে সে ক্ষেত্রে যে কোন ধরনের ওষুধের তুলনায় গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে হলুদ। এছাড়াও যারা দীর্ঘদিন ধরে বাতের ব্যথায় ভুগছেন তাদের মধ্যে হলুদ খুবই গুরুত্বপূর্ণ। এর মধ্যে থাকা কারকিউমিন নানা রকম ভাবে আর্থ্রাইটিসের হাত থেকে আমাদের বাঁচায়। এ ছাড়াও কাঁচা হলুদ অ্যান্টি ইনফ্ল্যামেটরি এজেন্ট হিসেবে কাজ করে। শরীরের যেকোনো ধরনের হাড়ের ব্যথা কিংবা পেশীর ব্যথা কমাতে সহায়তা করে। এ ধরনের ব্যথা থেকে মুক্তি পেতে ফিজিও থেরাপির পাশাপাশি প্রাকৃতিক উপাদান হিসেবে যদি হলুদের ব্যবহার করা যায় সে ক্ষেত্রে সহজেই এর থেকে মুক্তি পাওয়া যায়। এছাড়াও দাঁতের ব্যথা এসমস্ত ক্ষেত্রেও হলুদের ব্যবহার লক্ষ্য করা যায়। এবং অন্যতম আরেকটি গুরুত্বপূর্ণ সমস্যা হলো সাইনাস। সাইনাস এর মাথা ব্যথায় কষ্ট পেলেই এক গ্লাস হলদি দুধ নিমেষে সেই সমস্যার সমাধান করে। এর মধ্যে থাকা অ্যান্টিইনফ্লেমেটরি উপাদান গুলো শরীরের যে কোন অংশের ব্যথা কমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে। এছাড়াও যেকোন ধরনের চোট-আঘাতের সমস্যা থেকেও মুক্তি পাওয়া যায় হলুদ এর সহায়তায়।

১২) মাসিকের যন্ত্রণা কমাতে হলুদের ব্যবহার : Reduces Menstrual Pain

মাসের একটি বিশেষ সময়ে মহিলাদের শরীরে নানা ধরনের শারীরিক সমস্যা দেখা যায়। তা মাঝেমধ্যে এতটাই কষ্টকর হয়ে যায় যে সহ্যসীমার বাইরে চলে যায়। এমন পরিস্থিতিতে যদি অল্প করে হলুদ খাওয়া যায় তাহলে এই সমস্যার থেকে উপকার বলে। কারণ হলুদের মধ্যে থাকা অ্যান্টিইনফ্লেমেটরি উপাদান গুলি মাসিক সংক্রান্ত যে কোনও কষ্ট পেটের যন্ত্রণা কমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। মূলতঃ হলুদকে ইস্ট্রোজেন হরমোনের উদ্ভিজ্জ উৎস হিসেবে বর্ণনা করা হয়। মেয়েদের শরীরে থাকা অন্যতম একটি গুরুত্বপূর্ণ হরমোন ইস্ট্রোজেন। মেনোপজ এর সময় পেটে ব্যথা, ডিপ্রেশন কাটাতে কাঁচা হলুদের ব্যবহার অনবদ্য। কারণ এর মধ্যে থাকা অ্যান্টি ইনফ্লেমেটরী, অ্যান্টিঅক্সিডেন্ট বৈশিষ্ট্যগুলো যেকোনো ধরনের ব্যথার থেকে আরাম প্রদান করে এবং মানসিক শান্তি প্রদান করে থাকে। শারীরিক অস্বস্তি কাটিয়ে স্বাভাবিক হতে সাহায্য করে। এছাড়াও হলুদ প্রাক মাসিক বিভিন্ন লক্ষণ গুলি এবং সমস্যাগুলি থেকে মুক্তি প্রদান করে থাকে। কেননা এটি পিএমএস এর লক্ষণগুলির তীব্রতাকে নিয়ন্ত্রণ করতে পারে। যার ফলে মাসিকের ক্ষেত্রে হলুদের ব্যবহার গুরুত্বপূর্ণ।(৩১)

১৩) বাতের ব্যথা কমাতে হলুদের ব্যবহার : Arthritis

ইতিমধ্যেই আমরা জেনে নিয়েছি যে, যেকোনো ধরনের ব্যথা কমাতে হলুদের ব্যবহার অত্যন্ত গুরুত্বপূর্ণ। এক্ষেত্রে বাতের ব্যথা, হাঁটুর ব্যথা, যে কোন ধরনের পেশি ব্যথা গুলোর সমস্যার ক্ষেত্রে হলুদ ব্যবহার করা হয়ে থাকে। হলুদের মধ্যে থাকা অ্যান্টি-ইনফ্লেমেটরি উপাদানগুলো শরীরের ভেতর থেকে ব্যথা নিরাময়ে সহায়তা করে। গবেষণায় লক্ষ্য করা গিয়েছে, হলুদের মধ্যে থাকা কারকিউমিন যেকোনো ধরনের প্রদাহ কে হ্রাস করতে সহায়তা করে। এছাড়াও আর্থারাইটিস কিংবা হার্টের সমস্যায় যারা ভুগছেন তাদের ক্ষেত্রেও হলুদ গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। হলুদের প্রদাহ বিরোধী বৈশিষ্ট্য গুলি অস্টিওআর্থারাইটিস এর লক্ষণগুলির চিকিৎসা করতেও সহায়তা করে। এছাড়া যাদের হাঁটু ব্যথা, পেশীবহুল ব্যথা রয়েছে সেগুলি সমাধান করতে হলো সহায়তা করে। হলুদ রক্তে অক্সিজেন প্রেরণ করে। যেগুলো শরীরের বিভিন্ন কোষে পৌঁছে রক্তসঞ্চালন বৃদ্ধি ঘটায় এবং শরীরের যেখানে যেখানে ব্যথার সৃষ্টি হয়। সেখানে সঠিক রক্ত সঞ্চালনের ফলে রক্ত চলাচল সঠিকভাবে হয় এবং যে কোন ধরনের ব্যথা বা ফুলে যাওয়ার মতন সমস্যাগুলির সমাধান হয়। বাতের ব্যথা এক ধরনের দীর্ঘ স্থায়ী ব্যথা। হলুদের ব্যবহার করলে তার উপকারী ফল লাভ করা যায়।

১৪) প্রাকৃতিক জীবাণুনাশক হিসেবে হলুদের ব্যবহার : Natural Antiseptic/Wounds Healing

হলুদের মধ্যে থাকা অ্যান্টি-ব্যাকটেরিয়াল এবং অ্যান্টি-ভাইরাল বৈশিষ্ট্যগুলো যেকোনো ধরনের ব্যাকটেরিয়া কে সহজেই ধ্বংস করে দিতে পারে। বিভিন্ন রকম পেটের অসুখ কিংবা ত্বকের রোগের ক্ষেত্রে হলুদের ব্যবহার গুরুত্বপূর্ণ। খাবারের মাধ্যমে পেটে যদি কোনরকম জীবাণুর সংক্রমণ হয়, সে ক্ষেত্রে কাঁচা হলুদ খালি পেটে মধু কিংবা আঁখের গুড় দিয়ে গ্রহণ করলে এই সমস্যার সমাধান করা সম্ভব হয়। কিংবা ত্বকের কোথাও কোন রকম ক্ষত দেখা দিলে কিংবা পোকামাকড়ের কারণে যদি জীবাণুর সংক্রমণ ঘটে সে ক্ষেত্রে তার ওপর হলুদ এবং গোলাপ জল মিশ্রন করে যদি লাগানো যায় তার নিরাময় পাওয়া যায়। হলুদের মধ্যে অ্যান্টিব্যাকটেরিয়াল বৈশিষ্ট্য থাকার কারণে যে কোন জীবাণুকে ধ্বংস করতে সহায়তা করে হলুদ। তাই নিয়মিত সকাল বেলা খালি পেটে কাঁচা হলুদ খাওয়া উচিত। এটি শরীরকে যেকোনো ধরনের জীবাণুর সংক্রমণ থেকে রক্ষা করবে। হলুদের কারকিউমিন অ্যান্টি-ইনফ্লেমেটরি ও অ্যান্টি ব্যাকটেরিয়ার আক্রমণ থেকে আমাদের খাদ্যনালী কে রক্ষা করে। আমরা প্রত্যেক দিন যে খাবার খাই তার মধ্যে থেকে অনেক সময় পেটের ভেতর জীবাণু যেতে পারে। তাই খাবারে কাঁচা হলুদ বা হলুদ গুঁড়ো ব্যবহার করবো খাদ্যনালী ক্ষতিকর জীবাণুর সংক্রমণ থেকে রক্ষা করা যায় এবং খাদ্যনালীর প্রদাহের সম্ভাবনা কম থাকে।

১৫) সর্দি কাশি নিরাময়ে হলুদের ভূমিকা : Cough

Cough

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বর্তমানে আবহাওয়া পরিবর্তনের সময় একটি গুরুত্বপূর্ণ সমস্যা হলো সর্দি কাশি। ছোট থেকে বড় প্রায় সব ঘরেই এই সমস্যা লেগেই রয়েছে (৩২)। কারো কারো আবার এলার্জির কারণে কিংবা শারীরিক কারণে বা জ্বরের মত সমস্যার কারণে সর্দি-কাশি দেখা যায়। তবে এই সমস্যা থেকে সহজেই মুক্তি পাওয়া যায় হলুদের সহায়তায়। হলুদের মধ্যে থাকা কারকিউমিন যেকোনো ধরনের সর্দি-কাশি, ইনফ্লুয়েঞ্জা কমাতে সহায়তা করে (৩৩)। এছাড়াও কাঁচা হলুদ আমাদের শরীরের অনাক্রম্যতা বাড়াতে সাহায্য করে, যা শরীরকে সর্দি-কাশির মতন রোগগুলো থেকে আরাম দেয়। কাঁচা হলুদে থাকা ভিটামিন সি সর্দি কাশি কমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। রাতে শুতে যাওয়ার আগে যদি হলুদ দুধ খাওয়া যায় সে ক্ষেত্রে কাশি সর্দি এবং যেকোনো ধরনের শ্বাসকষ্টজনিত অসুস্থতার থেকে আরাম পাওয়া যায়। হলুদ ফুসফুসের প্রদাহ কমাতে সহায়তা করে। এছাড়াও এটি হাঁপানি, ব্রংকাইটিস এর মতন শ্বাসজনিত রোগ গুলির চিকিৎসা করতে সহায়তা করে। কারকিউমিন হাঁপানিজনিত প্রদাহ কম করতে পারে। এর পাশাপাশি চিকিৎসা প্রদান করে। হলুদের প্রদাহ বিরোধী বৈশিষ্ট্যগুলো সাইনাসের ক্ষেত্রেও অস্বস্তি হ্রাস করে ব্যথা থেকে নিষ্পত্তি দেয়। (৩৪)

ত্বকের জন্য হলুদের উপকারিতা – Skin Benefits of Turmeric in Bengali

সুন্দর ঝলমলে, উজ্জ্বল ত্বক সকলেরই একটা স্বপ্ন থাকে। সেক্ষেত্রে হলুদ একটি অন্যতম উপাদান যা স্কিনের যে কোন রকম সমস্যায় ব্যবহার করা যায়। এছাড়া স্কিন থেকে রোদে পোড়া দাগ, বলিরেখা, দাগ কমাতে সহায়তা করে হলুদ। যেকোনো ধরনের বাজারজাতও প্রোডাক্ট কে হার মানিয়ে দেবে হলুদের ব্যবহার। তবে দীর্ঘদিন ধরে এর ব্যবহার করলেই সে ক্ষেত্রে প্রভাব লক্ষ্য করা যায়। আসুন তাহলে জেনে নিন কিভাবে হলুদ দিয়ে নিজেকে আরও সুন্দর এবং জেল্লাদার করে তুলবেন?

১) ব্রণ দূরীকরণে হলুদের ব্যবহার : Acne Treatment

ব্রণ এবং ব্রণও কমে যাওয়ার ফলে দাগ সব একটি অত্যন্ত চিন্তার বিষয়। এই সমস্যার সমাধান মূলত যাদের তৈলাক্ত ত্বক তাদেরই অধিকাংশ ভুগতে লাগে। কিন্তু এই সমস্যা থেকে সমাধান হওয়ার জন্য হাতের কাছেই রয়েছে হলুদ। মূলত যারা ব্রণের সমস্যায় ভুগছেন তাদের কাছে কাঁচা হলুদ একটি অত্যন্ত প্রয়োজনীয় উপাদান। এর মধ্যে থাকা অ্যান্টি ব্যাকটেরিয়া এবং অ্যান্টি-ইনফ্লেমেটরি উপাদানগুলো ত্বকে যেকোনো ইনফেকশনের হাত থেকে রক্ষা করে। এছাড়াও এটি ত্বককে উজ্জ্বল করতে সহায়তা করে। এছাড়াও নিয়মিত যদি হলুদ মেশানো দুধ খাওয়া যায় সেক্ষেত্রে ত্বকের ভেতর থেকে টক্সিন বেরিয়ে যায়। এর পাশাপাশি কোলাজেনের উৎপাদন বেড়ে যায়। যার ফলে ত্বক ভেতর থেকে উজ্জ্বল এবং প্রাণোচ্ছল দেখায় এবং বয়সের ছাপ কমতে থাকে। এর পাশাপাশি ব্রণের সমস্যা দূর হয়। হলুদের অ্যান্টি-ব্যাকটেরিয়াল প্রভাবগুলো ব্রণ সহ ত্বকের বিভিন্ন সমস্যার চিকিৎসা করতে পারে। যেকোনো ধরনের প্রদাহের সাথে লড়াই করে। ব্রণর সাথে সম্পর্কিত প্রদাহ কিংবা লালচে ভাব এর চিকিৎসা করতে বিশেষভাবে সহায়তা করে হলুদ। (৩৫)

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • ব্রণের সমস্যা কমাতে ফেস মাস্ক হিসেবে হলুদ ব্যবহার করতে পারেন।
  • এক্ষেত্রে ১ টেবিল চামচ ময়দা, ১ চা-চামচ হলুদ, ৩ টেবিল চামচ দুধ এবং কয়েক ফোঁটা মধু লাগবে।
  • এই উপাদানগুলো মিশিয়ে একটি মিশ্রণ তৈরি করুন।
  • এবার এই মিশ্রণটি মুখে লাগিয়ে কুড়ি মিনিট অপেক্ষা করুন।
  • তারপর শুষ্ক ত্বক হলে সাধারণ জল দিয়ে এবং ত্বক যদি তৈলাক্ত হয় সেক্ষেত্রে উষ্ণ গরম জল দিয়ে মুখটা ধুয়ে নিন।
  • তারপরে যেকোনো ময়েশ্চারাইজার লাগিয়ে নিন।
  • এই মিশ্রণটি মুখে লাগানোর আগে অবশ্যই কানের পিছনে লাগিয়ে একবার টেষ্ট করে নেবেন যে কোন কিছুতে আপনার খারাপ প্রতিক্রিয়া হচ্ছে কিনা।
  • হলুদের মধ্যে থাকা কারকিউমিন এই জাতীয় সমস্যার সাথে লড়াই করে ব্রণের সমস্যা কমাতে সহায়তা করে। কারণ এর মধ্যে অ্যান্টি-ব্যাকটেরিয়াল উপাদান সমূহ থাকার কারণে ব্রণ কমাতে কার্যকরী ভূমিকা পালন করে থাকে হলুদ।

২) সোরিয়াসিস চিকিৎসায় হলুদের ব্যবহার : Psoriasis

Psoriasis

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হলুদের মধ্যে থাকা কারকিউমিন সোরিয়াসিস চিকিৎসা গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে। ত্বকের যেকোনো সমস্যায় এটি একটি কার্যকরী উপাদান। হলুদের মধ্যে থাকা অ্যান্টি ইনফ্লেমেটরি বৈশিষ্ট্যগুলো সোরিয়াসিস, একজিমা জাতীয় ত্বকের রোগ গুলো নিরাময়ে সহায়তা করে (৩৬)। অ্যান্টিবায়োটিক এর সাথে মিলিত হয়ে কারকিউমিন সোরিয়াসিস জাতীয় ত্বকের রোগের সমস্যার সমাধান করে। হলুদের উপস্থিত অ্যান্টিঅক্সিডেন্ট বৈশিষ্ট্যগুলো যেকোনো ক্ষত নিরাময়ে সহায়তা করে। এর পাশাপাশি রক্ত সঞ্চালনকে ত্বরান্বিত করে (৩৭)। যেকোনো ধরনের প্রদাহ নিরাময়ে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে হলুদ। এটি অন্যতম একটি প্রাকৃতিক উপাদান যা শরীর এবং ত্বকের সমস্যা গুলোর সমাধান করতে পারে। ওষুধের ক্ষেত্রে পার্শ্ব প্রতিক্রিয়া লক্ষ্য করা গেলেও সোরিয়াসিস চিকিৎসার ক্ষেত্রে হলুদের ব্যবহার করলে সে ক্ষেত্রে কোন রকম পার্শ্ব প্রতিক্রিয়া লক্ষ্য করা যায় না। বরং প্রাকৃতিক উপায়ে হলুদ এসমস্ত ত্বকের রোগের সমস্যার সমাধান করে। (৩৮)

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • সোরিয়াসিস কিংবা একজিমার মত চর্মরোগের ক্ষেত্রে হলুদের ব্যবহার গুরুত্বপূর্ণ। মূলত প্রাচীন যুগ থেকেই আমরা শুনে আসছি হলুদ রক্ত শুদ্ধ করে।
  • তাই যে কোন ধরনের চর্মরোগ দূরীকরণে হলুদের ব্যবহার গুরুত্বপূর্ণ।
  • হলুদের ফুলের পেস্ট তৈরি করে সোরিয়াসিস, একজিমা আক্রান্ত জায়গায় লাগিয়ে রাখুন।
  • ৩০ মিনিট পরে সেটা ধুয়ে ফেলুন।
  • এভাবে পরপর কয়েকদিন করলে এই সমস্যাগুলির সমাধান হবে।
  • এছাড়াও কাঁচা হলুদ বেটে নিয়ে এই চর্মরোগ আক্রান্ত জায়গাগুলোতে লাগিয়ে রাখুন। তাহলে খুব দ্রুতই এই সমস্যাগুলি থেকে সমাধান পাওয়া যাবে।

৩) বলিরেখা দূরীকরণে হলুদের ব্যবহার : Wrinkles

ত্বক তিরিশের কোঠায় পেরোলো কি ত্বকের বলিরেখা জানান দিতে থাকে যে বয়স বাড়ছে আর সেটাই একজন মহিলার ক্ষেত্রে হতাশা হওয়ার জন্য যথেষ্ট। তাই ত্বক পরিচর্যায় আজ থেকেই হলুদের ব্যবহার শুরু করুন। কেননা হলুদের মধ্যে থাকা অ্যান্টিব্যাকটেরিয়াল এবং অ্যান্টিঅক্সিডেন্ট, অ্যান্টি ইনফ্লেমেটরি উপাদান গুলো বার্ধক্য প্রতিরোধে অর্থাৎ বলিরেখা কমাতে সহায়তা করে। কারন হলুদের মধ্যে থাকা কারকিউমিন এ অ্যান্টি মুটেজেনিক বৈশিষ্ট্যসম্পন্ন উপাদান রয়েছে, যা ত্বককে ক্ষতিকারক রশ্মি থেকে রক্ষা করে এবং বার্ধক্যজনিত লক্ষণগুলোকে কমাতে সহায়তা করে। এছাড়াও হলুদ যেকোনো ধরনের দাগ, হাইপারপিগমেন্টেশন, বলিরেখার সমস্যার চিকিৎসা করতে পারে। এগুলির ক্ষতিকর প্রভাব দূরীকরণে সহায়তা করে। (৩৯)

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • ত্বকের বলিরেখা কিংবা বার্ধক্যজনিত দাগ কমাতে অন্যতম গুরুত্বপূর্ণ একটি হলুদের প্যাক হল কাঁচা হলুদ এবং দুধের সর।
  • কাঁচা হলুদের সঙ্গে দুধের সর মিশিয়ে নিন।
  • এবার একটি ঘন মিশ্রণ তৈরি করুন।
  • এটি মুখে লাগিয়ে তিরিশ মিনিট অপেক্ষা করুন।
  • তারপর সাধারণ জল দিয়ে মুখ ধুয়ে নিন।
  • দৈনিক একটি ব্যবহার করুন তবে ত্বক থেকে বলিরেখা দূর হয়ে যাবে। এছাড়াও যেকোনো ধরনের সমস্যা থাকলে সেটিও কমে যাবে। হলুদ ত্বকের ভেতর থেকে ত্বক উজ্জ্বল করতে এবং ত্বকের আর্দ্রতা বজায় রাখতে সহায়তা করবে।

৪) রোদে পোড়া দাগ কমাতে হলুদের ব্যবহার : Sunburns

সারা সপ্তাহ অফিস কিংবা কলেজে দৌড়াতে দৌড়াতে আমাদের মতন গ্রীষ্মপ্রধান দেশে সানবার্ন কিংবা রোদেপোড়ার সমস্যা একটি গুরুত্বপূর্ণ সমস্যা। অতিরিক্ত সময় সূর্যালোকের সংস্পর্শে থাকলে ত্বকের ওপরে এক ধরনের কালচে আস্তরণ পড়ে যায়, যেটাকে বলা হয় সানট্যান। মূলত যাদের শরীরে মেলানিনের অধিক আধিক্য লক্ষ্য করা যায় তাদের সূর্যালোকের উপস্থিতিতে অধিক মেলানিন সৃষ্টি হয়। যার ফলে ত্বকে এক ধরনের কালচে ভাব লক্ষ্য করা যায়। তাই সানবার্ন কিংবা সানট্যান কমাতে অন্যতম একটি মোক্ষম উপাদান হলো হলুদ। এটি ত্বকের উপরের স্তরে পড়া যেকোনো দাগ থেকে ত্বককে মুক্তি দেয় এবং ত্বককে ভেতর থেকে উজ্জ্বল করতে সহায়তা করে।

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • সূর্যের তাপে হওয়া সানট্যান দূর করতে গুরুত্বপূর্ণ একটি উপাদান হলো হলুদ।
  • এক চামচ টক দইয়ের সাথে আধা চামচ হলুদ মিশিয়ে একটি মিশ্রণ তৈরি করে নিন।
  • এবার এই মিশ্রণটি ত্বকের উন্মুক্ত অংশে লাগিয়ে কুড়ি মিনিট অপেক্ষা করুন।
  • কুড়ি মিনিট বাদে জল দিয়ে হালকা হাতে এই মিশ্রণটি তুলে ফেলুন।
  • সপ্তাহে তিন দিন এই মিশ্রণটি ব্যবহার করলে ট্যানের সমস্যা দূর হবে এবং নতুন করে পড়বে না।
  • প্রয়োজন হলে এই মিশ্রণে লেবুর রস মেশাতে পারেন, সেক্ষেত্রে এটি আরও কার্যকরী হবে।
  • তবে হলুদের ব্যবহার করার আগে অবশ্যই একবার প্যাচ টেস্ট করে নেবেন। কেননা অনেকের লেবু থেকে এলার্জি হওয়ার সম্ভাবনা থাকে। সেক্ষেত্রে অসুবিধা হলে লেবু ব্যবহার করবেন না।

৫) স্ট্রেচ মার্ক কমাতে হলুদের ব্যবহার : Stretch Marks

প্রেগনেন্সির পর কিংবা হঠাৎ মোটা থেকে রোগা হয়ে যাবার পর ত্বকে এক ধরনের স্ট্রেচ মার্কস লক্ষ্য করা যায় যেগুলো দেখতে খুব বাজে লাগে। সেগুলির নিরাময়ে একটি অন্যতম উপাদান হলো হলুদ। কেননা হলুদের মধ্যে উপস্থিত কারকিউমিন যেকোনো ধরনের ক্ষত কিংবা দাগ ছোপ নিরাময়ে সহায়তা করে। এর মধ্যে থাকা অ্যান্টি ব্যাকটেরিয়াল ও অ্যান্টি ফাঙ্গাস উপাদান গুলো ত্বককে পরিষ্কার রাখার পাশাপাশি দাগহীন রাখতে সহায়তা করে, তাই এক্ষেত্রে হলুদের ব্যবহার গুরুত্বপূর্ণ।

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • নারকেল তেলের সাথে হলুদ মিশিয়ে একটি মিশ্রণ তৈরি করুন।
  • এবার এই মিশ্রণটি স্ট্রেচ মার্ক যুক্ত অংশে প্রতিদিন স্নানের আগে লাগিয়ে কুড়ি মিনিট রেখে দিন।
  • তারপর ধুয়ে ফেলুন।
  • এই ভাবে দৈনিক ব্যবহারের ফলে সাত দিনেই তফাৎ দেখতে পারবেন।
  • স্ট্রেচমার্ক আস্তে আস্তে হালকা হতে শুরু করবে। হলুদ যেকোনো ধরনের প্রদাহ কিংবা ক্ষত ও দাগ কমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। তাই এক্ষেত্রেও হলুদের ব্যবহার সমানভাবে গুরুত্বপূর্ণ।

৬) পিগমেন্টেশন কমাতে হলুদের ব্যবহার : Pigmentation

বয়স বাড়ার সাথে সাথে কিংবা অত্যধিক খোলা জায়গায় চলাফেরা করার জন্য অনেকেরই ত্বকে অকালেই পিগমেন্টেশনের মতন সমস্যা লক্ষ্য করা যায়। এক্ষেত্রে হোয়াইট ও ব্ল্যাকহেড এর সমস্যা লক্ষ্য করা যাচ্ছে। পিগমেন্টেশনের সমস্যা দূরীকরণে হলুদের ব্যবহার গুরুত্বপূর্ণ। হলুদের মধ্যে থাকা উপাদানগুলো এ ধরনের সমস্যাগুলো সমাধানে সহায়তা করে থাকে। ত্বকের যেকোন সমস্যার ক্ষেত্রে হলুদ গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। এছাড়াও ইউভি এ এবং ইউভিবি রশ্মির কারণে ত্বকের যে সমস্ত ক্ষতি হয় সেগুলি দূরীকরণেও হলুদ গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। এতে দৈনিক খাদ্য তালিকায় রাখার পাশাপাশি রূপচর্চায় হলুদের ব্যবহার রাখতে হবে।

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • ত্বকের হাইপার পিগমেন্টেশন কিংবা বলিরেখা, দাগছোপ দূরীকরণে অন্যতম একটি গুরুত্বপূর্ণ উপাদান হলো হলুদ।
  • এক্ষেত্রে টকদই এর সাথে হলুদ মিশিয়ে একটি প্যাক তৈরি করে নিন।
  • এবার এই মিশ্রণটি পিগমেন্টেশন অংশে লাগিয়ে কুড়ি মিনিট অপেক্ষা করুন।
  • এবং তারপর মুখ ধুয়ে নিন।
  • এটি ত্বককে উজ্জ্বল করার পাশাপাশি ত্বকের যেকোনো সমস্যার সমাধান করবে এবং ত্বককে উজ্জ্বল রাখতে সহায়তা করবে।

৭) ফাটা গোড়ালির চিকিৎসায় হলুদের ব্যবহার : Cracked feet

Cracked feet

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হঠাৎ আবহাওয়ার পরিবর্তন কিংবা খুব গরম কিংবা খুব ঠান্ডার সময় আমাদের অত্যন্ত একটি গুরুত্বপূর্ণ সমস্যা হলো ফাটা গোড়ালি। এটি সকলের ক্ষেত্রেই লক্ষ্য করা যায়। পুরুষ-মহিলা সকলেই ফাটা গোড়ালির শিকার হতে পারে। মূলত পায়ের পাতা শরীরের ভার বহন করতে করতে যখন ত্বকের আর্দ্রতা হারায় তখনই পা ফাটার মতন সমস্যাগুলো লক্ষ করা যায়। দীর্ঘক্ষণ খালি পায়ে হাঁটা কিংবা দীর্ঘক্ষন জুতো পড়ে থাকার কারণে পায়ের ত্বক আর্দ্রতা হারায়, যেকারণে গোড়ালি ফাটার মতন সমস্যাগুলো দেখা যায়। এক্ষেত্রে হলুদ অন্যতম একটি গুরুত্বপূর্ণ উপাদান। এর মধ্যে থাকা কারকিউমিনে অ্যান্টি ইনফ্লেমেটরি উপাদান গুলি রয়েছে যেটা যেকোনো ধরনের প্রদাহ কিংবা ক্ষত নিরাময়ে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে।

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • ফাটা গোড়ালি নিরাময়ের অন্যতম একটি গুরুত্বপূর্ণ উপাদান হলো হলুদ।
  • হলুদ এবং মধু মিশিয়ে একটি মিশ্রণ তৈরি করে নিন।
  • এবার পায়ের গোড়ালি পরিষ্কার করে নিয়ে এই মিশ্রণটি রাতে শুতে যাওয়ার আগে কুড়ি মিনিট ধরে লাগিয়ে রাখুন।
  • এছাড়াও রোজ স্নানের আগে পিউমিক স্টোন দিয়ে অবশ্যই পায়ের গোড়ালি ঘষে নিন।
  • এতে পায়ের গোড়ালি থেকে মৃত কোষ দূর হয়ে যাবে এবং পায়ের ত্বক তার উপযুক্ত অক্সিজেন গ্রহণ করতে পারবে এবং পায়ের গোড়ালি ফাটার সমস্যার সমাধান হবে
  • দৈনিক যদি এটি ব্যবহার করতে পারেন এবং স্নান করার আগে তা পিউমিক স্টোন দিয়ে ঘষে নিতে পারেন সে ক্ষেত্রে কয়েক দিনের মধ্যে পা ফাটার সমস্যার সমাধান হবে।

৮) এক্সফোলিয়েশন এ হলুদের ব্যবহার : Aids Exfoliation

আমরা সকলেই জানি ত্বক সুন্দর ও উজ্জ্বল রাখতে গেলে সপ্তাহে অন্তত দুই থেকে তিন দিন ত্বকে এক্সফোলিয়েশন প্রয়োজন। যাতে ত্বক প্রত্যেক সময় যে মৃতকোষগুলো ছাড়ছে সেগুলো এক্সফোলিয়েশন এর ফলে দূর হবে। কেননা এই মৃতকোষগুলো ত্বকের উপর থেকে গেলে ত্বক প্রয়োজনীয় অক্সিজেন গ্রহণ করতে পারে না। যার ফলে ত্বক অনুজ্জ্বল এবং কালচে দেখায়। তাই সপ্তাহে অন্তত দুইবার কিংবা তিনবার ত্বকের এক্সফোলিয়েশন অবশ্যই গুরুত্বপূর্ণ। আর এটি অন্যতম উপাদান হলো হলুদ। বাজার চলতি বহু প্রোডাক্টের ক্ষেত্রে হলুদের ব্যবহার করা হয়ে থাকে। কেননা হলুদের মধ্যে থাকা কারকিউমিন এ উপস্থিত উপাদানগুলো ত্বকের মৃত কোষগুলি সরিয়ে ত্বককে ভেতর থেকে উজ্জ্বল করে তোলে এবং পর্যাপ্ত অক্সিজেন গ্রহণ করতে সহায়তা করে। তবে বাজার চলতি প্রোডাক্ট ব্যবহার না করে ঘরোয়া উপায়ে ত্বকের এক্সফোলিয়েশনের এজন্য স্ক্রাবার তৈরি করে নিতে পারেন।

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • ত্বকের এক্সফোলিয়েশন এর ক্ষেত্রে অন্যতম একটি স্ক্রাবার হলো হলুদ।
  • এক্ষেত্রে কাঁচা হলুদ এবং শুকনো কমলা লেবুর খোসা একসঙ্গে বেটে একটি মিশ্রণ তৈরি করে নিন।
  • এবার এটি স্ক্রাবার হিসেবে ব্যবহার করুন।
  • এই প্রাকৃতিক স্ক্রাবার টি ত্বকের মৃত কোষ সরিয়ে ত্বক জেল্লাদার করে তুলতে সহায়তা করবে।
  • এটি সপ্তাহে অন্তত দুই থেকে তিন দিন ব্যাবহার করুন। দেখবেন মাত্র ১৫ দিনে ত্বক তার হারানো জেল্লা খুঁজে পাবে।

চুলের জন্য হলুদের উপকারিতা – Hair Benefits of Turmeric in Bengali

স্ট্রেস, ধুলো, পলিউশন এর এই যুগে চুলপড়া একটি জাতীয় সমস্যা হয়ে দাঁড়িয়েছে। এই সমস্যার শিকার বাচ্চা থেকে বুড়ো সকলেই। তবে এর সমাধান রয়েছে কিছু। যদিও আমরা না জানার কারণে সেই সব সমাধান করতে পারিনা। তবে এবার জেনে নিন হলুদের সাহায্যে কিভাবে চুল পড়া কিংবা চুলের যেকোন সমস্যার সমাধান করবেন?

১) চুল পড়া কমাতে হলুদের ব্যবহার : Prevents Hair Loss

আয়ুর্বেদ শাস্ত্রে লক্ষ্য করা গিয়েছে চুল পড়া কমাতে হলুদের ভূমিকা গুরুত্বপূর্ণ। তবে হলুদ সরাসরি চুলে প্রভাব না ফেললেও হলুদের মধ্যে থাকা কারকিউমিন মাথার ত্বকে হওয়া যে কোন ধরনের সমস্যার সমাধান করতে পারে। হলুদের মধ্যে থাকা অ্যান্টি-ব্যাকটেরিয়াল এবং অ্যান্টি-ভাইরাল উপাদান গুলো মাথার ত্বক পরিষ্কার করে চুলের বৃদ্ধিকে ত্বরান্বিত করে। যার ফলে মাথার ত্বক পর্যাপ্ত অক্সিজেন গ্রহণ করতে পারে এবং কোনরকম জীবাণুর সংক্রমণ থেকে তা রক্ষা পায়। মাথার ত্বকে অনেক সময় চুলকুনির মতন সমস্যাগুলো দেখা দেয় সে ক্ষেত্রে হলুদের ব্যবহার গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে।

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • চুল পড়া কমাতে হলুদের ব্যবহার প্রত্যক্ষভাবে লক্ষ্য করা না গেলেও এটির প্রভাব চুলের স্বাস্থ্য রক্ষায় লক্ষ্য করা যায়।
  • এ ক্ষেত্রে নিম পাতার রস, অ্যালোভেরা জেল এবং কাঁচা হলুদ একসাথে মিক্সিতে পিষে নিয়ে তার থেকে রসটা চেপে নিন।
  • এবার তা মাথার গোড়ায় ভালো করে লাগিয়ে রাখুন।
  • সম্ভব হলে সারারাত লাগিয়ে রেখে পরদিন সকালে শ্যাম্পু করে নিন।
  • এই মিশ্রণটি মাথার ত্বককে যে কোন ব্যাকটেরিয়ার হাত থেকে রক্ষা করবে এবং চুলে জীবাণু সংক্রমণ কে দূর করবে এবং চুল পড়া কমাতে সহায়তা করবে।

২) খুশকি দূরীকরণে হলুদের ভূমিকা : Dandruff

Dandruff

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চুল পড়ার অন্যতম মূল কারণ হলো মাথায় খুশকির সমস্যা। খুশকি মূলত দু’ধরনের দেখা যায়, একটা শুষ্ক, আরেকটা হল তৈলাক্ত। তৈলাক্ত খুশকি যেটা মাথার ত্বকে বসে থাকে আর শুষ্ক যেটা সারা চুলে এবং জামাকাপড়ে পর্যন্ত ছড়িয়ে পড়ে। এই খুশকি নিরাময়ে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে হলুদ। মূলত খুশকি একটা রোগ হয়ে দাঁড়ায়। খুব বেশি বাড়াবাড়ি হলে সে ক্ষেত্রে ডাক্তারের পরামর্শ নেওয়া গুরুত্বপূর্ণ হয়ে ওঠে। সে ক্ষেত্রে ঘরোয়া কিছু উপাদান অবলম্বন করেই খুশকির সমস্যা দূরীকরণ করা যায়।

কিভাবে ব্যবহার করবেন?

  • খুশকি দূরীকরণে হলুদের ব্যবহার পরোক্ষভাবে লক্ষ্য করা যায়।
  • নিম পাতার রসের সাথে হলুদ মিশিয়ে কিংবা পেঁয়াজের রসের সাথে হলুদ মিশিয়ে মাথার ত্বকে লাগান।
  • এরপর মিশ্রণটি লাগিয়ে এক ঘণ্টা অপেক্ষা করুন এবং শ্যাম্পু করে ফেলুন।
  • সপ্তাহে অন্তত তিন দিন এটি ব্যবহার করুন। দেখবেন সমস্যার সমাধান হয়েছে।
  • এছাড়াও রাস্তায় বেরোনোর আগে মাথায় অবশ্যই স্কার্ফ লাগিয়ে বের হন কিংবা সরাসরি রোদ্দুরে না থাকার চেষ্টা করুন।
  • মাথার ত্বককে শুষ্ক রাখার চেষ্টা করুন। তাহলেই চুলের সমস্যার থেকে সমাধান সম্ভব হবে।

হলুদের পুষ্টিগত মান – Turmeric Nutritional Value in Bengali

ক্যালোরি তথ্য
এক টুকরো %
ক্যালোরি ২৩.৯ (১০০) কে যে ১%
কার্বোহাইড্রেট ১৬.৩ (৭০.৩)  কে যে
ফ্যাট ৫.৬ (২৩.৪) কে যে
প্রোটিন ১.৫ (৬.৩)কে যে
এলকোহল ০.০ (০.০)
ভিটামিন
এক টুকরো %
ভিটামিন এ 0.0 IU 0%
ভিটামিন সি ১.৭ মিলিগ্রাম ৩%
ভিটামিন ডি ~ ~
ভিটামিন ই ০.২ মিলিগ্রাম ১%
ভিটামিন কে ০.৯ মিলিগ্রাম ১%
থায়ামিন 0.0 মিলিগ্রাম ১%
রিবোফ্লাভিন 0.0 মিলিগ্রাম ১%
নিয়াসিন ০.৩ মিলিগ্রাম ২%
ভিটামিন বি ৬ ০.১ মিলিগ্রাম ৬%
ফোলেট ২.৬ মিলিগ্রাম ১%
ভিটামিন বি ১২ 0.0 মিলিগ্রাম 0%
প্যান্টোথেনিক এসিড ~ ~
কোলিন ৩.৩ মিলিগ্রাম
বেটাইন ০.৭ মিলিগ্রাম
মিনারেল
এক টুকরো %
ক্যালসিয়াম ১২.৪ মিলিগ্রাম ১%
আয়রন ২.৮ মিলিগ্রাম ১৬%
ম্যাগনেসিয়াম ১৩.০ মিলিগ্রাম ৩%
ফসফরাস ১৮.১ মিলিগ্রাম ২%
পটাসিয়াম ১৭০ মিলিগ্রাম ৫%
সোডিয়াম ২.৬ মিলিগ্রাম 0%
জিঙ্ক ০.৩ মিলিগ্রাম ২%
কোপার 0.0 mg ২%
ম্যাঙ্গানিজ ০.৫ মিলিগ্রাম ২৬%
সেলেনিয়াম ০.৩ মিলিগ্রাম 0%
ফ্লুরাইড ~

হলুদের ব্যবহার – How to Use Turmeric in Bengali

ইতিমধ্যেই হলুদের নানা উপকারিতা সম্পর্কে আমরা জেনে নিয়েছি। এবার জেনে নিন কিভাবে খাদ্যতালিকায় এর ব্যবহার করবেন।

১) খাদ্য তালিকায় থাকা বিভিন্ন ভাজা শাক সবজি গুলোতে রান্নার সময় এক চিমটে হলুদ দিন। এতে একটি সুস্বাদু খাবার যেমন তৈরি হবে, তেমনি এটি পুষ্টিকর হবে। আলুভাজা কিংবা ফুলকপি দিয়ে কোন খাবার তৈরি করার সময় এতে অল্প পরিমাণে হলুদ দিয়ে দিন। এটি দেখতেও সুন্দর হবে এবং খাবার দিক দিয়েও পুষ্টিগত হবে।

২) আপনার খাদ্য তালিকায় থাকা সবুজ সালাড গ্রহণ করার সময় তার ওপরে কিছুটা হলুদের গুঁড়ো ছড়িয়ে দিন। এতে স্যালাডের গুণগতমান আরো বেড়ে যাবে এবং আরো পুষ্টিকর হয়ে উঠবে।

৩) রোজ রাতে ডিনারে স্যুপ খাচ্ছেন ওজন কমানোর জন্য? তাহলে তো খুবই ভালো। সুপের মধ্যেই নিয়ে নিন এক চিমটে হলুদ। এটা স্যুপকে আরো বেশি স্বাস্থ্যকর করে তুলবে।

৪) সকালে কিংবা সন্ধ্যেতে হলুদ দিয়ে যে কোন ধরনের জুস তৈরি করে খেতে পারেন। এটি ত্বককে এবং ভেতর থেকে শরীরকে সুস্থ রাখবে।

৫) এছাড়াও হলুদ চা তৈরি করে খেতে পারেন।

৬) নারকেলের দুধের সাথে হলুদ ভালো করে ফুটিয়ে নিয়ে তার মধ্যে অল্প মধু দিয়ে একটি সুস্বাদু পানীয় তৈরি করে খেতে পারেন।

৭) এছাড়া যদি আপনি কাঁচা হলুদ খেতে পারেন তা তো খুবই ভালো স্বাস্থ্যের জন্য। তবে যদি কাঁচা হলুদ সরাসরি খেতে না পারেন সেখানে যে কোন খাবার প্রস্তুতির সময় তার মধ্যে এক চিমটে হলুদ দিয়ে দিন। এটি আপনার শরীরে সমানভাবে কার্যকরী হবে।

৮) এছাড়াও আমাদের চারপাশে বিভিন্ন প্রসাধনী, টুথপেস্ট, সাবান রয়েছে যেগুলো হলুদ দিয়ে তৈরি হয়। ত্বক পরিচর্যার ক্ষেত্রে প্রয়োজনে সেগুলো ব্যবহার করতেই পারেন।

৯) তবে অবশ্যই সেগুলোর কার্যকরীতা দেখে। কেননা কোনও একটি প্রসাধনী দ্রব্য ব্যবহারের ক্ষেত্রে তার কার্যকারিতা যতটা না হবে এর থেকে ঘরোয়া উপায়ে হলুদ যদি ব্যবহার করা যায় সেটা আরও ভাল প্রভাব ফেলবে। (৪০)

হলুদের অপকারিতা – Side Effects of Turmeric in Bengali

আমরা একথা সকলেই জানি কোনও জিনিসই অতিরিক্ত ব্যবহার করা ঠিক নয়। সে ক্ষেত্রে হলুদ এর বিকল্প নয়। একনাগাড়ে যদি অত্যধিক পরিমাণে হলুদ ব্যবহার করা হতে থাকে সে ক্ষেত্রে কিন্তু কিছু কিছু পার্শ্বপ্রতিক্রিয়া লক্ষ্য করা যায়। জেনে নিন অত্যধিক হলুদ ব্যবহারের ফলে আপনার শরীরে কি কি সমস্যা হতে পারে?

১) গর্ভাবস্থায় কিংবা প্রসূতিকালীন অবস্থায় সমস্যা :

গর্ভাবস্থায় কিংবা স্তন্যদানের সময় অত্যধিক হলুদ খাওয়ার ফলে যে কোনো গুরুতর সমস্যা হতে পারে তার প্রমাণ পাওয়া না গেলেও এই সময় খাবারে স্বল্প পরিমাণে হলুদ খাওয়াই নিরাপদ। কেন না এর অত্যধিক গ্রহণের ফলে গর্ভস্থ সন্তানের সমস্যা হতেই পারে। তাই হলুদের পরিমাণ বাড়ানোর আগে অবশ্যই ডাক্তারের সাথে পরামর্শ গ্রহণ করুন এবং খাবারে কি পরিমাণ হলুদ গ্রহণ করবেন সেটি অবশ্যই তার থেকে পরামর্শ করে জেনে নিন।

২) কিডনির পাথর বাড়িয়ে তুলতে পারে :

অত্যধিক হলুদের ব্যবহার কিডনির সমস্যা সৃষ্টি করতে পারে। হলুদে ২% অক্সলেট থাকে। যা অত্যধিক মাত্রায় গ্রহণের ফলে কিডনিতে পাথরের মতন সমস্যা দেখা দিতে পারে। এমনকি কিডনি বিকল পর্যন্ত হয়ে যেতে পারে। তাই অত্যধিক হলুদ ব্যবহার থেকে বিরত থাকুন। আপনার শরীরের প্রয়োজন অনুযায়ী হলুদ গ্রহণ করুন। (২০)

৩) শরীরে লোহার অভাব :

অত্যধিক হলুদ ব্যবহার করার ফলে শরীরে লৌহের ঘাটতি সৃষ্টি হতে পারে। কেননা হলুদ আয়রন শোষণ রোধ করতে পারে, যার ফলে আয়রনের ঘাটতি দেখা যেতে পারে। তবে যে সমস্ত ব্যক্তিদের শরীরে লৌহের ঘাটতি রয়েছে তারা অবশ্যই উচ্চ মাত্রায় হলুদ গ্রহণ থেকে বিরত থাকুন। এক্ষেত্রে উপকারের বদলে অপকার হতে পারে। (৪১)

৪) রক্তপাতের সমস্যা :

হলুদ রক্তকে তরল করে দিতে সহায়তা করে। এটি একাধারে যেমন ভাল, অন্যদিকে অত্যন্ত খারাপ। কেননা হঠাৎ যদি কোন রক্ত ক্ষরণ কিংবা সার্জারি হয় সে ক্ষেত্রে হলুদ গ্রহণ থেকে বিরত থাকুন। কারণ হলুদ রক্তকে জমাট বাঁধতে দেয় না। যার ফলে কোন যদি রক্তক্ষরণজনিত ব্যাধি হয় সে ক্ষেত্রে প্রয়োজনের অতিরিক্ত রক্তক্ষরণ হয়ে যেতে পারে। এছাড়াও কোনরকম অপারেশন হলে সে ক্ষেত্রে তার দু তিন সপ্তাহের মধ্যে হলুদ গ্রহণ থেকে বিরত থাকুন।

৫) অ্যালার্জির সম্ভাবনা :

অতিরিক্ত হলুদ খেলে এলার্জি সমস্যা দেখা যেতে পারে। হয়তো তরকারিতে হলুদ খেলে সেটা বোঝা যাবে না কিন্তু যদি কাঁচা হলুদ খাওয়া শুরু করেন সেক্ষেত্রে অনেকের ক্ষেত্রে ত্বকে অ্যালার্জির সৃষ্টি হয় অর্থাৎ শরীর তা নিতে পারেনা। তাই হলুদ খাওয়া শুরু করার পর যদি এরূপ কোন সমস্যা হয় তাহলে সাথে সাথেই হলুদ খাওয়া বন্ধ করুন।

৬) পেট খারাপ বা ডায়রিয়া :

আমরা অনেকেই দেখি হঠাৎ করে কোন জিনিসের গুনাগুন দেখে তা চট করে শুরু করে দিই। তেমনই শরীরকে সুস্থ রাখতে অনেককেই হলুদ গুঁড়ো কিংবা কাঁচা হলুদ খেতে দেখা যায়। তবে তা অত্যধিক পরিমাণে খেয়ে ফেললে কিন্তু শরীরের জন্য খারাপ। সে ক্ষেত্রে পেট খারাপ, ডায়রিয়া কিংবা বমির মতো সমস্যা দেখা দিতে পারে। তাই এই সমস্ত কোন সমস্যা থেকে থাকলে হলুদ খুব বেশি পরিমাণে গ্রহণ করা চলবে না। পরিমিত পরিমাণে গ্রহণ করতে হবে।

ইতিমধ্যেই আমরা এই নিবন্ধটি থেকে হলুদের বিভিন্ন গুণাগুণ সম্পর্কে জেনে নিয়েছি। এর পাশাপাশি অত্যধিক হলুদ গ্রহণের ফলে কিরূপ সমস্যা হতে পারে তার সম্পর্কেও জেনেছি। গবেষণায় দেখা গিয়েছে, আমাদের স্বাস্থ্য রক্ষায় হলুদ গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা গ্রহণ করে থাকে। এর পাশাপাশি ত্বক পরিচর্যায়ও হলুদের ব্যবহার অনস্বীকার্য। সুতরাং আজ থেকেই রান্নাঘরের এই পরিচিত মসলা টিকে আপনার খাদ্যতালিকায় এবং রুপচর্চায় শামিল করুন। যাতে আপনি আরো স্বাস্থ্যকর এবং সুন্দর থাকতে পারেন। এর পাশাপাশি আরো নতুন নতুন আপডেট পেতে আমাদের পেজে চোখ রাখুন এবং অবশ্যই আপনি দৈনিক খাদ্যতালিকায় কত পরিমাণ হলুদ খাদ্য তালিকাশ রাখছেন সেটা আমাদের জানাতে ভুলবেন না।

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11 Best Concealer Tips 2019 – How To Apply Concealer For Dark Circles

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Dark circles are nasty, right? They can totally ruin your look and make you a panda twin if you don’t get proper sleep for even one night. “Get the right beauty sleep” — they all say, but we know how difficult it is to grab at least a few hours of quality sleep amidst all the hustle and bustle that a modern woman goes through. And if you’re a working mom, dark circles are your best friends. There are many under-eye products that will help you keep the area healthy and you can also try DIY eye masks. But, even these can’t completely remove the aftereffects of your stress, poor sleep routine, and long hours of screen exposure. So, what do you do when you need to look fresh or attend a party on short notice? You seek help from your concealer, right?

Ah! The Concealer — this little magic wand is one of the most underrated items in the makeup world. We all know that a concealer is meant to conceal the imperfections on our skin. But do you know that it can do a lot more than that? Well, we aren’t going to give you any spoilers here, so you’ll have to scroll down and read for yourself about the various tips that can make you fall in love with your concealer.

1. The Inverted Triangle Application

The Inverted Triangle Application

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Have you ever put enough thought into the way you apply your concealer? Well, this matters a lot! Instead of just swiping the product from side to side under your eyes, draw an inverted triangle that narrows down to your cheeks. Once done, blend it well with the rest of your makeup. While the swiping makes your concealer to look like a tiny boat under your eyes, the inverted triangle method gives your makeup a much natural look.

2. Concealer As Eyelid Primer

Concealer As Eyelid Primer

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Using a primer is a must-do step before applying your eyeshadow. It keeps your eyeshadow intact, prevents creasing, and highlights its true color and shimmer. Instead of buying an expensive eyeshadow primer, you can use your concealer to get this job done. YES! Concealers are god sent. Just dab a bit of the product on your eyelids with your fingertips in order to get the base layer for your eyeshadow with precision.

3. Green Concealer To Cover Zits

Green Concealer To Cover Zits

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Since your zits are mostly red in color, it’s important to use a color correcting concealer which in this case, is a green one. Spot apply the concealer with a tiny brush and blend it slightly with a cotton swab. Be careful as to not spread the green concealer too wide. Now use a setting powder on your face and blend well to complete your perfect look.

4. Concealer To Highlight Eyelids

Concealer To Highlight Eyelids

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Divide your eyelid into three sections — the area right under your brow, the inner “V”, and the part just above your lashes. Now apply the concealer along these areas avoiding the middle part and slightly blend it. Your eyes will look brighter and more highlighted this way.

5. Color Correction Is Important

Color Correction Is Important

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You’ve already seen how we use a green concealer to cover reddish zits. The same way, for bluish dark circles, we use a pink or peach-toned concealer and for darker, brownish dark circles we use orange or yellow-toned concealer. This is just the base and once you apply the setting powder, it will completely look natural on your face.

6. Mix Concealer With Eye cream And Highlighter For Puffy Eyes

Mix Concealer With Eye cream And Highlighter For Puffy Eyes

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You heard it right. Mix a little bit of these products at the back of your palm and dab it onto the puffy area.

7. Concealer To Cover Up Eyeliner Mistakes

Concealer To Cover Up Eyeliner Mistakes

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Eyeliner gone wrong? If you wipe it and start over, remember that the whole of your base makeup is going to the trash too. Using a concealer with a sharp brush to cover up your eyeliner mistakes is a much better way to deal with the problem.

8. Concealer To Line Your Lips And Eyebrows

Concealer To Line Your Lips And Eyebrows

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Use your concealer to line your lips after applying your lipstick. You’ll be surprised how sharp your lips look after this trick. Also, your lipstick stays intact for a longer period with the concealer’s protective layer. The same rule applies to your brows as well.

9. Concealer To Plump Your Lips

Concealer To Plump Your Lips

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Start by filling a light concealer in the middle of your lips and then blend it out with your fingers or a brush. Use a colored or nude lip gloss over it to get the plump lips look.

10. Two Shades Of Concealer To Contour

Two Shades Of Concealer To Contour

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Apply the lighter shade of concealer on the areas of your face that catch light naturally (Eg: cheekbones and T-zone) and the darker shade of the product in the softer areas (Eg: forehead and jawline). Now blend this out and you’re done with the perfectly contoured face.

11. Concealer Trick To Highlight Your Collarbones

Concealer Trick To Highlight Your Collarbones

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Shrug your shoulders and use a light concealer to trace the natural lines of your collar bones. Now, highlight this line using a darker color (two shades darker than your skin tone) and blend it out for highlighted collar bones.

See! We told you, you can do so much more than just conceal with your concealer. Now go on and try these tricks if you’re heading out somewhere. Also, let us know if you liked this article or if you have any more concealer tips to share with us, in the comments section below.

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থাইরয়েড রোগের আহার –কি খাওয়া উচিত ও কি খাওয়া উচিত নয় – Thyroid Diet Chart in Bengali

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থাইরয়েড একটি অত্যন্ত গুরুতর রোগ যা বর্তমানে প্রায় ৬০% মানুষের হয়ে থাকে। প্রত্যেকটি মানুষের শরীরে থাইরয়েড বলে একটি গ্রন্থি আছে যা গলার ঠিক ওপরের কোণার অংশে দুদিকে দেখা যায়। এই গ্রন্থি তিন রকমের হরমোন নিঃসরণ করে- ট্রিওডোথাইরোনিন (T3), থোরোক্সিন (T4) এবং ক্যালসিটোনিন যা আপনার শরীরের নানারকমের কার্যকারিতা যেমন হজমের ক্ষমতা, মস্তিষ্কের কার্যকলাপ, মহিলাদের মাসিক চক্র নিয়ন্ত্রণ, হার্টের কার্যকলাপ, ঘুমের চক্র ও ভাবনা চিন্তার কার্জকপালগুলি সঠিকভাবে চালনা করে। যখনই এই থাইরয়েড গ্রন্থি কোনোরকম সমস্যার শিকার হয়, তখনই থাইরয়েড রোগ ধরা পড়ে।

থাইরয়েড কয় প্রকার – Types of Thyroid in Bengali

থাইরয়েড সাধারণত দুই প্রকারের হয়- হাইপারথাইডিসম ও হাইপোথাইরয়েডিজম। যখন থাইরয়েড গ্রন্থিগুলি থেকে অতিরিক্ত পরিমাণ হরমোন উৎপন্ন হয়, তখন তাকে বলে হাইপারথাইরোয়েডিজম;  আবার যখন অত্যন্ত কম পরিমাণে হরমোন নিঃসরণ হয় তখন তাকে বলা হয় হাইপো থাইরয়ডিজম। এই দুটির ফলেই শরীরে নানারকমের সমস্যা যেমন ওজন বেড়ে যাওয়া বা কমে যাওয়া, উচ্চতা না বাড়া, মস্তিষ্কের সঠিক কার্যকলাপ না হওয়া, অস্থিরতা, মাসিকের অনিয়ম, বিষন্নতা, ইত্যাদি দেখা দিতে পারে।

থাইরয়েডের চিকিৎসার জন্যে নানারকমের ওষুধ পাওয়া যায়, কিন্তু যেকোনো ওষুধেরই আয়ু খুব কম কারণ একটি নির্দিষ্ট সময়ের পরে ওষুধ আর কাজ করেনা।  তাই, থাইরয়েডের আসল চিকিৎসা পদ্ধতি অনুযায়ী, ওষুধের থেকেও বেশি প্রতিদিনের আহার অর্থাৎ খাদ্য তালিকা সঠিক রাখলে ধীরে ধীরে এটি নিয়ন্ত্রণ করা যায়। যেকোনো থাইরয়েডে আক্রান্ত মানুষের জন্যে নির্দিষ্ট ক্যালোরি অনুযায়ী তার খাদ্যতালিকা তৈরী করা হয়। তবে হাইপারথাইরোয়েডিজম এবং হাপোথাইরোয়েডিজমের খাদ্যতালিকা সম্পূর্ণ আলাদা। আপেক্ষিকভাবে বলা হয় যে একজন থাইরয়েডে আক্রান্ত মানুষের দিনে ১০০০ ক্যালোরির বেশি খাদ্য খাওয়া উচিত নয়। আজকের এই নিবন্ধে আমরা থাইরয়েডের রোগের সঠিক আহার ও খাদ্যতালিকা সম্পর্কে বিস্তারিত ভাবে  আলোচনা করবো। চলুন দেখে নেওয়া যাক:

হাইপো থাইরয়েড এর আহার চার্ট – Hypothyroidism Diet Chart in Bengali

Hypothyroidism Diet Chart in Bengali

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থাইরয়েড ডায়েট অর্থাৎ থাইরয়েড রোগের খাদ্যতালিকা খুব বেছে বেছে ঠিক করা প্রয়োজন। তার ওপর হাইপোথাইরয়েডের খাদ্যতালিকা হওয়া চাই বেশ পুষ্টিকর অথচ কম ক্যালোরি যুক্ত। নিচের তালিকায় হাইপোথাইরয়েডের একটি ডায়েট চার্ট দেওয়া হল:

কখন খাবেন কি কি খাওয়া উচিত ক্যালোরি
ভোরবেলা (৭.০০ – ৭.৩০) ১ কাপ গরম জলে একটি গোটা লেবুর রস মিশিয়ে পান করুন ২৫
জলখাবার (৮.১৫ – ৮.৪৫) ১টি ডিম সেদ্ধ  +  ফ্লাক্স বীজ মেশানো ওটস  + ৩ টি ব্রাজিল বাদাম ৩৩০
দুপুরে  (১২.০০ – ১২.৩০) ফলের স্যালাড অথবা চিংড়ি মাছ এবং লেটুসের স্যালাড ৬০
বিকেলে  (৪.০০) ১টি বেদনা  + ১ কাপ ডাবের জল ১০৪
রাতে (৭.০০) সবজি দিয়ে তৈরী ১ কাপ ডাল ৩০

হাইপো থাইরয়েডে কি খাওয়া উচিত – Food for Hyperthyroidism in Bengali

ওপরে দেওয়া খাদ্যতালিকাটির মধ্যে শুধু কয়েকটি একান্ত প্রয়োজনীয় খাদ্যের কথা বলা হয়েছে ঠিকই, কিন্তু শুধুমাত্র এগুলো খেয়ে থাকতে পারা কঠিন, তাই আরো কিছু কিছু বিশেষ প্রয়োজনীয় খাদ্যের নাম উল্লেখ করা হচ্ছে যা হাইপোথাইরয়েডে আক্রান্ত মানুষের অবশ্যই খাওয়া উচিত:

১. আয়োডিন যুক্ত নুন: Iodised salt

একজন হাইপোথাইরয়েডে ভোগা মানুষের জন্যে আয়োডিন খুবই প্রয়োজনীয়। আয়োডিনের অভাবে হাইপোথাইরোয়েড থেকে গলগণ্ড হতে পারে (১) কারণ এই সময় শরীর নিজে থেকে আয়োডিন উৎপন্ন করতে পারেনা। তাই আপনাকে নিজে থেকে এমন খাদ্য খেতে হবে যা আয়োডিন ভরপুর। তাই রান্নায় সাধারণ নুন একেবারেই ব্যবহার না করে আয়োডিন যুক্ত নুন খাওয়ার অভ্যেস করুন।

২. মাছ: Fish

Fish2

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মাছে রয়েছে ভরপুর ওমেগা ৩ ফ্যাটি এসিড ও সেলেনিয়াম (২)। ওমেগা ৩ ফ্যাটি এসিড এল ডি এল কোলেস্টেরলকে কম করতে সাহায্য করে ও সেলেনিয়াম থাইরয়েড হরমোনকে সঠিকভাবে নিয়ন্ত্রণ করে। মাছের মধ্যে রুই, কাতলা, চিংড়ি, টুনা, সার্ডিন, স্যালমন, ইত্যাদি এই সমস্যা খাওয়া খুব উপকারী। তবে মনে রাখবেন, মাছ যেন অতিরিক্ত ভাজা বা রান্না করা না হয়; এতে মাছের আসল গুণ হারিয়ে যায়।

৩. টেংরীর স্যুপ: Bone broth

টেংরি অর্থাৎ খাসির মাংসের হাড় ফুটিয়ে যেই স্যুপ তৈরী হয়, সেটি যেকোনো হাইপোথাইরোয়েডিজমে আক্রান্ত মানুষের জন্যে খুব উপকারী। এই সময় প্রয়োজনীয় ক্যালসিয়ামের অভাবে হাড়ের জোর কম হয়ে আসে যার ফলে হাড়ের ভঙুরতটা দেখা দেয়। তাই এই সময় ক্যালসিয়াম যুক্ত খাদ্য খাওয়া খুবই জরুরি। প্রতিদিন এক বাটি টেংরীর স্যুপের মধ্যে কয়েকটি সবজি ভালো করে ফুটিয়ে সেটি খাওয়ার অভ্যেস করলে উপকার পাওয়া যায় (৩)

৪. ফল ও সবজি: Veggies and fruits

শাক সবজি এবং ফলে রয়েছে নানারকমের মিনারেল, ভিটামিন, এন্টিঅক্সিডেন্ট এবং ফাইবার। যদিও কিছু কিছু সবজি এই সময় খাওয়া ঠিক নয়, যেমন-*-ফুলকপি, মিষ্টি আলু, পালংশাক, বাঁধাকপি, মুলো, ইত্যাদি। এগুলিকে গোইট্রোজেন বলা হয় (৪)। তবে এগুলি ভালো করে রান্না করলে গোইট্রোজেন উপাদানগুলি মরে যায়।

৫. দুগ্ধ পদার্থ যুক্ত খাদ্য: Dairy

কম ফ্যাট সম্পন্ন দুধ, দই এবং পনিরে রয়েছে উচ্চ পরিমাণ আয়োডিন এবং সেলেনিয়াম যা থাইরয়েড নিয়ন্ত্রণ করতে সাহায্য করে। এছাড়া দুগ্ধজাত পদার্থে থাকা এমিনো এসিড লাইরোসিন হাইপোথাইরোয়েডিজমের নানারকম পার্শ্বপ্রতিক্রিয়া যেমন বিষন্নতা, ক্লান্তি, ইত্যাদি দূর করতে সাহায্য করে (৫)

৬. মুরগির মাংস: Chicken

মুরগির মাংসে রয়েছে প্রয়োজনীয়  জিঙ্ক যা হাইপোথাইরয়েডের বিরুধ্যে কাজ করে ও সেটিকে  ট্রিওডোথাইরোনিন (T3) ও থোরোক্সিনে (T4) রূপান্তর করতে সাহায্য করে (৬)। সপ্তাহে অন্তত ৩ বার ২ টুকরো করে মাংস খাওয়ার অভ্যেস করলে ভালো।

৭. ডিম: Eggs

Eggs2

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আয়োডিনের একটি সূত্র হল ডিম যা হাইপোথাইরয়েডিজম নিয়ন্ত্রণ করতে সাহায্য করে (৭)। তবে এক্ষেত্রে ডিমের সাদা অংশটিই খাওয়া উচিৎ এবং  কুসুমটি বাদ দেওয়া উচিৎ। ডিমের কুসুম খেলে কোলেস্টরল বেড়ে যেতে পারে।

৮. শিম শস্য: Legumes

শিম জাতীয় শস্য বা ডাল হল আয়োডিন ও জিঙ্কে ভরপুর (৮)। প্রতিদিন নিয়ম করে ডাল, বিনস, ছোলা, মটরশুঁটি, ইত্যাদি খাওয়ার অভ্যেস করা ভালো। এতে থাইরয়েড গ্রন্থিগুলি থেকে প্রয়োজনীয় হরমোন নিঃসরণ হয়।

৯. অলিভ অয়েল: Olive oil

হাইপোথাইরয়েডিজম থাকলে, সমস্ত রান্না অলিভ ওয়েলে করা ভালো। অলিভ ওয়েলে রয়েছে প্রয়োজনীয় ফ্যাট এবং পুষ্টিকর উপাদান যা থাইরয়েড হরমোনগুলিকে সঠিকভাবে নিয়ন্ত্রণ করে (৯)। অলিভ অয়েল এল ডি এল কোলেস্টরল নামিয়ে ওজন কমাতে ও হার্ট সুস্থ রাখতে সাহায্য করে।

১০. জল: Water

জল কোনো খাদ্য না হতে পারে, কিন্তু হাইপোথাইরোয়েডিজমের জন্যে জলের মত ওষুধ আর নেই। প্রতিদিন নিয়ম করে ৩ থেকে ৪ লিটার জল পান করার অভ্যেস করুন, কারণ শরীরের নানা রকমের বিষাক্ত পদার্থ অনায়াসে দূর করা যায় জলের মাধ্যমে। এছাড়া থাইরয়েড নিয়ন্ত্রণ করতে যেসব অঙ্গগুলি সাহায্য করে সেগুলি জলের সাহায্যে কার্যকরী করা যায়।

হাইপো থাইরয়েডে কি খাওয়া উচিত নয় – Foods to Avoid in Hypothyroidism in Bengali

Foods to Avoid in Hypothyroidism

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নিচের এই খাদ্যগুলি হাইপোথাইরয়েডের ক্ষেত্রে একেবারেই খাওয়া উচিত নয়। বিস্তারিতভাবে জেনে নিন:

১. কাঁচা অথবা অর্ধেক রান্না করা শাক সবজি, বাঁধাকপি, ব্রকোলি, পালং শাক, ইত্যাদি।

২. গ্লুটেন যুক্ত খাদ্য।

৩. অতিরিক্ত চিনি যুক্ত খাদ্য।

৪. প্যাকেটজাত খাদ্য বা জাঙ্ক ফুড অথবা তেলে ভাজা খাদ্য যেমন আলুর চিপ্স, ফ্রেঞ্চ ফ্রাই, ওয়েফার, ইত্যাদি। এগুলির মধ্যে থাকে উচ্চ সোডিয়াম কিন্তু কোনো আয়োডিন নেই। এছাড়া এতে কোলেস্টরল বেড়ে যায়।

৯. হাইপোথাইরয়েডের ক্ষেত্রে গ্রিন টি পান করা একেবারেই নিষিদ্ধ কারণ এতে রয়েছে এন্টি থাইরয়েড উপাদান (১০)

হাইপার থাইরয়েড এর আহার চার্ট – Hyperthyroidism Diet Chart in Bengali

কখনও কখনও থাইরয়েড গ্রন্থিগুলি একেবারে উল্টোভাবে কাজ করে, অর্থাৎ অতিরিক্ত পরিমানে থাইরয়েড হরমোন নিঃসরণ করে যাকে বলা হয় হাইপারথাইরয়েড। নিচে আপনার জন্যে রইলো হাইপার থাইরয়েডের আহার চার্ট:

কখন খাবেন কি কি খাবেন? ক্যালোরি
ভোরবেলায় (৭:০০ – ৭:৩০) ২ গ্লাস  জল
জলখাবার  (৮:১৫ – ৮:৪৫) টমেটো +আপেল +আঙুরের তৈরী স্মুদি এবং দুটি সেদ্ধ ডিম ৩০৭
মাঝ সকালে (১০:৩০) ১টি মিডিয়াম সাইজের কাপ ভর্তি কচি গাজর লেবুর রস ও নুনের সাথে মাখিয়ে ৭০
দুপুরে  (১২:৩০- ১:০০) টুনা/ মুরগির মাংস/ পালং শাকের সাথে মেশানো মাশরুম স্যালাড, টমেটো এবং মুলো ৩৭০
বিকেলে (৪:০০) ১ কাপ গ্রিন টি + ৩২ টি পিস্তা বাদাম ৫৭০
রাতে  (৭:০০ – ৭:৩০)  বিনস দিয়ে তৈরী স্যালাড, সবজি দিয়ে তৈরী মাছের ঝোল ২৬৭

হাইপার থাইরয়েডে কি খাওয়া উচিত – Food for Hypothyroidism in Bengali

হাইপার থাইরয়ডিজমের ক্ষেত্রে যেই যেই লক্ষণগুলি সবথেকে বেশি করে ফুটে ওঠে সেগুলি হল ওজন অত্যাধিক কমে যাওয়া, উত্তেজনা হওয়া, মহিলাদের ক্ষেত্রে মাসিকের অনিয়ম, চোখ ফুলে যাওয়া, খিদে বেড়ে যাওয়া, ঘুমের অভাব ও ত্বকে সারাক্ষণ ঘাম ঘাম ভাব। এক্ষেত্রে যেসব খাদ্যগুলি সব থেকে বেশি করে খাওয়া উচিত সেগুলি হল:

১. কাঁচা সবজি ও ফল: Raw fruits and veggies

কাঁচা ও পাতা সমৃদ্ধ সবুজ শাক ও সবজি খেলে অতিরিক্ত থাইরয়েড হরমোন নিঃসরণ হওয়াকে আটকানো যায়।  এর জন্যে যেসব সবজিখাওয়া উচিত সেগুলি হল ব্রকোলি, পালং শাক, বাঁধাকপি, গাজর, ফুলকপি, লেটুস, ইত্যাদি। ফলের মধ্যে খাওয়া উচিত কমলা লেবু, আপেল, টমেটো, আঙ্গুর, কিউই, জাম, ইত্যাদি।

২. ব্রাউন রাইস: Brown rice

ব্রাউন রাইস হল উচ্চ গোইট্রোজেনিক সমৃদ্ধ, যাতে রয়েছে ফাইবার, ভিটামিন ও মিনারেল। প্রতিদিন ১/২ থেকে ১ কাপ ব্রাউন রাইস খাওয়ার অভ্যেস করা ভালো।

৩. প্রোটিন: Lean protein

প্রোটিন যেমন মুরগির মাংস, মাছ, মাশরুম, সয়াবিন ও ডাল খাওয়া হাইপোথাইরয়েডের ক্ষেত্রে খুবই জরুরি। এসব প্রোটিন অনেকটা দেরিতে হজম হওয়ার ফলে পেট অনেকক্ষণ ভর্তি থাকে।

৪. গ্রিন টি: Green tea

Green tea2

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হাইপার থাইরয়েড যখন নিয়ন্ত্রণ করার প্রয়োজন হয় তখন গ্রিন টি হল একটি অনবদ্য ঔষধীয় পানীয় যার মধ্যে রয়েছে এন্টি থাইরয়েড উপাদান ও ফ্লুরাইড। প্রতিদিন অন্তত ২ কাপ করে গ্রিন টি পান করার অভ্যেস করুন।

৫. ঔষধিক গাছ: Herbs

কিছু কিছু ঔষধীয় গুণ সমৃদ্ধ পাতা যেমন ধনে পাতা, অরিগ্যানো, তুলসী পাতা, পুদিনা, ইত্যাদি হাইপোথাইরয়েডিজম নিয়ন্ত্রণ করতে বিশেষভাবে সাহায্য করে। তাই এগুলি রোজ খেলে উপকার পাওয়া যায়।

হাইপার থাইরয়েডে কি খাওয়া উচিত নয় – Foods to Avoid in Hyperthyroidism in Bengali

Foods to Avoid in Hyperthyroidism

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হাইপোথাইরোয়েডে ভুগলে যেই সমস্ত খাদ্যগুলি একেবারেই খাওয়া উচিত নয় সেগুলি হল:

১. অতিরিক্ত আয়োডিন, জিঙ্ক এবং সেলেনিয়াম সমৃদ্ধ খাদ্য যেমন সামুদ্রিক মাছ, ডিম, নুন, ব্রাজিল বাদাম, ইত্যাদি।

২. কৃত্রিম ভাবে তৈরী মিষ্টি জাতীয় সুইটনার।

৩. দুধ এবং দুগ্ধ পদার্থ যেমন দই, মাখন, পনির, চিজ, ইত্যাদি।

৪. মদ্যপান ত্যাগ করুন এবং যেকোনো বোতলবন্দি পানীয় পর্যন্ত খাওয়া নিষেধ।

৫. প্যাকেটজাত খাদ্য বা জনক ফুড এবং কৃত্রিমভাবে সুগন্ধযুক্ত বা রঙিন খাদ্য।

থাইরয়েড রোগের জন্য আরো কিছু টিপস – Other Tips for Thyroid Diet in Bengali

যদিও থাইরয়েডের ক্ষেত্রে খাদ্যতালিকা একটি বিশাল ভূমিকা নিয়ে থাকে, তবুও খাদ্যের বাইরেও এমন কিছু নিয়মিত অভ্যেস ও জীবনশৈলী মেনে চলতে হবে যা হাইপোথাইরোয়েডিজম এবং হাইপারথাইরোয়েডিজম দুটির ক্ষেত্রেই খুব জরুরি। জেনে নেওয়া যাক কি কি করা উচিত ও কি কি করা উচিত নয়:

কি কি করা উচিত:

  • বেশি করে জল পান করুন

জল থাইরয়েডের ক্ষেত্রে খুবই প্রয়োজনীয় একটি ওষধির কাজ করে। জলের সাহায্যে নানারকমের বিষাক্ত পদার্থ শরীর থেকে বেরিয়ে যায়। এছাড়া জল মেদ ঝরাতে ও ওজন নিয়ন্ত্রণ করতেও সাহায্য করে।

  • ডায়েটের দিকে খেয়াল রাখুন

একজন থাইরয়েডে আক্রান্ত মানুষের ১০০০ ক্যালোরির বেশি খাদ্য খাওয়া একেবারেই উচিত না। তাই ডাক্তারের পরামর্শ নিয়ে সঠিক খাদ্য তালিকা অর্থাৎ ডায়েট চার্ট বেছে নিয়ে নিয়মিত খাওয়া দাওয়া করুন।

  • যোগ ব্যয়াম করুন

থাইরয়েডের ফলে নানা রকম সমস্যা সৃষ্টি হয়, যার মধ্যে ওজন বৃদ্ধি খুব সাধারণ। নিয়মিত যোগা অথবা ব্যয়াম করা খুবই জরুরি। এতে শরীর সম্পূর্ণভাবে সচল থাকে ও মেজাজ ভাল থাকে।

  • ভালো করে ঘুমান

দিনে কম করে ৮ ঘন্টা ঘুম খুবই জরুরি। না ঘুমোনোর ফলে শরীরে আরো বেশি ক্লান্তি আসে ও সারাদিন অলস লাগে।

  • চিন্তা মুক্ত থাকুন

অতিরিক্ত বিষন্নতা বা মানসিক চাপ থেকেও শরীরে নেতিবাচক প্রভাব পড়ে যার ফলে থাইরয়েড ধরা পড়ে। তাই সব সময় হাসি খুশি ও প্রানোজ্জল থাকার চেষ্টা করা দরকার।

কি কি করা উচিত নয়:

  • তৈলাক্ত খাদ্য থেকে দূরে থাকুন

বেশি ভাজা খাবার বা তৈলাক্ত খাবার খেলে থাইরয়েডের আশঙ্কা বেড়ে যায়। তাই কম তেলে রান্না করা উচিৎ, অলিভ অয়েল ব্যবহার করা আরও ভালো।

  • বাইরের খাবার থেকে দূরে থাকুন

ফাস্ট ফুড থাইরয়েডের জন্যে অতিরিক্ত বিষাক্ত কারণ এতে থাইরয়েড উৎপন্ন করা হরমোনগুলি খুব খারাপভাবে বেড়ে যায়।

  • ধূমপান ও মদ্যপান বন্ধ করুন

ধূমপান বা মদ্যপান দুটিই হল থাইরয়েডের জন্যে ক্ষতিকারক। এই ধরণের নেশা বন্ধ না করলে থাইরয়েড শুধু হবে তা নয়, সেটি সারা জীবনেও আর কমবেনা।

  • নুন কম খান

রান্নায় যেটুকু নুনের প্রয়োজন হয় সেইটুকু ছাড়া পাতে নুন একেবারে না খাওয়া উচিত, প্রয়োজনে রান্নাতেও নুন কম ব্যবহার করতে হবে।

হাইপোথাইরয়েডিজম ও হাইপারথাইরোইয়েডিজম দুটিই হল খুব গুরুতর সমস্যা যা একেবারেই অবহেলা করা ঠিক না। তাই থাইরয়েডের সমস্যা যাতে কোনোদিনও না হয় তার জন্যে এর প্রবণতা থেকেও আজ থেকেই দূরে থাকতে হবে। সেইজন্যে আপনার উচিত আজ থেকেই নিজের খাদ্যতালিকা ও জীবনধারার দিকে নজর দেওয়া। আশা করি আমরা এই পোস্টে আপনাকে থাইরয়েড নিয়ে অনেক কিছু জানাতে পেরেছি। এ বিষয় কোনো মতামত থাকলে বা আরো কিছু জানা  থাকলে আমাদের অবশ্যই জানান কমেন্টের মাধ্যমে।

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মাথা ব্যথা কমানোর ঘরোয়া উপায় – Headache Home Remedies in Bengali

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দৈনন্দিন দৌড়ঝাঁপ, কাজের চাপ, ব্যস্ততার জীবনে মাথা ব্যথা বলা যায় আমাদের জীবনের অঙ্গ হয়ে দাঁড়িয়েছে। আট থেকে আশি সকলেই মাথা ব্যথার শিকার হচ্ছে। মূলত আবহাওয়ার পরিবর্তন, পরিবেশ দূষণ, অত্যধিক স্ট্রেস, খাওয়ার অনিয়ম, শারীরিক রোগ বহু কারণে মাথা যন্ত্রণা হতে দেখা যায়। দীর্ঘ সময় একভাবে কম্পিউটারের সামনে বসে কাজ করা কিংবা পেন খাতা নিয়ে লেখালেখি করা, ট্র্যাফিক জ্যামে অনেকক্ষণ আটকে থাকা কিংবা অতিরিক্ত শব্দের মধ্যে থাকা সবকিছুই মাথাব্যথার কারণ হতে পারে। অনেক ক্ষেত্রে দেখা যায় দুশ্চিন্তা, অতিরিক্ত ধূমপান, দীর্ঘদিন ধরে ব্যথানাশক ওষুধের অত্যধিক ব্যবহার, শরীরে জলের অভাব, মাইগ্রেনের ফলে মাথাব্যথার সমস্যা শুরু হয়। তবে তৎক্ষণাৎ মাথা ব্যথাথেকে মুক্তি পেতে অনেকেই বিভিন্ন ধরনের ওষুধ খেয়ে থাকেন। যেগুলি শরীরের পক্ষে তৎক্ষণাৎ আরাম দিলেও খুবই ক্ষতিকারক প্রভাব ফেলে।সেজন্য ওষুধের দিকে না গিয়ে মাথা ব্যথা কমানোর জন্য বেশ কিছু ঘরোয়া পদ্ধতি আছে যেগুলো ঠিক করে মেনে চললে মাথা ব্যথা থেকে চিরতরে মুক্তি পাওয়া যাবে। মাথা ব্যথাযে কেবলমাত্র বড় দেরই হয় তা নয়, এটি ছোটদের ক্ষেত্রেও সমানভাবে প্রভাব ফেলে। তাই শুরুতেই যদি ঘরোয়া কিছু পদ্ধতি অবলম্বন করা যায় এটি নির্মূল করা সম্ভব হয়। আসুন আজকের প্রতিবেদনে জেনে নিন, কিভাবে ঘরোয়া পদ্ধতি অবলম্বন করে মাথা ব্যথার প্রতিকার করবেন।

মাথা ব্যথার প্রকারভেদ : Types of Headache

আমাদের যে মাথা ব্যথা কষ্টের কারণ হয়ে ওঠে তা বহু ধরনের হয়ে থাকে। ধরন অনুযায়ী মাথাব্যথার কষ্ট পাওয়ার তীব্রতা বাড়ে-কমে। মাথাব্যথার ফলে মূলত মাথা, মাথার ত্বক এবং ঘাড়ে ব্যথার ফলে এক ধরনের অস্বস্তিকর শারীরিক অবস্থার সৃষ্টি হয়। কিছু কিছু ক্ষেত্রে দেখা যায় মাথা ব্যথা হালকা হয়, আবার কিছু কিছু সময় তা মাথা ঘোরানো এবং মাথা ব্যথাএকসাথে হয়। এর ফলে আক্রান্ত ব্যক্তির পক্ষে মাথা তুলে দাঁড়ানো কিংবা কোনো কাজ করা বিভীষিকার সমান হয়ে ওঠে। মাথা ব্যথা হলো মূলত মানসিক চাপ কিংবা স্ট্রেস এর লক্ষণ। উচ্চ রক্তচাপ, উদ্বেগ, হতাশা, মাইগ্রেনের ফলে মাথা ব্যথা শুরু হতে পারে। মাথা ব্যথাপ্রাথমিক এবং মধ্যম ধরনের মধ্যে ভাগ করা হয়। প্রাথমিক মাথা ব্যথা হিসেবে গণ্য করা হয় মাইগ্রেন, টেনশন, ইত্যাদি মাথা যন্ত্রণা গুলিকে। এগুলির ফলে মাথা ব্যথাখুব বেশি গুরুতর না হলেও মূলত মাথার বিভিন্ন পেশি কিংবা ঘাড়ে ব্যথা হতে দেখা যায়। মূলত যা বাহ্যিক কারণে হয়ে থাকে কিংবা অত্যধিক টেনশন বা রোদের তাপে কিংবা মাইগ্রেনের সমস্যায় হয়ে থাকে।

অন্যদিকে মাথাব্যথার জন্য যদি কোন অন্তর্নিহিত কারণ থাকে সেক্ষেত্রে তাকে মধ্যম বা গৌণ মাথা ব্যথাহিসেবে গণ্য করা হয়ে থাকে। এই জাতীয় মাথাব্যাথার ক্ষেত্রে কয়েকটি মূল কারণ হলো, অতিরিক্ত অ্যালকোহল সেবন, মাথা ভার, মাথায় রক্ত জমাট, মস্তিষ্ক কিংবা তার চারপাশের কোথাও রক্তক্ষরণ, মস্তিষ্কের চলমানতা কমা, চোখের ছানি বৃদ্ধি পেলে, দাঁতের যন্ত্রণা হলে, অতিরিক্ত ব্যথার ওষুধ খেলে, আকস্মিক কোনও ব্যথা পেলে, মাথায় কিংবা ঘাড়ের ব্যথার কারণে। মূলত মাথার ব্যথা এই বিষয়গুলোর উপর নির্ভর করে।

আসুন জেনে নিন মাথা ব্যথার কয়েকটি সাধারণ প্রকারভেদ :

১) টেনশন জনিত কারণে মাথা ব্যথা :

আমাদের দিনের বেশিরভাগ সময়ই স্ট্রেস কিংবা টেনশনের কারণে এই মাথা ব্যথাহয়ে থাকে। মূলত দিনের মধ্যভাগ থেকে রাতের দিক পর্যন্ত এটি লক্ষ্য করা যায়।

লক্ষণ গুলি হল :

টেনশন জনিত কারণে মাথা ব্যাথার ক্ষেত্রে মনে হয় মাথার চারপাশে রক্ত জমাট বেঁধে আছে। মাথার দু দিকে স্থির বা এক ধরনের চিনচিনে ব্যথা হয়। এই ব্যথা মাথার পিছন দিয়ে ঘাড়ের দিকে ছড়িয়ে পড়ে।

২) মাইগ্রেনের ফলে মাথা ব্যথা :

মাথাব্যথার প্রকারভেদের মধ্যে অন্যতম একটি হলো মাইগ্রেন। মাইগ্রেনের ফলে মাথার ব্যথা মূলত একপাশে ঘটে। যার ফলে সেই জায়গায় প্রচন্ড যন্ত্রণা হওয়ার পাশাপাশি সেদিকে গলা পর্যন্ত ব্যথা প্রভাব বিস্তার করে।

লক্ষণ গুলি হল :

মাইগ্রেনের ব্যথার ক্ষেত্রে দৃষ্টি ঝাপসা হয়ে আসে, আলোয় অতিরিক্ত মাথা যন্ত্রণা বৃদ্ধি পায়, অনেক সময় মাথা ব্যথার পাশাপাশি সংজ্ঞা হারানোর প্রবণতা থাকে।

৩) রিবাউন্ড মাথা ব্যথা:

এটি মূলত অতিরিক্ত ওষুধ ব্যবহারের ফলে ঘটিত মাথা ব্যথাহিসেবে পরিচিত। চিকিৎসার লক্ষ্যে ওষুধের অধিক ব্যবহারের ফলে কিংবা ব্যথানাশক ওষুধের অধিক ব্যবহারের ফলে এই ধরনের মাথা ব্যথালক্ষ্য করা যায়। এগুলি গৌন মাথা ব্যথাহিসেবে ধরা হয়। এই ধরনের মাথা ব্যথাযখন শুরু হয় সে ক্ষেত্রে সারাদিনে এটি চলতে থাকে। কেননা দীর্ঘদিন ওষুধ ব্যবহারের ফলে এটি সৃষ্টি হয়।

লক্ষণ গুলি হল :

মাথার পেছন দিক থেকে ব্যথা ঘাড় অবধি পৌঁছে যায়। শরীরে এক অস্থিরতা কাজ করে। সঠিকভাবে ঘুম হয় না। মাথার মধ্যে এক অস্বস্তিভাব কাজ করে।

৪) হালকা মাথা ব্যথা :

এ ধরনের মাথা ব্যথাসাধারণত পনেরো মিনিট থেকে তিন ঘন্টা পর্যন্ত স্থায়ী থাকে। এগুলি হঠাৎ কোন কারণে সৃষ্টি হতে পারে। তবে এটি দিনে এক থেকে চারবার পুনরাবৃত্তি ঘটতে পারে এবং কয়েক সপ্তাহ বা কয়েক মাস পর্যন্ত চলতে পারে। এই মাথাব্যথার ক্ষেত্রে শরীরে খুব অস্বস্তি ভাব যে থাকে তা নয়, তবে মাথায় একটা হালকা ব্যথা কাজ করবে। মূলত দীর্ঘক্ষন কোন চিন্তার কারণে কিংবা মাথা নিচু করে বই পড়া কিংবা কোন জিনিস নিয়ে কাজ করার ফলে এ ধরনের  মাথা ব্যথাহতে পারে।

লক্ষণ গুলি হল :

এ ধরনের মাথাব্যথার ফলে চোখে সমস্যার সৃষ্টি হতে পারে। যার ফলে চোখের চারপাশে ব্যথা হতে পারে। চোখ জ্বলার মতো সৃষ্টি হতে পারে। মাথায় কোন নির্দিষ্ট জায়গা, সামনে কিংবা কপালের পাস কিংবা মাথার পিছনে একনাগাড়ে ব্যথা হতে পারে। এছাড়াও যে জায়গায় ব্যথা টা হচ্ছে সেই জায়গাটা লাল হয়ে ফুলে যেতে পারে এবং চোখের পাতা ভারী হয়ে আসতে পারে। কোনো কোনো ক্ষেত্রে সর্দির ফলেও এ ধরনের মাথা ব্যথালক্ষ্য করা যায়।

৫) বজ্রপাতের মতো মাথা ব্যথা :

এ ধরনের মাথা ব্যথা গুলো হঠাৎ শুরু হয়ে মুহূর্তের মধ্যেই তীব্র আকার ধারণ করে। এছাড়া এই তীব্রতা পাঁচ মিনিটের বেশি সময় ধরে স্থায়ী থাকতে পারে। এগুলো মূলত মাথা ফেটে যাওয়া কিংবা মাথার ভিতর অন্য কোনো গুরুতর সমস্যার ক্ষেত্রে কিংবা ইন্টারনাল হেমারেজ, মেনিনজাইটিস, সেরিব্রাল অন্তর্নিহিত স্বাস্থ্যের হঠাৎ অবনতি ঘটলে এধরনের মাথা ব্যথাঘটে। এ ধরনের মাথা ব্যথাঘটলে সত্বর চিকিৎসকের সাথে যোগাযোগ করা উচিত।

লক্ষণ গুলি হল :

হঠাৎ তীব্র মাথা যন্ত্রণা। চারিদিক অন্ধকার দেখা, মাথা ঘুরিয়ে পড়ে যাওয়ার প্রবণতা, জ্ঞান হারানোর মত পরিস্থিতি এ ধরনের মাথাব্যথার ক্ষেত্রে লক্ষ্য করা যায়।

মাথা ব্যথার কারণ : Causes of Headache in Bengali

Causes of Headache in Bengali

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হঠাৎ করে কমবেশি মাথা ব্যথার সম্মুখীন আমাদের সকলেরই হতে হয়েছে। তবে হঠাৎ কী কারণে মাথা ব্যথার সৃষ্টি হয় সেই কারণই হয়ত আমাদের সকলের কাছেই সব সময় পরিষ্কার থাকে না। মূলত মস্তিষ্কের ক্রিয়া-কলাপের কিছু পরিবর্তন ঘটলে কিংবা মস্তিষ্কে উপস্থিত রক্তনালীর কোন হঠাৎ পরিবর্তন ঘটলেই এই মাথা ব্যথার মত পরিস্থিতি দেখা যায়। তবে মাথাব্যথার নির্দিষ্ট কারণটি এখনো আবিষ্কার করা যায়নি। তবে মাথাব্যথার জন্য আমাদের বেশ কিছু কারণ চোখের সামনেই রয়েছে। এক নজরে জেনে নিন ঠিক কী কী কারণে মাথা ব্যথা হতে পারে ?

১) সর্দি, কাশি বা জ্বর থাকলে সে ক্ষেত্রে শরীর অসুস্থ হলে মাথা ব্যথার সমস্যা লক্ষ্য করা যায়।

২) কানের সংক্রমণ, গলার সংক্রমণ কিংবা সাইনোসাইটিসের মতন রোগ সংক্রমণ ঘটলে হঠাৎ স্বাস্থ্যের অবনতি হলে মাথা ব্যথা লক্ষ্য করা যায়।

৩) মানসিক চাপ কিংবা হতাশার কারণে মাথা যন্ত্রণার সৃষ্টি হতে পারে।

৪) আপনার পারিপার্শ্বিক পরিবেশও আপনার মাথা ব্যথার অন্যতম কারণ হয়ে উঠতে পারে। অতিরিক্ত ধোয়া, দূষণ কিংবা জঞ্জাল পোড়ানো হতে থাকলে সে ক্ষেত্রে মাথা ভার কিংবা মাথা ব্যথার মত সমস্যা গুলি দেখা যায়।

৫) যেকোনো ধরনের দৃঢ় গন্ধ সম্পন্ন পারফিউম, ধুপকাঠি কিংবা সুগন্ধি ব্যবহারের ফলে হঠাৎ মাথা ব্যথার সৃষ্টি হতে পারে।

৬) দূষণ, জলবায়ুর পরিবর্তন, জোরে আওয়াজ, উজ্জ্বল আলো, গাড়ির আওয়াজ মাথা ব্যথার অন্যতম কারণ হতে পারে।

৭) জিনগত কারনেও অনেক সময় মাথা ব্যথাহতে পারে। মূলত যাদের পারিবারিক ইতিহাসে পরিবারের অন্যান্য ব্যক্তিদের মাথা ব্যথা কিংবা মাইগ্রেনের মত সমস্যা রয়েছে সেক্ষেত্রে মাথা ব্যথার সমস্যা হতে পারে।

মাথা ব্যথা এমন একটি রোগ যেটি আপনাকে যথেষ্ট ভাবে দুর্বল করে দিতে পারে।এছাড়াও এর ফলে আপনার সারা শরীর প্রায় কার্যক্ষমতা হারায় এবং প্রতিদিনের কাজকর্ম আপনার করা অসম্ভব হতে পারে। তাই এমন কিছু করার চেষ্টা করুন যা ঘরোয়া পদ্ধতিতে কোন ক্ষতি না করে আপনাকে মাথা ব্যথার থেকে প্রতিকার দেবে। আমাদের সকলের হাতের কাছেই এমন কিছু প্রাকৃতিক উপাদান রয়েছে যেগুলি শরীরের ক্ষতি না করে আমাদের মাথা ব্যথাকমাতে সাহায্য করবে। এক নজরে জেনে নিন এবার মাথা ব্যথা কমানোর সেই সমস্ত গুরুত্বপূর্ণ উপাদানগুলি সম্পর্কে।

মাথা ব্যথা কমানোর ঘরোয়া উপায় : Home Remedies for Headache in Bengali

আসুন আজ জেনে নিন ঘরোয়া পদ্ধতিতে কোন কোন উপাদান গুলি ব্যবহার করে মাথা ব্যথার সমস্যা চিরতরে দূর করবেন।

১) ঠান্ডা ও গরম চিকিৎসা করে মাথা ব্যথা কমান : Hot Or Cold Therapy

মাথা ব্যথাহলে সেক্ষেত্রে সর্দি জনিত কারণে যদি মাথা ব্যথাহয় সে সময় যেকোনো ধরনের চা খুব উপকারী ভূমিকা গ্রহণ করে থাকে। কিংবা মাথার তালুতে যদি দীর্ঘক্ষন ধরে ব্যথা হয় সেক্ষেত্রে আইসব্যাগ এর সাহায্যে তা মাথা ব্যথা কমাতে সহায়তা করে। প্রথমে জেনে নিন কিভাবে গরম জিনিস ব্যবহার করে মাথা ব্যথা কমাবেন। (১)

কি কি জিনিস প্রয়োজন?

চা পাতা – পরিমান মত

চিনি – ১ চামচ

জল – ১ কাপ

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • জলের মধ্যে চা পাতা চিনি ফুটিয়ে গরম চা করে তৈরি করে ফেলুন।
  • এবার এটি গরম থাকতে থাকতেই খাওয়ার চেষ্টা করুন।
  • এবং এর গরম ভাপটি নাক দিয়ে নেওয়ার চেষ্টা করুন।
  • এটি সর্দি জনিত কারণে যদি মাথা ব্যথার সৃষ্টি হয় সেক্ষেত্রে আরাম দান করবে।

জেনে নিন আইস ব্যাগ ব্যবহার করে কিভাবে মাথা ব্যথা কমাবেন?

মূলত টেনশন কিংবা স্ট্রেস এর কারণে যে ধরনের মাথা ব্যথাহয় সে ক্ষেত্রে আইসব্যাগ এর ব্যবহার আরাম প্রদান করে।

প্রয়োজনীয় উপাদান?

আইসব্যাগ – একটি

বরফের টুকরো – আট-দশটি

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • বরফের টুকরো গুলো আইসব্যাগ এর মধ্যে ভরে আইসব্যাগ এর মুখটা বন্ধ করুন।
  • এবার এটি মাথার তালুতে দিয়ে কিছুক্ষণের জন্য চোখ বন্ধ করে বসে থাকুন।
  • কিছুক্ষণ বাদেই বুঝতে পারবেন মাথা ব্যথাআস্তে আস্তে কম হচ্ছে।
  • মাথা ব্যাথার সময় কখনোই শুয়ে পড়বেন না। সেক্ষেত্রে ব্যাথা আরো বেড়ে যাবে।

তাই একটি ব্যবহার করুন, কিছুক্ষণ বাদেই দেখতে পাবেন আস্তে আস্তে মাথা ব্যথা কম হতে শুরু করবে।

২) আদার সাহায্যে মাথা ব্যথাদূর করুন : Ginger

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আদা চা যেকোনো ধরনের মাথা ব্যথাকমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। আদা হল আমাদের হাতের কাছে থাকা একটি সহজলভ্য উপাদান। এটিকে আমরা প্রত্যেকের রান্নাঘরেই পেয়ে থাকি। এবার জেনে নিন কিভাবে আদার সাহায্যে মাথা ব্যাথার সমস্যার সমাধান করবেন? (২)

কী কী উপাদান প্রয়োজন? 

আদা – এক থেকে দুই ইঞ্চি

জল – এক কাপ

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • এক কাপ জলে আদার টুকরোটি ছোট ছোট করে কেটে নিয়ে যোগ করুন।
  • এবার জলটি কয়েক মিনিট ধরে সিদ্ধ করুন।
  • তারপর উনানের আঁচ বন্ধ করে দিন।
  • এবার এই মিশ্রণটি ফ্যানের তলায় রেখে একটু ঠাণ্ডা করে নিন।
  • এবার উষ্ণ গরম অবস্থায় চায়ের মতন করে পান করুন।
  • এটি প্রতিদিন সকালে এবং বিকেলে দুবার খেতে পারেন। এতে মাথায় কফ জমলে কিংবা মাথায় রক্ত জমাট হয়ে যাওয়ার কারণে বা অন্য কোনো সমস্যার জন্য যদি মাথা যন্ত্রণা হয় সেটি কমাতে সহায়তা করবে।

এর ফলে কি হবে? 

যেকোনো ধরনের ব্যথা কমাতে আদা গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে। এছাড়াও মাইগ্রেনের মাথাব্যথার ক্ষেত্রে একটি গুরুত্বপূর্ণ প্রতিষেধক হল আদা। এছাড়াও এটি রক্ত চলাচলকে ত্বরান্বিত করে, যার ফলে মস্তিষ্কে সঠিকভাবে রক্ত চলাচল সম্পন্ন হয়। যা মাথা ব্যথাকমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে।

৩) মাথা ব্যথা কমাতে পুদিনা পাতার ব্যবহার : Mint

অস্বস্তিকর মাথা ব্যথাকমানোর জন্য একটি অন্যতম ঘরোয়া উপাদান হলো পুদিনা পাতার রস। পুদিনা পাতার মধ্যে থাকা ম্যানথল ও ম্যানথন জাতীয় উপাদান গুলি মাথা ব্যথাদূরীকরণে মুখ্য ভূমিকা গ্রহণ করে। এছাড়াও এটি শরীরে এক ধরনের আরামদায়ক পরিস্থিতির সৃষ্টি করে, যার ফলে মাথা ব্যথা থেকে খানিক রেহাই পাওয়া যায়।

কী কী উপাদান প্রয়োজন? 

পুদিনা পাতা – এক মুঠো

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • একমুঠো পুদিনা পাতা নিয়ে সেটি জলে ভিজিয়ে রাখতে হবে।
  • কিছুক্ষণ ভিজিয়ে রাখার পর জল থেকে তুলে পুদিনা পাতা টাকে বেটে নিন।
  • এবার এই মিশ্রণটি সরাসরি আপনার কপালে লাগান, যেখানে ব্যথার প্রবণতা বেশি।
  • কিছুক্ষণ বাদে দেখবেন এক ধরনের স্বস্তি পাওয়া যাচ্ছে।
  • এছাড়াও পুদিনাপাতার চাও তৈরি করে খেতে পারেন।
  • এ ক্ষেত্রে এক কাপ জলে সাত-আটটি টি পুদিনা পাতা এবং হাফ চামচ মধু দিয়ে চা তৈরি করে খেতে পারেন।
  • এটিও মাথা যন্ত্রণা কমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করবে।

এর ফলে কি হবে? 

পুদিনা পাতার রস ব্যবহারের ফলে এটি যেমন মাথায় লাগানোর পরেও মাথার ব্যথা কমতে শুরু করবে এবং পুদিনা পাতা দিয়ে তৈরি চা পান করলেও এটি এক ধরনের মানসিক শান্তি প্রদান করবে। যা শারীরিক অবস্থার সামান্য উন্নতি ঘটাতে সহায়তা করবে।

৪) তুলসী দিয়ে করুন মাথা ব্যথার ঘরোয়া প্রতিকার : Basil

অনেক সময় মাথায় সর্দি জমে গেলে কিংবা দীর্ঘদিন কাশির ফলে মাথা যন্ত্রণা দেখা যায়। সেক্ষেত্রে তুলসী এ ধরনের মাথা ব্যথাকমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে। তুলসীর মধ্যে থাকা অ্যান্টি ব্যাকটেরিয়াল উপাদান সর্দির ভাইরাসকে ধ্বংস করে শ্লেষ্মাকে পাতলা করতে সহায়তা করে। যার ফলে মাথা হালকা হতে শুরু করে। মাথা ব্যথাকমাতে তুলসী পাতার চা ও গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে।

কি কি উপাদান প্রয়োজন? 

তুলসী পাতা –  পাঁচ ছয়টি

জল – এক কাপ

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • এক কাপ জলে পাঁচ-ছয় টি তুলসী পাতা দিয়ে ভালো করে ফুটিয়ে নিন।
  • যতক্ষণ না জলের রং হালকা সবুজ হচ্ছে ফুটাতে থাকুন।
  • এরপর অল্প ঠান্ডা করে উষ্ণ অবস্থায় এই জল পান করুন।
  • এবার দেখতে পাবেন আস্তে আস্তে এটি মাথায় শান্তি প্রদান করছে এবং কফের সমস্যা থাকলে সেটি বের হতে থাকবে।
  • দিনে দুবার এটি ব্যবহার করুন।

এর ফলে কি হবে? 

মাথায় সর্দি জমে যদি মাথা ব্যথার সৃষ্টি হয় সেক্ষেত্রে তুলসী তা কমাতে সহায়তা করবে। এর পাশাপাশি জমে থাকা শ্লেষ্মাকেও তরল হিসেবে বের করে দিতে সহায়তা করবে।

৫) পিপারমেন্ট তেল দিয়ে কমান মাথা ব্যথা:  Peppermint Oil

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মূলত মানসিক চাপ, হতাশা, পরিবেশ দূষণ কিংবা শারীরিক দুর্বলতার প্রকাশ হিসেবে মাথা ব্যথালক্ষ্য করা যায়। মাথা ব্যথাকমাতে আমাদের হাতের কাছে বহু ঘরোয়া জিনিস রয়েছে। যেগুলি ওষুধের মতন ক্ষতি না করে প্রাকৃতিক উপায়ে মাথা ব্যথা কমাতে সহায়তা করে। ঘরোয়া জিনিস গুলির মধ্যে অন্যান্য একটি উপাদান হলো পিপারমেন্ট তেল। এটি টেনশন জনিত মাথা ব্যথায় ম্যাজিকের মতন কাজ করে থাকে। (৩)

কী কী উপাদান প্রয়োজন :

পিপারমেন্ট তেল – তিন ফোঁটা

নারকেল তেল বা অন্য কোন ক্যারিয়ার তেল – দু’চামচ

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • যেকোন বাহক তেল এক থেকে দুই চামচ নিয়ে তার মধ্যে দুই থেকে তিন ফোটা পিপারমেন্ট তেল যোগ করুন।
  • এবার এটি ভাল করে মিশিয়ে নিন।
  • তারপর কপালে ভালো করে লাগিয়ে ফেলুন।
  • যখনই মাথাব্যথার শুরু হচ্ছে মনে হবে তখনই এটি ব্যবহার করুন। তাহলে শুরুতেই মাথা ব্যথাকমে যাবে এবং একটি আলাদা অনুভুতি হবে।

এর ফলে কি হবে? 

মাথা ব্যথার ক্ষেত্রে পিপারমেন্ট তেল প্যারাসিটামল এর মতন কাজ করে। এর কোনো ক্ষতি কর প্রভাব পড়ে না। এটি অ্যারোমেটিক উপায়ে মাথা যন্ত্রণা কমাতে সহায়তা করে।

৬) মাথা ব্যথাকমাতে যষ্টিমধুর ভূমিকা : Licorice Root

মাথা ব্যথার ঘরোয়া প্রতিকার করতে যষ্টিমধু হলো অন্যতম একটি প্রাকৃতিক উপাদান। এটি লজেন্সের মতো কিংবা চা বানিয়ে কিংবা এর তেল খাওয়া যায়। মূলত মাথা ব্যথা, হাইপারটেনশন, পেশির দুর্বলতা, শরীরে পটাশিয়ামের ভাগ কমে গেলে কিংবা হূদযন্ত্রের সমস্যা দেখা দিলে এটি গ্রহণ করা যেতে পারে। টেনশন কমাতে মুখ্য ভূমিকা গ্রহণ করে যষ্টিমধু। যার ফলে এটি মাথা ব্যথা নাশক হিসেবেও পরিচিত। জেনে নিন কিভাবে যষ্টিমধু দিয়ে মাথা ব্যথা কমাবেন?

কি কি উপাদান প্রয়োজন? 

যষ্টিমধু – একটুকরো

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • মাথা ব্যথাহলে এক টুকরো যষ্টিমধু লজেন্সের মতন মুখে নিয়ে খেতে পারেন।
  • অথবা এক কাপ জলে যষ্টিমধু দিয়ে ভালো করে ফুটিয়ে নিয়ে যদি সেবন করতে পারেন এটি মাথা ব্যথার হাত থেকে তৎক্ষণাৎ আরাম দেবে।
  • টেনশন বা হাইপারটেনশন এর কারণে যদি কোনরকম মাথা ব্যথাহয় সে ক্ষেত্রে যষ্টিমধু গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে।
  • এটি দিনে দুই থেকে তিনবার খেতে পারেন।

এর ফলে কি হবে? 

যষ্টিমধু খাওয়ার ফলে মাথা ব্যথাতো কমবেই, তার সাথে মাথায় কোনো রকমের খিঁচুনি ভাব দেখা দিলে সেটার থেকেও নিস্তার পাওয়া যাবে।

৭) মাথা ব্যথা কমাতে রোজমেরির ভূমিকা : Rosemary

একটি অন্যতম সুগন্ধি দ্রব্য হল রোজমেরি। এটি মাথা ব্যথা, গলা ব্যথার মতন সমস্যাগুলির সমাধানে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। এটি দিয়ে চা তৈরি করে খেলে কিংবা রোজমেরি তেল প্রাচীন সময় থেকে মাথা ব্যাথার সমস্যার সমাধান করে আসছে। এছাড়া এটি শরীরে ব্লাড সার্কুলেশন পদ্ধতিকেও উন্নত করে। গবেষণায় দেখা গিয়েছে, যে কোন ধরনের ব্যথা এবং মাথা ব্যথার মতন রোগগুলি সমাধান করতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে রোজমেরি অয়েল। মাইগ্রেনের ব্যথা এবং টেনশনের কারণে যে মাথা ব্যথা দেখা যায় সেগুলি কমাতেও রোজমেরি গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। জেনে নিন কিভাবে রোজমেরি দিয়ে মাথা ব্যথাকমাবেন?

কী কী উপাদান প্রয়োজন? 

রোজমেরি তেল – ২-৪ ফোটা

নারকেল তেল বা যেকোনো বাহক তেল – ১ চামচ

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • এক চামচ বাহক তেলের সাথে দু-তিন ফোঁটা রোজমেরি তেল মিশিয়ে একটি ভালো করে মিশ্রন তৈরি করুন।
  • এবার এটি কোনও পাতলা কাপড়ে নিয়ে নাকের সামনে নিয়ে ঘ্রান নিন।
  • এছাড়া এটি স্নানের জলে ও ব্যবহার করতে পারেন।
  • অ্যারোমাথেরাপিতে রোজমেরি একটি গুরুত্বপূর্ণ তেল, যা ব্যথার চিকিৎসায় কিংবা রক্ত সঞ্চালন উন্নত করতে এবং মাইগ্রেন বা মাথা ব্যথার উপশম করতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে।
  • স্ট্রেস বা উদ্বেগ রোধ করার জন্যেও রোজমেরির ব্যবহার করা হয়।
  • এটি দিনে দুবার ব্যবহার করতে পারেন।

এর ফলে কি হবে? 

এটি ব্যবহারের ফলে মাইগ্রেন বা স্ট্রেস জনিত কারণে যে মাথা ব্যথা হয় তা সম্পূর্ণ কমে যাবে এবং কোনো কারণে যদি মাথায় রক্ত সঞ্চালন সঠিক ভাবে না হয় সেক্ষেত্রেও বেশি ফুলে গিয়ে মাথা ব্যথাদেখা যেতে পারে সেই সমস্যার সমাধান ঘটাবে।

৮) লবঙ্গ দিয়ে চিরতরে কমান মাথা ব্যথা: Cloves

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মাথা ব্যথাএবং মাথার যেকোন ধরনের যন্ত্রণা কমাতে একটি অন্যতম উপাদান হলো লবঙ্গ। এটি মাথা যন্ত্রণা কমিয়ে একটি ঠাণ্ডা অনুভূতি প্রদান করে। এর মধ্যে থাকা উপাদান গুলি মাথা যন্ত্রণা কমিয়ে সেখানে একটি আরামদায়ক অনুভূতি প্রদান করে। লবঙ্গ বহু কাজে ব্যবহার হয়। অ্যারোমেটিক উপাদান গুলির মধ্যে অন্যতম এটি। এর গন্ধ নেওয়ার মাধ্যমে চিকিৎসা করা হয়। জেনে নিন কিভাবে লবঙ্গের সাহায্য মাথা ব্যথাকমাবেন?

কী কী উপাদান প্রয়োজন? 

লবঙ্গ – চার-পাঁচ টুকরো

পরিষ্কার রুমাল – একটি

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • লবঙ্গ গুলো শক্ত কোনও জিনিস দিয়ে পিষে নিন।
  • তারপর পরিষ্কার রুমালের ভেতর সেটা রেখে নাক দিয়ে ঘ্রাণ নিন।
  • এভাবে ঘ্রাণ নিতে নিতে মাথা ব্যথাকমবে। একটি আরামদায়ক পরিস্থিতির সৃষ্টি হবে।

এর ফলে কি হবে? 

লবঙ্গের মধ্যে উপস্থিত উপাদান গুলি মাথা ব্যথাএবং মাথা যন্ত্রণা কমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে। মাথা ব্যথার সমস্যা দেখা দিলে উপরিউক্ত পদ্ধতি অবলম্বন করলে খুব অল্প সময়ের মধ্যেই বিনা ওষুধ সেবন করে মাথা ব্যথাকমানো যাবে।

৯) মাথা ব্যথার ঘরোয়া প্রতিকারে  ল্যাভেন্ডার অয়েলের ভূমিকা : Lavender Oil

ল্যাভেন্ডার অয়েল হল অন্যতম একটি প্রাকৃতিক উপাদান, যেটি মাথা ব্যথামাইগ্রেনের ব্যথা, যেকোনো ধরনের টেনশন কিংবা উদ্বেগ দূর করতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে। এটি দিয়ে ঘরোয়া পদ্ধতিতে মাথা ব্যথার সমস্যা সমাধান করা যায়। (৪)

কি কি উপাদান প্রয়োজন? 

ল্যাভেন্ডার তেল –  দুই-তিন ফোঁটা

একটি পাত্র

জল

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • একটি পাত্রে জল নিয়ে সেটি উনানে ভালো করে ফুটিয়ে নিন।
  • এবার গ্যাসের আঁচ বন্ধ করে তারমধ্যে দু-তিন ফোঁটা ল্যাভেন্ডার তেল দিয়ে নিন।
  • এবার মাথা নিচু করে পাত্রের সামনে এসে সেটা থেকে ঘ্রাণ নেওয়ার চেষ্টা করুন।
  • সেই ঘ্রানটি নিলে পড়ে মাথা ব্যথাথেকে সত্বর রেহাই পাবেন।
  • এটি দিনে ২ থেকে ৩ বার করতে পারবেন।

এর ফলে কি হবে? 

ল্যাভেন্ডার তেল ব্যবহারের ফলে মাইগ্রেনের মাথা ব্যথা কমার পাশাপাশি এটি যেকোনো ধরনের চাপ এবং উদ্বেগ দূর করতে সহায়তা করবে। অ্যারোমা চিকিৎসায় ল্যাভেন্ডার তেলের ব্যবহার গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে।

১০) আপেল সিডার ভিনিগার দিয়ে মাথা ব্যথা কমান : Apple Cider Vinegar

মাথা ব্যথাকমাতে আপেল সিডার ভিনেগারের গুরুত্ব গবেষণায় প্রমাণিত না হলেও এটি ব্যক্তিদের নিজস্ব ব্যবহারের ফলে প্রমাণ পাওয়া গিয়েছে যে, অ্যাপেল সিডার ভিনিগার মাইগ্রেনের মত জটিল ধরনের মাথা ব্যথাকমাতে বা টেনশন জনিত কারণে হওয়া মাথাব্যথার বিরুদ্ধে লড়াইয়ের গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে। ঘনঘন যাদের মাথা ব্যথার মতো সমস্যা দেখা দেয়, তাদের মাথা ব্যথাকমাতে সহায়তা করে। এছাড়াও এটি দৈনিক খাদ্যতালিকায় রাখলে ডায়েট অনুসরণ করে চলা যায়। এবার জেনে নিন কিভাবে আপেল সিডার ভিনেগার এর সাহায্যে মাথা ব্যথাকমাবেন?

কি কি উপাদান প্রয়োজন :

অ্যাপেল সিডার ভিনিগার – দু’চামচ

হালকা গরম জল

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • এক গ্লাস হালকা গরম জলে দুই চামচ আপেল সিডার ভিনিগার ভালো ভাবে মিশিয়ে নিন।
  • এবার এই মিশ্রণটি পান করুন।
  • দিনে এক থেকে দুই বার এটি ব্যবহার করতে পারেন।

এর ফলে কি হবে? 

এটি ব্যবহার করার ফলে শরীরে রক্ত সঞ্চালন বৃদ্ধি ঘটবে এবং মাইগ্রেন কিংবা চাপের কারণে যেসব মাথা ব্যথা হয় সেগুলির সমাধান হবে।

১১) মাথা ব্যথা কমাতে লেবুর ভূমিকা : Lemon

মাইগ্রেন জনিত কারনে হওয়া মাথা ব্যথা কমাতে ব্যবহারকারী একটি গুরুত্বপূর্ণ প্রাকৃতিক উপাদান হলো লেবু। এর সাথে যদি কিছু পরিমাণ লবণ যোগ করা যায় সেটিও এই ব্যথা কমাতে আরো গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে। মূলত লেবুর মধ্যে থাকা সাইট্রাস জাতীয় উপাদান এবং লবণের মধ্যে থাকা ম্যাগনেসিয়াম যেকোনো ধরনের ব্যথা বা প্রদাহ কমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে। মাইগ্রেনের ব্যথা কমাতে এটি গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। এক নজরে দেখে নিন কিভাবে এটি ব্যবহার করবেন?

কী কী উপাদান প্রয়োজন? 

লেবু – একটি

সামুদ্রিক লবণ – ২ চা চামচ

জল – এক গ্লাস

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • একটি লেবু থেকে ভালো করে রস বার করে নিন।
  • এবার তার মধ্যে সামুদ্রিক লবণ টি মিশিয়ে দিন।
  • এবার এই মিশ্রণটি একগ্লাস জলে ঢেলে ভালো করে মিলিয়ে খেয়ে নিন।
  • দিনে একবার এটি পান করতে পারবেন।

এর ফলে কি হবে? 

মাইগ্রেনের সমস্যায় যারা জর্জরিত তাদের জন্য একটি গুরুত্বপূর্ণ উপাদান হল লেবু।

১২) চন্দন গুঁড়ো দিয়ে কমান মাথা ব্যথা: Sandalwood

অ্যারোমা চিকিৎসায় যে কোন ধরনের গন্ধদ্রব্যকেই বিভিন্ন রোগ নিরাময়ের ক্ষেত্রে ব্যবহার করা হয়। গন্ধ চিকিৎসার মাধ্যমে মাথা ব্যথাকমাতে একটি গুরুত্বপূর্ণ উপাদান হলো চন্দন। এটির সুন্দর গন্ধ নেওয়ার ফলে যে কোনো ধরনের মাথাব্যথা, চিন্তা কিংবা উদ্বেগ কমে গিয়ে মাথায় এক আরামদায়ক পরিস্থিতির সৃষ্টি হয়। এছাড়াও চন্দনের তেল এর ঘ্রান নিয়ে মাথা ব্যথাকমাতে পারেন। এটি যে কোনো ধরনের উদ্বেগ এবং মানসিক চাপ কমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে।

কী কী উপাদান প্রয়োজন? 

চন্দন তেল – কয়েক ফোঁটা

গরম জল

চন্দন গুঁড়ো – পরিমাণমতো

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • প্রথমে এক বাটি জল ভালো করে ফুটিয়ে নিন।
  • এবার উনানের আঁচ বন্ধ করে সেই ফুটন্ত জলে কয়েক ফোঁটা চন্দন তেল দিয়ে নিন।
  • এরপর সেই পাত্রের ওপর মাথা নিচু করে ভালো করে সেটির ঘ্রাণ নিন।
  • সম্ভব হলে বেশ কিছুক্ষণ টানা এই ঘ্রান নিতে থাকুন। দেখবেন খুব কম সময়ের মধ্যেই মাথা যন্ত্রণা থেকে মুক্তি পেয়েছেন।
  • এছাড়াও চন্দন গুঁড়ো জলের সাথে মিশিয়ে একটি মিশ্রণ বানিয়ে সেটি কপালে লাগিয়ে রাখতে পারেন।
  • শুকিয়ে যাওয়া অবধি অপেক্ষা করুন। দেখবেন মাথা যন্ত্রণা থেকে পরিত্রান পেয়েছেন।

এর ফলে কি হবে? 

চন্দনের সুন্দর গন্ধ মাথা যন্ত্রণা এবং চাপ কমিয়ে একটি আরামদায়ক মানসিক অবস্থার সূচনা ঘটায়।

১৩) মাথা ব্যথাকমাতে সরষের তেলের ভূমিকা : Mustard Oil

সরষে থেকে তৈরি হাওয়া সরষের তেল মাথায় ব্যথা কমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা গ্রহণ করে থাকে। এটি মূলত রক্ত সঞ্চালনকে ত্বরান্বিত করে। এছাড়াও এটি শরীরে যথাযথ অক্সিজেন প্রদান করে থাকে। এছাড়াও এর মধ্যে থাকা উপাদান গুলি শরীরের যেকোনো সমস্যার সমাধান করতে সক্ষম। এছাড়া এটি যেকোনো ধরনের ব্যাকটেরিয়া এবং ফাঙ্গাস ইনফেকশন এর বিরুদ্ধে লড়াই করে থাকে। এছাড়াও মাথার যন্ত্রনা কিংবা অস্বস্তি ভাব কমাতে এটি গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। এছাড়াও সর্দি-কাশি গলা ব্যথার সমস্যার ক্ষেত্রে এটি গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে।

কী কী উপাদান প্রয়োজন? 

সরষের তেল – দু’চামচ

ছোট বাটি – একটা

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • উনানে প্রথমে একটা বড় পাত্রে জল গরম করতে বসিয়ে দিন।
  • এবার সেই জলটি ফুটে গেলে তার মধ্যে ছোট বাটিতে করে সরষের তেল রাখুন অর্থাৎ ডবল বয়লার পদ্ধতিতে সরষের তেল গরম করে নিন।
  • এবার সেটি আস্তে আস্তে অল্প ঠান্ডা হলে অর্থাৎ উষ্ণ অবস্থায় মাথায় মাসাজ করতে থাকুন।
  • মাথার কপালের পাশাপাশি মাথার স্ক্যাল্পেও ম্যাসাজ করতে পারেন। যার ফলে মাথা ব্যথার সমস্যা দূর হবে।

এর ফলে কি হবে? 

সরষের তেল মাইগ্রেনের মাথা ব্যথা কমানোর পাশাপাশি সর্দি কাশি জনিত কারণে যদি মাথা ব্যথাহয় সেটি কমাতেও গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। কেননা সরষের তেল মাসাজ করলে সেখানে মাথায় জমা শ্লেষ্মা হালকা হতে থাকে, যার ফলে মাথার ব্যথা কমতে শুরু হয়।

১৪) মাথা ব্যথা কমাতে দারুচিনির ভূমিকা : Cinnamon

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টেনশন, চাপ বা উত্তেজনার কারণে যেসব মাথা ব্যথাহয় সেগুলি কমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে দারচিনি। এর মধ্যে থাকা উপাদান গুলি মাথা ব্যথার থেকে মুক্তি প্রদান করে থাকে। জেনে নিন আপনার হাতের কাছে থাকা এই উপাদান দিয়ে ঘরোয়া উপায়ে কিভাবে সহজে মাথা ব্যথাকমাবেন?

কী কী উপাদান প্রয়োজন? 

দারচিনি –  দুই টুকরা

জল – অল্প পরিমাণে

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • দারচিনি টুকরোগুলো ভালো করে মিক্সিতে গুঁড়ো করে নিন।
  • এবার এইগুঁড়ো গুলোর মধ্যে অল্প পরিমাণে জল দিয়ে একটি ঘন পেস্ট তৈরি করুন।
  • এবার আপনার কপালে এবং মাথার দুপাশে ভালো করে লাগিয়ে রাখুন।
  • মিশ্রণটি মাথায় লাগিয়ে ৩০ মিনিট এর জন্য শুয়ে থাকুন এবং তারপর উষ্ণ গরম জল দিয়ে কপালটা ধুয়ে নিন।
  • দিনে দুবার এটি ব্যবহার করতে পারেন।

এর ফলে কি হবে? 

যারা মাথাব্যথার সমস্যায় বহুদিন ধরে ভুগছেন তারা দৈনিক এটি ব্যবহার করতে পারেন। তাতে খুব শীঘ্রই মাথা যন্ত্রণা কমে যাবে।

১৫) ক্যামোমিল চা দিয়ে কমান মাথা ব্যথা: Chamomile Tea

মাথা ব্যথার ঘরোয়া এবং প্রাকৃতিক উপাদান গুলির মধ্যে অন্যতম একটি উপাদান হলো ক্যামোমিল চা। এর মধ্যে থাকা বিভিন্ন উপাদানগুলি একটি আরামদায়ক অনুভূতি প্রদান করে থাকে। মাথা যন্ত্রণা কমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। জেনে নিন কিভাবে ক্যামোমিল চা দিয়ে মাথা যন্ত্রণা কমাবেন?

কী কী উপাদান প্রয়োজন? 

ক্যামোমিল চা ব্যাগ – একটি

জল – এক কাপ

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • এক কাপ গরম জলে ক্যামোমিল চা ব্যাগটি দিয়ে ১০ মিনিট ধরে জলটা ফুটিয়ে নিন।
  • এরপর এটি পান করুন।
  • প্রয়োজনে এর মধ্যে অল্প পরিমাণে মধু যোগ করতে পারেন।
  • এই চা টি  দিনে দুই থেকে তিনবার পান করুন। দেখবেন মাথা ব্যথাসম্পূর্ণ সেরে গেছে।

এর ফলে কি হবে? 

মাথা ব্যাথার সমস্যার থেকে দ্রুত মুক্তি পাবেন।

১৬) মাথা ব্যথার ঘরোয়া প্রতিকারে কফির ভূমিকা : Coffee

মাথা ব্যথাকমাতে অন্যতম গুরুত্বপূর্ণ দুটি পানীয় উপাদান হলো  চা এবং কফি। এই দুটোই মাথা ব্যথার ওষুধ হিসেবে ব্যবহার করা হয়ে থাকে। এছাড়া কফির মধ্যে থাকা ক্যাফিন এর মধ্যে বিভিন্ন বেদনানাশক উপাদান গুলি রয়েছে যেগুলি মাথা ব্যথাকমাতে কিংবা মাথাব্যথার চিকিৎসার ক্ষেত্রে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। এবার জেনে নিন কিভাবে কফি দিয়ে মাথা ব্যথাকমাবেন? (৫)

কি কি উপাদান প্রয়োজন? 

কফি পাউডার – ১ টেবিল চামচ

জল – এক কাপ

চিনি – প্রয়োজন মত

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • একটি সসপ্যানে এক কাপ জল দিয়ে সেটি গরম করে নিন।
  • এবার সেই গরম জলে এক চামচ কফি পাউডার যোগ করুন এবং এটি সম্পূর্ণ মিশে না যাওয়া পর্যন্ত নাড়াতে থাকুন।
  • কফি পাউডার টি মিশে গেলে গ্যাসের আঁচ বন্ধ করে দিন।
  • আপনি চাইলে কফিতে দুধ, চিনি যোগ করতে পারেন।
  • এবার গরম কফি পান করুন।

এর ফলে কি হবে? 

এটি পান করার ফলে মাথা ব্যথা থেকে তৎক্ষণাৎ রেহাই পাওয়া যাবে।

সতর্কতাঃ

তবে মাথা ব্যথা কমানোর ক্ষেত্রে কফির ব্যবহার খুব বেশি না করাই ভালো। কেননা এর মধ্যে থাকা ক্যাফিন শরীরে মাত্রাতিরিক্ত গ্রহণ করলে সে ক্ষেত্রে শরীরে অন্যসব সমস্যা দেখা যেতে পারে। তাই মাথা ব্যথা কমাতে গিয়ে খুব বেশি কফির ব্যবহার না করাই ভালো।

১৭) গ্রিন টি ব্যবহার করে মাথা ব্যথা কমান : Green Tea

গ্রিন টির মধ্যে থাকা অ্যানালজেসিক এবং অ্যান্টি-ইনফ্লামেটরি উপাদানসমূহ মাথা ব্যথাকমাতে মুখ্য ভূমিকা গ্রহণ করে থাকে। আসুন জেনে নেই কিভাবে গ্রিন টি ব্যবহার করে মাথা ব্যথাকমাবেন?  (৬)

কী কী উপাদান প্রয়োজন? 

গ্রিন টি – ১ চা চামচ

গরম জল – ১ কাপ

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • এক কাপ গরম জলে এক চা চামচ গ্রীন টি যোগ করুন।
  • এবার এটি মাঝারি আঁচে ৫ থেকে ৭ মিনিট ধরে ফুটান।
  • এরপর চা পান করুন।
  • দৈনিক এক থেকে দু কাপ গ্রিন টি পান করতে পারেন। তবে কখনোই দু কাপের বেশি যেন না হয়ে যায়।

এর ফলে কি হবে? 

গ্রিন টি খাওয়ার ফলে মাথাব্যথার পরিত্রান পাওয়ার পাশাপাশি শরীরের রক্ত সঞ্চালন বৃদ্ধি ঘটবে, যা শরীরকে সুস্থ সবল রাখতে সহায়তা করবে।

১৮) গোলমরিচ ব্যবহার করে কমান মাথা ব্যথা: Cayenne Pepper

গোলমরিচের গন্ধ অ্যারোমা চিকিৎসায় ব্যবহৃত হয়ে থাকে। তাই মাথা ব্যথা কমাতে গোলমরিচের ভূমিকা অত্যন্ত গুরুত্বপূর্ণ। জেনে নিন কিভাবে গোলমরিচ এর সাহায্যে ঘরোয়া পদ্ধতিতে মাথা ব্যথাকমাবেন?

কি কি উপাদান প্রয়োজন? 

গোলমরিচ – কয়েকটি দানা

যেকোনো তেল – এক চামচ

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • তেলটি ডবল বয়লার পদ্ধতিতে ভালো করে ফুটিয়ে নিন।
  • এবার এর মধ্যে গোল মরিচের টুকরোগুলো দিয়ে কয়েক মিনিট ধরে ফুটান।
  • তেলটা কালো হয়ে এলে উনানের আঁচ বন্ধ করে দিন।
  • উষ্ণ গরম থাকা অবস্থায় কপালে ভালো করে মাসাজ করুন।
  • দৈনিক দুবার এটি ব্যবহার করতে পারেন।

এর ফলে কি হবে? 

মাইগ্রেন কিংবা টেনশনের কারণে যদি মাথা ব্যথাহয় তৎক্ষণাৎ এই মিশ্রণ ব্যবহারের ফলে মাথা ব্যথাথেকে রেহাই পাওয়া যাবে।

১৯) মাথা ব্যথা কমাতে পান ব্যবহার করুন : Betel Leaves

Betel Leaves2

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আয়ুর্বেদ শাস্ত্রে ব্যথা নিরাময়ের অন্য একটি গুরুত্বপূর্ণ উপাদান হলো পান। মূলত যে কোন ধরনের ব্যথা, মাথাব্যথা, টেনশন যেকোনো ধরনের সমস্যা সমাধানে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে পান। দৈনিক যারা পান খান তাদের মাথা ব্যথার সমস্যা কমই হয় বলে গবেষণায় দেখা গিয়েছে। জেনে নিন কিভাবে পান দিয়ে মাথা ব্যথার সমস্যা সমাধান করবেন। (৭)

কি কি উপাদান প্রয়োজন? 

পান পাতা – একটি

সুপারি – এক-দুই টুকরো

কিভাবে ব্যবহার করবেন? 

  • পান পাতার মধ্যে কিছু উপাদান থাকে যেগুলি শরীরকে যেকোনো ধরনের চাপ টেনশন থেকে তৎক্ষণাৎ মুক্তি দেয়।
  • তাই দৈনিক খাদ্য গ্রহণের পরে একটি করে পান খাওয়া উচিত।
  • এটি শরীরকে যেমন ভেতর থেকে সুস্থ রাখে তেমনি মুখে দীর্ঘক্ষন পান চিবানোর ফলে সেটি মাথায় চাপ পড়ে, যার ফলে মাথায় রক্ত সঞ্চালন সঠিক পদ্ধতিতে হয় এবং এগুলির পাশাপাশি বহু সমস্যার থেকে সমাধান পাওয়া যায়।

এর ফলে কি হবে? 

দৈনিক পান খাওয়ার ফলে শরীরের যেমন উন্নতি ঘটবে, তেমনি যাদের মাথা ব্যাথার সমস্যায় ভুগছেন তাদের সেই সমস্যার থেকেও রেহাই পাবেন।

২০) অ্যাকুপ্রেসার এর সাহায্যে মাথাব্যাথা থেকে চিরতরে মুক্তি পান : Acupressure

মাথা ব্যথার মূল উৎস হল দৈনন্দিন জীবনের চাপ, টেনশন, হতাশা, পারিপার্শ্বিক পরিবেশ সমস্ত কিছু। এই মাথা ব্যথা থেকে মুক্তি পেতে মুঠো মুঠো ওষুধ না খেয়ে ঘরোয়া পদ্ধতি ব্যবহার করুন। ইতিমধ্যেই আমরা অনেকগুলো ঘরোয়া উপাদান সম্পর্কে জেনে নিয়েছি, যেগুলি মাথা ব্যথাকমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। এবার জেনে নিন কিভাবে অ্যাকুপ্রেশার এর মাধ্যমে মাথা ব্যাথা থেকে মুক্তি পাবেন?

কি কি করবেন? 

  • যেকোনো ব্যাথাই অ্যাকুপ্রেশার এর মাধ্যমে কমানো যায় অর্থাৎ নির্দিষ্ট জায়গায় সঠিক ভাবে মালিশ করতে পারলে সেই রোগ থেকে মুক্তি পাওয়া যায়। জেনে নিন কিভাবে মাথা ব্যথা থেকে মুক্তি পাবেন।
  • মাথা ব্যথাহলে পরে দুই ভুরুর মাঝখানে যেখানে টিপ পড়ে, সেই অংশে একটি আঙ্গুল দিয়ে আস্তে করে গোল গোল করে মাসাজ করতে থাকুন।
  • আবার দুই হাত দিয়ে মাথাটাকে তেল লাগানোর মত করে হালকাভাবে আঙ্গুল দিয়ে স্ক্যাল্পে মাসাজ করুন।
  • দেখবেন এটা করতে করতে মাথা ব্যথা কিছুটা হলেও কম হবে।

ফলাফল কি হবে? 

দৈনিক সঠিকভাবে এই অ্যাকুপ্রেশার পয়েন্ট গুলোতে মাসাজ করতে পারলে যে কোন রোগ থেকে চির মুক্তি পাওয়া যাবে।

সতর্কতাঃ

সঠিকভাবে জেনে তারপরেই যে কোন ম্যাসাজ শুরু করবেন। কেননা ম্যাসাজ যদি ভুল হয় সে ক্ষেত্রে লাভের বদলে ক্ষতি বেশি হবে। তাই যে কোনো বিশেষজ্ঞের কাছ থেকে একবার দেখে নিয়ে ম্যাসাজ শুরু করুন।

মাথা ব্যথা হলে কি খাওয়া উচিত আর কি খাওয়া উচিত নয় : Diet for Headache in Bengali

Diet for Headache in Bengali

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আমাদের বিভিন্ন শারীরিক সমস্যা গুলির মধ্যে অন্যতম একটি কষ্টকর শারীরিক সমস্যা হলো মাথা ব্যথা। মাথা ব্যথা হলে আমাদের যেন কিছুই ভালো লাগেনা। তখন সবকিছু ছেড়ে চুপচাপ অন্ধকার ঘরে শুয়ে থাকতে মন চায়। তবে কেবলমাত্র অন্ধকার ঘরে শুয়ে থাকলেই তো হবে না, মেনে চলতে হবে সঠিক ডায়েট চার্ট। তাই জন্য আজ জেনে নিন মাথা ব্যথা হলে কোন জিনিসগুলো খাবেন এবং কোন জিনিসগুলো খাবেন না। কেননা হয়ত আমরা জানিনা এমন অনেক খাবারই আছে যেগুলি আমাদের মাথাব্যাথাকে কমানোর পরিবর্তে আরো বাড়িয়ে দেবে কিংবা শরীরে অস্বস্তি আরও বাড়িয়ে দেবে। তাই জেনে নিন মাথাব্যথায় আপনার উপযুক্ত ডায়েট কি হওয়া উচিত।

কি কি খাওয়া উচিত? 

১) মাথা ব্যাথার সমস্যায় দৈনিক বেশি পরিমাণে জল পান করা উচিত কেননা সঠিক পরিমাণে জল পান এর ফলে মাথা ব্যথা কমাতে সহায়তা করবে। এছাড়াও সঠিক পরিমাণ জল পানের ফলে শরীরের রক্ত চলাচল বৃদ্ধি পাবে, যা মাথাব্যথাকে কমাতে সহায়তা করবে।

২) মাথার যন্ত্রণার সময় খাদ্যতালিকায় পাতাযুক্ত শাকসবজি রাখার চেষ্টা করুন। এগুলি ভিটামিন বি সমৃদ্ধ হওয়ায় মাথাব্যথার এবং এর চিকিৎসায় ব্যবহৃত হয়ে থাকে। শরীরে পর্যাপ্ত ভিটামিন এর ঘাটতি পূরণ হলেই মাথা ব্যথা কমতে দেখা যায়। (৮)

৩) মাথা যন্ত্রণার দিনগুলিতে খাদ্যতালিকায় যে কোনো ধরনের বাদাম রাখার চেষ্টা করুন। বাদাম ম্যাগনেসিয়াম সমৃদ্ধ হওয়ায় এটি শরীরের ম্যাগনেসিয়ামের ঘাটতি পূরণ করে। যা মাইগ্রেনের সঙ্গে সম্পর্কযুক্ত। কেননা ম্যাগনেসিয়ামের ঘাটতির ফলে অনেক সময় মাইগ্রেনের মতন সমস্যার সৃষ্টি হয়। তাই মাথা ব্যথার সময় দৈনিক বাদাম খাওয়ার চেষ্টা করুন।

৪) মাথা ব্যথা হলে দৈনিক দুকাপ কফি খেতে পারেন। কফির মধ্যে থাকা ক্যাফিন এবং অন্যান্য বৈশিষ্ট্যগুলি মাথা ব্যথাকমাতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে থাকে। তবে খুব বেশিও কফি খাবেন না। দৈনিক খাদ্য তালিকায় এটি রাখা যেতে পারে।

৫) মাথা ব্যথা যদি খুব সাংঘাতিক আকার ধারণ করে সে ক্ষেত্রে খুব বেশি শক্ত খাবার না খেয়ে তরলজাতীয় খাবার খাওয়ার চেষ্টা করুন। কেননা শক্ত খাবার খেতে গেলে চিবোতে গিয়ে মাথার যন্ত্রনা আরো বাড়তে পারে। তাই তরলজাতীয় খাবার দিয়ে শরীরে পুষ্টির ঘাটতি পূরণ করুন।

কী কী খাবেন না? 

১) মাথা ব্যথার মত সমস্যার ক্ষেত্রে সবার প্রথম খাদ্য তালিকা থেকে অ্যালকোহল কে বাদ দিতে হবে। কেননা এর মধ্যে থাকা উপাদানগুলি মাথাব্যথাকে আরো বাড়িয়ে দেয়, যার ফলে শরীর ঠিক হতে পারে না। (৯)

২) মাথাব্যথার দিনগুলোতে খাদ্যতালিকায় পনির রাখবেন না। কেননা পনিরের মধ্যে থাকা হিস্টামাইন মাথা ব্যথাকে আরো বাড়িয়ে দেয়।

৩) দীর্ঘদিন প্রচুর পরিমাণে কফি পান করতে করতে হঠাৎ করে যদি তা বন্ধ করে দেওয়া হয়, সে ক্ষেত্রে মাথাব্যথার অন্যতম কারণ এটি। কেননা দৈনিক খুব বেশি পরিমাণ কফি খাদ্যতালিকায় রাখবেন না। তবে অল্প রাখাই ভাল। খুব বেশি কফি খেলে এর মধ্যে থাকা ক্যাফিন শরীরে খারাপ প্রভাব ফেলে।

৪) মাথা ব্যাথার সময় চকলেট জাতীয় খাবার এড়িয়ে চলুন। কারণ এর মধ্যে থাকা উপাদান গুলি মাইগ্রেনকে আরো চাঙ্গা করে তোলে, যার ফলে মাথার যন্ত্রণা বৃদ্ধি পেতে পারে। (১০)

৫) যেকোনো ধরনের কৃত্রিম মিষ্টিকারক উপাদানগুলি খাদ্য তালিকা থেকে বাদ দিন। কেননা এর মধ্যে থাকা উপাদানগুলি মাথাব্যথার ঝুঁকি বাড়িয়ে তুলতে পারে। (১১)

জেনে নিলেন মাথাব্যথার দিনগুলোতে খাদ্যতালিকায় কি কি খাবার রাখা উচিত এবং কি কি খাবার রাখা উচিত না। সেই মতো নিজের প্রয়োজনীয় খাবার গুলো বেছে এবার তৈরি করে ফেলুন  খাদ্যতালিকা, যে মাথার যন্ত্রণার মতো কষ্টের দিনগুলোতে কোন কোন খাবারগুলো আপনি খাবেন।

মাথা ব্যথাকমাতে যোগাসন : Yoga for Headache in Bengali

Yoga for Headache in Bengali

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যেকোনো ধরনের শারীরিক অসুস্থতার ক্ষেত্রেই যোগাসন গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করতে থাকে। আমরা সকলেই জানি শরীরকে সুস্থ এবং সুগঠিত রাখতে গেলে দৈনিক অন্তত কুড়ি থেকে ত্রিশ মিনিট যেকোনো ধরনের আসন কিংবা যোগা করা উচিত। যা শরীরের রক্ত চলাচলের বৃদ্ধি ঘটিয়ে শরীরকে রোগমুক্ত রাখে। তেমনি যারা মাথা ব্যথার সমস্যা কিংবা ঘাড়ে ব্যথার সমস্যায় ভুগছেন তাদের জন্য বেশ কয়েকটি যোগা রয়েছে যেগুলো আপনাকে সুস্থ রাখতে সাহায্য করবে। তবে মাইগ্রেনের সমস্যার ক্ষেত্রে একেক জনের একেক রকমের উপসর্গ দেখা যায়। অবশ্যই যেকোনো ধরনের যোগাসন কিংবা যোগা করার আগে ডাক্তারের পরামর্শ নিয়ে নেবেন। জেনে নিন কয়েকটি যোগা যেগুলো মাথা ব্যথাকমাতে আপনাকে সহায়তা করবে।

১) প্রথম যোগাটি হল, আপনি সোজা হয়ে বসবেন। শিরদাঁড়া সোজা রেখে এবার আপনার মাথাটা আস্তে আস্তে একবার ডান দিকের কাঁধে এবং আস্তে আস্তে একবার বাঁ দিকের কাঁধে নিয়ে আসবেন। এরকমভাবে পাঁচবার একই পদ্ধতিতে করতে থাকবেন। এটি মাথার যন্ত্রনার পাশাপাশি ঘাড়েও আরাম প্রদান করবে। তবে কোনোটাই জোর করে করবেন না। আলতোভাবে যতটা সম্ভব, ততটাই নামাবেন।

২) অন্যতম আরেকটি যোগাসন হলো, দেওয়ালে সোজা করে পা তুলে রাখা। নামটা শুনেই বুঝতে পারছেন এই ব্যায়ামে আপনাকে দেওয়ালে পা তুলে রাখতে হবে। দেওয়ালের কাছাকাছি মেঝেতে আপনি শুয়ে পড়ুন শুয়ে হাত দুটো শরীরের দুপাশে টানটান করে রেখে দিন। এবার পা দেওয়ালে সমান করে তুলে রাখুন এবং ৩ থেকে ১০ মিনিট এই একইভাবে থাকুন। তারপর আস্তে আস্তে পা দেওয়াল থেকে নামিয়ে সোজা হয়ে শুয়ে পড়ুন।

৩) অর্ধ-মুখ সবাসন, এটি মূলত মাটির দিকে তাকিয়ে শরীরটাকে উপরের দিকে তুলে দিতে হবে। এটি দৈনিক করার ফলে মাথা ব্যাথার সমস্যার সমাধান হবে। তার সাথে সাথে শরীরে রক্ত সঞ্চালন বৃদ্ধি পাবে। সোজা হয়ে দাঁড়িয়ে সামনে মাটিতে আস্তে আস্তে হাতটা দিয়ে শরীরটাকে নামিয়ে আনুন। এবার ইংরেজি উল্টো ভি অক্ষরের মতোন শেপে শরীরটাকে নিয়ে আসুন। এই পদ্ধতিতে দুই থেকে তিন মিনিট অপেক্ষা করুন তারপর আবার সোজা হয়ে দাঁড়ান।

৪) উত্তাসন : এটি শরীরের নার্ভ সিস্টেমকে উন্নত করে শরীরের সর্বত্র ব্লাড চলাচলকে ত্বরান্বিত করে। সোজা হয়ে দাঁড়ান তারপর আস্তে আস্তে শরীরটাকে বেঁকিয়ে নিচে নিয়ে এসে হাঁটুর কাছাকাছি আপনার মুখটা নিয়ে আসুন। এবং হাত দিয়ে দুই পা ধরে এমন ভাবে দাঁড়িয়ে থাকুন দুই থেকে তিন মিনিট। এই অবস্থায় দাঁড়িয়ে থাকার পর আস্তে আস্তে আবার আগের অবস্থায় ফিরে আসুন।

যোগাসন গুলির পাশাপাশি মাথা ব্যথাসংক্রান্ত অন্য যোগাগুলি দৈনিক অভ্যেস করুন। ইন্টারনেট এর সহায়তা নিয়ে কিংবা ডাক্তারের পরামর্শ অনুযায়ী যোগাসন করবেন। কখনোই অপরেরটা দেখে নিজে করা শুরু করবেন না। কারন প্রত্যেকের শরীর আলাদা ধরনের হয়। সেক্ষেত্রে সবার প্রয়োজনীয় জিনিসটা আপনার শরীরে প্রয়োজন নাও হতে পারে। সে জন্য অবশ্যই একজন বিশেষজ্ঞের পরামর্শ নিয়ে তারপর যোগাসন শুরু করবেন।

মাথাব্যাথা থেকে বাঁচার অন্যতম উপায় : Prevention Tips for Headache in Bengali

Prevention Tips for Headache

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মাথা ব্যথাথেকে বাঁচার অন্যতম উপায় গুলি সম্পর্কে জেনে নিন যেগুলি আপনাকে পালন করে চলতে হবে সুস্থ থাকার জন্য।

১) ঘুম : দৈনিক আট ঘন্টা ভালো করে ঘুমাতে হবে। কেননা শরীরে যথাযথ ঘুম না হলে সেক্ষেত্রে শরীর তার প্রয়োজনীয় বিশ্রাম পাবেনা। যার ফলে মাথা ব্যথার মতন রোগ দেখা দেবে। কেবলমাত্র মাথা ব্যথানয়, শরীরের সঠিকভাবে ঘুম সম্পন্ন না হলে বহু রোগের সৃষ্টি হবে। তবে তার সূত্রপাত হয় মাথা ব্যথা দিয়ে। তাই মাথা ব্যথা থেকে মুক্তি পেতে গেলে দৈনিক অন্তত ৮ ঘন্টা ভালো করে ঘুমাতে হবে।

২) তেল মালিশ : সপ্তাহে দুই থেকে তিন দিন যেকোনো তেল সরষের তেল কিংবা নারকেল তেল উষ্ণ গরম করে ভালো করে মাথায় মালিশ করতে হবে। মাথায় সঠিক ভাবে তেল মালিশ করার ফলে মাথার রক্ত সঞ্চালন বৃদ্ধি পায়। যার ফলে মাথার ব্যথা কমে একটি আরামদায়ক পরিস্থিতির সৃষ্টি হয়। তাই মাথা ব্যথা কমাতে অবশ্যই সপ্তাহে তিন দিন মাথায় তেল মালিশ করুন।

৩) পর্যাপ্ত জলপান : দৈনিক আট থেকে দশ গ্লাস জল পান করুন। সকালে ঘুম থেকে উঠে খালি পেটে, খাবার আগে এবং খাবার ৩০ মিনিট পরে পর্যাপ্ত পরিমাণে জল পান করুন। শরীরে পর্যাপ্ত পরিমাণে জল পান করলে শরীর যথাযথ অক্সিজেন গ্রহণ করতে পারে। যার ফলে শরীরের বিভিন্ন অংশে অক্সিজেন পৌঁছে যায় এবং রক্ত চলাচল সঠিকভাবে হয়।

৪) বিশ্রাম : কাজের চাপ যতই থাকুক না কেন দৈনিক অন্তত ৮ ঘন্টা বিশ্রাম নেওয়া প্রয়োজন কিংবা কাজের মাঝে সামান্য বিরতি নেওয়া প্রয়োজন। একনাগাড়ে যদি কম্পিউটারের সামনে বসে কাজ করতে থাকেন, সেক্ষেত্রে মাঝেমধ্যে গিয়ে একটু হেঁটে আসুন। এক কাপ কফি খেয়ে আসুন কিংবা বাইরে গিয়ে একটু নিঃশ্বাস নিয়ে আসুন। এক নাগাড়ে কাজ করতে করতে মাথা ব্যথার সমস্যা সৃষ্টি হতে পারে। তাই এক নাগাড়ে কাজ না করে প্রতি পয়তাল্লিশ মিনিট অন্তর অন্তর দু মিনিটের জন্য হেঁটে আসুন, জল খেয়ে আসুন।

৫) ম্যাসাজ : প্রতি সপ্তাহে একটা করে যদি মাথায় মাসাজ করতে পারেন সে ক্ষেত্রে মাথা ব্যথার সমস্যাগুলির সমাধান হতে পারে। কেননা একনাগাড়ে কাজ করতে করতে জীবনে একঘেয়েমিতা চলে আসে। সে ক্ষেত্রে শরীর এবং মাথা যদি সপ্তাহে একবার করে মাসাজ করা যায় তাতে শরীর নতুনভাবে এনার্জি ফিরে পায় এবং মাথা ব্যথার সমস্যা থেকে মুক্তি পায়। (১২)

৬) চোখের পাওয়ার পরীক্ষা : যারা চশমা পড়েন তাদের নির্দিষ্ট সময় অন্তর অন্তর তিন মাস কিংবা ছয় মাস অন্তর চোখের পাওয়ার একবার ডাক্তারের কাছে গিয়ে পরীক্ষা করে নেওয়া উচিত। কেননা অনেক সময় চোখের পাওয়ার বেড়ে গেলে কিংবা কমে গেলে একনাগাড়ে একই চশমা পরতে থাকলে সেক্ষেত্রে মাথা ব্যথার সমস্যা দেখা দিতে পারে।

৭) গান শুনুন : একঘেয়েমি কাজ করতে করতে যদি মাথা ব্যথার সৃষ্টি হয় সে ক্ষেত্রে হেডফোন লাগিয়ে কিংবা ঘরে বক্স চালিয়ে হালকা কোন গান শুনুন। এতে মানসিকতার পরিবর্তন হবে এবং ব্রেন টাও সাময়িক আরাম পাবে। যার ফলে মাথা ব্যথা কমতে থাকবে।

৮) যোগ ব্যায়াম : দৈনিক সপ্তাহে অন্তত পাঁচ দিন সকালবেলা উঠে কুড়ি থেকে ত্রিশ মিনিট যেকোনো ধরনের যোগ ব্যায়াম করুন কিংবা সম্ভব হলে ১৫ মিনিট হেঁটে আসুন। দৈনিক সকালবেলা যদি যোগ ব্যায়াম করা যায় সে ক্ষেত্রে রোগমুক্ত থাকা যায়, শরীরের রক্ত সঞ্চালন বৃদ্ধি। পায় যার ফলে শরীর সুস্থ এবং রোগমুক্ত থাকে। (১৩)

৯) আকুপাংচার : মাথা ব্যথাকমাতে আকুপাংচার একটি গুরুত্বপূর্ণ পদ্ধতি। এই পদ্ধতি ব্যবহার করে মাথা ব্যাথার সমস্যার সমাধান করা যেতে পারে। মাথায় সঠিকভাবে খালি হাতে যদি মাসাজ করা যায় সে ক্ষেত্রে মাথা ব্যথার সমস্যা থেকে দূরে থাকা যায়।

১০) টেনশন কমানো : মানসিক চাপের কারণেই মাথা ব্যথার সৃষ্টি হয়। তাই মাথা ব্যথাকমাতে গেলে সবার প্রথমে টেনশন এবং যে কোনো ধরনের উদ্বেগ কমাতে হবে। মানসিক শান্তি রাখতে হবে। তাই টেনশন থেকে দূরে থাকুন।

১১) রোদ থেকে দূরে থাকতে হবে : কাঠফাটা রোদে বাইরে বের হবেন না। কেননা রোদের তাপ এর ফলে ও যাদের মাইগ্রেনের সমস্যা রয়েছে তাদের মাথা ব্যথাবৃদ্ধি পেতে পারে বা মাথা চক্কর এর মত সমস্যার সৃষ্টি হতে পারে। তাই খুব বেশি রোদে রাস্তায় না বেরোনো ভালো।

১২) উগ্র গন্ধ এড়িয়ে চলুন : পারফিউম, ধূপকাঠি বা যে কোনও ধরনের উগ্র গন্ধ এড়িয়ে চলুন। কেননা এসমস্ত গন্ধ থেকে মাথাব্যথার সৃষ্টি হতে পারে। তাই পারফিউম ব্যবহার করার আগে অবশ্যই দেখে নিন সেটা যেন হালকা গন্ধ সম্পন্ন হয়।

মাথা ব্যাথা এমন একটি রোগ যেটি আমাদের সারা শরীরকে ব্যস্ত করে তোলে। তাই আজকের প্রতিবেদন থেকে ইতিমধ্যেই জেনে নিয়েছেন কিভাবে ঘরোয়া পদ্ধতিতে মাথা ব্যথার সমাধান করবেন কিংবা মাথা ব্যথা থেকে দূরে থাকতে কি কি পদ্ধতি অবলম্বন করবেন। তাই আজ থেকেই এগুলো মেনে চলুন তাহলে মাথা ব্যথা আপনার থেকে দূরে থাকবে। তবে খুব বেশি যদি বাড়াবাড়ি হয় সেক্ষেত্রে ডাক্তারের শরণাপন্ন হওয়াই মঙ্গলজনক। তাই মাথাব্যথাকে অবহেলা না করে সেটি যদি বাড়াবাড়ি পর্যায়ে পৌঁছায় অবশ্যই ডাক্তারের পরামর্শ নিন। এ ধরনের আপডেট পেতে অবশ্যই এই পেজে চোখ রাখুন।

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যোগ কী? –যোগাসনের উপকার, নিয়ম এবং প্রকার – Everything About Yoga in Bengali

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যোগাসনের আবির্ভাব ভারতবর্ষে বহু প্রাচীনকালে। সেই পুরাণের সময় থেকে ভারতবর্ষে  যোগাসনের চর্চা চলছে। আমাদের আধুনিক জীবনযাত্রায় নিজেকে সুস্থ রাখতে যোগাসনের কোনো বিকল্প নেই। তাই সারা বিশ্বে যোগাসনের চর্চা চলছে। ডাক্তারি শাস্ত্রে যোগাসনের উপকারিতাগুলিকে বিশেষভাবে গুরুত্ব দেওয়া হয়। কিন্তু যোগব্যায়াম চর্চার জন্য এ সম্পর্কে সবকিছু সঠিকভাবে জানা প্রয়োজন, যেমন- যোগাসনের নিয়ম, যোগাসন পদ্ধতি, যোগাসনের উপকারিতা, ইত্যাদি।

যোগ কী? – What is Yoga in Bengali

অনেকের মতে যোগ ব্যায়াম হল এমন এক চর্চা  যার মাধ্যমে দেহের নানা অঙ্গ প্রত্যঙ্গের সঠিক চালনা, যোগাযোগ ও সুস্থতা বজায় থাকে।

যোগ ব্যায়াম হল জীবনের সাথে প্রকৃতির যোগসূত্র খুঁজে পাওয়ার একটি মাধ্যম। তাই বিভিন্ন অঙ্গভঙ্গি ও নিশ্বাস প্রশ্বাসের চালনা দ্বারা প্রকৃতির বাস্তবতাকে শরীরের মাধ্যমে খুঁজে পাওয়া যায়। যোগ ব্যায়ামের দ্বারা প্রত্যেটি ইন্দ্রিয়কে সজাগ করে জগতের সাথে ঘনিষ্টতা আনা সম্ভব হয়। আত্মবিশ্বাস ও সাত্ত্বিকতা খুঁজে পাওয়ার জন্যে যোগাসন করা খুবই প্রয়োজনীয়।

যোগাসনের উপকারিতা – Yoga Benefits in Bengali

মানসিক ও শারীরিক চাপ কমিয়ে ইতিবাচক ফলাফল পাওয়ার জন্যে যোগাসনের ভূমিকা অনস্বীকার্য। যোগাসন নানারকম ভাবে আপনাকে উপকার প্রদান করতে পারে। বিস্তারিতভাবে দেখে নেওয়া যাক:

যোগাসনের অভ্যন্তরীণ স্বাস্থ্য উপকারিতা – Internal Health Benefits of Yoga in Bengali

অভ্যন্তরীণ ভাবে স্বাস্থ্যের উপকারিতা প্রদান করতে যোগাসনের ভূমিকা প্রবল। রক্ত সঞ্চালন থেকে শুরু করে শরীরের যেকোনো ব্যাথা বা কষ্ট কমাতে যোগ ব্যায়ামের কোনো বিকল্প নেই। আপনি যদি নিয়ম করে ২ মাস যোগাসন চর্চা করেন তাহলে অনায়সে শরীরে পরিবর্তন অনুভব করতে পারবেন।

১. রক্ত সঞ্চালন: Blood circulation

যোগাসনের সাহায্যে শরীরে অক্সিজেন ও প্রয়োজনীয় পুষ্টি সঠিকভাবে প্রবেশ করে। তাই রক্ত সঞ্চালন সঠিকভাবে বজায় রাখা যায়। এর ফলে সমস্ত অঙ্গগুলি ঠিক করে কাজ করে ও ত্বকে ঔজ্জ্বল্য আসে।

২. উচ্চ রক্তচাপ কমাতে: Lowered Blood Pressure

Lowered Blood Pressure

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প্রতিদিন নিয়ম করে যোগাসন করলে রক্ত সঞ্চালন ও অক্সিজেনের সঠিক চালনা হওয়ার ফলে উচ্চ রক্তচাপ কমে আসে। এতে শরীর ঠাণ্ডা হয়।

৩. শ্বাসকষ্ট বা হাঁপানির সমস্যা কমাতে: Lowered Respiratory Rate

হাঁপানির টান বা শ্বাসকষ্টের সমস্যা থাকলে  যোগাসন করার অভ্যেস করুন। এতে ফুসফুসের কার্যকারিতা ধীরে ধীরে সঠিক ছন্দে আসে ও আরাম পাওয়া যায়।

৪. গ্যাসের জন্যে ভাল: Improvement In Gastrointestinal Health

প্রতিদিন যোগাসন করলে হজম ক্ষমতা বেড়ে যায় যার ফলে গ্যাসের সমস্যা সহজে সমাধান হয়। এছাড়া পেটের অন্যান্য সমস্যাও নিরাময় হয়।

৫. ধৈর্য্য শক্তি বাড়ে: Higher Levels Of Pain Tolerance

শরীরের নানারকমের ব্যাথা কমানো ছাড়াও, মস্তিস্ক শান্ত করতে সাহায্য করে যোগাসন। এর ফলে ধৈর্য্য ক্ষমতা বাড়ে ও মনের শান্তি বজায় থাকে।

৬. রোগ প্রতিরোধ ক্ষমতা বাড়ে: Increased Immunity

যোগাসন অভ্যাসের সাথে রোগ প্রতিরোধ ক্ষমতার যোগাযোগ রয়েছে। যোগাসনের সাহায্যে শরীরের কোষগুলি নষ্ট হওয়া রোধ করা যায় ও শরীর ধীরে ধীরে তার রোগ প্রতিরোধ ক্ষমতা ফিরে পায়।

৭. শরীরে শক্তি ও সতেজতা আসে: Renewed Energy

যোগাসনের মাধ্যমে শরীর নতুন করে শক্তি সঞ্চারিত হয় যার ফলে সতেজতা ফিরে আসে।

৮. পাচনতন্ত্রের বিকাশ: Increased Metabolism

পাচনতন্ত্র যত সঠিকভাবে কাজ করবে, ওজন নিয়ন্ত্রণ করাও তত সহজ হবে। যোগাসন করার ফলে পাচনতন্ত্রের বিকাশ ঘটে।

৯. ঘুম সঠিক হয়: Sleep

যোগাসনের মাধ্যমে মস্তিষ্ক ঠাণ্ডা হয় যার ফলে মেজাজ শান্ত থাকে। এর জন্যে আপনি চাপমুক্ত থাকতে পারেন ও রাতে অনিদ্রার সমস্যা কেটে যায়।

১০. কোলেস্টরল কমে আসে: Dropping The Cholesterol

যোগাসনের ফলে হার্টের স্বাস্থ্য ভাল থাকে ও রক্ত সঞ্চালন ভাল হয়। এই সব কিছুর কারণে কোলেস্টরল অনায়াসে নিয়ন্ত্রণ করা যায় ও ভালো কোলেস্টরল উৎপন্ন করা যায়।

১১. শরীরে সোডিয়াম নিয়ন্ত্রণে থাকে: Keeping The Sodium In Check

সোডিয়ামের অভাবে শরীরে নানারকমের সমস্যা দেখা যায় যেমন রক্তচাপ কমে যাওয়া, থাইরয়েড, ইত্যাদি। যোগ ব্যায়ামের মাধ্যমে সোডিয়াম নিয়ন্ত্রণে থাকে ও নানারকমের শারীরিক সমস্যা থেকে দূরে থাকা যায়।

১২. ট্রাইগ্লিসারাইড কমিয়ে আনা যায়: Cutting Down The Triglycerides

ট্রাইগ্লিসারাইড শরীরে বেড়ে গেলে ডায়াবেটিসের সমস্যা দেখা দেয়। তাই আজকাল ডাক্তাররা ডায়াবেটিসে আক্রান্ত মানুষদের বিশেষ ধরণের যোগাসন করার পরামর্শ দিয়ে থাকেন যার ফলে ট্রাইগ্লিসারাইড কমে আসে।

১৩. লাল রক্তকণিকা বাড়াতে সাহায্য করে: Boosted Red Blood Cells

লাল রক্তকণিকার পরিমাণ সঠিক থাকা অর্থাৎ হিমোগ্লোবিনের মাত্রা সঠিক থাকা। এর ফলে এনিমিয়া থেকে মুক্তি পাওয়া যায়। রোগপ্রতিরোধ ক্ষমতা বাড়ে। যোগাসনের সাহায্যে রক্ত সঞ্চালন ভালো হয় ও লাল রক্তকণিকা বাড়তে শুরু করে।

১৪. হার্টের অসুস্থতা কমে: Reduces The Risk Of Heart Diseases

Reduces The Risk Of Heart Diseases

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যোগাসনের দ্বারা শরীরের অক্সিজেনেশন অর্থাৎ শরীরে অক্সিজেনের সরবরাহ ভালো হয় যার ফলে হার্টবিটের রেট সঠিক থাকে। ফলে নানারকমের রোগ প্রতিরোধ করা যায়।

১৫. এস্থেমা: Asthma

যোগাসনের দ্বারা শ্বাস-প্রশ্বাস স্বাভাবিক থাকে ফলে শ্বাসকষ্ট ও হাঁপানির সমস্যা দূর হলে ফুসফুস সহজে কাজ করতে সক্ষম হয়। এর ফলে এস্থেমা বা ব্রঙ্কাইটিসের মত নানা সমস্যা সেরে যায়।

১৬. আর্থারাইটিস: Arthritis

যোগাসন নানা ভঙ্গি ও দৈহিক কেরামতির দ্বারা করা হয় যার ফলে হাড়ের অনেক সমস্যা কমে যায় ও হার শক্ত হয়। এর ফলে আর্থ্রাইটিসে ভোগা মানুষদের জন্যে এটি খুব উপকারী।

১৭. ক্যান্সার: Cancer

বিভিন্ন বৈজ্ঞানিক পরীক্ষায় প্রমাণিত হয়েছে যে যোগাসন নিয়মিত করলে শরীরে ক্যান্সার সৃষ্টিকারী কোষ ধ্বংস হয় ও উন্নতমানের কোষ গঠিত হয়। এতে ক্যান্সার হওয়ার প্রবণতা অনেকটা কমে যায়।

১৮. মাইগ্রেনের জন্যে ভাল: Migraine

মাইগ্রেন বা সাইনাসের মত নানারকমের নার্ভের সমস্যার কারণ হল অতিরিক্ত মানসিক চাপ, ক্লান্তি ও চিন্তা। প্রতিদিন যোগ ব্যায়াম করলে স্নায়ু শান্ত হয় ও মাইগ্রেনের ব্যাথা নিয়াময় হয়।

১৯. ব্রঙ্কাইটিসের জন্যে ভাল: Chronic Bronchitis

ঠাণ্ডা লেগে শ্বাসকষ্ট, বুকে কফ জমে গেলে বা ব্রঙ্কাইটিস হলে মন দিয়ে যোগাসন করুন। খুব শীঘ্র ফলাফল পাবেন। এমনকি, রোজ যোগাসনের অভ্যেস করলে যাদের ব্রঙ্কাইটিসের ধাঁচ রয়েছে তাদের ক্ষেত্রে এর প্রবণতা অনেকটা কমে আসে।

২০. কোষ্টকাঠিন্য: Constipation

নিয়মিত যোগ ব্যায়াম করলে শরীরের নিচের অংশে দারুন চাপ পরে ও পাচনতন্ত্র সঠিক হয়। এর ফলে কোষ্টকাঠিন্য রোধ করা যায়।

২১. বন্ধ্যাত্ব বা রজোবন্ধ: Infertility and Menopause

বন্ধ্যাত্বের কারণে যারা সন্তান জন্ম দিতে পারেনা, তাদের ক্ষেত্রে অনেক সময় যোগাসন খুব ইতিবাচক ভূমিকা নিয়ে থাকে। এমন অনেক যোগাসন আছে যা নিয়মিত করার ফলে বন্ধ্যাত্বের হাত থেকে মুক্তি পাওয়া যায়। এছাড়া মহিলাদের রজোবন্ধ হওয়ার ফলে যেসব শারীরিক বা মানসিক সমস্যা দেখা দেয়, সেগুলিও অনায়াসে সেরে যায়।

২২. সাইনাস বা অন্যান্য এলার্জি: Sinusitis And Other Allergies

বায়ু দূষণ বা অন্যান্য যে কোনো কারণে আজকাল প্রায় সকলেরই সাইনাস বা এলার্জির সমস্যা দেখা যায়। এক্ষেত্রে প্রাণায়াম বা যোগাসন গুরুত্ব সহকারে করলে অনেকটা আরাম ও মুক্তি পাওয়া যায়।

২৩. পিঠে ব্যাথা কমায়: Back Pain

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পিঠে ব্যাথা কমাতে দারুণ উপকারিতা প্রদান করে যোগাসন। প্রতিদিন ৩০ মিনিট পিঠ সোজা করে পদ্মাসন করলে খুব শিগ্রই পিঠের ব্যাথার উপশম হয়।

যোগাসনের বাহ্যিক স্বাস্থ্য উপকারিতা – External Health Benefits of Yoga in Bengali

অভ্যন্তরীণ স্বাস্থ্যের জন্যে যোগাসনের উপকারিতা তো আপনি এমনিতেই বুঝতে পারবেন। তবে যোগাসনের উপকারিতা বাহ্যিকভাবেও শরীরে নানারকমভাবে প্রমাণিত হয়েছে। দেখে নিন কিভাবে:

১. দ্রুত বার্ধক্য থামায়: Keeps Premature Aging At Bay

বয়স বাড়লেই যে শরীরে বার্ধক্যর ছাপ আসতে হবে তা নয়। যোগাসনের মাধ্যমে শরীরে ডিটক্সিফিকেশন করা যায় যার ফলে বার্ধক্য শরীরে ছাপ ফেলে না। যোগাসনের ফলে মানসিক চাপও কম হয় যা মনকেও সতেজ রাখতে সাহায্য করে।

২. শক্তি প্রদান করে: Increasing strength

যোগাসন করলে শরীরের সবকটি অংশে সঠিকভাবে অক্সিজেন পৌঁছায়, ফলে শরীরে শক্তি থাকে ও কর্মক্ষমতা বজায় থাকে।

৩. ওজন নিয়ন্ত্রণ করে: Allows You To Maintain The Ideal Weight

যোগাসনের ফলে পাচনতন্ত্র ভালো হয় ফলে ওজন কমে।

৪. শরীরের যাবতীয় কার্যকারিতা: Integrated Function Of The Body

যোগাসনের অর্থ হল শরীরের সমস্ত অংশকে প্রকৃতির সাথে আত্মস্থ করা। এর ফলে শরীরের চালনা ও উৎফুল্লতা বজায় থাকে।

৫. শরীরকে ভেতর থেকে শক্ত রাখে: Increasing Core Strength

শরীর ভেতর থেকে শক্ত থাকলে সবসময় সুস্থ থাকা যায়। এর ফলে শরীর নিজের ওজন ধরে রাখতে পারে এবং কোনোরকম ব্যাথা বা জ্বালা হলে নিজে থেকে সারিয়ে তুলতে পারে।

৬. মাংসপেশী টানটান করে: Toning of the Muscles

প্রতিদিন যোগাসন করার ফলে শরীরের মাংসপেশি শক্ত পোক্ত হয় ও সুন্দরভাবে টানটান হয়ে যায় যা শারীরিক সৌন্দর্য্য বৃদ্ধি করে।

৭. দেহের সহনশীলতা বাড়ায়: Improves Endurance

শরীর ভেতর থেকে শক্তপোক্ত থাকলে শরীরের সহনশীলতা বাড়ে। এটি বিশেষ করে খেলোয়াড়দের জন্যে খুব প্রয়োজনীয়। যোগাসন শরীরের সহনশীলতা বাড়াতে সাহায্য করে।

যোগাসনের মানসিক স্বাস্থ্য উপকারিতা – Emotional Health Benefits of Yoga in Bengali

শরীর ও মনের মধ্যে একটি অসাধারণ যোগসূত্র তৈরী করে যোগাসন। এর ফলে মানসিক স্বাস্থ্যের জন্যেও যোগাসনের উপকারিতা অতুলনীয়। দেখে নেওয়া যাক:

১. মেজাজ ফুরফুরে রাখে: Uplifts Your Mood

যোগাসন করলে শরীর ও মনে একটা আলাদা সতেজতা ও ঔজ্বল্ল্য ফুটে ওঠে যা খুব সহজেই মেজাজ ফুরফুরে করে রাখে।

২. মানসিক চাপ কমায়: Reduces stress

নিয়মিত যোগাসন করার ফলে মানসিক চাপ ও ক্লান্তিভাব নিয়ন্ত্রণে থাকে। ফলে মানসিক চাপ কম হয়।

৩. উত্তেজনা কমায়: Anxiety Management

Anxiety Management

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নিঃশ্বাস প্রশ্বাসের সঠিক নিয়ন্ত্রণের ফলে উত্তেজনা ও দুশ্চিন্তা কমে আসে ও মন ভালো থাকে।

৪. বিষন্নতা কমায়: Fights depression

মনের কষ্ট বা বিষন্নতা দূর করার অসাধারণ উপায় হল যোগাসন। বিষন্নতা বোধ করলে চোখ বন্ধ করে যোগাসন অভ্যাস করলে বিষন্নতা বোধ কমে।

৫. আত্মসংযমবোধ বাড়ায়: Builds Self Control

জীবনে বেঁচে থাকার জন্য আত্মসংযমবোধ থাকা খুবই প্রয়োজনীয়। যোগাসনের মাধ্যমে মনের জোর বাড়ে ও তার সাথে আত্মসংযম বোধ বাড়ে।

৬. মনোযোগ বাড়ায়: Builds Concentration

মাত্র আট সপ্তাহ যোগাসন চর্চা বা অনুশীলন করলেই মনোযোগিতা বাড়ে। এটি ছাত্রদের জন্য খুব উপযোগী।

৭. স্মৃতিশক্তি বাড়িয়ে তোলে: Improved Memory

যোগাসন করে শরীরে শান্তভাব কমে, মনোসংযোগ বাড়ে ফলে স্মৃতিশক্তি ও মনে রাখার ক্ষমতা বাড়ে। ছাত্রছাত্রীদের জন্য এটি অত্যন্ত গুরুত্বপূর্ণ।

৮. নিখুঁতভাবে কাজ করার ক্ষমতা: Attention To Detail

যোগাসন করার সময় আপনি যেভাবে নিখুঁত ভাবে প্রত্যেকটি নিয়ম ও পরামর্শ মেনে চলেন, তার জন্যে আপনার অন্যান্য জিনিস বা বিষয়ের প্রতিও এই একই রকমের নিখুঁতভাবে সবকিছু খোঁজার ও জানার ক্ষমতা বজায় থাকে।

৯. জীবনের প্রতি ইতিবাচক দৃষ্টিভঙ্গী: Brings About A Positive Outlook To Life

প্রতিদিন যোগ ব্যায়াম অনুশীলন করার ফলে স্নায়ুগুলি সজাগ হয় ও শক্তিপ্রদানকারী হরমোন উৎপন্ন হয়। এর নেতিবাচক মনোভাব, বিষণ্নতা দূর হয়ে জীবনের প্রতি ইতিবাচক দৃষ্টিশক্তি তৈরি হয় কাজের উদ্যম বাড়ে।U

যোগাসন কয় প্রকার – Types of Yoga in Bengali

Types of Yoga in Bengali

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গোটা পৃথিবীতে মোট ১৪ রকমের যোগাসন চর্চা করা হয়ে থাকে। অর্থাৎ যোগাসন মোট ১৪ প্রকারের হয়ে থাকে:

১. হস্ত যোগাসন- এটি সাধারণত শরীরে স্বস্তি ও মস্তিস্ককে আরাম প্রদান করে থাকে। পিঠ টানটান করে সোজা হয়ে বসে হাত দুটো ওপর দিকে করে জড়ো করে এটি করা হয়ে থাকে।

২. আয়েঙ্গার যোগাসন- এতে পদ্মাসনকে বোঝানো হয়। মস্তিষ্কে শান্তি ও চাপ কমাতে এটি খুব কার্যকরী।

৩. কুন্ডলিনী যোগাসন-  তন্ত্র ও ধ্যানের মাধ্যমে সাধনা করে নিজের অন্তরের কুণ্ডলিনী শক্তিকে জাগিয়ে তোলার নাম হল কুণ্ডলিনী যোগাসন। এর দ্বারা মনের জোর ও আত্মবিশ্বাস বাড়ে।

৪. অষ্টাঙ্গনা যোগাসন- এই   ধরণের যোগাসনে  বেশ শারীরিক পরিচর্যা ও ব্যায়াম হয়ে থাকে। এতে ওজন কমানো ও নানারকমের শক্তি পরিচর্চযা করা যায়।

৫. বিনায়ক যোগাসন- এটি ভারতবর্ষের একটি বৈজ্ঞানিক পদ্ধতি মেনে করা হয় যা বিশেষ করে বিনায়ক মহাবিদ্যালয় থেকে প্রচারিত।

৬. বিক্রম যোগাসন- এই যোগাসনে বিভিন্ন অঙ্গভঙ্গি দ্বারা গভীর নিশ্বাস নিয়ে একটি গরম তাপমাত্রার ঘরে অনুশীলন করা হয়।

৭. হট যোগাসন- বিক্রম যোগাসনের মত হট যোগাসনও গরম তাপমাত্রায় করা হয়, কিন্তু তার জন্যে যে কোনো গরম তাপমাত্রার ঘর প্রয়োজন তা নাও হতে পারে।

৮. কৃপালু যোগাসন- এটি অনেকটা হাত যোগাসনের মত। কৃপালু যোগাসনে ভগবানকে স্মরণ করে সাধনা করা হয়।

৯. জীবমুক্তি যোগাসন- ভক্তি, অহিংসা ও ধ্যান বাড়ানোর জন্যে যেই শারীরিক, নৈতিক ও আধ্যাতিক যোগাসন করা হয় তাকে বলা হয় জীবনমুক্তি যোগাসন।

১০. ইন যোগাসন- এই যোগাসন একটু ধীর গতিতে অনেক্ষন সময় নিয়ে করা হয়।

১১. রেস্টোরেটিভ যোগাসন- নতুন করে নিজের দৈহিক ও মানসিক স্থিতিকে আবিষ্কার করে সেই পথে এগোনোর নাম হল রেস্টোরেটিভ যোগাসন।

১২. মাতৃত্ব পূর্ব যোগাসন- এই  ধরণের যোগাসন গর্ভাবস্থার আগে বা গর্ভাবস্থার সময় করা হয় যার ফলে পরবর্তীকালে একটি সুস্থ সবল শিশু জন্মায় ও মায়ের শারীরিক অবস্থা ভাল থাকে।

১৩. অনুসরা যোগাসন- এই যোগাসনের মাধ্যমে আধ্যাতিক চিন্তাভাবনা বাড়িয়ে তোলা হয়।

১৪. অন্যান্য অদ্ভুত প্রকারের যোগাসন- এমন অনেক যোগাসন রয়েছে যা অন্যান্য যোগাসনের তুলনায় একটু অদ্ভুত কিন্তু বেশ প্রচলিত। যেমন মধু বা মোদের সাহায্যে যোগাসন, হাসি বা কান্নার মাধ্যমে যোগাসন, কোনো পশু বা পাখির সাহায্যে যোগাসন, ইত্যাদি।

যোগাসনের নিয়ম – Rules of Yoga in Bengali

Rules of Yoga in Bengali

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যোগাসন করার কিছু বিশেষ নিয়ম রয়েছে যা আপনার যোগাসন শিক্ষক আপনাকে  প্রথমেই জানিয়ে দেবেন। কিন্তু আগে থেকে জানা থাকলে আপনার আরো বেশি উপকার হবে। নিচে প্রয়োজনীয় নিয়মগুলি বিস্তারিত ভাবে দেওয়া হল:

  • সঠিক পোষাক

ঢিলেঢালা ও আরামদায়ক পোষাক পরে যোগাসন করতে হয়। তার সাথে অবশ্যই দরকার একটি যোগাসন করার ম্যাট যার ওপরে বসে অনুশীলন করতে হবে। যোগাসন সবসময় খালি পায়ে করা উচিত

  • খাওয়ার নিয়ম

খেয়াল রাখতে হবে যেন যোগাসন করার আগে পেট খালি থাকে। অর্থাৎ যোগাসন করার অন্তত ২ থেকে ৪ ঘণ্টা আগে খাবার খাওয়া যায় এবং হয়ে যাওয়া ২ ঘণ্টা পর খাওয়া যায়। না’হলে শরীরে অস্বস্তি হতে পারে।

  • নিঃশ্বাস প্রশ্বাস

যোগাসনে একটি গুরুত্বপূর্ণ শেখার বিষয় হল নিঃশ্বাস প্রশ্বাসের দিকে খেয়াল রাখা তাতে ফল পাওয়া যায়।

  • জোর না করা 

জোর করে না করে ধীরে ধীরে করা উচিৎ নাহলে শরীরে ব্যাথা আরো বেড়ে যাবে।

  • ওজন কোনো বাধা নয়

অনেকের ধারণা, যোগাসন করতে গেলে খুব সাবলীল ও রোগ শরীর প্রয়োজন হয়। কিন্তু একথা একেবারে ভুল। আপনার ওজন যাই হোক না কেন, আপনি তা নিয়েই নিজের সুবিধা মত যোগাসন করতে পারেন।

যোগাসন করার সঠিক সময়- Correct Time to Practice Yoga in Bengali

Correct Time to Practice Yoga in Bengali

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বৈজ্ঞানিকভাবে যোগাসনের সঠিক সময় ভোর ৩:৪০। এছাড়া, সূর্য ওঠার সময় যোগাসন করা হল সব থেকে ভাল সময়। ভোরের শীতল ও সতেজ আবহাওয়ায় শ্বাস নিলে শরীর ও মন দুটিই সতেজ থাকে। এর ফলে আপনার সারাদিনের কাজকর্ম ভালোমত এগোবে।

সকালবেলায় মন মেজাজ সব থেকে ঠাণ্ডা ও শান্ত থাকে ও তার সাথে মস্তিস্ক পুরোপুরি সতেজ থাকে। ঘুম থেকে উঠে সকালের প্রাতঃকর্ম সেরে মুখ ধুয়ে যোগাসন শুরু করে দিন। ধীরে ধীরে মাংসপেশি গুলি টানটান করুন, দেখবেন শরীর হালকা হতে শুরু করেছে।প্রকৃতির সাথে আত্মস্ত হওয়ার সব থেকে পবিত্র ও ভাল সময় হল ভোরবেলা।

যোগব্যায়ামের জন্য প্রয়োজনীয় জিনিস – Things Required for Yoga in Bengali

যোগব্যায়াম করার আগে নীচের বিষয়গুলি অবশ্যই দেখতে হবে:

  • পোশাক

যোগাসনের পোশাক হওয়া উচিত ঢিলেঢালা ও আরামদায়ক। এর সাহায্যে আপনি যোগব্যায়ামের যেকোনো ভঙ্গি করতে পারবেন। এই সময় শরীরে কোনোরকম অলঙ্কার বা গয়না এবং চশমা পরে থাকবেন না।

  • সময় 

ভোর ৫টা থেকে সকাল ৭টা হল যোগাসন করার সঠিক সময় কারণ এই সময় আপনি প্রকৃতির পবিত্র, শীতল ও পরিষ্কার বাতাসে নিশ্বাস নিতে পারবেন। এর ফলে আপনার মন ও মেজাজ সারাদিন ফুরফুরে থাকবে।

  • যোগাসনের সঠিক পরিবেশ 

ঘরে হোক বা বাইরে, কোনো পার্কে হোক বা সংস্থায়, দেখে নেবেন যেই জায়গায় আপনি যোগাসন করতে বসছে সেটি যেন শান্তিপূর্ণ ও পরিষ্কার হয়। এমন জায়গায় যোগাসন করবেন না যেখানে প্রচুর পরিমানে সূর্যের তাপ বা কনকনে ঠাণ্ডা থাকে।

যোগব্যায়ামের সময় মানসিক স্থিতি কেমন হওয়া উচিত – Mental State for Yoga in Bengali

একথা আগেই বলা হয়েছে যে যোগ ব্যায়াম হল মন ও শরীরের মিলিত হওয়ার একটি মাধ্যম যার দ্বারা প্রকৃতির সাথে আত্মস্ত হওয়া যায়। তাই স্বাভাবিক ভাবেই যোগাসন করার আগে মানসিক স্থিতির অবস্থা ভীষণভাবেই গুরুত্বপূর্ণ একটি ভূমিকা নেয়। যোগাসনের পূর্ব এই নিয়মগুলি অবশ্যই মনে রাখতে হবে:

  • যোগ ব্যায়াম করার আগে জীবনে চলা সমস্ত দুশ্চিন্তা বা নেতিবাচক চিন্তাগুলো দূরে রেখা শুধু ভালো চিন্তা করুন।
  • জোর করে শুধুমাত্র নিয়মিত যোগাসন করতে হবে বলেই যে যোগাসন করতে বসছেন সেটি করবেন না। মনের মধ্যে সম্পূর্ণ ইচ্ছে ও ভালো লাগা নিয়েই যোগাসন করতে বসুন।
  • তাড়াহুড়ো করে যোগ ব্যায়াম করবেন না। তাতে কোনো ফলাফল পাবেন না। ধীরে ধীরে নিশ্বাস প্রশ্বাস ফেলে যোগ ব্যায়াম করুন।
  • শরীর অসুস্থ বিপদ করলে যোগাসন করার প্রয়োজন নেই। সুস্থ শরীর ও মন যোগাসনের জন্যে খুব প্রয়োজনীয়।
  • যোগাসনের নিয়ম গুলি পর পর মেনে যোগ ব্যায়াম করুন। অর্থাৎ প্রথমে আসন করুন, তারপর প্রাণায়াম, তারপর ধ্যান এবপং অবশেষে যোগ নিদ্রা সেরে প্রস্থান করুন।

যোগাসন করার আরো কিছু টিপস – Other Tips for Yoga in Bengali

যোগাসন করে যাতে আপনি সম্পূর্ণ ইতিবাচক ফলাফল পান তার জন্যে আপনার কাছে রইলো আরো কিছু টিপস। আসুন দেখে নিন:

  • ভুল কারণে হঠাৎ করে ছেড়ে দেবেন না

হুজুগের বশে হঠাৎ করে ছেড়ে দেওয়া ভুল। মনে রাখবেন যে যোগাসন এক একটি পদক্ষেপ মেনে শেখানো হয়। তাই ধৈর্য্য রাখুন, ধীরে ধীরে এগোন।

  • খাওয়া দাওয়ার দিকে খেয়াল রাখুন 

যোগাসন করার অন্তত ২ ঘন্টা আগে ও পরে কিছু খাবেন না। কিন্তু তার বাইরেও যে খাওয়া দাও করবেন সেটি যেন বেশ পুষ্টিকর ও কম তেল, ঝাল বা মশলা সমৃদ্ধ হয়। যতই হোক, যোগাসন হল এক ধরণের ব্যায়াম যা আপনার ওজন নিয়ন্ত্রণ করতেও সাহায্য করে। তাই ওজন সঠিক রাখতে যা যা খেয়ে থাকেন তাই খাবেন।

সাবধানতা: Caution 

যোগাসন করার সময় নিম্নলিখিত কিছু কিছু সাবধানতা অবশ্যই অবলম্বন করা উচিত:

  • শিক্ষক বা ডাক্তারের পরামর্শ 

যোগব্যায়াম শুরু করতে যাওয়ার আগে আপনি কোনোরকম ডাক্তারের চিকিৎসার অধীনে থেকে থাকেন, তাঁর পরামর্শ নিয়ে নেবেন। আপনার শিক্ষক আপনার শরীরের গঠন ও ধাঁচ অনুযায়ী সব থেকে ভালো করে বলতে পারবেন যে আপনার ঠিক কোন কোন যোগ ব্যায়ামগুলো করা উচিত ও কোনগুলি নয়। অযথা ব্যায়ামের ফলে হিতে বিপরীত হতে পারে।

  • গর্ভাবস্থা বা মাসিকের সময় 

মাসিকের সময় অতিরিক্ত যোগাসন করা নিষেধ। যদি একান্তই করতে হয়, শুধুমাত্র আসন করে বসে সোজা হয়ে পিঠ ও কোমরে আরাম পাওয়া যায় এমন যোগাসনই করুন। আবার গর্ভাবস্থার সময় যদি মনে করে থাকেন যে যোগাসন করবেন তাহলে তার আগে ডাক্তারের সাথে ভাল করে পরামর্শ করুন। যদি আপনি আগে থেকে যোগাসন করে থাকেন ও জানতে পারেন যে আপনি গর্ভবতী, তাহলে নিজের শিক্ষককে আগে সেটা জানিয়ে দিন।

  • বয়স ও শরীরের দিকে খেয়াল রাখুন 

যোগাসন করা যতই ভাল হোক না কেন, নিজের বয়স ও শরীরের অবস্থা লক্ষ্য রেখেই এগোনো উচিত। বয়স ও শরীর অনুযায়ী যেই যেই যোগ ব্যায়াম আপনার জন্যে ঠিক হবে, সেগুলির বাইরে কোনো কিছু করতে যাবেন না।

আজকের এই পোস্ট থেকে একথা নিশ্চিত যে যে কোনো মানুষের জন্যেই যোগাসনের ভূমিকা প্রচুর। তাই আজ থেকে যোগাসনের উপকারিতা পাওয়ার জন্যে আপনার শুরু করা উচিত যোগব্যায়াম। সাবধানতা ও নিয়ম মেনে চললে কোনো জিনিসই জীবনে থেমে থাকে না। তার ওপর যোগাসন করে যদি আপনি মন ও শরীর দুটির দিক থেকেই ভালো থাকতে পারেন তাহলে দেরি কিসের? আপনার যদি এই বিষয় কোনোরকম প্রশ্ন থাকে তাহলে অবশ্যই জানান আমাদের কমেন্টের মাধ্যমে।

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Couples In A Loving Relationship Tend To Gain Weight Together

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Have you wondered why you’ve suddenly been adding on the pounds after you and your partner started seeing each other? Well, according to science, you’re not the only one! Relationship weight gain is a stark reality for a lot of people. Researchers believe this phenomenon can’t just be attributed to one explanation, yet rather an accumulation of certain practices and mindsets. Basically, you’re bound to make bad food choices when your loved one is in the picture.

Here are two interesting studies that prove love can sometimes make you put on the weight and that adults in happy and loving relationships end up gaining weight together.

“But I’ve Been Watching What I Eat! How Is This Possible?”

But I've Been Watching What I Eat! How Is This Possible

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In a study conducted by Central Queensland University in Australia involving around 15,000 adults, out of which 3/4th were in a loving relationship with their partners, researchers found that couples in loving relationships tend to make healthier lifestyle choices like quitting smoking, drinking less, and picking up exercising.

However, despite all of these, they’re more likely to have a higher BMI level than those who are single. According to the lead researcher, this is due to the fact that once people get involved in a relationship, they don’t bother going out of their way to look attractive or slim as they would whilst being single.

Due to this, they end up feeling more comfortable and eating food with a higher content of sugar and fat. Affectionately referred to as ‘Love weight’, it is common for people in a loving relationship to gain weight during the first two to three years of their relationship. The average age of this study was about 52 years old and showed that singles were less likely to gain weight than couples. This data was collected over a nine-year period from 2005-2014 (1).

Couples In A Loving Relationship Tend To Gain Weight Together1

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In another study conducted by The New England Journal of Medicine showed that if one spouse gained weight, the odds of the other spouse gaining weight was a staggering 37 percent. According to the lead researcher in this study, this was due to the fact that satisfaction is positively associated with weight gain and that spouses who are more satisfied have the tendency to gain more weight, and spouses who are dissatisfied tend to gain less weight (2).

The conclusion of this study stated that it is easy for obesity to spread through social ties. This is often why a sibling is around 40 percent more likely to gain weight if the other sibling is obese or gaining weight. But before you go over to your sibling’s or partner’s house, pitchfork in hand, ready to play the blame game, identify where exactly your dietary habits have changed or what lifestyle changes might have caused your exercise routine to take a backseat. After all, health should be one of the topmost priorities in a person’s life.

So What’s The Biggest Cause?

So What's The Biggest Cause

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Well, we can safely say that eating out for dates can cause the scales to slip to the heavier side. Of course, whilst courting and wooing the object of your desire, you would want to look your best and make healthier choices, but once the two of you have latched onto each other, things can take a turn for the heavier side.

It is an unspoken rule in relationships that once you’ve found a better half, it’s okay to ease up on the gym schedule a little bit. A study by the University of Glasgow found that newlyweds gained an average of 4 to 5 lbs in their first year of marriage (3).

It’s not just people in relationships or newlyweds who gain weight. Studies show that even couples who’ve been married for a long time and have children together tend to gain weight or are overweight. Despite the fact that they’d be eating healthier home-cooked food rather than takeout, parents will often be tempted to finish their kids’ leftover meals or secretly snack on their junk food. Similarly, recently married couples are also at a high risk of gaining weight as they plan out a life together.

Couples In A Loving Relationship Tend To Gain Weight Together2

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Of course, what’s a few pounds if the trade-off is a loving relationship, right? Better a relationship where you’re happy and thriving and gain weight together than a toxic or abusive one. However, the couple who feed each other must also stick to a healthy exercise routine together. The best part of being in a relationship is company. You and your partner could plan and cook healthy food together with meal prep or even hit the gym together or go for long walks and jogs. Not only would this boost your mood, but it would also increase your confidence, and the endorphin rush from being active would be an added bonus.

At the same time, a lot of experts’ advice following an individual health plan based on your own specific needs and that you shouldn’t depend on your partners’ choices to get healthy. The earlier these habits are formed, the longer they last.

Tell us your thoughts in the comments below. Have you noticed any changes in your weight since you started dating someone? Do you believe in this study? Tell us how you and your partner stay fit?

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If You’re Doing These Things, You’re Damaging Your Relationship

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Every relationship starts with a spark, isn’t it? That spark is what connects two people. Then there’s a curiosity to know everything about each other. What he likes, which brand of dress she’s found of, which motorsport interests him, how emotional is she, what his dreams are, etc. After exploring each other’s body, mind, and their different perspectives on the world and life is when the magic dust begins to settle in. And this is where reality begins to kick in and the recess bell starts to ring. This is when the building of an actual relationship begins.

And trust me, this is when you need to give your all to make the relationship work. There’s so much for the two of you to acknowledge and take care of. His wiring, your past, family dynamics, fears, attachment styles, old tugs. It’s pretty much like dopamine in discovering a new world together.

If You’re Doing These Things, You’re Damaging Your Relationship1

Shutterstock

You must have noticed that he’s going out with an old friend of his who is a girl. You know that they are just friends but still, somehow you get trapped in an insecure avatar and behave mean towards him. This snaps him off and there’s a fight that prolongs for good two or more days. This wasn’t necessary, right? Remember one thing, dear love birds, that in a relationship you’re either growing together or you’re growing apart!

Every relationship has problems and sometimes that problem can be an inward one too. Here are a few areas that I’ve laid down for you. Give it a look and see if you’re doing things that end up damaging your relationship.

1. Blocking Your Partner’s Self Expressions

Blocking Your Partner’s Self Expressions

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There must be two voices in a relationship. You cannot block whatever your partner wants to tell you by holding your defense. Truly listening to each other over every matter of your lives is what forms the soil for the foundation. If you’re not allowing your partner to talk, you’re making your partner feel that you just don’t care about his/her feelings. You are just forcing your partner to accept whatever you say or do in life.

Remember peeps, the souls who walk on a defensive path will reach nowhere! Therefore, you need to allow your partner to speak. At least listen up if you don’t want to agree! Once you both have spoken about your takes on a problem, then you could start talking about the differences.

2. Nurturing Resentment And Anger

Nurturing Resentment And Anger

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If there’s anything that can destroy a relationship it is holding onto anger. You know of that saying about not going to bed angry? That one’s a legit peeps! We might opt for resentment to avoid fights or because we just don’t want any confrontation. But doing it turns it into a bad virus that starts eating up a relationship. Therefore, every day before going to sleep makes it a point to untangle all the mess and sleep with a peaceful heart.

3. Not Having Your Own Identity Anymore

Not Having Your Own Identity Anymore

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It’s nice to be in a relationship, it’s nice to make your world revolve around your partner’s, but it’s just not done to let go off your individual life. I’ve seen people making no time for a hobby they loved doing after they entered a love-relationship. Always remember that you should never let go of what you loved doing. If you love spending weekends with your partner, try and keep at least an hour each day to do what you love. Don’t push your friends aside. Don’t forget about your passionate interests. Don’t ditch those solo travels you always wanted to go on. Don’t create a blurry life for yourself because of a relationship.

4. Absence Of Respect For Your Partner

Absence Of Respect For Your Partner

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A relationship is nothing without respect. It’s almost like ground zero. When you don’t respect your SO, it’s impossible to establish trust between the two of you. You must have been respecting your partner in the beginning. And then there could have been infidelity that changed your SO as a person. Or you both made some choices that led to the disappearance of respect. Maybe unhappiness sprouted and grew into a tree that separated respect from your relationship. Reasons could be plenty for you to have lost respect for your partner.

But remember that when you don’t respect a particular person, you don’t treat them well. You visualize them in the cape of a villain. You don’t have any tolerance towards them. Although respect needs to be earned, I want you to also consider all the moments you’ve shared as a couple. Find the moment that caused a crack and fill that up. Everybody makes mistakes, and this one is somebody you love, right? If you’re wrong, acknowledge it. If your partner’s made a mistake, help your SO come back to the right track. Don’t abandon your relationship and harbor disrespect.

Do you agree with whatever I tried to explain? Leave your thoughts about this in the comments below. And happy loving (heart).

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Meet India’s Own Sherlock Who Once Went Undercover As a Maid to Crack a Murder Mystery

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Benedict Cumberbatch, Robert Downey Jr, and Roger Moore. What do they have in common?

These people have been by far the best depictions of the fictional detective, Sherlock Holmes. As much as they have done justice to being a detective on screen, what about the justice in real life? The western scene may have plenty, but several of these detectives in India are undermined and looked down at. Against this backdrop, how do you think a female detective would fare? Hard to think, isn’t it?

How about the first-ever ‘woman’ detective? The image of a woman battling tough situations alone and doing adventurous stuff seems like something out of a movie. But, no; it is true.

Meet Rajani Pandit, the first-ever woman detective in India.

From the state of Maharashtra, Rajani is considered a pioneer in the field of investigation. At the age of 50, Rajani claims that she has worked on and solved about 80,000 cases over the years. Read on to know about India’s very own Lady Sherlock.

The Very Beginning…

The Very Beginning… 

bpbweekend / Instagram

Rajani’s father worked for the Crime Investigation Department (CID) and over time Rajani picked up the art and science of investigation. At the young age of 22, Rajani went on to solve her first ever case when she was in college.

While in college, Rajani worked part-time as an office clerk for a firm. Around this time, one of her seniors told Rajani about thefts at her residence. With her son being married recently, her doubt was on the new addition to the family. However, she had nothing to prove her point. The case opened the doors of curiosity and passion inside Rajani, who went on to offer help.

Setting up a watch from across the street, Rajani kept eye on the house round the clock. Soon, she realized that the lady’s daughter-in-law was innocent. And, the culprit was her own son. Upon questioning him further, he confessed to the crime.

This was the first feather on Rajani’s cap and from here, there was no stopping her.

Back in the days, resources were minimal and yet, through mere word of mouth, she was able to create a career around her passion. And that did not come without a cost. Being a detective put her directly in the line of danger. Nevertheless, she was married to her profession.

Being a fairly tough job, Rajani did not tell her parents about it. In due course of time, her father figured out and reminded her of the dangers involved in the job. She never denied the dangers involved. Rather, she enjoyed it and went on with her work to an extent that she neither had time nor interest to start a family.

When The Going Gets Tough…

When The Going Gets Tough… 

Source: TimesNow

With a number of cases up her sleeves, the one that brought her directly into the limelight was her investigation of a murder. In this case, which Rajani describes as her toughest, she went undercover for over six months in the guise of domestic help.

The case involved a man and his son being murdered and there was absolutely no proof about it whatsoever. Disguised as a maid, Rajani did all the odd jobs at the woman’s house and even took care of her when she fell ill. Eventually, she gained the trust of the woman — the prime suspect of the case. All along the six months, Rajani recorded the woman’s conversations with her secretly.

However, one day, the recorder gave out a ‘click’ raising the suspect’s suspicion. After this point, she never allowed Rajani to leave the house.

Completely tied down to the house, Rajani saw her escape when her ‘employer’ has a visitor — the hitman who killed the father and son. Knowing who it was she was highly motivated to find her way out. And, what works better than an emergency.

Using a knife from the kitchen, she cut her foot and used that as an excuse to leave the home to buy bandage. She ran out to the nearest telephone booth and called her client. The very same day, the lady and the hitman were arrested.

If that is not impressive, not sure what else is.

Over the years, Rajani has solved numerous cases and she is not willing to ride into the sunset yet. In her years of work, she has put on several guises — blind woman, dumb woman, pregnant, and once, even a lunatic. This was to cover a range of cases such as missing people, murder, and corporate espionage.

Today, Rajani has taken it on herself to train and hire female detectives, who also want to make a mark in the field.

That is the amazing story of Rajani Pandit, India’s first female detective, and author of two novels. The stereotypes held against women have been broken time and again. Rajani has created her legacy. It is your time now. What are you going to leave behind — a stereotype or a legacy? Choose wisely.

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இஞ்சியின் நன்மைகள், பயன்கள் மற்றும் பக்க விளைவுகள் – Ginger (Adrak) Benefits, Uses and Side Effects in Tamil

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இஞ்சி என்பது சீனா மற்றும் இந்திய நாடுகளை பிறப்பிடமாக கொண்ட ஒரு மூலிகை பொருள் ஆகும்; ஜிஞ்சிபெர் அபிசினால் எனும் தாவரத்தில் இருந்து தோன்றும் மூலிகை தான் இஞ்சி ஆகும். பல விதமான ஆயுர்வேத மருந்துகளை தயாரிக்க இஞ்சி பயன்படுகிறது. இஞ்சி எனும் மூலிகை, 4000 ஆண்டுகளுக்கு முன் கண்டுபிடிக்கப்பட்டது மற்றும் அதன் மருத்துவ பண்புகள் 2000 ஆண்டுகளுக்கு முன் கண்டுபிடிக்கப்பட்டது. இஞ்சி சேர்த்த உணவுகளை, பானங்களை பெரும்பான்மையோருக்கு பிடிக்கும்.

உங்களுக்கு இஞ்சி டீ குடிக்க பிடிக்குமா? ஆம் எனில், உங்களுக்கு ஒரு நல்ல செய்தி! உடலில் ஏற்படும் ஆரோக்கிய, அழகு குறைபாடுகளை போக்கி, நன்மைகளை வாரி வழங்க இஞ்சி பெரிதும் பயன்படுகிறது. இஞ்சி வழங்கும் அற்புத பயன்கள், நன்மைகள் குறித்து இப்பதிப்பில் படித்து அறியலாம், வாருங்கள்!

இஞ்சியின் நன்மைகள்

இஞ்சி காரத்தன்மை கொண்டதால், அதனை பச்சையாக உண்பது சற்று கடினமான காரியமே! ஆனால், உணவு மற்றும் பான வகைகளில் இஞ்சி சேர்த்து உட்கொண்டால் பற்பல ஆரோக்கிய, அழகு மற்றும் கூந்தல் நன்மைகளை அடைய முடியும். இஞ்சி வழங்கும் நன்மைகளை பற்றி இங்கு ஒவ்வொன்றாக பார்க்கலாம்.

இஞ்சி வழங்கும் ஆரோக்கிய நன்மைகள்

இஞ்சி என்பது ஆயுர்வேத “மருந்துகளின் இருதயம்” என்று கருதப்படுகிறது; இது பல்வேறு விதமான ஆரோக்கிய நன்மைகளை வழங்க உதவுகிறது. இப்பொழுது இஞ்சி வழங்கும் முக்கிய ஆரோக்கிய நன்மைகள் பற்றி காணலாம்.

நன்மை 1: சுவாச பிரச்சனைகள்

Respiratory problems

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இஞ்சியில் உள்ள ஆன்டிஹிஸ்டமைன் பண்புகள் ஒவ்வாமைகளை குணப்படுத்த உதவும் பயனுள்ள மருந்தாக விளங்குகின்றன. இது காற்றுப்பாதையில் சுருக்கம் ஏற்படுவதை தடுத்து, கோழை திரவ உருவாக்கத்தை தூண்டிவிட உதவுகிறது. சளி மற்றும் காய்ச்சலை விரட்டி அடிக்க, பல நூற்றாண்டுகளாக இஞ்சி பயன்படுத்தப்பட்டு வருகிறது; ஒரு தேக்கரண்டி இஞ்சி சாறு மற்றும் ஒரு தேக்கரண்டி தேன் கலந்து உட்கொண்டால், சளி மற்றும் தொண்டைப்புண் போன்ற பிரச்சனைகளில் இருந்து விரைவில் நிவாரணம் அடையலாம். தொண்டை மற்றும் மூக்கில் ஏற்படக்கூடிய நெரிசலை போக்க இஞ்சி தேநீர் பயன்படுகிறது; இஞ்சி சாறு மற்றும் வெந்தய விதைகள் ஆஸ்துமாவை குணப்படுத்தும் அருமருந்தாக திகழ்கின்றன. வயிற்றில் ஏற்படும் காய்ச்சல் அல்லது உணவு விஷம் என்று சொல்லப்படக்கூடிய ஃபுட் பாய்சனை குணப்படுத்த உதவுகிறது; இது இஞ்சியின் மருத்துவ பயன்பாடுகளுள் மிக முக்கியமானது ஆகும்.

நன்மை 2: செரிமானம்

செரிமானத்திற்கு அதிக நன்மை பயக்கும் மூலிகை இஞ்சி ஆகும்; இதை உட்கொள்வது பித்தப்பை பித்தத்தை வெளிப்படுத்த மற்றும் செரிமானத்தை தூண்டி விட உதவும். நாம் உட்கொள்ளும் உணவுகளில் இருந்து ஊட்டச்சத்துக்களை உறிஞ்சி, ஜீரணிக்க இஞ்சி பயன்படுகிறது; கூடுதலாக, வயிற்று பிடிப்புகள், வயிற்றுப்போக்கு மற்றும் வாயு தொல்லையால் ஏற்படும் சோர்வு போன்றவற்றில் இருந்து நிவாரணம் பெற இஞ்சி பயன்படுகிறது. இஞ்சியை கொண்டு தேநீர் தயாரித்தோ அல்லது இஞ்சியில் இருந்து தயாரிக்கப்பட்ட சப்ளிமெண்ட்டுகளையோ உட்கொள்ளலாம். இஞ்சியின் நன்மைகளுள் இது குறிப்பிடத்தக்கது ஆகும்.

நன்மை 3: புற்றுநோய்

பல விதமான புற்றுநோய் செல்களை அதாவது நுரையீரல், கருப்பை, புரோஸ்டேட், மார்பகம் மற்றும் பெருங்குடல் பகுதிகளில் புற்றுநோயை ஏற்படுத்தக்கூடிய புற்றுநோய் செல்களை எதிர்த்து போராடும் தன்மை இஞ்சியில் நிறைந்து உள்ளது. மிச்சிகன் பல்கலைக்கழத்தின் ஆய்வுப்படி, இஞ்சிப்பொடி கருப்பை புற்றுநோய் செல்களை அழிக்கும் தன்மை கொண்டது என்று கண்டறியப்பட்டுள்ளது; மேலும் இது புரோஸ்டேட் புற்றுநோய் செல்களை அழித்து, அந்நோயை குணப்படுத்த உதவுகிறது. இஞ்சியில் உள்ள ஜின்ஜெரால் (gingerol) எனும் உறுப்பு ஆன்டி மெட்டாஸ்டாடிக் பண்புகளை வெளிப்படுத்தக்கூடியது மற்றும் இது மார்பக & கருப்பை புற்றுநோய்களை குணப்படுத்த உதவுகிறது. ஆரோக்கிய நிபுணர்களின் கருத்துப்படி, இஞ்சியின் வேர்ப்பகுதி ஒரு விலைமதிப்பற்ற மற்றும் பயனுள்ள முறையில் புற்றுநோய் உருவாக்கத்தை தடுக்கக்கூடியது; மேலும் இது நச்சுத்தன்மை கொண்ட உறுப்புகளை உடலில் இருந்து நீக்கி, வாழ்க்கையின் தரத்தை மேம்படுத்தக்கூடியது என்று கூறப்படுகிறது.

நன்மை 4: குமட்டல்

Nausea

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புற்றுநோய் அறுவை சிகிச்சைக்கு பின், உடலில் காணப்படும் புற்றுநோய் செல்களை முழுவதுமாக நீக்க, கீமோதெரபி சிகிச்சை முறை பரிந்துரைக்கப்படுகிறது; இது நோய் பாதிப்பை முற்றிலுமாக தடுத்து, குறைக்க உதவும். கீமோதெரபி சிகிச்சையின் பொழுது குமட்டல் ஏற்படாமல் தடுக்க, இஞ்சி வேர் சப்ளிமெண்ட் உதவும்; இது மற்ற வாந்தி எதிர்ப்பு மருந்துகளுடன் சேர்ந்து செயல்படும் தன்மை கொண்டது. ஃபுளோரிடாவை சேர்ந்த மருத்துவ ஆங்காலஜி கூட்டத்தின், அமெரிக்க சமூக கருத்துப்படி, மருத்துவர் ஜீலி ரியான், 70 -க்கும் அதிகமான புற்றுநோய் நோயாளிகளை கீமோதெரபி சிகிச்சைக்கு உட்படுத்தி, அவர்களுக்கு ஏற்படும் வாந்தி மற்றும் குமட்டல் பிரச்சனைகளை வெளிப்படுத்த முயற்சித்தார்; அச்சமயத்தில் கீமோதெரபிக்கு முன்பாக இஞ்சி சாறு அல்லது இஞ்சி வேரில் இருந்து தயாரிக்கப்பட்ட சப்ளிமெண்ட்டுகளை அளித்த பொழுது, வாந்தி மற்றும் குமட்டல் போன்ற பிரச்சனைகள் குறைந்து, நின்று போவது கண்டறியப்பட்டுள்ளது. இதற்கு இஞ்சியில் காணப்படும் அழற்சி எதிர்ப்பு பண்புகளே முக்கிய காரணம்; குமட்டல் உணர்வை ஏற்படுத்தும் நோய் பாதிப்புகளான, வயிற்றுப்போக்கு குறைபாடு, மலச்சிக்கல் நோய்க்குறைபாடு மற்றும் மேலும் பல குறைபாடுகளை குணப்படுத்த இஞ்சி உதவுகிறது. இஞ்சியின் மருத்துவ பயன்பாடுகளுள் இது ஒரு குறிப்பிடத்தக்க நன்மை ஆகும்.

நன்மை 5: வலி நிவாரணி

வலி நிவாரணி மற்றும் அழற்சி எதிர்ப்பு பண்புகள், முழங்காலில் ஆஸ்டியோ ஆர்த்ரிடிஸ், முடக்கு வாதம் மற்றும் பொதுவான தசை அசௌகரிய குறைபாடு கொண்ட நோயாளிகளின் உடலில் ஏற்படும் வலி மற்றும் வீக்கத்தை குணப்படுத்த இஞ்சி உதவுகிறது; ஆர்த்ரிடிஸ் வீக்கத்திற்காக வலி நிவாரணி மருந்துகளை உட்கொள்ளும் நபர்களுக்கு இஞ்சி வேர் ஒரு அற்புத மருந்து ஆகும்; இதனை உட்கொண்டால் வலியில் இருந்து உடனடி நிவாரணம் பெறலாம். குளிக்கும் நீரில் இஞ்சி எண்ணெய் சேர்த்துக் கொள்வது தசை மற்றும் மூட்டு வலிகளில் இருந்து நிவாரணம் பெற உதவும்; தசை திரிபு அதாவது சுளுக்கு ஏற்பட்ட இடத்தில் சூடான இஞ்சி பேஸ்ட் மற்றும் மஞ்சள் சேர்த்து தடவினால், வலியில் இருந்து நிவாரணம் பெறலாம். ஏதேனும் உடல் வலிகளை கொண்ட சில நோயாளிகள் தங்கள் உணவில் இஞ்சி வேர் மூலம் தயாரிக்கப்பட்ட சப்ளிமெண்ட்டுகளை சேர்த்துக் கொண்டால், அவர்கள் வலி நிவாரணி மருந்துகள் உட்கொள்வதை குறைத்து கொள்ள முடியும். ஆஸ்டியோ ஆர்த்ரிடிஸ் மற்றும் முடக்கு வாதம் கொண்ட நபர்கள் வலியில் இருந்து நிவாரணம் பெற இஞ்சி பெரிதும் உதவுகிறது.

அழற்சியை குணப்படுத்த இஞ்சியை உள்புறமாக, வெளிப்புறமாக என எப்படி வேண்டுமானாலும் பயன்படுத்தலாம்; இஞ்சி கொண்டு குளிக்க, 100 மில்லி லிட்டர் தண்ணீருக்கு சில துண்டுகள் இஞ்சி என்று கலந்து கொதிக்க வைத்து பயன்படுத்தவும். இத்தண்ணீர் கொதிக்கும் பொழுது, வோலைட் எண்ணெய்கள் ஆவியாவதை தடுக்க பாத்திரம் கொண்டு இதை மூடி விடவும்; இப்படியே 10 நிமிடங்கள் விட்டு விட்ட பின், இஞ்சி சேர்த்த இத்தண்ணீர் கலவையை நீங்கள் குளிக்க பயன்படுத்தும் நீரில் சேர்த்து பயன்படுத்தவும். இவ்வாறு தண்ணீர் தயாரித்து, தினந்தோறும் அதை பயன்படுத்தி குளித்து வந்தால், உடல் வலி மற்றும் ஃபைப்ரோமியால்ஜியாவுடன் இணைந்த வலிகள் என அனைத்தில் இருந்தும் விடுதலை பெறலாம்.

நன்மை 6: மாதவிடாய் தசைப்பிடிப்புகள்

மாதவிடாய் காலங்களில் சில பெண்களில் ஏற்படும் மாதவிடாய் வயிற்றுப்பிடிப்பு வலியை குறைக்க, மாதவிடாய் காலத்தின் முற்பகுதியில் இஞ்சியை உட்கொள்ளலாம்; நாட்டுச்சர்க்கரை சேர்த்த இஞ்சி தேநீர் பருகுவது மாதவிடாயின் பொழுது ஏற்படும் வயிற்றுப்பிடிப்பு வலிகளை குணப்படுத்த உதவும் என்று சீன மருத்துவத்தில் கூறப்படுகிறது.

நன்மை 7: மைக்ரைன் எனும் ஒற்றைத் தலைவலி

Migraine a migraine

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இரத்த குழாய்களில் அழற்சி மற்றும் வலியை ஏற்படுத்தக்கூடிய புரோஸ்கிளாண்டைனை தடுப்பதன் மூலம், மைக்ரைன் எனும் ஒற்றைத் தலைவலியில் இருந்து நிவாரணம் அளிக்க இஞ்சி உதவுகிறது; நீர்க்கப்பட்ட இஞ்சி பேஸ்ட்டை நெற்றியில் தடவுவதன் மூலம் மைக்ரைனில் இருந்து நிவாரணம் பெறலாம். இஞ்சியின் மருத்துவ பயன்பாடுகளில் இது மிகவும் முக்கியமான ஒன்றாகும்.

நன்மை 8: இதய ஆரோக்கியம்

சீன மருத்துவத்தின் படி, இதயத்தை பலப்படுத்த உதவும் ஒரு உயர்ந்த, பயனுள்ள மருந்தாக இஞ்சி சாறு பயன்படுகிறது என்று கூறப்படுகிறது; இந்த இஞ்சி சாறை தினமும் பருகுவதால், உடலில் உள்ள கொலஸ்ட்ரால் குறைக்கப்படும் மற்றும் உட்புற இரத்தம் கட்டுதல் போன்ற பாதிப்புகள் தடுக்கப்படும். பக்கவாதம் போன்ற நோய்களை தடுப்பதில் இந்த சாறு பெரிதும் பயன்படுகிறது; இதயத்தை பாதுகாக்க, இந்த அற்புதமான சாறை நாள்தோறும் உங்கள் உணவு முறையில் சேர்த்துக் கொள்ளுங்கள்.

நன்மை 9: கொலஸ்ட்ரால் மற்றும் இரத்த அழுத்தம்

இஞ்சியில் காணப்படும் அத்தியாவசியமான எண்ணெயில் உள்ள ஆன்டி ஆக்சிடென்ட் பண்புகள் மூட்டு வலி தொடர்பான பிரச்சனைகள், காய்ச்சல், இருமல், பல் வலி, மூச்சுக்குழாய் அழற்சி, முடக்கு வாதம், ஆஸ்டியோ ஆர்த்ரிடிஸ் மற்றும் டென்டோனிடிஸ் நோயின் ஆரம்ப கால அறிகுறிகள் போன்றவற்றை குணப்படுத்த அதிகம், பயனுள்ள வகையில் உதவுகின்றன. சில ஆய்வுகள், இஞ்சி வேர் கொண்டு தயாரிக்கப்படும் சப்ளிமெண்ட்டுகள் கொலஸ்ட்ரால் மற்றும் இரத்த அழுத்தத்தை குறைக்க பெரிதும் உதவும் என்று கூறுகின்றன; மேலும் இது உட்புற இரத்தம் கட்டுதலை தடுக்க உதவுகின்றன.

நன்மை 10: ஆர்த்ரிடிஸ்

Arthritis

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ஆர்த்ரிடிஸ் வலியை குணப்படுத்த உதவும் சாதாரண NSAID மருந்துகள் ஏற்படுத்தும் பக்க விளைவுகளை தடுக்க, மருத்துவர்களும், ஆராய்ச்சியாளர்களும் ஒரு புதிய, மாற்று வழியை தேடிக்கொண்டிருந்தனர்; அவ்வகையில் இம்மருந்துகளுக்கு பதிலாக இஞ்சியை பயன்படுத்தினால் நல்ல பலன் கிடைக்கும் என்று கண்டறிந்தனர். பழங்காலத்தில் இருந்தே மருத்துவத்திற்கும், சமையலுக்கும் பயன்படுத்தப்பட்டு வரும் இம்மூலிகை, ஆர்த்ரிடிஸ் நோயால் ஏற்படும் வலிகளை பயனுள்ள வகையில் குணப்படுத்த உதவுகிறது (1). இதில் நிறைந்துள்ள அழற்சி எதிர்ப்பு பண்புகள், பல மக்களின் குறைபாடுகளை உள்ளிருந்து, திறனுடன் போக்க உதவுகின்றன (2).

நன்மை 11: நீரிழிவு நோய்/ சர்க்கரை நோய்

ஆஸ்திரேலிய ஆராய்ச்சி அறிஞர்களின் பரிந்துரைப்படி, உடலில் காணப்படும் இரத்த குளுக்கோஸ் அளவுகளை குறைக்க இஞ்சி பயன்படும் என்று கண்டுபிடிக்கப்பட்டுள்ளது. உடலின் குளுக்கோஸ் அளவுகளில் ஏற்படும் மாற்றம் உடல் எடை அதிகரிப்பு அல்லது உடல் எடை குறைத்தல் ஆகிய உடலியக்க செயல்பாடுகளை மாற்றியமைக்கும் பொழுது, நாள் முழுவதும் உடல் ஆற்றலுடன் அல்லது ஆற்றல் குறைந்து காணப்படலாம்; ஆகவே இஞ்சி வேர் கொண்டு தயாரிக்கப்பட்ட சப்ளிமெண்ட்டுகளை உணவில் சேர்த்துக் கொள்வது உடலில் ஒரு சமநிலையை ஏற்படுத்தும் வகையில் குளுக்கோஸ் அளவுகளை குறைக்க உதவும். குறைந்த இரத்த அழுத்த அளவுகள் கொண்ட மக்கள் தேவையற்ற பிரச்சனைகளை தவிர்க்க, இஞ்சி வேர் கொண்டு தயாரிக்கப்பட்ட சப்ளிமெண்ட்டுகளை தங்கள் உணவில் சேர்த்துக் கொள்வது நல்லது. நீரிழிவு நெஃப்ரோபதி (சிறுநீரக பாதிப்பு) போன்ற நோய்க்குறைபாடுகள் ஏற்படுவதற்கான பாதிப்பை குறைக்க இஞ்சி உதவும்.

நன்மை 12: உடல் எடை குறைத்தல்

Reduce body weight

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உடல் எடையை குறைப்பதில், இஞ்சி ஒரு முக்கிய பங்கு வகிக்கிறது; உடல் எடை குறைக்க விரும்பும் நபர்கள் கட்டாயம் இஞ்சியை உணவு முறையில் சேர்த்துக் கொள்வது பெரும் நன்மை பயக்கும். இது உடலில் காணப்படும் பிடிவாதமான கொழுப்பு சத்துக்களை எரித்து அவற்றை நீக்க உதவும்; இஞ்சி வேர் மூலம் தயாரிக்கப்படும் சப்ளிமெண்ட்டுகளை சிறிய அளவுகளில் எடுத்துக் கொண்டால், உணவு உண்ட பின் உங்களுக்கு ஒரு திருப்தியான மற்றும் இலேசான உணர்வை அளிக்க உதவுகின்றன. இது உணவு உண்ணும் முறையை கட்டுப்படுத்தி, உடல் எடையை குறைக்க உதவும்.

நன்மை 13: நோய் எதிர்ப்பு சக்தியை அதிகரிக்கும்

ஒரு சக்தி வாய்ந்த நோய் எதிர்ப்பு அமைப்பால் மட்டுமே நோய்களை விரட்டி உடலை நோய்த்தொற்றுகள் அண்ட விடாமல் பார்த்துக்கொள்ள உதவும்; ஒரு குறிப்பிட்ட நோய் அல்லது உடலை நிலையை குணப்படுத்துவதற்கான மருந்துகளை எடுத்துக்கொள்வதை காட்டிலும், எப்பொழுதும் இயற்கை முறையிலான முன்னெச்சரிக்கை நடவடிக்கைகளை எடுப்பது நல்லது. இஞ்சி வேரில் இருந்து எடுக்கப்படும் பொருட்கள் உடலின் நோய் எதிர்ப்பு அமைப்பை பலப்படுத்த உதவும்; இஞ்சியை தினமும் சிறிதளவு உட்கொள்வது, உடலில் உள்ள தமனி போன்ற இரத்த குழாய்களில் படியும் கொழுப்பு படிமங்களை நீக்கி, உடலின் இரத்த ஓட்டத்தை மேம்படுத்த உதவுகிறது.

நன்மை 14: மாதவிடாய் சுழற்சி

மாதவிடாய் சுழற்சி மற்றும் அச்சமயத்தில் ஏற்படும் வயிற்றுப்பிடிப்புகளை சரி செய்ய உதவும் பயனுள்ள மருந்தாக இஞ்சி விளங்குகிறது; முறையற்ற மாதவிடாய் சுழற்சியை சீர் செய்ய, தினமும் இஞ்சி சாறு பருகலாம். 1 மேஜைக்கரண்டி இஞ்சியை சர்க்கரை மற்றும் நீருடன் சேர்த்து கொதிக்க வைத்து, இந்த நீரை உணவு உண்ட பின் ஒவ்வொரு முறையும் குடித்து வரவும்; இது நல்ல பலன்களை அளிக்கும்.

இஞ்சி வழங்கும் சரும நன்மைகள்

இஞ்சி மருத்துவ பயன்பாடுகளை வழங்குவதுடன், சரும பராமரிப்பு நன்மைகளையும் வாரி வழங்குகிறது; தோலின் தன்மையை மேம்படுத்த பொதுவாக பெரும்பாலான மக்கள் சந்தையில் காணப்படும் செயற்கையான பொருட்களையே பயன்படுத்துகின்றனர். தீவிர சரும பிரச்சனைகளை குணப்படுத்த இஞ்சி சாறு உதவும்; இஞ்சி வழங்கும் சரும நன்மைகள் என்னென்ன என்று இங்கு பார்க்கலாம்:

நன்மை 1: வயது முதிர்ச்சியை தடுக்கும்

Preventing aging

Preventing aging

இஞ்சியில் கிட்டத்தட்ட 40 ஆன்டி ஆக்சிடென்ட்டுகள் நிறைந்து உள்ளன; இவை வயது முதிர்ச்சியை தடுக்க உதவுகின்றன. மேலும் இது சருமத்தில் காணப்படும் விஷப்பொருட்களை நீக்கி, இரத்த ஓட்டத்தை தூண்டி, தோலிற்கு அதிக ஊட்டச்சத்துக்கள் கிடைக்க வழிவகை செய்கிறது. இதில் இருக்கும் ஆன்டி ஆக்சிடென்ட்டுகள் உடல் தோலில் உள்ள தேவையற்ற இறந்த செல்களை நீக்கி, தோலின் தோற்றத்தை மாற்றி, உடல் என்றும் இளமையான தோற்றம் பெற உதவுகிறது. தோலின் நெகிழ்வுத்தன்மையை மேம்படுத்தி, தோலை மேலும் அதிக திடமானதாகவும், இளமையானதாகவும் மாற்ற உதவுகிறது; இது வயதாவதற்கான அறிகுறிகளை தடுக்க உதவும்.

நன்மை 2: எரிச்சலை குறைக்கும்

சருமத்தின் மீது இஞ்சி சாறை தடவுவது தோலில் ஏற்பட்டுள்ள எரிச்சலை குறைத்து, எரிந்து போன சருமத்தின் இயல்பு நிலையை மீட்டெடுக்க உதவுகிறது. தோலில் காணப்படும் தழும்புகள் மீது புதிய இஞ்சி துண்டினை தேய்த்து வந்தால், அது 6 முதல் 12 வாரங்களுக்குள் தழும்புகளை மறைக்க உதவும். நல்ல பலன்களை பெற புதிய இஞ்சியை பயன்படுத்த வேண்டும்.

நன்மை 3: முகப்பரு மற்றும் தோல் கோளாறு

ஒரு சக்தி வாய்ந்த நச்சு நீக்கியாக மற்றும் சுத்தப்படுத்தும் உறுப்பினராக செயல்பட்டு சருமத்தை சுத்தப்படுத்தி, முகப்பரு மற்றும் தோல் கோளாறுகள் போன்றவற்றை நீக்கி, மிருதுவான சருமம் பெற இஞ்சி உதவுகிறது; இது உடல் சருமத்தில் நல்ல விதமான மாற்றங்கள் உருவாக தோல் செல்களை தூண்டி விடுகிறது. இஞ்சி ஒரு இயற்கையான முகப்பருவை எதிர்த்து போராடும் ஒரு ஆயுதமாக விளங்குகிறது; இது சருமத்தில் முகப்பரு ஏற்படும் வீதத்தை குறைக்க உதவுகிறது. மேலும் முகப்பருவை ஏற்படுத்தக்கூடிய பாக்டீரியாவை கொன்று, சுத்தப்படுத்த இஞ்சி பயன்படுகிறது.

நன்மை 4: சரும தன்மை

Skin condition

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அப்ரோடிஸியாக், ஆன்டி ஆக்சிடென்ட் மற்றும் டோனிங் பண்புகளை அதிகம் கொண்டது என பெயர் பெற்ற மூலிகை இஞ்சி ஆகும்; இப்பண்புகள் பிரகாசிக்கும் சருமத்தை வழங்க உதவுகின்றன. 2 துருவிய இஞ்சி, 2 மேஜைக்கரண்டி தேன் மற்றும் ஒரு தேக்கரண்டி எலுமிச்சை சாறு சேர்த்து கலந்த கலவையை 30 நிமிடங்களுக்கு குளிர்சாதன பெட்டியில் வைக்கவும். பின் அதை எடுத்து சருமத்தில் தடவி, 30 நிமிடங்களுக்கு பின்னர் கழுவி விடவும்; இது சருமத்தை மென்மையானதாக மாற்றி, வயதாவதை தடுக்க உதவும்.

நன்மை 5: ஹைப்போ நிற மாற்றமடைந்த தழும்புகள்

ஹைப்போ நிற மாற்றமடைந்த தழும்புகள், உடலின் சருமத்தில் நிற மாற்றத்தை ஏற்படுத்தி, பொதுவாக வெள்ளை அல்லது மிகவும் இலேசான சரும தன்மையை ஏற்படுத்த காரணமாகின்றன. தோலின் ஹைப்போ நிற மாற்றத்தை குறைக்க இஞ்சி பயன்படுகிறது; புதிய இஞ்சியை துண்டாக்கி, அதை தழும்புகள் உள்ள இடத்தில் தேய்த்து வந்தால், சற்று நேரத்திற்கு அதை அப்படியே விட்டு விட்டால் தழும்புகளில் இருந்து குணமடையலாம். இதனால் ஏற்படும் பலன்களை, ஓரிரு வாரங்களில் தோலில் உண்டாகும் இலேசான மாற்றங்கள் மூலம் அறிந்து கொள்ளலாம். ஆனால், இதை தவறாமல் தினந்தோறும் செய்து வந்தால், நல்ல பலன்களை பார்க்கலாம்.

இஞ்சி வழங்கும் கூந்தல் நன்மைகள்

பல நூற்றாண்டுகளாக, ஆயுர்வேத மருத்துவத்தில் தலைமுடி பிரச்சனைகளை குணப்படுத்த இஞ்சி பயன்படுத்தப்பட்டு வருகிறது; இது முடி பிரச்சனைகளை குணப்படுத்த தேவையான பண்புகளை வெளியிடவல்லது. முடி வளர்ச்சியை தூண்டி விட்டு, மேம்படுத்த இஞ்சி எண்ணெய் அதிகம் உதவும். இப்பொழுது இஞ்சி வழங்கும் கூந்தல் நன்மைகள் யாவை என்று பார்த்து, படித்தறியலாம்:

நன்மை 1: முடி வளர்ச்சி

Hair growth

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உச்சந்தலையில் இரத்த ஓட்டத்தை அதிகரிக்க இஞ்சி பயன்படுகிறது; இதன் மூலம் உச்சந்தலையில் போதுமான அளவு இரத்த ஓட்டம் ஏற்படும். இது முடியின் வேர்க்கால்களை தூண்டி, முடி வளர்ச்சியை ஊக்கப்படுத்த உதவும்; இஞ்சியில் உள்ள கொழுப்பு அமிலங்கள் தலைமுடிக்கு அதிக நன்மைகளை அளிக்க வல்லவை. ஒரு மேஜைக்கரண்டி அளவு இஞ்சியை துருவி, அதில் 1 மேஜைக்கரண்டி ஜோஜோபா எண்ணெயை சேர்த்து, உச்சந்தலையில் வட்ட வடிவ இயக்கத்தில் மசாஜ் செய்து, 30 நிமிடங்களுக்கு தலையை அப்படியே விட்டு விடவும். பின்பு ஷாம்பு கொண்டு வழக்கம் போல் தலைமுடியை அலசவும்; இது தலைமுடி மெலிதாவதை எதிர்த்து போராடி, முடி வளர்ச்சியை தூண்டி விடும்.

நன்மை 2: பொடுகு

மக்கள் சந்திக்கும் சாதாரண மற்றும் பொதுவான தலைமுடி பிரச்சனையில் மிக முக்கியமான ஒன்று பொடுகு ஆகும்; இஞ்சியில் உள்ள ஆன்டி செப்டிக் பண்புகள் பொடுகை போக்க உதவும். இயற்கை முறையில் தலைமுடியில் காணப்படும் பொடுகை போக்க இஞ்சி எண்ணெய் ஒரு சிறந்த தீர்வு ஆகும்; இரண்டு தேக்கரண்டி புதிதாக துருவப்பட்ட இஞ்சி, மூன்று மேஜைக்கரண்டி நல்லெண்ணய் அல்லது ஆலிவ் எண்ணெய், எலுமிச்சை சாறு ஆகியவற்றை கலந்து, உச்சந்தலையில் தடவி 15 முதல் 30 நிமிடங்களுக்கு மசாஜ் செய்யவும். இந்த செய்முறையை வாரத்திற்கு மூன்று முறை செய்து வந்தால், பொடுகு பிரச்சனையில் இருந்து முற்றிலுமாக விடுதலை அடையலாம்.

நன்மை 3: தலை முடி இழப்பு சிகிச்சை

Head hair loss treatment

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முடி இழப்பை தடுக்க ஒரு சிறந்த மருந்தாக இஞ்சி பயன்படுகிறது; முடியை பலப்படுத்த மற்றும் கூந்தலில் நல்ல வாசம் ஏற்பட இது உதவுகிறது.

நன்மை 4: வறண்ட முடிக்கு நல்லது

வறண்ட மற்றும் உடையக்கூடிய முடியை சரி செய்ய உதவும் ஜிங்க்/ துத்தநாகம், பாஸ்பரஸ் மற்றும் பல வைட்டமின்களை கொண்ட ஒரு மூலிகையாக இஞ்சி திகழ்கிறது. இது தலைமுடி பிரச்சனைகளை சரி செய்து, நல்ல தலைமுடி வளர்ச்சிக்கு உதவும்.

நன்மை 5: பிளவுபட்ட கூந்தல் முனைகள்

அதிக மாசு மற்றும் அதிக வெப்பத்திற்கு ஆளாகும் முடியின் வேர்க்கால்களில், இம்மாசு காரணிகளால் ஏற்படும் சேதங்கள் காரணமாக பிளவுபட்ட கூந்தல் முனைகள் என்ற பிரச்சனை உருவாகிறது; இஞ்சியில் இருந்து தயாரிக்கப்பட்ட பொருட்கள் சேதமடைந்த முடியின் வேர்க்கால்களை குணப்படுத்தி, பிளவுற்ற கூந்தல் முனை குறைபாட்டை போக்க உதவுகின்றன.

இஞ்சியிலுள்ள ஊட்டச்சத்து மதிப்பு

இஞ்சியில் உள்ள புரதம், கால்சியம், இரும்பு, போலிக் அமிலம், கார்போஹைட்ரேட்டுகள், சர்க்கரை, கரையாத மற்றும் கரையக்கூடிய நார்ச்சத்து, சோடியம், வைட்டமின்கள், தாதுக்கள்/ கனிம சத்துக்கள், கொழுப்பு அமிலங்கள் போன்றவை மிகச்சிறந்த ஊட்டச்சத்துக்களாக விளங்குகின்றன. இஞ்சியில் உள்ள ஊட்டச்சத்து விவரம் பற்றி கீழே உள்ள அட்டவணையில் பார்க்கலாம்:

ஒவ்வொரு 100 கிராமிற்கான புதிய ஊட்டச்சத்து மதிப்பு (ஆதாரம்: யு.எஸ்.டி.ஏ (USDA) தேசிய ஊட்டச்சத்து தரவு தளம்)

நியமம் ஊட்டச்சத்து மதிப்பு RDA -இன் சதவிகிதம்
சக்தி 80 Kcal 4%
கார்போஹைட்ரேட் 17.77 g 13.50%
புரதம் 1.82 g 3%
மொத்த கொழுப்பு 0.75 g 3%
கொழுப்பு 0 mg 0%
நார்ச்சத்து உணவு 2.0 g 5%
வைட்டமின்கள்
ஃபோலேட்கள்/ போலிக் அமிலம் 11 µg 3%
நியாசின் 0.750 mg 4.50%
பேண்டோதெனிக் அமிலம் 0.203 mg 4%
பைரிடாக்சின் 0.160 mg 12%
வைட்டமின் ஏ 0 IU 0%
வைட்டமின் சி 5 mg 8%
வைட்டமின் ஈ 0.26 mg 1.50%
வைட்டமின் கே 0.1 µg 0%
எலக்ட்ரோலைட்கள்/ மின்பகு பொருள்கள்
சோடியம் 13 mg 1%
பொட்டாசியம் 415 mg 9%
கனிமங்கள்
கால்சியம் 16 mg 1.60%
காப்பர்/ தாமிரம் 0.226 mg 25%
இரும்பு 0.60 mg 7.50%
மெக்னீசியம் 43 mg 11%
மாங்கனீசு 0.229 mg 10%
பாஸ்பரஸ் 34 mg 5%
துத்தநாகம்/ ஜிங்க் 0.34 mg 3%

ஜின்ஜெரால்: இஞ்சியிலுள்ள ஜின்ஜெரால் என்பது ஒரு மஞ்சள் நிற, காரமான எண்ணெய் ஆகும்; இது தான் இஞ்சியின் காரமான சுவைக்கு முக்கிய காரணம் ஆகும். இதன் வேதிப்பொருள் கட்டமைப்பு, கேப்சைகினை ஒத்ததாக காணப்படுகிறது; இது இஞ்சிக்கு கார சுவையை அளிக்க உதவுகிறது. ஜின்ஜெராலில் அழற்சி எதிர்ப்பு பண்புகள் நிறைந்து காணப்படுகின்றன மற்றும் இது இரத்த சர்க்கரையை பராமரிக்க உதவும். டைப் 2 நீரிழிவு நோய் மற்றும் சைக்லோ ஆக்சிஜென்ஸ் ஆகிய நோய்க்குறைபாடுகளை பராமரித்து, அவற்றை தடுக்க உதவும் 2 முக்கிய என்சைம்களை சரிப்படுத்த இஞ்சி உதவுகிறது.

  • ஷோகோல்: அழற்சி எதிர்ப்பு பண்புகள் மற்றும் புற்றுநோய்க்கு எதிரான பண்புகளை கொண்ட இஞ்சி, மார்பக புற்றுநோயை எதிர்த்து போராட உதவும். மேலும் இது கட்டிகள் உருவாவதற்கு எதிரான பண்புகள், அழற்சி எதிர்ப்பு பண்புகளை ஜின்ஜெராலை காட்டிலும் அதிகம் கொண்டுள்ளதால், நுரையீரல் மற்றும் பெருங்குடல் புற்றுநோய் பாதிப்புகளை தடுக்க உதவுகிறது.
  • வைட்டமின்கள் மற்றும் தாதுக்கள்: வைட்டமின் பி6 ஒரு பயனுள்ள அழற்சியை குறைக்கும் பொருள் ஆகும்; இஞ்சியிலுள்ள பல தாதுக்களும் உடலுக்கு ஏராளமான நன்மைகளை அளிக்கின்றன.

இஞ்சியை பயன்படுத்துவது எப்படி?

How to use ginger

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இஞ்சியை சுவை சேர்க்கக்கூடிய ஒரு பேஸ்ட்டாக தான் பெரும்பான்மையான மக்கள் பயன்படுத்தி வருகின்றனர்; இந்த பேஸ்ட்டை உலர்ந்த அல்லது புதிய இஞ்சி என எதிலிருந்து வேண்டுமானாலும் தயாரிக்கலாம். இப்பேஸ்ட்டை வெங்காயம், சீரகம், பூண்டு, தக்காளி, கொத்தமல்லி, கடுகு போன்றவற்றுடன் சேர்த்து பயன்படுத்தலாம்; இந்த கலவையை சூப் வகைகள் தயாரிக்க, இறைச்சி மற்றும் காய்கறி குழம்புகள் தயாரிக்க பயன்படுத்தலாம்.

  • பழங்காலத்தில் இருந்தே இது எலுமிச்சை, ஸ்பாண்டியாஸ் மற்றும் ஊறுகாய் தயாரிக்க பயன்படுத்தப்பட்டு வருகிறது.
  • புதிய இஞ்சி வேர்களை வைத்து, வெவ்வேறு விதமான மிட்டாய்கள், இஞ்சி பிரட், பிஸ்கெட்டுகள் மற்றும் கார நொறுக்குத்தீனிகள் போன்றவற்றை தயாரிக்க பயன்படுத்தலாம்.
  • இஞ்சி தேநீர் என்பது உலகத்தில் மிக பிரபலமான பானமாக திகழ்கிறது; குறிப்பாக ஆசிய நாடுகளில் இது மிகவும் பிரபலமாக திகழ்ந்து வருகிறது.
  • இஞ்சி வேரில் இருந்து எடுக்கப்படும் சாறை, ஆப்பிள், எலுமிச்சை சாறு மற்றும் கேரட் போன்றவற்றுடன் சேர்த்து உட்கொள்ளலாம்.
  • இஞ்சியின் வேரை துருவி, வெவ்வேறு விதமான உணவுகளில் சேர்த்து உட்கொள்ளலாம்.
  • சில பிரபல உணவு வகைகளில், இஞ்சி வேர் கொண்டு தயாரித்த மிட்டாய்கள், பூசணி இஞ்சி கப் கேக்குகள், இஞ்சி சிரப், இஞ்சி சுவை கொண்ட பான் கேக்குகள் மற்றும் பல வகை உணவுகளில் இஞ்சி சேர்த்து தயாரித்து, உட்கொள்ளலாம்.

இஞ்சியின் பக்க விளைவுகள்

இஞ்சியை உட்கொள்வதால் ஏற்படும் நன்மைகளை பற்றி இதுவரை பார்த்தறிந்தோம்; இஞ்சியினால் ஏற்படும் பக்க விளைவுகள் பற்றி இந்த பத்தியில் காணலாம்:

  • இஞ்சியை புதிதாக அல்லது உலர வைத்து உட்கொள்வது பலவிதமான மருத்துவ நோக்கங்களுக்கு உதவும்; இது எண்ணெய், டிஞ்சர், கேப்ஸுல் மாத்திரை ஆகிய வடிவத்தில் கிடைக்கிறது
  • பொதுவாக இஞ்சியில் எவ்விதமான பக்க விளைவுகளும் ஏற்படாது; ஆனால், இஞ்சி குறித்த ஒவ்வாமை இருக்கும் நபர்களில் நெஞ்செரிச்சல், டையேரியா எனும் வயிற்றுப்போக்கு, வயிறு அசௌகரியம் போன்ற குறைபாடுகள் ஏற்படலாம். பித்தநீர்க்கட்டியால் பாதிக்கப்பட்டு வரும் நபர்கள் மருத்துவரை கலந்தாலோசித்த பின் இஞ்சியை உட்கொள்வது நல்லது.
  • கர்ப்பமாக இருக்கும் மற்றும் தாய்ப்பால் அளித்து வரும் பெண்கள் இஞ்சி, இஞ்சியிலிருந்து தயாரிக்கப்பட்ட சப்ளிமெண்ட்டுகளை, மருத்துவரை கலந்தாலோசிக்காமல் உட்கொள்ள கூடாது. இஞ்சி இரத்தத்தை மெலிதாக்கி, இரத்த அழுத்தத்தை அதிகரித்து விட வாய்ப்புண்டு.
  • இஞ்சி என்பது இந்திய அடுப்படிகளில் அத்தியாவசியமாகி விட்ட ஒரு மூலிகை உணவுப்பொருள்; இதனை கொண்டு தயாரிக்கப்படும் இஞ்சி தேநீர் அல்லது இஞ்சியிலிருந்து தயாரிக்கப்பட்ட சப்ளிமெண்ட்டுகள் ஆகியவற்றை உட்கொள்ளும் நபர்கள் அற்புதமான நன்மைகளை பெறுவார்கள் என்பதில் எந்த சந்தேகமும் இல்லை எனலாம்!

தரைக்கு அடியில், மண்ணில் வேர் விட்டு முளைக்கும் தாவரத்தின் வேரில் இருந்து பெறப்படும் இஞ்சி, வானளவு பயன்களை மக்களுக்கு வாரி வழங்குகிறது. இஞ்சி வளர்வதற்கு மிகக்குறைவான பராமரிப்பு மட்டும் கொடுக்கப்பட்டால், அதிக நன்மைகளை அள்ளித் தரக்கூடியதாக இஞ்சி விளங்குகின்றது; இதை வீட்டில் வளர்த்தால் விதைத்த ஓரிரு வாரங்களில் தினந்தோறும் புதிய இஞ்சிகளை தாவரத்தில் இருந்து பெறலாம். எந்தவொரு செயற்கை பூச்சிக்கொல்லி மருந்தும் சேர்க்காமல் தாவரத்தை வளர்த்தால், இயற்கையான பலன்களை முழுமையாக பெறலாம்.

இஞ்சி குறித்த எல்லா தகவல்களையும் இந்த பதிப்பில் படித்து அறிந்திருப்பீர்கள்! இஞ்சியால் நீங்கள் அடைந்த பலன்கள் யாவை? உங்களுக்கு பிடித்த இஞ்சி சேர்த்த உணவு எது? உங்களுக்கு தெரிந்த இஞ்சியின் வேறு பலன்கள் என்னென்ன என்று கீழே உள்ள கமெண்ட் பாக்ஸ் மூலம் எங்களுக்கு  தெரியப்படுத்துங்கள்.

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Dreams: Why We Remember Some Dreams And Not Others

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Dreams. This very word transports us to a wonderland that isn’t bound by any kind of rules or norms. All of us love dreaming. But have we ever thought that the dreams that we get while we’re asleep, are they really under our control or not? If it was under our control, all that we dreamt of, we would remember all of it when we woke up from our sleep, right? But the case is clearly the opposite, isn’t it? Most of us don’t remember all of our dreams when we wake up from our sleep the next morning. We remember only a few and that too in bits and pieces.

For the science world though, the dream is still a mysterious phenomenon. For years now, scientists have been trying to find out what is it that happens in our brain when we snooze. And how is it so essential to our life. Have you ever wondered that dreams help us solve some riddles, it soothes our emotional feelings of ups and downs, and it also helps certain people to put on the creative cap? This is exactly what Sigmund Freud, an Austrian neurologist put forth. Most of Freud’s theories focused on the concept of repressed longing — this is the idea that helps us dream about repressed, unresolved wishes. So does being able to remember some dreams and not all have something to do with an individual’s health or is there any other reason to it? Let’s find out by reading on.

The REM Phase That We Are In Matters

The REM Phase That We Are In Matters

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So, what’s an REM phase now? We’ll explain in very simple words. We, humans, sleep in cycles that last for a rough ninety minutes. And this cycle breaks our sleep into different stages. In some, we are in a heavy (deep) sleep and in the others we are in a lighter sleep (1). And if you look at all the stages technically, we dream in every single stage!

But it is the REM phase (the deepest sleep cycle) which is considered as the most psychedelic sleep period of our brain where we have the most vivid, narrative, hallucinogenic, and memory-laden dreams. REM here stands for Rapid Eye Movement. The REM cycle forms twenty percent of our sleep cycle. We are in a deep sleep mode for the first half of our sleep time. And the second part of our sleep is the REM one. The REM stage of sleep is the longest and the last part of our sleep.

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Fun Fact: When it comes to babies, the REM cycle forms at least fifty percent of their sleep.

What exactly happens in the REM phase? Well, although our body seems to be paralyzed, our brain is hyperactive. The movement and visual perception centers of our brain light up the hippocampus and amygdala (the emotion and memory centers inside our brain). These regions appear to be thirty percent more active during the REM sleeping phase when compared to waking hours. The REM phase as mentioned earlier is the last phase of our sleep, which is the early waking hours. And any dream that occurs during this time is remembered by our brain as these two regions are hyperactive.

The Emotional Dreams Are The Ones That Are Remembered Most

The Emotional Dreams Are The Ones That Are Remembered Most

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Emotions are what make us dream, right? But they say that, during our sleep, the tendency to feel sensations and emotions are pretty strong. And if you’re dreaming about anything that has emotions attached to it, then, there is a very possibility that your brain retains the MRI images of the dream. And this is how you can recollect the dream even after waking up from sleep. The feeling of fear especially is retained for several hours even after the person is up. This is why the people who wake up from nightmare-like dreams tend to behave moody.

The Time You’re Awake In The Night

The Time You’re Awake In The Night

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If you wake up in between your sleep, you’re more likely to remember your dreams. A person usually wakes up in between sleep as he/she is more reactive to stimuli, for example, sounds. And it is said that it’s more likely for a person to remember the dream if the person wakes up from a dream immediately (2). Therefore, a higher percentage of the people who were able to recall their dreams are the ones who had more amount of wake time during their sleep in the night.

Fun Fact: Recalling dreams is considered as a brain exercise.

Now, who knew so much study and facts goes into understanding, “I had such a sweet dream. But I cannot recollect it.” So, do you remember all your dreams or you too are one of those people who remember only a few of them? Also, do any of the above theories make sense to you? Let us know in the comments section below.

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9 Signs That Suggest You Are In A One-sided Relationship

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We often end up giving everything that we have to the person who we think is the love of our life, isn’t it? But what if this person is not the love of your life and you are just showering your love and care on someone who doesn’t even appreciate it? This is what will happen— you give, give, and give until you feel so empty that you don’t have anything left for yourself. Unrequited love is painful and it’s the most painful when the person who doesn’t care about you now, used to make you feel special and important. If you feel that you are in such a relationship, it’s important that you weigh yourself more and get out of it.

However, some people tend to overthink which makes them feel like their partner doesn’t love them. Your expectations might be too high for him/her to meet and this is when you need to introspect yourself. So, where do you draw the line? How do you understand if you’re in a one-sided relationship or if it’s all in your head? Before freaking out, read the below 9 signs that will help you get clarity on this issue.

1. You Are The One Who Always Takes The Initiative

You Are The One Who Always Takes The Initiative

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Is it you who is always making date plans and other things? If yes, think about your partner twice. If they are genuinely busy, talk to them and let them know that you need their help in planning things and you like it when they take initiative. However, if your partner has a lot of free time but doesn’t care about making plans with you, take the hint.

2. You Are Not A Priority To Them

You Are Not A Priority To Them

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You come at the bottom of their priority list or worse— you’re not even there in the list. Since you are such a nice person and you’ve made yourself available whenever they want you, they know that you will be there no matter how they treat you. Someone who loves you truly will never do this to you and will always think about you before making decisions even if they are small.

3. You’re The One Who Always Apologizes After A Fight

You’re The One Who Always Apologizes After A Fight

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Even if it is not your fault, do you end up apologizing to your partner because you don’t want to stay away from them? And if you don’t take the initiative to say sorry, you and your partner might not speak for days because of the fight. Of course, we know that you are doing this because your partner means the world to you and you love them a lot. But if this happens all the time, your partner is ungrateful and they do not deserve you.

4. They Take You For Granted

They Take You For Granted

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Your partner doesn’t appreciate any of the efforts that you take in order to help them or your relationship. They take you and your love for granted and never care about returning even the tiniest piece of it to you. They don’t ask anything about your day or your feelings and always talk only about themselves.

5. They Don’t Care About The Special Days

They Don’t Care About The Special Days

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You might have started planning for their birthday a month ago but do they really care about yours? It’s not about the expensive gifts and the fancy party partners throw each other. It’s about how your partner takes the effort to make you feel special on your big day. This applies to your anniversary as well.

6. Deep Inside You Are Sad And Frustrated

Deep Inside You Are Sad And Frustrated

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Since you have been in a dead-end relationship for quite a while, you feel like you’re unwanted and not cared for. It affects your mood constantly and eventually you get frustrated for little things. Everyone deserves to be loved, darling. So, stop watering a dead plant.

7. You Have Mixed Thoughts About Your Partner

You Have Mixed Thoughts About Your Partner

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Most of the time you feel mad at your partner. But because of your good heart and the fact that you’re madly in love with them, you end up seeing them through the cupid eyes again. If you are this confused about your partner and relationship most of the time, the answer is a big, loud NO!

8. Your Partner Doesn’t Really Know You

Your Partner Doesn’t Really Know You

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Do you think your partner knows you as well as you know them? Do you think they will be able to talk clearly about your dreams, aspirations, likes, and dislikes? If the person isn’t taking any interest in knowing you, they DO NOT deserve to be a part of your life.

9. You Feel Alone Most Of The Time

You Feel Alone Most Of The Time

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Even if you are in a “committed relationship,” you feel alone most of the time. He might be physically present with you but if he’s emotionally absent, he isn’t really there. And yes, physical presence is important too.

If you find that you’ve been battling with your feelings and you notice the above signs, talk to your partner. Try to figure things out and trust your gut feeling. Walk out of a relationship that doesn’t make you happy. You are worthy of someone who loves you the way you deserve to be loved and not a trophy boyfriend/girlfriend. We hope you find it in you to make the right decision. Take care *mmuahh*!

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अनार के छिलके के 11 फायदे और नुकसान – Pomegranate Peel Benefits and Side Effects in Hindi

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अनार को विश्व के चुनिंदा गुणकारी फलों में गिना जाता है। यह जितना स्वादिष्ट होता है, उतना ही स्वास्थ्य के लिए लाभकारी। उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोगों से बचाव के लिए इसका सेवन महत्वपूर्ण माना जाता है (1)। इसके अलावा, अनार के बीज और पत्तियां भी लाभदायक मानी जाती हैं (2)। इनके अलावा भी इस फल का एक और हिस्सा है, जो अपने अंदर कई औषधीय गुण रखता है और वो है अनार के छिलके। अनार के छिलके के फायदे के बारे में कई शोध उपलब्ध हैं, जो इसके विभिन्न शारीरिक लाभों के बारे में बताते हैं। स्टाइलक्रेज के इस लेख में जानिए अनार के छिलकों के स्वास्थ्य लाभ। साथ में जानिए शरीर के लिए अनार के छिलकों का प्रयोग किस प्रकार किया जा सकता है।

लेख के सबसे पहले भाग में जानिये अनार के छिलके के स्वास्थ्य लाभ के बारे में।

अनार के छिलके के फायदे – Benefits of Pomegranate Peel in Hindi

1. हृदय रोग के लिए

For heart disease

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एक वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार, अनार के छिलके के मेथनॉल अर्क में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट खराब कोलेस्ट्रोल को कम कर सकते हैं, जिससे हृदय को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है (3)। इसके अलावा, एंटीऑक्सीडेंट शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, विषाक्त तत्वों और फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम कर हृदय रोग के खतरे से आपको बचा सकता है (4)।

2. विषाक्त पदार्थों को निकाले

जैसा कि हम बता चुके हैं कि अनार के छिलकों में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं (3)। शोध में पाया गया है कि एंटीऑक्सीडेंट शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकाल कर शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। यह लिवर और किडनी को भी स्वस्थ बनाए रखने में मदद कर सकता है (5)।

3. विटामिन-सी का स्रोत

शायद आपको यह जानकर भी हैरानी हो कि अनार के छिलकों में अनार के दानों से ज्यादा विटामिन-सी पाया जाता है। यह शरीर में एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है (6)। विटामिन-सी शरीर के घाव को भरने में मदद करता है और साथ ही शरीर में आयरन के अवशोषण (Absorption) को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, यह आपको संक्रमण से बचाता है और हड्डियों व कनेक्टिंग टिश्यू (Connecting Tissue) को स्वस्थ रखने में मदद करता है (7)।

4. मुंह के स्वास्थ्य के लिए

For mouth health

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अनार के छिलके का उपयोग आप अपने मुंह को स्वस्थ रखने के लिए भी कर सकते हैं। इसमें पॉलीफेनोलिक फ्लेवोनोइड्स पाए जाते हैं, जिनमें एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं। ये गुण कीटाणुओं और फंगस को खत्म कर संक्रमण को दूर रखने में मदद करते हैं। अनार के छिलके का प्रयोग कर आप घर में ही माउथवॉश बना सकते हैं, लेकिन इसे प्रयोग करने के लिए किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें (8)।

5. खांसी और गले की खराश को कम करे

खांसी और गले की खराश का मुख्य कारण संक्रमण होता है। संक्रमण किसी वायरस या बैक्टीरिया की वजह से हो सकता है (9)। ऐसे में, अनार के छिलके का उपयोग करके आप गले की खराश और खांसी से आराम पा सकते हैं। जैसा कि हम पहले भी बता चुके हैं कि अनार के छिलके में एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। ये एंटीमाइक्रोबियल गुण आपको संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया से निजात दिलाने में मदद कर सकते हैं (8)।

6. बार-बार पेशाब आने से राहत

Relief from frequent urination

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बार-बार पेशाब आने का एक कारण यूरिनरी ट्रैक्ट संक्रमण भी हो सकता है (10)। यह संक्रमण ई-कोली नामक बैक्टीरिया की वजह से होता है। यूरिनरी ट्रैक्ट संक्रमण से ग्रसित व्यक्ति को अनार के छिलके का उपयोग करने से आराम मिल सकता है। अनार के छिलके में एंटीमाइक्रोबियल, बैक्टीरियोस्टेटिक और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो ई-काली को खत्म करते हैं और दोबारा पनपने से रोकते हैं (11)।

7. प्रभावी सनब्लॉक एजेंट

एक प्रभावी सनब्लॉक क्रीम या एजेंट का उपयोग न करने से आपकी त्वचा को सूरज की यूवी किरणों के नुकसान झेलने पड़ सकते हैं। इससे बचने के लिए अनार के छिलके का प्रयोग करना लाभदायक साबित हो सकता है। दरअसल, अनार के छिलके में भरपूर मात्रा में विटामिन-सी पाया जाता है, जिसे एक बहुत प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है (6)। एंटीऑक्सीडेंट होने के वजह से यह आपकी त्वचा को यूवी किरणों के प्रभाव से होने वाले ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचा सकता है (12)।

8. स्किन कैंसर से बचाए

त्वचा पर यूवी किरणों की वजह से होने वाली क्षति, स्किन कैंसर का एक कारण बन सकती है। यह त्वचा में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को बढ़ाती है, कोशिकाओं को नष्ट करती है और त्वचा के कैंसर का खतरा बढ़ाती है। ऐसे में, अनार के गुण आपकी मदद कर सकते हैं। शोध में पाया गया है कि अनार के एंटी-ऑक्सीडेंट गुण यूवी किरणों का प्रभाव कम करके स्किन कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं (13)। यह कहा जा सकता है कि अनार के छिलकों में पाए जाने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट गुण भी यह काम कर सकते हैं। हालांकि, इस पर कोई शोध उपलब्ध नहीं है कि यह कितना प्रभावशाली होगा।

9. झुर्रियों और महीन रेखाओं को कम करे

Reduce wrinkles and fine lines

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यूवी किरणें आपकी त्वचा को एक या दो नहीं, बल्कि कई तरह से नुकसान पहुंचा सकती हैं। इनकी वजह से उम्र से पहले चेहरे पर बढ़ती उम्र के लक्षण, जैसे झुर्रियां और महीन रेखाएं दिख सकती हैं। इनसे बचने के लिए आप अनार के छिलके का उपयोग कर सकते हैं। जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि अनार के छिलके एंटी-ऑक्सीडेंट गुण से समृद्ध होते हैं और एंटी-ऑक्सीडेंट आपको ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से तो बचाएगा ही, साथ ही बढ़ती उम्र के लक्षण को कम करने में भी मदद कर सकता है (14)।

10. प्रभावी मॉइस्चराइजर

अगर आपकी त्वचा रूखी और बेजान है, तो आप अनार के दाने खाने के साथ, अनार के छिलकों का भी उपयोग कर सकते हैं। इसमें एललगिक एसिड (Ellagic Acid) नाम का एक एसिड पाया जाता है, जो आपकी त्वचा को नम और निखरा हुआ बनाने में मदद कर सकता है (15) (16)। इसके लिए अनार के छिलकों को पीसकर, उसका पेस्ट बना कर लगाने से फायदा मिल सकता है।

11. बालों के लिए फायदेमंद

Beneficial for hair

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धूप में यूवी किरणों की वजह से त्वचा के साथ, बालों को भी काफी नुकसान पहुंच सकता है। इनसे बाल समय से पहले सफेद हो सकते हैं और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बालों के झड़ने का भी एक कारण बन सकता है। इस ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचने में अनार के छिलकों में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट गुण आपकी मदद कर सकते हैं (17) (6)।

अनार के छिलके के स्वास्थ्य लाभ तो आपने जान लिए। आइए, अब आपको बता दें कि आप अनार के छिलके का उपयोग कैसे कर सकते हैं।

अनार के छिलके का उपयोग – How to Use Pomegranate Peel in Hindi

How to Use Pomegranate Peel in Hindi

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अपनी सेहत के लिए अनार के छिलके के फायदे उठाने के लिए आप इसका प्रयोग नीचे बताए गए तरीके से कर सकते हैं।

सामग्री :
  • एक अनार का छिलका
  • एक गिलास पानी
  • शहद (वैकल्पिक)
विधि :
  • अनार के छिलके को धूप में रखकर सुखा लें।
  • पैन में एक गिलास पानी और अनार के छिलके को डालकर उबाल लें।
  • जब पानी अच्छी तरह उबल जाए और छिलकों का रंग पानी में उतर जाए, तो गैस बंद कर दें।
  • पानी को थोड़ा-सा ठंडा (पीने लायक गर्म) होने दें और फिर उसका सेवन करें।
  • आप चाहें तो स्वाद के लिए उसमें शहद भी मिला सकते हैं।
कब करना है उपयोग :

आप रोज सुबह नाश्ते से पहले इस पेय का सेवन कर सकते हैं।

नीचे बताए गए तरीके से आप त्वचा के लिए अनार के छिलके का उपयोग कर सकते हैं।

सामग्री :
  • दो से तीन अनार के छिलके
  • गुलाब जल
विधि :
  • अनार के छिलकों को धूप में सुखा लें। ध्यान रहे कि उनमें जरा भी नमी न बचे।
  • अच्छी तरह सूख जाने के बाद, छिलकों को ब्लेंडर में डालकर उनका पाउडर बना लें।
  • एक छोटे बाउल में दो से तीन चम्मच पाउडर निकालें और उसमें आवश्यकतानुसार गुलाब जल डालकर पेस्ट बना लें।
  • इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें।
  • अंत में चेहरे को ठंडे पानी से धोकर मॉइस्चराइजर लगा लें।
कब करना है उपयोग :

इस प्रयोग को आप हफ्ते में दो बार दोहरा सकते हैं।

बालों के लिए अनार के छिलके का उपयोग आप नीचे बताए गये तरीके से कर सकते हैं।

सामग्री :
  • एक अनार का छिलके
  • नारियल/जैतून का तेल
विधि :
  • ऊपर बताई गई विधि से अनार के छिलकों का पाउडर बना लें।
  • एक कटोरी तेल में लगभग आधा चम्मच पाउडर मिला लें और तेल को गुनगुना कर लें।
  • अब अपने बालों में लगभग 20-25 मिनट इस गुनगुने तेल से मसाज करें।
  • मसाज करने के बाद, तेल को 25 मिनट के लिए बालों में रहने दें।
  • अंत में बालों को ठंडे पानी से शैम्पू कर के धो लें।
कब उपयोग करना है:

इस विधि को आप हफ्ते में दो बार दोहरा सकते हैं।

लेख के अगले भाग में जानिये अनार के छिलके के नुकसान के बारे में।

अनार के छिलके के नुकसान – Side Effects of Pomegranate Peel in Hindi

एक शोध में पाया गया है कि अनार के छिलके का उपयोग पूरी तरह से सुरक्षित है और इसमें किसी प्रकार की विषाक्ता नहीं है (2)। इसलिए, आप इसका प्रयोग बिना डरे कर सकते हैं, लेकिन इसका अधिक मात्रा में सेवन नुकसानदायक हो सकता है, लेकिन वो नुकसान क्या हो सकते हैं, इस पर कोई सटीक वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। इसलिए, हम यही सलाह देंगे कि अनार के छिलके का प्रयोग आप सीमित मात्रा में और डॉक्टरी सलाह पर ही करें।

अब आप अनार के छिलके के बारे में बखूबी समझ गए होंगे। संभवत: आपने अनार के छिलकों के इतने लाभ पहले कभी सुने या पढ़े नहीं होंगे। इसलिए, अगली बार जब भी आप बाजार से अनार लाएं, तो उसके दानों का सेवन करने के बाद, छिलकों को फेंके नहीं, बल्कि अनार के छिलके का उपयोग अन्य फायदों के लिए करें। अनार के छिलके का प्रयोग लगातार करने से आपको जल्द ही उसके लाभ नजर आने लगेंगे। इसके अलावा, अगर अब भी आपके मन में अनार के छिलकों से जुड़ा कोई सवाल या शंका है, तो आप नीचे दिए कमेंट बॉक्स में लिख कर हमसे पूछ सकते हैं।

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